'मोदी राज' में तीन गुना बढ़ीं 15 घंटे लेट चलने वाली ट्रेनें

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ट्रेनों की लेट लतीफी पर सख्त हो गए हैं। उन्होंने रेलवे बोर्ड के अधिकारियों को निर्देश जारी कर कहा है कि सभी ट्रेनों को अपने नियत समय पर चलाएं।

अधिकारियों को फटकारते हुए रेल मंत्री ने कहा कि अगर ट्रेनों की लेट लतीफी जारी रही तो अधिकारी इसका अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहें।

रेल मंत्री ने मीडिया में ट्रेनों के लेट लतीफी की खबरें आने के बाद यह आदेश दिया है। दरअसल, ट्रेन सुविधा डॉट कॉम ने पिछले चार सालों में 1 जनवरी से 31 मार्च के बीच ट्रेनों की लेट लतीफी पर एक रिपोर्ट जारी किया है। इसमें साल 2017 में ऐसी ट्रेनों की संख्या साल 2015 के मुकाबले तीन गुना बढ़ गई है जो 15 घंटे से ज्यादा लेट हुए हैं। साल 2015 में 15 घंटे से ज्यादा लेट होने वाली ट्रेनों की संख्या 479 थी जो 2017 में बढ़कर 1337 हो गई। इन ट्रेनों में देश की सबसे अहम राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेनें भी शामिल हैं।

वेबसाइट के मुताबिक, साल 2017 में राजधानी एक्सप्रेस 53 बार, शताब्दी एक्सप्रेस 19 बार, गरीब रथ 46 बार, सुपरफास्ट ट्रेनें 86 बार और एक्सप्रेस ट्रेनें 451 बार देरी से अपने गंतव्य स्थल पर पहुंची हैं।

वेबसाइट के मुताबिक, साल 2017 में 15 घंटे से ज्यादा की देरी से पहुंचने वाली ट्रेनों की संख्या 1337 है जो 2016 में 165 थी। इसी तरह 10 घंटे से ज्यादा देरी से चल रही ट्रेनों की संख्या 2017 में 1382 और 2016 में 430 थी। पांच घंटे से ज्यादा की देरी से चलने वाली ट्रेनों की संख्या साल 2017 में 4613 और 2016 में 2641 थी। दो घंटे से ज्यादा की देरी से चलने वाली ट्रेनों की संख्या साल 2017 में 9564 और साल 2016 में 7441 थी।

वेबसाइट ने देर से चलने वाली टॉप 10 ट्रेनों की लिस्ट भी जारी की है। इनमें से सात ट्रेनें अकेले बिहार से गुजरती हैं या बिहार की हैं। बिहार जाने वाली ऐसी ट्रेनों में स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस पहले नंबर पर है जो 1 जनवरी 2017 से 31 मार्च 2017 के बीच कुल 80 दिन चली और सभी दिन देरी से ही गंतव्य स्थल पर पहुंची। यह ट्रेन एक दिन भी समय पर नहीं चल सकी। 80 दिनों में 41 दिन ऐसे रहे जब यह ट्रेन 15 घंटे से ज्यादा की देरी से चली। दूसरी लेट लतीफ ट्रेन उद्यान आभा तूफान एक्सप्रेस है जो इस दौरान 75 दिन चली और सभी दिन देरी से ही गंतव्य स्थल पर पहुंची। यह ट्रेन राजस्थान के श्रीगंगानगर से यूपी, बिहार होते हुए पश्चिम बंगाल के हावड़ा जाती है। 32 दिन ऐसे रहे जब यह ट्रेन 15 घंटे से ज्यादा की देरी से चली।

इसी तरह बरौनी-ग्वालियर मेल 61 दिनों में 60 दिन लेट से चली। यूपी संपर्क क्रांति एक्सप्रेस 67 दिनों में 37 दिन देरी से चली। दिल्ली से डिब्रूगढ़ जाने वाली ब्रह्मपुत्र मेल 42 दिनों में सभी दिन लेट से चली। लेट लतीफ जानेवाली बिहार की अन्य ट्रेनों में मगध एक्सप्रेस, भागलपुर गरीब रथ एक्सप्रेस, अमृतसर-हावड़ा एक्सप्रेस, पटना-मथुरा एक्सप्रेस भी शामिल है।

अब रेल मंत्रालय ने सभी जोनल प्रमुखों और रेल महाप्रबंधकों को रात 10 बजे से सुबह 7 बजे के बीच ट्रेनों के परिचालन की निगरानी और मुसाफिरों की दिक्कतों को सुलझाने के लिए वरीय अधिकारियों की तैनाती के निर्देश दिए हैं। जानकार बताते हैं कि लेटलतीफी के मामले में सबसे खराब हालत दानापुर, समस्तीपुर, झाँसी, जबलपुर, वाराणसी, मुंबई, इलाहाबाद डिवीजन रेलवे की है।