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इसराइल के लिए समर्थन से यह भावना पैदा होती है कि वह जो चाहे कर सकता है: विश्लेषण

इसराइल के लिए समर्थन से यह भावना पैदा होती है कि वह जो चाहे कर सकता है: विश्लेषण

गुरुवार, 3 अक्टूबर, 2024
ईरान में ब्रिटेन के पूर्व राजदूत रिचर्ड डाल्टन का कहना है कि पश्चिम से इसराइल के लिए समर्थन संघर्ष को कम करने के खिलाफ काम कर रहा है।

रिचर्ड डाल्टन ने अल जजीरा से कहा, "यह पूरे क्षेत्र में शांतिपूर्ण समझौता स्थापित करने के खिलाफ काम कर रहा है, चाहे वह फिलिस्तीन के भीतर हो या उससे परे, क्योंकि यह यह भावना पैदा कर रहा है कि इसराइल जो चाहे कर सकता है।"

रिचर्ड डाल्टन ने कहा, "वे संयुक्त राज्य अमेरिका को अपमानित कर सकते हैं। वे यूनाइटेड किंगडम और इसराइल के यूरोपीय भागीदारों से सैन्य समर्थन प्राप्त कर सकते हैं और उन देशों की आवश्यकताओं का जवाब देने के लिए कुछ भी नहीं कर सकते हैं कि शांति के लिए एक शर्त के रूप में फिलिस्तीनी राज्य की दिशा में प्रगति होनी चाहिए।"

डाल्टन ने कहा कि पश्चिम में जनमत इसराइल के खिलाफ हो रहा है क्योंकि वह अपने युद्धों को जिस तरह से लड़ रहा है।

रिचर्ड डाल्टन ने कहा, "मेरा मानना ​​है कि इसराइल की कार्रवाई के कारण, इसराइल द्वारा बुनियादी मानवाधिकारों को नकारने के कारण, इसराइल द्वारा उन अधिकारों को नकारने के कारण, जिनका वह स्वयं दावा करता है, दूसरों को भी दिए जाने चाहिए, यह राय इसराइल के खिलाफ हो गई है।"

ग़ज़ा में युद्ध अपराधों की जांच I अल जज़ीरा जांच

ग़ज़ा में युद्ध अपराधों की जांच I अल जज़ीरा जांच

गुरुवार, 3 अक्टूबर, 2024
अल जज़ीरा की जांच इकाई द्वारा की गई यह फीचर-लंबी जांच, साल भर चले संघर्ष के दौरान इसराइली सैनिकों द्वारा खुद ऑनलाइन पोस्ट की गई तस्वीरों और वीडियो के माध्यम से ग़ज़ा पट्टी में इसराइली युद्ध अपराधों को उजागर करती है।

आई - यूनिट ने हजारों वीडियो, फ़ोटो और सोशल मीडिया पोस्ट का डेटाबेस बनाया है। जहाँ संभव हो, इसने पोस्टर और दिखने वाले लोगों की पहचान की है।

सामग्री में कई तरह की अवैध गतिविधियों का खुलासा किया गया है, जिसमें बेतहाशा विनाश और लूटपाट से लेकर पूरे पड़ोस को ध्वस्त करना और हत्या करना शामिल है।

यह फिल्म फिलिस्तीनी पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और ग़ज़ा पट्टी के आम निवासियों की नज़र से युद्ध की कहानी भी बताती है। और यह पश्चिमी सरकारों की मिलीभगत को उजागर करती है - विशेष रूप से साइप्रस में आर ए एफ अक्रोटिरी का ग़ज़ा पर ब्रिटिश निगरानी उड़ानों के लिए बेस के रूप में उपयोग करना।

फ़िलिस्तीनी लेखिका सुसान अबुलहवा कहती हैं, "पश्चिम छिप नहीं सकता, वे अज्ञानता का दावा नहीं कर सकते। कोई भी यह नहीं कह सकता कि उन्हें नहीं पता था।" "यह इतिहास का पहला लाइवस्ट्रीम नरसंहार है... अगर लोग अज्ञानी हैं तो वे जानबूझकर अज्ञानी हैं," वे कहती हैं।

इस तरह के युद्ध से किसी को कोई लाभ नहीं: पूर्व इसराइली अधिकारी

इस तरह के युद्ध से किसी को कोई लाभ नहीं: पूर्व इसराइली अधिकारी

गुरुवार, 3 अक्टूबर, 2024
मध्य बेरूत को निशाना बनाकर रात भर किए गए इसराइली हवाई हमलों में कम से कम सात लोग मारे गए और आठ घायल हो गए।

यह हमला लेबनान की संसद और प्रधानमंत्री कार्यालय से सिर्फ़ एक किलोमीटर दूर बाचौरा के इलाके में एक इमारत पर हुआ।

इस बीच, और भी इसराइली हमलों ने बेरूत के दक्षिणी उपनगर दहियाह को निशाना बनाया है, जहाँ पिछले हफ़्ते हिज़्बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की हत्या कर दी गई थी।

इसराइल ने पिछले दो हफ़्तों में इस इलाके पर कई बार हमला किया है, यह कहते हुए कि वह हिज़्बुल्लाह के ठिकानों को निशाना बना रहा है।

और ग़ज़ा में, रात भर किए गए इसराइली हमले में कम से कम एक फ़िलिस्तीनी मारा गया और पट्टी के मध्य भाग में डेयर एल-बलाह में एक अन्य घायल हो गया।

एक इसराइली हेलीकॉप्टर गनशिप ने एक स्कूल परिसर में विस्थापित लोगों के लिए बने तंबू पर हमला किया।

एलोन लील इसराइल के विदेश मंत्रालय में पूर्व महानिदेशक हैं। वह दक्षिण अफ्रीका में पूर्व राजदूत भी रह चुके हैं।

उनका कहना है कि ग़ज़ा में लगभग एक वर्ष से चल रहे युद्ध से इसराइल कमजोर हो गया है और क्षेत्र में लम्बे संघर्ष की संभावना से वहां की जनता चिंतित है।

इसराइल को हथियार भेजते समय अमेरिका द्वारा युद्ध विराम की बात का कोई मतलब नहीं: विश्लेषण

इसराइल को हथियार भेजते समय अमेरिका द्वारा युद्ध विराम की बात का कोई मतलब नहीं: विश्लेषण

रविवार, 29 सितंबर, 2024
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने नसरल्लाह की हत्या पर एक बयान जारी किया है, जिसमें इसे "हजारों अमेरिकियों, इसराइलियों और लेबनानी नागरिकों सहित उनके कई पीड़ितों के लिए न्याय का एक उपाय" कहा गया है।

बिडेन ने कहा कि अमेरिका "हिजबुल्लाह, हमास, हौथिस और किसी भी अन्य ईरानी समर्थित आतंकवादी समूहों के खिलाफ खुद का बचाव करने के इसराइल के अधिकार का पूरी तरह से समर्थन करता है"।

बिडेन ने कहा कि उनकी सरकार "आक्रामकता को रोकने और व्यापक क्षेत्रीय युद्ध के जोखिम को कम करने के लिए मध्य पूर्व क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य बलों की रक्षा स्थिति को बढ़ा रही है"।

अल जज़ीरा के शिहाब रतनसी ने वाशिंगटन, डीसी से अमेरिकी प्रतिक्रिया के बारे में अधिक जानकारी दी है।

फिलिस बेनिस इंस्टीट्यूट फॉर पॉलिसी स्टडीज की फेलो हैं। फिलिस का कहना है कि इसराइल को हथियारों की निरंतर आपूर्ति के कारण बिडेन प्रशासन के युद्ध विराम को सुरक्षित करने के प्रयासों को कमजोर किया जा रहा है।

हिजबुल्लाह का उथल-पुथल भरा इतिहास, क्या पार्टी शक्तिशाली नेता की मौत के बाद भी बच पाएगी?

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रविवार, 29 सितंबर, 2024 #हसन नसरल्लाह #हिजबुल्लाह #मध्यपूर्वसंघर्ष
इसराइल द्वारा हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की हत्या ने शिया उग्रवादी संगठन में खलबली मचा दी है। हिजबुल्लाह के लिए सबसे गंभीर आघातों में से एक के रूप में देखा जा रहा है, यह हत्या ईरान समर्थित समूह और इसराइल के बीच दशकों से चली आ रही झड़पों के बाद हुई है।

अल जज़ीरा के मोहम्मद वल की रिपोर्ट।

यूक्रेन पर रूसी हमले में 31 लोगों की मौत, बच्चों के अस्पताल पर भी हमला

यूक्रेन पर रूसी हमले में 31 लोगों की मौत, बच्चों के अस्पताल पर भी हमला

सोमवार, 8 जुलाई 2024

यूक्रेन पर रूस के ताजा हमलों में 31 लोगों की मौत हो गई है और 150 से ज्यादा घायल हुए हैं। अकेले राजधानी कीएव में 17 लोग मारे गए है। इन 17 मौतों में से दो की मौत बच्चों के एक अस्पताल में हुई है। 11 मौतें नीप्रोपेत्रोवस्क में किए गए कई हमलों में हुई हैं। बाकी लोग कहां मारे गए इस बारे में कुछ भी पता नहीं है।

रूसी हमले की जद में ओहमेतिदयत अस्पताल भी आया है। हमले के वक़्त अस्पताल के बच्चों के वार्ड में 20 बच्चों का इलाज चल रहा था।

बच्चों के अस्पताल की जो तस्वीरें सामने आई हैं उसमें भारी नुकसान को देखा जा सकता है।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर ज़ेलेंस्की पोलैंड के दौरे पर हैं। जहां उनके सुरक्षा समझौतों पर दस्तख़त करने की संभावनाएं हैं। ज़ेलेंस्की ने कहा कि कीएव और स्लोवियास्क समेत कई शहरों में अलग-अलग 40 मिसाइलों से हमले किए गए हैं।

इन हमलों में रिहाइशी इमारतें, भवन और बच्चों के अस्पतालों को नुक़सान हुआ है। पूरे कीएव शहर में धुएं का गुबार देखा जा सकता है।

वहीं सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए कई वीडियो में ओहमेतिदयत अस्पताल को हमले से हुए नुकसान को देखा जा सकता है।

ज़ेलेंस्की ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि लोग अस्पताल के मलबे के नीचे फंसे हुए थे। इस समय डॉक्टरों, नर्सों और आम लोग भी मलबे को हटाने की कोशिश कर रहे हैं।

अनुच्छेद 370 पर भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चीन ने क्या कहा?

भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने के केंद्र सरकार के क़दम को वैध ठहराए जाने के भारत के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर चीन ने प्रतिक्रिया दी है।

चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत की आंतरिक अदालत के इस फ़ैसले का लद्दाख को लेकर चीन के रुख़ पर कोई असर नहीं होगा।

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने लद्दाख के हिस्से पर दावा जताया।

माओ निंग ने कहा, "चीन ने कभी भी तथाकथित केंद्र शासित लद्दाख को मान्यता नहीं दी है, जिसका गठन भारत ने एकतरफ़ा और अवैध ढंग से किया है. भारत की घरेलू अदालत का फ़ैसला इस तथ्य को नहीं बदलता कि चीन-भारत सीमा का पश्चिमी हिस्सा हमेशा से चीन का रहा है।''

5 अगस्त 2019 को जब भारत ने अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने और जम्मू-कश्मीर का दो केंद्र शासित राज्यों में पुनर्गठन करने का फ़ैसला किया था, उस समय भी चीन ने आचोलना की थी। उस समय चीन ने कहा था कि ऐसा कर 'भारत ने अपने क़ानूनों का एकतरफ़ा संशोधन किया है'।

भारत ने 5 अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करते हुए जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का गठन किया था।

इस फ़ैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद, सोमवार, 11 दिसंबर 2023 को भारत के सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुनाया था।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पाँच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने को वैध माना था।

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 11 दिसंबर 2023 को फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि 370 एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे हटाने की शक्ति थी।

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर के पास बाक़ी राज्यों से अलग कोई संप्रभुता नहीं है।

कश्मीर पर चीन का रुख़

साल 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी।

चीन की सेना पूर्वी लद्दाख में सैकड़ों किलोमीटर तक फैली हुई सीमा पर कई जगह उन इलाक़ों में दाख़िल हो गई थी, जिन्हें भारत अपना क्षेत्र मानता है।

इस घटना के बाद एलएसी के दोनों ओर हज़ारों सैनिक तैनात हैं और सीमा पर तनाव बना हुआ है।

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने लद्दाख को लेकर चीन के दावे को दोहराने से एक दिन पहले कश्मीर को लेकर भी प्रतिक्रिया दी थी।

पाकिस्तान के पत्रकार ने अनुच्छेद 370 पर भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को लेकर माओ निंग से प्रतिक्रिया मांगी थी।

इसके जवाब में मिंग ने कहा था कि 'कश्मीर मसले पर चीन का रुख़ एकदम स्पष्ट है'।

माओ निंग ने कहा, "संबंधित पक्षों को संवाद और परामर्श के माध्यम से विवाद को सुलझाना चाहिए ताकि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनी रहे।''

माओ निंग ने कहा, ''कश्मीर मसला शांतिपूर्ण ढंग से और यूएन चार्टर, सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौतों के तहत सही ढंग सुलझाया जाना चाहिए।''

कश्मीर और लद्दाख को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता के बयानों पर भारत की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। 

बिहार जातिगत सर्वे: 17.7 फ़ीसदी मुसलमान; हिंदू, बौद्ध और सिख कितने हैं?

भारत में बिहार की नीतीश सरकार ने आज जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी कर दिए हैं। सर्वे के दौरान धर्म से जुड़े आंकड़े भी जुटाए गए इसकी भी जानकारी दी गई है।

बिहार में सबसे ज़्यादा आबादी हिंदू धर्म को मानने वालों की है. उनके बाद मुसलमान धर्म को मानने वालों की संख्या है। हालांकि, दोनों धर्मों को मानने वालों की आबादी के बीच बड़ा फ़ासला है।

बिहार में हुए जातिगत सर्वे से जानकारी हुई है कि राज्य के करीब 13 करोड़ लोगों में 2146 लोग ऐसे भी हैं, जिनका कोई धर्म नहीं है।

किस धर्म के कितने लोग हैं बिहार में?

हिंदू: 81.99 प्रतिशत

मुसलमान: 17.70 प्रतिशत

ईसाई: 0.057 प्रतिशत

सिख: 0.0113 प्रतिशत

बौद्ध: 0.085 प्रतिशत

जैन: 0.009 प्रतिशत

बिहार: नीतीश सरकार ने जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी किए, अति पिछड़े 36 फ़ीसदी और पिछड़े 27 फ़ीसदी

भारत में बिहार सरकार ने जातीय जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं।  जनगणना के मुताबिक़ पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.13 फ़ीसदी है। अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01 फ़ीसदी से अधिक है।

वहीं सामान्य वर्ग की आबादी 15.52 फ़ीसदी है।

बिहार सरकार के एडिशनल सेक्रेटरी विवेक कुमार सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ये जानकारी दी है।

जातिगत सर्वे के मुताबिक बिहार की आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 10 है।

विवेक कुमार सिंह ने बताया कि पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.13 प्रतिशत, अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01और सामान्य वर्ग की आबादी 15.52 प्रतिशत है।

उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति की आबादी 19.65 फ़ीसदी है।

पिछड़ों में यादवों की आबादी 14 फ़ीसदी है। मुसहर जाति की आबादी 3 फ़ीसदी है। कुर्मी की आबादी 2.87 प्रतिशत है।

बिहार सरकार के एडिशनल सेक्रेटरी विवेक कुमार सिंह ने बताया कि बिहार विधानमंडल ने 18 फरवरी 2019 को बिहार में जाति आधारित जनगणना (सर्वे) कराने का प्रस्ताव पारित किया था।

उन्होंने बताया, "इसके बाद 2 जून 2022 को बिहार मंत्री परिषद ने जाति आधारित जनगणना कराने का फ़ैसला किया। ये दो चरणों में होनी थी।  पहले चरण में ये मकान के जरिए होनी थी।''

"इसके तहत 7 जनवरी 2023 से 31 जनवरी 2023 तक मकानों का नंबरीकरण किया गया और लिस्ट बनाई गई। दूसरे चरण में बिहार के सभी व्यक्तियों की जनगणना का काम 15 अप्रैल 2023 को शुरू किया गया।''

"इसमें जिला स्तर के पदाधिकारियों को अलग अलग ज़िम्मेदारियां दी गईं और युद्ध स्तर पर ये कार्य संपन्न हुआ। 5 अगस्त 2023 को सारे आंकड़े बनाकर मोबाइल ऐप के जरिए उसे जमा किया गया।''

"बिहार में कुल सर्वे परिवारों की कुल संख्या दो करोड़ 83 लाख 44 हजार 107 है और इसमें कुल जनसंख्या 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 10 है।''

"इसमें अस्थाई प्रवासी स्थिति में 53 लाख 72 हजार 22 लोग हैं।''

बिहार के जातिगत सर्वेक्षण के अनुसार वहां किस जाति की कितनी आबादी है?

समान्य वर्ग की कुल आबादी - 15.52 फ़ीसदी

ब्राह्मणः 3.66 फ़ीसदी

भूमिहारः 2.86 फ़ीसदी

राजपूतः 3.45 फ़ीसदी

पिछड़ी आबादीः 27.13 फ़ीसदी

यादवः 14 फ़ीसदी

कुर्मीः 2.87 फ़ीसदी

अत्यंत पिछड़ी आबादीः 36.01 फ़ीसदी

अनुसूचित जाति आबादी - 19.65 फ़ीसदी

अनुसूचित-जनजाति आबादी - 1.68 फ़ीसदी

जी20 शिखर सम्मेलन में लिए गए फैसलों पर भारत के विदेश मंत्री ने क्या कहा?

नई दिल्ली में चल रहा जी20 शिखर सम्मेलन रविवार, 10 सितम्बर 2023 को पूरा हुआ। भारत की मेज़बानी में हुई इस समिट में नई दिल्ली डिक्लेयरेशन पर सभी देशों की सहमति बनाने पर भारत की तारीफ़ हो रही है।

खास कर इसमें यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर इस्तेमाल की गई भाषा पर सबको एकमत कर पाना भारत की उपलब्धि मानी जा रही है। भारत ने समिट में ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ का नारा दिया।

इस शिखर सम्मेलन के पूरा होने पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि हमने नए विचार सामने लाने, मतभेदों को पाटने का काम किया और जी20 का पूरा फ़ोकस ग्लोबल साउथ पर रखा।

उन्होंने एक्स (ट्विटर) पर लिखा- ''जी20 शिखर सम्मेलन और इसकी द्विपक्षीय बैठकें नई दिल्ली में संपन्न हुईं। नई दिल्ली डिक्लेयरेशन से पता चलता है कि हमारी अध्यक्षता विचारों को सामने रखने, वैश्विक मुद्दों को आकार देने, विभाजन को पाटने और आम सहमति बनाने में सक्षम थी। हमने ग्लोबल साउथ पर फोकस बनाए रखा। हमने वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (आईएमईसी) जैसे ऐतिहासिक पहलों की शुरुआत की।''

उन्होंने इस बैठक से सामने आए पांच महत्वपूर्ण फ़ैसलों का ज़िक्र किया।

- ग्रीन डेवलपमेंट पैक्ट

- एक्शन प्लान ऑन ससटेनेबल डेवलपमेंट

- भ्रष्टाचार विरोध पर उच्च स्तरीय सिद्धांत

- डिजिटल इंफ्रॉस्ट्रक्चर के लिए समर्थन

- बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार