क़ुरान जलाने पर तुर्की, सऊदी अरब और पाकिस्तान ने क्या कहा?
रविवार, 22 जनवरी, 2023 आई बी टी एन खबर ब्यूरो
तुर्की और स्वीडन के बीच नाटो की सदस्यता को लेकर हो रही तकरार में अब सऊदी अरब और पाकिस्तान की एंट्री भी हो गई है।
स्वीडन नाटो में शामिल होना चाहता है। नाटो सदस्य तुर्की इसके ख़िलाफ़ है।
इसी के चलते स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में तुर्की के ख़िलाफ़ दक्षिणपंथी प्रदर्शन कर रहे हैं।
इन प्रदर्शनों के दौरान क़ुरान जलाने का मामला सामने आया है। ये क़ुरान स्टॉकहोम में तुर्की दूतावास के बाहर दक्षिणपंथी नेता रासमुस पैलुदान ने शनिवार, 21 जनवरी 2023 को जलाई।
रासमुस अति दक्षिणपंथी स्ट्राम कुर्स पार्टी के नेता हैं।
क़ुरान जलाने की घटना के बाद अब तुर्की, पाकिस्तान और सऊदी अरब की प्रतिक्रिया आई है।
स्वीडन ने इन घटनाओं को डर पैदा करने वाला बताया।
स्वीडन के रक्षा मंत्री पॉल जॉनसन ने कहा, ''तुर्की के साथ हमारे संबंध बेहद ज़रूरी हैं और हम साझा सुरक्षा और रक्षा से जुड़े मामलों पर फिर बात करेंगे।''
अल अरबिया न्यूज़ के मुताब़िक, सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने इस घटना पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है।
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कहा, ''सऊदी अरब बातचीत, सहिष्णुता, सह-अस्तित्व की अहमियत को समझते हुए इसे बढ़ाने में यक़ीन रखता है और नफरत, अतिवाद को ख़ारिज करता है।''
पाकिस्तान ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ''स्वीडन में क़ुरान जलाए जाने की घटना का हम कड़ा विरोध करते हैं।''
पाकिस्तान ने कहा, ''इस मूर्खतापूर्ण और भड़काऊ इस्लामोफोबिक हरकत ने करोड़ों मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। इस तरह की हरकतें किसी भी तरह से अभिव्यक्ति की आज़ादी या जायज़ हरकत नहीं ठहराई जा सकती हैं। इस्लाम शांति और मुसलमानों का धर्म है जो सभी धर्मों का सम्मान करता है। इस सिद्धांत का सभी को सम्मान करना चाहिए।''
पाकिस्तान ने दूसरे मुल्कों से इस्लामोफोबिया, असहिष्णुता और हिंसा भड़काने की कोशिशों के ख़िलाफ़ आने और समाधान तलाशने की अपील की है।
तुर्की ने भी क़ुरान जलाने को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया। तुर्की ने स्वीडन के रक्षा मंत्री पॉल जॉनसन के दौरे को भी रद्द करते हुए कहा, ''यात्रा अपना मकसद और अर्थ खो चुकी है।''
तुर्की ने कहा, ''ऐसे विरोध प्रदर्शनों को रोकने की ज़रूरत है। ऐसे मुस्लिम विरोधी हरकतों की इजाज़त देना, जो हमारी धार्मिक मान्यताओं को अपमानित करती हों, पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। कई चेतावनियों के बाद भी ऐसा लगातार हो रहा है।''
तुर्की नाटो का सदस्य है। इसका मतलब ये है कि वो चाहे तो किसी नए देश के शामिल होने पर रोक लगा सकता है।
जब यूक्रेन पर रूस का हमला हुआ, तब स्वीडन और फिनलैंड दोनों ने नाटो में शामिल होने की अपील की।
तुर्की इनके नाटो में शामिल होने का विरोध कर रहा है। इसी के चलते स्वीडन में तुर्की के ख़िलाफ़ गुस्सा है।
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