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रविवार, 28 मई 2023
 
 

रूस भारत समेत कई देशों पर क्यों दबाव बना रहा है: ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट

मंगलवार, 23 मई, 2023  आई बी टी एन खबर ब्यूरो
 
 
रूस भारत समेत कई देशों पर फ़ाइनैंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (एफ़एटीएफ़) में पश्चिमी देशों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों को रोकने के लिए दबाव बना रहा है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस का कहना है कि अगर वे इस ब्लॉक में बने रहने में रूस की मदद नहीं करते हैं तो क्रेमलिन रक्षा और ऊर्जा समझौतों को आगे नहीं जारी रख सकता है।

एफ़एटीएफ़ मनी लॉन्ड्रिंग और चरमपंथ को मिलने वाली आर्थिक सहायता पर नज़र रखने वाली वैश्विक संस्था है। रूस को 'ब्लैक लिस्ट' या 'ग्रे लिस्ट' में डालने का दबाव बनाया जा रहा है।

इस इकाई की जून 2023 में बैठक होने वाली है। ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसने दस्तावेजों की समीक्षा की है और कई लोगों से इस संबंध में बात भी की है कि रूस किस तरह अपने 'कॉमर्शियल सहयोगियों पर जून की बैठक से पहले दबाव' बना रहा है।

ब्लूमबर्ग ने कहा है कि एफ़एटीएफ़ ने 24 फ़रवरी 2023 को रूस की सदस्यता ख़त्म कर दी थी और अब यूक्रेन रूस पर और ज़्यादा प्रतिबंध लगाने के लिए कई देशों से मदद मांग रहा है।

अगर एफ़एटीएफ़ रूस को जून 2023 में ब्लैकलिस्ट करता है तो वह उत्तर कोरिया, ईरान और म्यांमार की सूची में शामिल हो जाएगा। और इससे रूस की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा और वह अलग-थलग पड़ जाएगा।

कई देश यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर न्यूट्रल रुख़ अपनाए हुए हैं और भारत भी उन्हीं देशों में शामिल है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मिले थे लेकिन उन्होंने रूस के ख़िलाफ़ क़दम उठाने की बात नहीं कही थी। उन्होंने कहा था, "मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि इसके समाधान के लिए भारत और निजी तौर मैं स्वयं हमसे जो कुछ भी हो सकता है, हम अवश्य करेंगे।''

रूस ने 24 फ़रवरी 2022 को यूक्रेन पर हमला किया था। इसके बाद पश्चिमी देशों ने रूस के ख़िलाफ़ कई प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में पेश किए, जिससे भारत ने दूरी बनाए रखी।

अमेरिका ने कई मौकों पर भारत को अपने रुख पर गौर करने की सलाह भी दी है।

रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से भी भारत ने अपने रिश्तों पर असर नहीं आने दिया बल्कि भारत ने रूस से सस्ती दरों पर तेल खरीदा और अपने इस फैसले का खुलकर बचाव भी किया।

मॉस्को भारत के लिए एक विश्वसनीय साझेदार रहा है। दूसरी तरफ़ अमेरिका भारत की तुलना में पाकिस्तान को तवज्जो देता रहा है। सोवियत संघ और भारत की दोस्ती की शुरुआत 1971 में हुई थी। शांति, मित्रता और सहयोग की भारत-सोवियत संधि अगस्त 1971 में भारत और सोवियत संघ के बीच हस्ताक्षरित एक संधि थी जिसमें आपसी रणनीतिक सहयोग निर्दिष्ट किया गया था। आज़ाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की वैचारिक क़रीबी भी सोवियत संघ के साथ ही थी।

अगस्त 1971 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 'इंडिया-सोवियत ट्रीटी ऑफ़ पीस, फ़्रेंडशिप एंड कोऑपरेशन' पर हस्ताक्षर किया। इस समझौते के तहत सोवियत यूनियन ने भारत को आश्वस्त किया था कि युद्ध की स्थिति में वो राजनयिक और हथियार दोनों से समर्थन देगा।
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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