संपादकीय

जी-20: जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर विकसित और विकासशील देशों में गंभीर असहमति

जलवायु परिवर्तन के लिए होने वाले संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक सम्मेलनों के उलट जी-20 की बैठकों में इस समस्या को लेकर उठाए जाने वाले कदमों पर आमतौर पर विकसित और विकासशील देशों में ज्यादा गंभीर असहमतियां नहीं दिखती हैं।

लेकिन इस बार के जी-20 सम्मेलन में इसे लेकर तस्वीर कुछ अलग दिख रही है। जी-20 देशों के पर्यावरण मंत्रियों की बैठक में जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल धीरे-धीरे कम करने, रिन्युबल एनर्जी के लक्ष्यों को बढ़ाने और ग्रीन हाउस उत्सर्जन में कमी जैसे लक्ष्यों को हासिल कर कोई सहमति बनती नहीं दिख रही है।

जबकि जी-20 के देश दुनिया के 75 ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के जिम्मेदार हैं। जी-20 सम्मेलन में रूस, चीन, सऊदी अरब और भारत ने 2030 तक रिन्युबल एनर्जी की क्षमता तीन गुना बढ़ाने के विकसित देशों के लक्ष्य का विरोध किया है।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से कहा है कि 6 सितंबर 2023 को शेरपा स्तर की बैठक में ये देश 2035 तक ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन 60 फीसदी घटाने के विकसित देशों के लक्ष्य से असहमत दिखे।

चीन ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज किया है, जिनमें कहा गया था कि जुलाई 2023 में हुई जी-20 के पर्यावरण मंत्रियों की बैठक में उसने जलवायु परिवर्तन को काबू करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर बनने वाली सहमति में बाधा डाली थी।

चीन ने विकसित देशों से जलवायु परिवर्तन की समस्या को खत्म करने के लिए अपनी क्षमता, जिम्मेदारियों और कर्तव्य के मुताबिक काम करने की अपील की थी।

चीन और भारत जैसी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं का कहना है कि विकसित देशों को कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिए अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

जबकि विकासशील देशों का कहना है कि प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को साथ आए बगैर ये काम मुश्किल है। जी-20 में दोनों ओर के देश अड़े हुए हैं। इससे संकेत मिल रहा है कि जलवायु परिवर्तन पर यूएन के वार्षिक सम्मेलन सीओपी 28 में क्या होने वाला है।

क्वॉड समूह की बैठक को लेकर चीन ने क्या कहा?

चीन ने कहा है कि 'देशों के बीच आदान-प्रदान और परस्पर सहयोग आपसी समझ और विश्वास को बेहतर करने के लिए होना चाहिए, ना कि किसी तीसरे पक्ष और उसके हितों को नुकसान पहुँचाने के लिए'।

शुक्रवार, 12 मार्च, 2021 को भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच बने 'क्वॉड समूह' की पहले बैठक से कुछ घंटे पहले चीन की ओर से यह बयान आया।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिजियान ने क्वॉड-बैठक से संबंधित एक प्रश्न के जवाब में कहा, ''हमें उम्मीद है कि ये देश खुलेपन और समावेशी नज़रिये का ध्यान रखेंगे, ताकि सबका भला हो। इसके अलावा ये किसी 'एक्सक्लूसिव ब्लॉक' को बनाने से बचेंगे और उन्हीं कामों को करेंगे जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के अनुकूल हैं।''

क्वॉड समूह की पहली बैठक को चीन में बहुत बारीकी से कवर किया गया।  चीन के सरकारी मीडिया ने इस पर कई रिपोर्ट लिखी हैं जिनमें व्यापक रूप से इसे 'अमेरिका के नेतृत्व वाला एक प्रयास बताया गया है, ताकि मिलकर चीन को रोका जा सके'।

वहीं, कुछ चीनी विशेषज्ञों ने इस बैठक पर कम ऊर्जा ख़र्च करने की सलाह दी है और कहा है कि 'क्वॉड की बैठक को ज़्यादा गंभीरता से लेने की ज़रूरत नहीं है'।

पीपल्स लिब्रेशन आर्मी के पूर्व वरिष्ठ कर्नल चाऊ बो, जो चीन में रणनीतिक मामलों के नामी टिप्पणीकार भी हैं, उन्होंने सरकारी प्रसारक 'चाइना ग्लोबल टीवी नेटवर्क' से बातचीत में कहा कि ''चीन को इसे बहुत गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।''

उन्होंने कहा, ''मैं आपको एक वाक्य में क्वॉड पर अपनी टिप्पणी दे सकता हूँ। इन चार देशों में से कोई भी अन्य तीन देशों के हितों के लिए अपने स्वयं के हितों (चीन के संबंध में) का बलिदान नहीं करना चाहेगा।''

उन्होंने चारों देशों के चीन के साथ मौजूदा व्यापारिक संबंधों का हवाला देते हुए यह बात कही।

उन्होंने कहा, ''अगर आप क्वॉड में शामिल चारों देशों से पूछते हैं कि 'क्या आप चीन के ख़िलाफ़ हैं' या 'एक चीन-विरोधी क्लब हैं', तो वो साफ़ इनकार करते हैं। ऐसे में मेरा निष्कर्ष यह है कि क्वॉड निश्चित रूप से चीन की वजह से स्थापित किया गया है, पर वो ये कह नहीं सकते कि यह चीन के ख़िलाफ़ है। इसे अगर एक सैन्य गठबंधन के रूप में देखा जाये, तो भारत साफ़तौर पर इससे पूरी तरह इनकार करेगा।''

''क्वॉड अभी विकसित हो रहा है और अपना आकार ले रहा है। मगर फ़िलहाल यह तय नहीं है कि ये सैन्य या आर्थिक, किस रास्ते पर जायेगा।''

बहरहाल, 18 मार्च 2021 को चीन और अमेरिका के बीच एक उच्च-स्तरीय बैठक होने वाली है जिसमें दोनों सरकारों के विदेश मंत्रालयों के प्रतिनिधि आपस में बात करेंगे। चीनी विदेश मंत्रालय ने इसे एक 'उच्च-स्तरीय रणनीतिक वार्ता' कहा है।

चीन ने कहा है कि वो बाइडन प्रशासन के साथ नये सिरे से बातचीत करना चाहता है, लेकिन पिछले चार वर्षों के तनावपूर्ण संबंधों का दोष उसने अमेरिका पर ही डाला है।

वहीं, बाइडन प्रशासन ने अब तक के अपने बयानों में यह संकेत दिये हैं कि वो चीन के संबंध में पिछले प्रशासन की कुछ नीतियों को जारी रख सकता है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिजियान के अनुसार, अमेरिका-चीन रिश्तों पर चीन की स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है।

उन्होंने कहा, ''हम चाहते हैं कि अमेरिका, चीन के साथ अपने संबंधों को उद्देश्यपूर्ण और तर्कसंगत तरीक़े से देखे। शीत-युद्ध की स्थिति को दरकिनार करे और चीन की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास से जुड़े हितों का सम्मान करना सीखे। साथ ही वो चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना बंद कर दे।''

किसी अन्य धर्म का जीवन साथी चुनने की आज़ादी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला क्या है?

एक अहम फ़ैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 11 नवंबर 2020 को दिए आदेश में कहा है कि अपनी पसंद के शख़्स के साथ रहने का अधिकार, चाहे उनका मज़हब कुछ भी हो, जीवन और निजी आज़ादी के अधिकार का स्वाभाविक तत्व है।

आदेश को आए 15 दिन हो गए हैं लेकिन इसकी प्रति इसी हफ़्ते उपलब्ध हुई है जिसके बाद इस पर काफ़ी चर्चा हो रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस पंकज नक़वी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की बेंच ने यह अहम फ़ैसला सुनाया है।

प्रियांशी उर्फ़ समरीन और अन्य, बनाम उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य में दिए गए आदेश और इसके बाद आए नूर जहां बेगम उर्फ़ अंजली मिश्रा और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार में दिए गए आदेशों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा, ''इनमें से किसी भी आदेश में दो परिपक्व लोगों के अपना साथी चुनने की आज़ादी के अधिकार को नहीं देखा गया है।"

कोर्ट ने आदेश दिया, ''नूर जहां और प्रियांशी के मामलों में दिए गए फ़ैसलों को हम अच्छा क़ानून नहीं मानते हैं।''

आइए नज़र डालते हैं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फ़ैसले में क्या अहम बातें कहीं हैं ...

- कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है, ''हम प्रियंका खरवार और सलामत को हिंदू और मुस्लिम के तौर पर नहीं देखते हैं। इसके बजाय हम इन्हें दो वयस्क लोगों के रूप में देखते हैं जो अपनी इच्छा और चुनाव से शांतिपूर्वक और ख़ुशी से एक साथ रह रहे हैं।''
- "अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ रहने का अधिकार, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो, जीवन और निजी आज़ादी के अधिकार में निहित है। निजी संबंधों में दख़ल दो लोगों के चुनाव करने की आज़ादी में गंभीर अतिक्रमण होगा।''
- कोर्ट ने कहा है, "वयस्क हो चुके शख़्स का अपनी पसंद के शख़्स के साथ रहने का फ़ैसला किसी व्यक्ति के अधिकार से जुड़ा है और जब इस अधिकार का उल्लंघन होता है तो यह उस शख़्स के जीवन जीने और निजी आज़ादी के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है क्योंकि इसमें चुनाव की आज़ादी, साथी चुनने और सम्मान के साथ जीने के संविधान के आर्टिकल-21 के सिद्धांत शामिल हैं।''
- कोर्ट ने अपने फ़ैसले में शफ़ीन जहां बनाम अशोकन केएम के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का ज़िक्र किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने लगातार एक वयस्क हो चुके व्यक्ति की आज़ादी का सम्मान किया है।
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शक्ति वाहिनी बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का भी ज़िक्र किया। इसके अलावा कोर्ट ने नंद कुमार बनाम केरल सरकार में आए फ़ैसले का भी हवाला दिया और कहा कि इन फ़ैसलों में साफ़ है कि वयस्क हो चुके शख़्स के पास अपना चुनाव करने की आज़ादी है।
- कोर्ट ने निजता के अधिकार को लेकर के एस पुट्टास्वामी बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का भी ज़िक्र किया और कहा कि साथी चुनने के अधिकार का जाति, पंथ या मज़हब से कोई लेना-देना नहीं है और यह आर्टिकल-21 के अभिन्न हिस्से जीवन जीने और निजी स्वतंत्रता में निहित है।
- नूरजहां और ऐसे ही दूसरे मामलों में आए फ़ैसलों पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि वयस्क हो चुके शख़्स की मर्ज़ी को अनदेखा करना न केवल चुनाव की आज़ादी के विपरीत होगा बल्कि यह विविधता में एकता के सिद्धांत के लिए भी ख़तरा होगा।
- प्रियांशी और नूरजहां मामलों में आए फ़ैसलों पर कोर्ट ने कहा कि इनमें से किसी भी फ़ैसले में दो परिपक्व लोगों के अपना साथी चुनने या उन्हें किसके साथ रहना है। इसका चुनाव करने की आज़ादी के जीवन और आज़ादी से जुड़े मसले को ध्यान में नहीं रखा गया है। कोर्ट ने आगे कहा है कि नूर जहां और प्रियांशी मामलों में आए फ़ैसले क़ानून के लिहाज़ से अच्छे नहीं हैं।
- इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस पंकज नक़वी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की बेंच ने अपने इसी आदेश में टिप्पणी की है, "हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि अगर क़ानून दो समलैंगिक लोगों को शांतिपूर्वक एक साथ रहने की इजाज़त देता है तो न तो किसी शख़्स न ही किसी परिवार या यहां तक कि राज्य को भी दो वयस्क लोगों को अपनी इच्छा से एक साथ रहने पर आपत्ति करने का अधिकार नहीं है।''

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फ़ैसला और पृष्ठभूमि

इलाहाबाद हाईकोर्ट में एडवोकेट अरविंद कुमार त्रिपाठी कहते हैं, ''इलाहाबाद हाईकोर्ट के हालिया जजमेंट में जो एफ़आईआर ख़ारिज की गई है वह इस बात पर आधारित है कि क्या दो वयस्क लोग आर्टिकल-21 के तहत एक साथ रह सकते हैं या नहीं?"

त्रिपाठी कहते हैं कि ''जहां तक शादी की बात है तो शादी का धर्म से कोई संबंध नहीं है। इसका संबंध इच्छा से है। और इच्छा का संबंध आर्टिकल-21 की लिबर्टी से है। ऐसे में पहले के फ़ैसलों के मुक़ाबले इस फ़ैसले में ज़्यादा स्पष्टता है।''

सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट शाश्वत आनंद कहते हैं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का फ़ैसला बहुत अच्छा है और इसमें निजता की स्वतंत्रता और इच्छा की स्वतंत्रता को आधार बनाया गया है।

इस मामले की पृष्ठभूमि यह है कि सलामत अंसारी और तीन अन्य की तरफ़ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाख़िल की गई थी। सलामत अंसारी और उनकी पत्नी प्रियंका खरवार उर्फ़ आलिया ने दो अन्य लोगों के साथ हाईकोर्ट में उनके ख़िलाफ़ दर्ज की गई एफ़आईआर को ख़ारिज करने की माँग की थी।

इस मामले में प्रियंका धर्म परिवर्तन कर आलिया बन गई थीं और और उन्होंने सलामत अंसारी से निकाह कर लिया था। इसके विरोध में प्रियंका के पिता ने एफ़आईआर दर्ज करा दी थी। इस एफ़आईआर में 363, 366, 352 समेत पॉक्सो एक्ट की धारा 7 और 8 भी लगाई गई थीं। इसमें सलामत, उनके भाई और उनकी मां को आरोपी बनाया गया था।

कोर्ट ने प्रियंका उर्फ़ आलिया की जन्मतिथि देखी और पाया गया कि वो वयस्क हैं। आनंद कहते हैं कि ऐसे में पॉक्सो के सारे एक्ट ख़ारिज हो गए। साथ ही ज़ोर-ज़बरदस्ती वाली धाराओं को कोर्ट ने माना कि इन्हें फँसाने के लिए लगाया गया है।

सलामत अंसारी की ओर से हाईकोर्ट में तर्क दिया गया था कि सलामत अंसारी और प्रियंका खरवार उर्फ़ आलिया वयस्क हैं और शादी करने के लिए योग्य हैं। इस पक्ष ने कहा कि प्रियंका के अपनी हिंदू पहचान को छोड़ने और इस्लाम अपनाने के बाद इन दोनों ने 19.8.2019 को मुस्लिम रीति-रिवाज से निकाह कर लिया था।

दोनों लोग बीते एक साल से बतौर पति-पत्नी साथ रह रहे हैं। दोनों ने कहा कि प्रियंका के पिता ने ग़लत मक़सद से उनके विवाह को ख़त्म करने के लिए यह एफ़आईआर दर्ज कराई है और चूंकि इन दोनों ने कोई अपराध नहीं किया है, ऐसे में यह एफ़आईआर ख़ारिज की जानी चाहिए।

दूसरे पक्ष की ओर से कहा गया कि शादी के मक़सद से किया गया धर्म परिवर्तन निषिद्ध है और इस तरह से हुई शादी की कोई वैधानिक मान्यता नहीं है। ऐसे में कोर्ट को इन लोगों को किसी तरह की राहत नहीं देनी चाहिए।

आनंद कहते हैं कि सरकार ने पिछले दो फ़ैसलों के आधार पर सलामत को राहत न देने की माँग की थी। आनंद कहते हैं, ''कोर्ट ने कहा कि जब इन दो वयस्क लोगों ने साथ रहने का तय कर लिया तो हमें आर्टिकल-21 का आदर करना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने इस एफ़आईआर को ख़ारिज कर दिया।''

नूरजहां और प्रियांशी के मामले

सितंबर 2020 में प्रियांशी के मामले में सिंगल बेंच ने 2014 में नूरजहां बेगम उर्फ़ अंजली मिश्रा और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले का ज़िक्र किया था जिसमें कहा गया था कि महज़ शादी के मक़सद से किया गया धर्म परिवर्तन अस्वीकार्य है।

नूरजहां बेगम मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादीशुदा जोड़े के तौर पर सुरक्षा की दरकार के लिए दायर की गई याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया था। इस मामले में भी लड़की ने हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम अपना लिया था और इसके बाद निकाह कर लिया था।

इसी तरह के चार अन्य मामले भी कोर्ट के सामने आए थे।

इन मामलों में महिलाएं अपने कथित धर्म परिवर्तन को प्रमाणित नहीं कर पाई थीं क्योंकि वे इस्लाम की समझ को साबित करने में नाकाम रही थीं।  ऐसे में कोर्ट ने आदेश दिया था कि ये कथित शादी अवैध हैं क्योंकि इसे एक ऐसे धर्म परिवर्तन के बाद किया गया था जिसे क़ानून के मुताबिक़ जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है।

आनंद कहते हैं, ''लेकिन, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने इस फ़ैसले में कहा है कि जब एक बार यह साबित हो गया था कि शादी करने वाले दोनों लोग वयस्क हैं तो कोर्ट को इनके मज़हब पर जाना ही नहीं चाहिए था।''

हालिया फ़ैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फ़ैसले में ऐसे ही पिछले मामलों में आए फ़ैसलों का ज़िक्र किया है।

योगी सरकार का जबरन धर्मांतरण रोकने का अध्यादेश

हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश आने के बावजूद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 24 नवंबर 2020 को 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020' को मंज़ूरी दे दी है।

इस क़ानून के अनुसार 'जबरन धर्मांतरण' उत्तर प्रदेश में दंडनीय होगा।  इसमें एक साल से 10 साल तक जेल हो सकती है और 15 हज़ार से 50 हज़ार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।

योगी सरकार के इस अध्यादेश के अनुसार 'अवैध धर्मांतरण' अगर किसी नाबालिग़ या अनुसूचित जाति-जनजाति की महिलाओं के साथ होता है तो तीन से 10 साल की क़ैद और 25 हज़ार रुपए का जुर्माना भरना पड़ेगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में अधिवक्ता विनोद मिश्रा कहते हैं, "सरकार ने इस क़ानून के ज़रिए जबरन धर्मांतरण या दूसरी ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियों पर रोक लगाने की कोशिश की है। सरकार कथित 'लव जिहाद' पर लगाम लगाना चाहती है।"

क्या टकराव पैदा होगा?

क्या उत्तर प्रदेश सरकार के लाए गए 'अवैध धर्मांतरण' रोकने के क़ानून और इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले के बीच आने वाले दिनों में टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है?

इस मसले पर हाईकोर्ट में एडवोकेट अरविंद कुमार त्रिपाठी कहते हैं, "अभी ये कहना ठीक नहीं होगा क्योंकि सरकार ने जो अध्यादेश पास किया है जो अभी न्यायिक समीक्षा का विषय नहीं बना है। जब तक इस पर केस फ़ाइल नहीं होता तब तक यह नहीं कहा जा सकता है कि ये दोनों फ़ैसले एक-दूसरे से टकरा सकते हैं या नहीं।"

त्रिपाठी कहते हैं, "दिलचस्प बात यह है कि जिस कथित लव जिहाद को लेकर माहौल बनाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने इस अध्यादेश को पेश किया है वह ज्यूडिशियल रिव्यू में टिक नहीं पाएगा. लेकिन, जब इसे चैलेंज किया जाएगा तब स्थिति साफ़ होगी।"

सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट शाश्वत आनंद कहते हैं कि योगी सरकार का लाया गया क़ानून दरअसल ज़बरदस्ती होने वाले धर्मांतरण पर है और इसे 'लव जिहाद' का क़ानून कहना सही नहीं होगा।

वह कहते हैं, "उत्तर प्रदेश सरकार का अध्यादेश ज़बरदस्ती होने वाले धर्म-परिवर्तन से जुड़ा हुआ है। अब अगर कभी इस क़ानून का दुरुपयोग होता है तो इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फ़ैसला एक दीवार बनकर काम करेगा।"

वह कहते हैं कि इस तरह के मामलों में एक पक्ष कहेगा कि यह जबरन धर्मांतरण है जबकि दूसरा पक्ष इसे सहमति से बताएगा। ऐसे में योगी सरकार के क़ानून के ग़लत इस्तेमाल पर हाईकोर्ट का फ़ैसला ढाल का काम करेगा।

आने वाले वक़्त में यह साफ़ हो सकेगा कि योगी सरकार के लाए गए अध्यादेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट का फ़ैसला कैसे प्रभावित करेगा?

भारत में अंतर-धार्मिक शादी के हंगामे पर विदेशी मीडिया की प्रतिक्रिया क्या है?

डिस्क्लेमर: भारत के ''मौजूदा क़ानून में 'लव जिहाद' शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है। किसी भी केंद्रीय एजेंसी की ओर से 'लव जिहाद' का कोई मामला सूचित नहीं किया गया है।''

रिपोर्ट की शुरुआत में इस तरह के डिस्क्लेमर का ख़ास संदर्भ है। कई राजनीतिक नेता इस शब्द का प्रयोग कर रहे हैं लेकिन ऊपर लिखा वाक्य भारत के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी की तरफ़ से चार फ़रवरी 2020 को लोकसभा में दिए गए एक तारांकित प्रश्न के जवाब का अंश है।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अंतर-धार्मिक विवाह के ख़िलाफ़ एक अध्यादेश को मंज़ूरी दे दी है। भारतीय जनता पार्टी की चार और राज्य सरकारें इसी तरह के अध्यादेश लाने की बात कर चुकी हैं।

भारत में इस मुद्दे पर ज़ोरों से बहस छिड़ी हुई है।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी इस कथित जबरन अंतर-धार्मिक शादी (जिसे बीजेपी लव जिहाद कहती है) के अध्यादेश के विरोध को अपने पन्नों पर जगह दी है।

सिंगापुर के स्ट्रैट टाइम्स अख़बार ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात को रेखांकित किया है कि ''लव जिहाद'' लाने की बात करने वाले पाँच राज्य वो हैं जहाँ बीजेपी की सरकारें हैं। अख़बार के अनुसार उत्तर प्रदेश में लाए गए अध्यादेश और दूसरे चार राज्यों में इस पर प्रस्ताव से ''लव जिहाद'' के मुद्दे को हवा मिलेगी।

अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में योगी आदित्यनाथ के बयानों को काफ़ी जगह दी है। 24 नवंबर 2020 को उत्तर प्रदेश में इस पर एक अध्यादेश को मंज़ूरी मिली है।

अख़बार ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के 31 अक्टूबर 2020 वाले एक बयान को प्रमुखता से छापा है। अख़बार ने लिखा है, ''योगी आदित्यनाथ, एक हिन्दू पुरोहित जो भारत के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, 31 अक्टूबर 2020 को एक चुनावी सभा में कहते हैं कि सरकार 'लव जिहाद' को रोकने के लिए एक फ़ैसला ले रही है। हम उन लोगों को वार्निंग देते हैं जो अपनी शिनाख़्त को छिपाते हैं और हमारी बहनों की बेइज़्ज़ती करते हैं। अगर आप बाज़ नहीं आए तो आपका अंतिम संस्कार जल्द होगा।''

'यूएस न्यूज़' नाम की अमेरिका की एक मीडिया आउटलेट ने लखनऊ डेटलाइन से ताज़ा अध्यादेश पर अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ''भारतीय राज्य ने विवाह के लिए 'जबरन' धर्म परिवर्तन को अपराध ठहराया।''

आलोचकों के हवाले से रिपोर्ट में लिखा गया है, ''आलोचक कहते हैं कि योगी की कैबिनेट ने जिस ग़ैर-क़ानूनी धर्म परिवर्तन वाले अध्यादेश को मंज़ूरी दी है उसका उद्देश्य भारत के 17 करोड़ मुसलमानों को मुख्यधारा से अलग करना है।''

अख़बार ने इस रिपोर्ट में तृणमूल कांग्रेस की सांसद नुसरत जहां के एक बयान को भी जगह दी है जिसमें उन्होंने कहा है कि ''लव जिहाद'' नाम की कोई चीज़ है ही नहीं और ये बीजेपी की केवल एक सियासी चाल है।

अल-जज़ीरा ने अपनी वेबसाइट पर इसे जगह दी है और पश्चिमी देशों के कई अख़बारों की वेबसाइट ने भी इस ख़बर को छापा है।

अधिकतर मीडिया आउटलेट भारत में इससे जुड़े मुद्दों को भी साझा कर रहे हैं। अल-जज़ीरा ने अक्टूबर 2020 में हुई उस घटना का हवाला दिया है जिसमें तनिष्क जेवेलरी स्टोर को वो विज्ञापन हटाना पड़ा था जिसमें एक हिन्दू बहू को उसके मुस्लिम पति के साथ दिखाया गया था।

फ़र्स्टपोस्ट वेबसाइट ने नेटफ्लिक्स में दिखाई जा रही मीरा नायर की फ़िल्म 'ऐ सूटेबल बॉय' में एक मंदिर के अंदर एक चुंबन दृश्य पर हुए विवाद को ''लव जिहाद'' के अध्यादेश से जोड़ते हुए भारत में बढ़ते असहिष्णुता पर रिपोर्टिंग की है।

इस किसिंग सीन में एक मुस्लिम युवा एक मंदिर के अंदर अपनी हिन्दू गर्लफ़्रेंड को चूमते हुए दिखाई देता है जिसके ख़िलाफ़ कुछ हिन्दू संस्थाओं ने पुलिस से शिकायत दर्ज की है। मध्य प्रदेश में नेटफ्लिक्स के कुछ अधिकारियों के ख़िलाफ़ एक एफ़आईआर दर्ज की जा चुकी है।

लव जिहाद क्या है?

हिन्दू राइट विंग संस्थाएं 'लव जिहाद' ऐसे प्रेम विवाह को कहती हैं जिसमें एक मुस्लिम मर्द एक हिन्दू औरत से शादी करके उसे इस्लाम धर्म अपनाने पर मजबूर करता है। अगर उल्टा हो यानी एक मुस्लिम औरत एक हिन्दू मर्द से शादी करे तो इस पर कुछ हिन्दू संस्थाएं ख़ामोश हैं तो कुछ संस्थाएं ऐसी शादियों का बढ़चढ़ कर समर्थन करती हैं।

भारत सरकार और निजी सामाजिक संस्थाओं के पास इन शादियों के आंकड़ें नहीं हैं लेकिन एक अनुमान के मुताबिक़ ऐसी शादियाँ तीन प्रतिशत से भी कम हैं।

सरकारी एजेंसियों की कई रिपोर्टों में हिन्दू औरत और मुस्लिम मर्द के बीच विवाह में 'जिहाद' के इल्ज़ाम ग़लत पाए गए हैं लेकिन इसके बावजूद बीजेपी की पाँच राज्य सरकारें इसे रोकने के लिए क़ानून का सहारा ले रही हैं।

इस शब्द का पहली बार इस्तेमाल कहाँ और कब हुआ? ये कहना मुश्किल है लेकिन 2009 के आसपास कर्नाटक और केरल में इस शब्द के इस्तेमाल की मिसाल मिलती हैं जहाँ के कुछ हिंदू और ईसाई संस्थानों को मुस्लिम मर्दों द्वारा हिन्दू या ईसाई महिलाओं को इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए धोखा देकर शादी करने की साज़िश का उल्लेख किया गया है।

भारत में अंतर-धार्मिक शादियाँ स्पेशल मैरिज एक्ट के अंतर्गत होती हैं जिसके लिए अदालत में शादी रजिस्टर करानी पड़ती है और इससे पहले अदालत एक महीने का नोटिस जारी करती है ताकि किसी को इस विवाह से आपत्ति हो तो अदालत को बता सकते हैं।

''लव जिहाद'' शब्द के प्रचलन से पहले सालों से दक्षिणपंथी हिन्दू संस्थाएं अदालत में ऐसी शादियों का विरोध करते आए थे जिसमें जोड़े को धमिकयां भी दी जाती थीं लेकिन ये इतना सार्वजनिक तरीक़े से नहीं किया जाता था।

"लव जिहाद" के ख़िलाफ़ मुहिम के अंतर्गत हिन्दू-मुस्लिम शादियों का खुल कर विरोध होना शुरू हो गया, ख़ास तौर से उत्तर प्रदेश में मानवाधिकार संस्थाओं और मीडिया ने इसे एक नागरिक के मौलिक अधिकारों पर प्रहार बताया है।

वायरस नहीं, भुखमरी से ज़्यादा मौतें होंगी: ऑक्सफ़ैम

चैरिटी संस्था ऑक्सफ़ैम ने चेतावनी दी है कि इस साल के अंत कर कोविड-19 से जुड़ी भुखमरी के कारण हर दिन 12 हज़ार लोगों की जान जा सकती है।

ये आँकड़ा शायद हर दिन बीमारी से मरने वालों की संख्या से ज़्यादा होगा।

ऑक्सफ़ैम का कहना है कि भुखमरी बढ़ने की कई वजहें हैं जिनमें बड़ी संख्या में बेरोज़गारी, लॉ़कडाउन के कारण खाद्यान्न उत्पादकों की परेशानी और सहायता देने में परेशानियाँ शामिल हैं।

अपनी रिपोर्ट में ऑक्सफ़ैम ने भुखमरी के जिन हॉटस्पॉट्स का ज़िक्र किया है, वे हैं- डीआर कांगो, अफ़ग़ानिस्तान, वेनेज़ुएला, पश्चिमी अफ़्रीकी साहेल, इथियोपिया, दक्षिणी सूडान, सीरिया, सूडान और हैती।

भारत सरकार का दावा: प्रति दस लाख आबादी पर सबसे कम मौतें

भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक कोरोना से पांच सबसे ज़्यादा प्रभावित देशों में भारत में प्रति दस लाख की जनसंख्या पर संक्रमण के सबसे कम मामले 538 हैं और मौतों की संख्या केवल 15 हैं। जबकि संक्रमण का वैश्विक औसत 1,453 है और मौतों का औसत 68.7 है।

हालांकि भारत में कोरोना का टेस्ट भी कम हुआ है। बीते सप्ताह भारत में कोरोना टेस्ट का आंकड़ा एक करोड़ के पार पहुंचा था। हालांकि गुरुवार की प्रेस कांफ्रेंस में इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च की सीनियर साइंटिस्ट निवेदिता गुप्ता ने बताया कि भारत में कोरोना टेस्ट के मामलों में वृद्धि हुई है और अब देश भर में रोज़ाना दो लाख 60 हज़ार टेस्ट हो रहे हैं।

निवेदिता गुप्ता के मुताबिक आने वाले दिनों में एंटीजन टेस्ट तकनीक के इस्तेमाल से और ज़्यादा टेस्ट किए जा सकेंगे।

वैसे भारत की आबादी 130 करोड़ से ज़्यादा है। यहां अब तक साढ़े सात लाख से ज़्यादा लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं जबकि मरने वाले लोगों की संख्या 21 हज़ार के पार हो चुकी है।

अमरीका में कोरोना संक्रमण की स्थिति फिर से गंभीर होती जा रही है: शीर्ष एक्सपर्ट

अमरीका में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार तेजी देखने को मिल रही है। इसको देखते हुए अमरीका के शीर्ष महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फ़ाउची ने कहा कि स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। अमरीका में कोरोना संक्रमण को लेकर ताजा अपडेट इस तरह से है -

अमरीका के कई राज्यों ने लॉकडाउन खोलने के विचार को आगे के लिए बढ़ा दिया है। इस सूची में ताज़ा नाम फ़्लोरिडा के ग्रेटर मियामी इलाक़े का जुड़ गया है। सोमवार को यहां के रेस्टोरेंट में इंडोर डाइनिंग बंद किया गया, साथ में जिम बंद करने का फ़ैसला लिया गया।

कैलिफ़ोर्निया, टैक्सास और फ़्लोरिडा अमरीका के उन दो दर्जन प्रांतों में शामिल हैं जहां पिछले कुछ दिनों में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं। कैलिफ़ोर्निया के अस्पतालों में बीते दो सप्ताह के दौरान कोरोना संक्रमितों की संख्या में 50 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी देखने को मिली है।

बाक़ी के राज्यों में भी इसी तरह संक्रमण बढ़ रहा है, अधिकारियों के मुताबिक कई इलाक़ों में अस्पतालों के बेड पूरी तरह भर चुके हैं।

अमरीका के शीर्ष महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फ़ाउची ने कहा कि देश भर में गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है और इस पर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है।

अमरीका की यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों ने कैंपस खोलने की योजना को भी टाल दिया है।

हार्वर्ड यूनिविर्सिटी ने कहा कि आगामी सेमेस्टर की क्लासेज ऑनलाइन होंगी और दूसरे संस्थान भी इसको फॉलो करने वाले हैं।

अमरीका में कोरोना संक्रमितों की संख्या 29 लाख से ज़्यादा हो चुकी है, जबकि एक लाख 30 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

सीबीएसई ने नौवीं से 12वीं कक्षा तक के सिलेबस कम किए

भारत में कोरोना संक्रमण को देखते हुए सीबीएसई ने छात्रों को राहत देते हुए नौवीं से 12वीं कक्षा तक के सिलेबस कम करने का एलान किया है।

सीबीएसई की ओर से जारी प्रेस बयान में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण से उपजी स्थितियों को देखते हुए यह फ़ैसला लिया गया है क्योंकि स्कूलों के बंद होने से क्लास रूम क्लासेज नहीं हो पा रही हैं।

इसके चलते बोर्ड ने 2020-21 के सत्र में नौवीं से 12वीं तक के सिलेबस को 30 फीसदी कम करने का फ़ैसला लिया है।

सिलेबस में से जो हिस्से कम किए जाएंगे उनसे इंटर्नल एस्सेमेंट और बोर्ड परीक्षा में सवाल नहीं पूछे जाएंगे।

कोरोना संक्रमण: रूस को पीछे छोड़ते हुए तीसरे नंबर पर पहुंचा भारत

भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में कोविड-19 संक्रमण के कुल 6,97,213 मामले हो गए हैं। इनमें से 2,53,287 मामले सक्रिय हैं। संक्रमण की वजह से अब तक कुल 19,693 लोगों की मौत हुई है।

जॉन्स हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से मरने वालों का आंकड़ा 5 लाख 35 हज़ार से भी ज़्यादा हो गया है। वहीं, दुनिया में संक्रमण के कुल 11,51,6,782 मामले हैं।

जॉन्स हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के अनुसार, भारत संक्रमण मामलों की कुल संख्या में रूस को पीछे छोड़ते हुए तीसरे नंबर पर पहुंच गया है।

दुनिया के 240 वैज्ञानिकों का दावा है कि कोरोना वायरस संक्रमण हवा के ज़रिए भी फैल सकता है। वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से इसे गंभीरता से लेने को कहा है।

संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण से जुड़ी एक संस्था का कहना है कि अगर इंसानों ने जानवरों को मारना बंद नहीं किया तो उसे कोरोना संक्रमण जैसी और भयानक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।

कोरोना महामारी को देखते हुए भारत सरकार ने फ़िल्म शूटिंग की मानक संचालन प्रक्रिया जल्द शुरू करने वाली है जिससे फ़िल्म निर्माण को तेज़ी के साथ फिर से शुरू किया जा सके।

भारत में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है, ''महामारी को देखते हुए भारत सरकार फ़िल्म शूटिंग की मानक संचालन प्रक्रिया जल्द जारी करने वाली है जिससे फ़िल्म निर्माण को तेज़ी के साथ फिर से शुरू किया जा सके जो कोविड की वजह से ठहर गया है। सरकार टीवी सीरियल, फ़िल्म मेकिंग, को​-प्रोडक्शन, एनिमेशन, गेमिंग समेत सभी प्रोडक्शन के कामों के लिए इंसेंटिव भी ला रही है। इनकी जल्द घोषणा की जाएगी।''

ओडिशा में कोरोना संक्रमण के कुल मामले दस हज़ार से अधिक हो गये हैं। ओडिशा में अब तक 42 लोगों की कोविड-19 से मौत हुई है।

सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फ़ोर्स (सीएपीएफ़) ने कहा है कि अब तक उनके पाँच हज़ार से ज़्यादा जवान कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और कुल 27 सीएपीएफ़ जवानों की कोविड-19 से मौत हुई है।

कर्नाटक सरकार ने कहा है कि अब तक ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है जिसके आधार पर कहा जा सके कि प्रदेश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है।

महाराष्ट्र के सतारा ज़िले की पुलिस ने एक सीसीटीवी फ़ुटेज जारी किया है जिसमें कुछ चोर पीपीई किट पहनकर चोरी करते हुए दिखाई दे रहे हैं। पुलिस के अनुसार, ''चोरों ने सुनार की दुकान का ताला तोड़ा और क़रीब 780 ग्राम सोना लेकर फरार हो गए।''

मेघालय सरकार के अधिकारियों ने बताया है कि इलाज के लिए क़रीब 400 किलोमीटर की यात्रा करके अरुणाचल प्रदेश से मेघालय लाए गए 8 महीने के बच्चे की मौत हो गई है। कोविड टेस्ट पॉज़िटिव पाये जाने के कुछ ही घंटों बाद ही बच्चे की मौत हो गई।

क्या भारत-चीन वार्ता से बॉर्डर पर शांति स्थापित हो जाएगी?

भारत और चीन के बीच गलवानी घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों तरफ से शांति बहाल करने की कोशिशों के बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच रविवार को टेलिफ़ोन पर बातचीत हुई।

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बातचीत का ब्यौरा भारत स्थित चीनी दूतावास ने बयान जारी दिया है।

भारत में चीनी राजदूत सुन वायडोंग ने अपने बयान में दोनों विशेष प्रतिनिधियों के आपस में बातचीत का ब्यौरा दिया है। उन्होंने कहा है कि चीनी विदेश मंत्री ने अजीत डोभाल को बताया कि भारत और चीन के आपसी रिश्ते 70 साल पुराने हैं।

चीनी विदेश मंत्री के मुताबिक़ भारत और चीन के बीच वेस्टर्न सेक्टर सीमा के गलवान घाटी में जो कुछ हुआ है, उसमें सही क्या है और ग़लत क्या हुआ है - ये स्पष्ट है।

चीनी विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि चीन अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के साथ-साथ इलाके में शांति भी बहाल करना चाहता है।

वांग यी ने अपनी बातचीत में इस बात पर भी ज़ोर दिया कि चीन और भारत दोनों की शीर्ष प्राथमिकता विकास है, ऐसे में दोनों देशों को तनाव कम करने पर ध्यान देना चाहिए।

चीनी राजदूत के मुताबिक़ दोनों प्रतिनिधियों के बीच विस्तार से बातचीत हुई। इस बातचीत में मोटे तौर पर चार बातों पर सहमति बनी है -

- दोनों देश के शीर्ष नेताओं के बीच बनी सहमति को लागू किया जाएगा। दोनों नेताओं के बीच सीमावर्ती इलाकों में शांति के साथ विकास के लिए लंबे समय तक साथ काम करने की सहमति है।

- दोनों देश आपसी समझौते के मुताबिक सीमा पर तनातनी को कम करने के लिए संयुक्त रूप से कोशिश करेंगे।

- विशेष प्रतिनिधियों के बीच होने वाली बातचीत के ज़रिए दोनों पक्ष आपसी संवाद को बेहतर बनाएंगे। भारत चीन के बीच सीमा मामलों में सलाह और संयोजन के लिए वर्किंग मैकेनिज्म की व्यवस्था को नियमित करके उसे बेहतर बनाया जाएगा। इससे दोनों पक्षों के बीच भरोसा मज़बूत होगा।

दोनों पक्ष ने हाल में हुई कमांडर स्तर की बैठक में जिन बातों पर सहमति जताई गई है, उसका स्वागत किया है। पहली जुलाई को कमांडर स्तर की बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा पर तनातनी को कम करने पर सहमति जताई थी।

इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया था कि भारत और चीन के बीच वेस्टर्न सेक्टर की सीमा पर हाल की गतिविधियों को लेकर डोभाल और वांग यी के बीच स्पष्ट और विस्तार से बात हुई है।

दोनों पक्षों में इस बात पर सहमति जताई गई है कि द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए दोनों देशों को सीमा पर शांति बहाल करनी होगी और मतभेदों को विवाद का रूप लेने से रोकना होगा।

इस दिशा में दोनों पक्ष सीमा पर तनातनी कम करने की प्रक्रिया पर काम कर चुके हैं, यानी अब वैसी स्थिति नहीं है जैसी कि दोनों पक्षों के सैनिकों के आमने सामने आ जाने से उत्पन्न हो गई थी। दोनों पक्षों ने इसे चरणबद्ध तरीके से कदम दर कदम करने पर सहमति जताई है।

बयान में ये भी कहा गया है कि दोनों विशेष प्रतिनिधियों की इस बातचीत में दोनों देशों के सैन्य और राजनयिक अधिकारियों के बीच भी बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई गई है।

इसके अलावा डोभाल और वांग यी के बीच आपसी बातचीत को नियमित रखने पर भी सहमति बनी है।

वहीं समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने सोमवार को बीजिंग में पत्रकारों से कहा, ''दोनों पक्षों में सीमा पर तनातनी कम करने को लेकर साकारात्मक प्रगति हुई है।''

लिजियान ने उम्मीद जताई है कि भारतीय पक्ष चीन के साथ मिलकर उन बातों को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाएगा जिन बातों को लेकर आपसी सहमति बन गई है।

भारत-चीन सीमा विवाद पर नज़र रख रहे अधिकारियों ने बीबीसी को बताया है कि सीमा पर तनातनी को कम करने की प्रक्रिया सोमवार सुबह से शुरू हो गई है।

अधिकारियों ने बताया कि यह काम तीन जगहों पर चल रहा है, ये जगहें हैं - गलवान, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स। बीबीसी को जानकारी देने वाले अधिकारी ने स्पष्ट किया कि वे देपसांग या पैंगोंग त्सो झील की बात नहीं कर रहे हैं।

एक अन्य अधिकारी ने बताया, "तंबू और अस्थायी ढांचे दोनों तरफ़ से हटाए जा रहे हैं और सैनिक पीछे हट रहे हैं। लेकिन इसका मतलब वापसी या प्रकरण का अंत नहीं है।''

भारतीय अधिकारियों ने बताया कि इन गतिविधियों की लगातार निगरानी की जा रही है जिसके लिए सैटेलाइट तस्वीरों और ऊँचे प्लेटफॉर्म्स की मदद ली जा रही है।

कई मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि चीनी सैनिक कितने पीछे हटे हैं, इस सवाल के जवाब में अधिकारी ने कोई दूरी बताने से इनकार किया।

उन्होंने इतना ही कहा, ''यह उस प्रक्रिया की शुरूआत है जो 30 जून को चुसुल में हुई दोनों पक्षों के कमांडरों की बैठक के बाद तय की गई थी।''

हालांकि मीडिया में आ रही रिपोर्ट्स के अनुसार गलवान में जहां पर हिंसा हुई थी चीनी सैनिक वहां से दो किलोमीटर पीछे की ओर जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि बीते 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी।

इसके बाद बीते एक जुलाई को दोनों देशों की सेनाओं के बीच कमांडर स्तर की बातचीत हुई और उस बातचीत में भी भारत-चीन एलएसी पर तनातनी को कम करने पर सहमति जताई गई थी।

इसके बाद सप्ताह भर पहले भारत सरकार ने 59 ऐसे मोबाइल ऐप्स बंद करने की घोषणा की जिनमें जाने माने सोशल प्लेटफ़ॉर्म टिकटॉक, वीचैट अली बाबा ग्रुप का यूसी ब्राउज़र भी शामिल थे।

हालांकि भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने चीन का नाम नहीं लिया लेकिन स्पष्ट कहा कि शिकायत मिली थी कि एंड्रॉयड और आईओएस पर ये ऐप्स लोगों के निजी डेटा में भी सेंध लगा रहे थे। इन ऐप्स पर पाबंदी से भारत के मोबाइल और इंटरनेट उपभोक्ता सुरक्षित होंगे। यह भारत की सुरक्षा, अखंडता और संप्रभुता के लिए ज़रूरी है।