जम्मू-कश्मीर: डोडा एनकाउंटर को लेकर रक्षा मंत्री ने थलसेना प्रमुख से की बात
मंगलवार, 16 जुलाई 2024
भारत के जम्मू-कश्मीर के डोडा में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ को लेकर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने थलसेना प्रमुख से बात की है।
जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा के कार्यालय ने ट्वीट करके इस मुठभेड़ में मारे गए जवानों को श्रद्धांजलि दी है।
भारत के रक्षा मंत्री के कार्यालय ने सोशल मीडिया वेबसाइट एक्स पर इस बात की जानकारी साझा की है।
इस पोस्ट में रक्षा मंत्री के कार्यालय ने लिखा है, ''रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी से आज सुबह बात की। सेना प्रमुख ने रक्षा मंत्री को डोडा में ज़मीनी हालात और वहां चल रहे आतंकवाद रोधी अभियान के बारे में बताया है।''
जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल कार्यालय ने एक्स पर लिखा, ''डोडा ज़िले में सेना के जवानों और जम्मू-कश्मीर पुलिस के कर्मियों पर कायराना हमले के बारे में जानकर मैं बेहद दुखी हूं। हमारे राष्ट्र की सुरक्षा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं।''
''हम अपने सैनिकों की शहादत का बदला लेंगे और आतंकवादियों और उनके सहयोगियों के नापाक इरादों को नाकाम करेंगे। मैं लोगों से आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में एकजुट होने की अपील करता हूं। साथ ही हमें सटीक जानकारी देने का आह्वान करता हूं ताकि हम आतंकवाद विरोधी अभियान को तेज़ और आतंकी तंत्र को बेअसर कर सकें।''
डोडा ज़िले के डेसा जंगलों में सोमवार, 15 जुलाई 2024 की रात से सुरक्षाबलों का अभियान जारी है।
इस अभियान में कितने जवान हताहत हुए हैं, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी अब तक साझा नहीं की गई है।
भाजपा की ग़लत नीतियों का खमियाज़ा हमारे जवान और उनके परिवार भुगत रहे हैं: राहुल गांधी
मंगलवार, 16 जुलाई 2024
भारत के जम्मू-कश्मीर के डोडा में आतंकवादियों के साथ एनकाउंटर में सेना के एक कैप्टन समेत चार जवानों की मौत हुई है।
भारतीय सेना ने सोशल मीडिया वेबसाइट एक्स पर ट्वीट करके जानकारी दी है कि आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में कैप्टन ब्रजेश थापा, नाइक डी राजेश, सिपाही बिजेंद्र और सिपाही अजय की मौत हुई है।
भारतीय सेना ने पोस्ट में लिखा है, ''थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी और भारतीय सेना के सभी रैंक की ओर से कैप्टन ब्रजेश थापा, नाइक डी राजेश, सिपाही बिजेंद्र और सिपाही अजय के प्रति गहरी संवेदनाएं प्रकट की जाती हैं, जिन्होंने डोडा में क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिए आतंक-रोधी अभियान के दौरान अपना कर्तव्य निभाते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।''
''भारतीय सेना इस दुख की घड़ी में शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ी है।''
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सोशल मीडिया वेबसाइट एक्स पर पोस्ट में मारे गए जवानों को श्रद्धांजलि दी है।
राजनाथ सिंह ने जानकारी दी है, ''आतंक रोधी अभियान जारी है और हमारे जवान आतंकवाद के अभिशाप को ख़त्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।''
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में मारे गए जवानों को श्रद्धांजलि दी है और केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं।
राहुल गांधी ने लिखा है, ''आज जम्मू कश्मीर में फिर से एक आतंकी मुठभेड़ में हमारे जवान शहीद हो गए। शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शोक संतप्त परिजनों को गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।''
''एक के बाद एक ऐसी भयानक घटनाएं बेहद दुखद और चिंताजनक है। लगातार हो रहे ये आतंकी हमले जम्मू-कश्मीर की जर्जर स्थिति बयान कर रहे हैं। भाजपा की ग़लत नीतियों का खमियाज़ा हमारे जवान और उनके परिवार भुगत रहे हैं।''
डोडा मुठभेड़ में मारे गए कैप्टन बृजेश थापा के माता-पिता ने क्या कहा?
मंगलवार, 16 जुलाई 2024
जम्मू-कश्मीर के डोडा में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान मारे गए भारतीय सेना के कैप्टन बृजेश थापा के माता-पिता से समाचार एजेंसी एएनआई ने बात की है।
बृजेश की मां नीलिमा थापा ने कहा, "मैंने अपने बेटे को खो दिया है। अब वो कभी वापस नहीं आएगा। मेरा लड़का काफ़ी सभ्य था। वो कभी शिकायत नहीं करता था।''
बृजेश की मां ने कहा, "उसे आर्मी में ही जाना था। हमने उसे बता भी रखा था कि आर्मी का जीवन कठिन होता है। उसने अपने पापा को भी देखा था। हमने उससे कहा था कि या तो एयरफोर्स में जाओ या नेवी में लेकिन उसने आर्मी में ही जाने का सोचा।''
"उसने देश के लिए जो कुछ भी किया उस पर हमें गर्व महसूस होता है। सरकार को इसके पीछे ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए।''
बृजेश थापा के पिता जो कि खुद भारतीय सेना के रिटायर्ड कर्नल हैं, उन्होंने कहा, "मेरा बेटा बचपन से ही आर्मी में जाना चाहता था। उसने बीटेक किया था लेकिन फिर भी वो आर्मी में ही जाना चाहता था।''
"उसने बहुत ज़्यादा तैयारी भी नहीं की थी लेकिन फिर भो वो पहली ही बार में एसएसबी सहित सारी परीक्षाओं में पास हो गया। मुझे गर्व है कि उसने देश के लिए अपनी जान दी।''
डोडा एनकाउंटर पर ओवैसी ने पीएम मोदी की आलोचना की
मंगलवार, 16 जुलाई 2024
जम्मू-कश्मीर के डोडा में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में भारतीय सेना के चार जवानों के मारे जाने पर एआईएमआईएम चीफ़ और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया है।
ओवैसी ने कहा, "नरेंद्र मोदी बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे कि हम घर में घुस कर मारेंगे। फिर ये क्या हो रहा है?"
ओवैसी ने कहा कि "ये सरासर सरकार की नाक़ामी है। वो आतंकवाद को काबू नहीं कर पा रही है। डोडा में जो कुछ भी हुआ वो बहुत ख़तरनाक है और उसकी जांच होनी चाहिए।''
जम्मू-कश्मीर के डोडा में आतंकवादियों के साथ एनकाउंटर में सेना के एक कैप्टन समेत चार जवानों की मौत हुई है।
ओवैसी ने कहा, "मैं यह बताना चाहता हूं हम तो इसकी निंदा करते हैं और करते आए हैं। लेकिन ये मोदी सरकार की सबसे बड़ी नाकामी है।''
पीएम मोदी को घेरते हुए ओवैसी ने कहा, "डोडा का जो इलाक़ा है वो एलओसी से काफ़ी दूर है। यह बेहद गंभीर बात है कि एलओसी से इतना दूर आतंकी हमला कर रहे हैं, जिसमें हमारी सेना के चार जवान जिसमें कैप्टन और मेजर भी हैं मारे जाते हैं। ये घटना नरेंद्र मोदी सरकार की नाकामी को भी बयान करती है।''
ओवैसी ने कहा, ''2021 के बाद सबसे ज़्यादा आतंकी घटनाएं जम्मू में हो रही हैं. यहां तक कि अलगाववाद के उफ़ान के वक़्त भी इतनी घटनाएं नहीं हुई थीं. इसमें अभी तक 48 जवानों, 19 नागरिकों और 48 ही आतंकियों की जानें जा चुकी हैं।''
जम्मू-कश्मीर: कठुआ में पाँच भारतीय सैनिकों के मारे जाने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्या कहा?
मंगलवार, 9 जुलाई 2024
भारत के जम्मू-कश्मीर के कठुआ में भारतीय सैनिकों पर हुए आतंकी हमले पर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुख जताया है।
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर राजनाथ सिंह ने लिखा, "कठुआ के बदनोटा में एक आतंकवादी हमले में हमारे पाँच बहादुर सैनिकों की मौत पर मुझे गहरा दुख है।''
"शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। इस कठिन समय में देश उनके साथ मज़बूती से खड़ा है। आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए जा रहे हैं और हमारे सैनिक क्षेत्र में शांति और व्यवस्था कायम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।''
राजनाथ सिंह ने इस आतंकी हमले में घायल लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है।
सोमवार, 8 जुलाई 2024 को जम्मू-कश्मीर के कठुआ ज़िले में भारतीय सेना के काफ़िले पर हमला हुआ था, जिसमें पांच सैनिकों की मौत हो गई थी और पांच सैनिक घायल हो गए। इसके बाद से पूरे इलाके में सर्च अभियान चलाया जा रहा है।
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने भारत में कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले की चार्जशीट दाख़िल कर दी है।
चार्जशीट के अनुसार इस हमले के पीछे पाकिस्तान की धरती पर सक्रिय आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का हाथ है।
हालांकि पाकिस्तानी सरकार या उसके किसी संस्थान का चार्जशीट में नाम नहीं है।
14 फ़रवरी, 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ़ के क़ाफ़िले को आतंकवादियों ने विस्फोटक से भरी एक गाड़ी से भिड़ा दिया था जिसमें 40 से अधिक जवान मारे गए थे।
श्रीनगर स्थित बीबीसी संवाददाता रियाज़ मसरूर के अनुसार एनआईए ने 13,800 पन्नों की चार्जशीट दाख़िल की है।
एजेंसी ने इसमें जैश के प्रमुख मसूद अज़हर, उनके भाई मुफ़्ती अब्दुल रऊफ़ असग़र और उनके एक डिप्टी मारूफ़ असग़र को मुख्य साज़िशकर्ता क़रार दिया है।
मसूद अज़हर उन तीन आतंकवादियों में से एक हैं जिन्हें पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादियों के ज़रिए अग़वा किए भारतीय विमान आईसी-814 के यात्रियों को रिहा करने के बदले में उस समय की वाजपेयी सरकार ने छोड़ा था।
चार्जशीट में 20 लोगों के नाम लिए गए हैं जिन्होंने साज़िश रची, या साज़िश रचने में मदद की या फिर उस साज़िश को ज़मीन पर अमल किया।
चार्जशीट में उमर फ़ारूक़, शेख़ बशीर अहमद, तारिक़ शाह, मोहम्मद अब्बास नासिर, मोहम्मद इक़बाल, वैज उल-इस्लाम, इशान जान, और बिलाल अहमद के नाम शामिल हैं।
चार्जशीट के मुताबिक़ मसूद अज़हर के भांजे मोहम्मद उमर फ़ारूक़ बम बनाने के विशेषज्ञ थे जो 2018 में एलओसी पार कर भारत के कश्मीर में दाख़िल हुए थे। उमर फ़ारूक़ को इक़बाल राथेर ने स्थानीय मदद दी थी।
चार्जशीट में आदिल डार का नाम भी शामिल है। चार्जशीट में कहा गया है कि उमर फ़ारूक़ ने स्थानीय लोगों की मदद से इतने बड़े पैमाने पर विस्फोटक तैयार किया जिसे आदिल डार ने गाड़ी में भरकर सीआरपीएफ़ के क़ाफ़िले से टकरा दिया था।
आदिल डार की तो मौक़े पर ही मौत हो गई थी, लेकिन चार्जशीट में जिन 20 लोगों का नाम लिया गया है उनमें से सात को बाद में सुरक्षाबलों ने अलग-अलग मुठभेड़ में मारने का दावा किया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार सात लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है और चार लोग अभी भी फ़रार हैं।
भारत में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिए जाने के बाद बीजेपी को छोड़कर केंद्र शासित प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दल शनिवार को एक साथ आए और अनुच्छेद-370 को फिर से बहाल करने को लेकर बयान जारी किया। बयान में कहा गया है कि वो इसको लेकर संघर्ष करेंगे।
नेशनल कॉन्फ़्रेंस (एनसी), पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), पीपल्स कॉन्फ़्रेंस, सीपीआईएम, कांग्रेस और आवामी नेशनल कॉन्फ़्रेंस ये वो दल हैं जिन्होंने 'गुपकर घोषणापत्र' पर हस्ताक्षर किए थे।
'गुपकर घोषणापत्र' के हस्ताक्षकरकर्ताओं ने बयान में कहा है कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार के क़दम ने जम्मू-कश्मीर और नई दिल्ली के बीच रिश्तों को बदल दिया है।
बयान में कहा गया है कि सभी दल 4 अगस्त 2019 के 'गुपकर घोषणापत्र' का पालन करेंगे जिसमें क्षेत्रीय दलों ने संविधान के तहत दिए गए जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को बरक़रार रखने के लिए लड़ने का वादा किया है।
पीडीपी की नेता और जम्मू और कश्मीर राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती अभी भी हिरासत में हैं।
पिछले साल केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर राज्य के विशेष दर्जे को समाप्त करते हुए इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था।
अनुच्छेद-370 को हटाने के बाद सैकड़ों राजनेताओं को हिरासत में ले लिया था और कइयों को कठोर पब्लिक सेफ़्टी एक्ट (PSA) जैसे क़ानून के तहत हिरासत में लिया गया था।
जम्मू और कश्मीर राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों फ़ारूक़ अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती को इसी PSA क़ानून के तहत हिरासत में लिया गया था।
महबूबा मुफ़्ती की हिरासत को और तीन महीनों के लिए बढ़ा दिया गया है।
अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद सभी संचार के साधन बंद कर दिए गए थे और कड़े प्रतिबंधों के साथ-साथ कर्फ़्यू लगा दिया गया था। इसके साथ ही भारी सुरक्षाबलों की तैनाती की गई थी ताकि किसी भी विरोध प्रदर्शन को रोका जा सके।
सभी दलों के साझा बयान में अनुच्छेद-370 और 35ए को फिर से बहाल करने की मांग की गई है। साथ ही कहा गया है कि राज्य का बंटवारा अस्वीकार्य है।
5 अगस्त 2019 को दुर्भाग्य बताते हुए सभी नेताओं ने कहा है कि यह असंवैधानिक था और संविधान को समाप्त करने की कोशिश की गई।
बयान में कहा गया, ''हम कौन हैं? इसे दोबारा परिभाषित करने के लिए यह कोशिश हुई। लोगों को चुप रखने और उन्हें दबाने के लिए दमनकारी तरीक़ों से ये बदलाव हुए।''
पिछले साल कश्मीर में मुख्यधारा के राजनीतिक नेतृत्व ने 'गुपकर घोषणापत्र' पर हस्ताक्षर किए थे।
इस घोषणापत्र में सर्वसम्मति से यह फ़ैसला लिया गया था कि सभी दल जम्मू-कश्मीर की पहचान, स्वायत्तता, सुरक्षा, ख़ास दर्जे को बरक़रार रखने और किसी भी प्रकार के हमले के लिए एकजुट रहेंगे।
यह बैठक एनसी के वरिष्ठ नेता और सांसद फ़ारूक़ अब्दुल्ला के घर गुपकर रोड पर हुई थी इसलिए इस घोषणापत्र का नाम 'गुपकर घोषणापत्र' रखा गया।
जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद भारत की ओर से जारी नए राजनीतिक नक्शे को पाकिस्तान ने ख़ारिज कर दिया है।
जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को भारत ने 5 अगस्त, 2019 को निष्प्रभावी कर दिया था। इसके साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में बांटने का भी फ़ैसला लिया गया था।
इस निर्णय के बाद 31 अक्टूबर को दोनों केन्द्र शासित प्रदेश अस्तित्व में आए। इसके बाद भारत के गृह मंत्रालय ने 2 नवंबर 2019 को एक राजनीतिक नक्शा जारी किया जिसे पाकिस्तान ने ख़ारिज कर दिया।
इस नक्शे में दोनों नए केंद्र शासित प्रदेशों के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान और पाक प्रशासित कश्मीर के हिस्सों को भी दिखाया गया है।
पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान के हिस्सों को भारत के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के भीतर दिखाए जाने को पाकिस्तान ने ग़लत, कानूनी रूप से अपुष्ट, अमान्य और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों की प्रासंगिकता का पूर्ण उल्लंघन करार दिया है।
पाकिस्तान की ओर से जारी बयान में कहा गया कि 'हम ज़ोर देकर कहते हैं कि भारत का कोई भी क़दम संयुक्त राष्ट्र से जम्मू कश्मीर को "विवादित" दर्जे के रूप में मिली मान्यता को नहीं बदल सकता है।'
पाकिस्तान ने कहा, "भारत सरकार के इस तरह के उपायों से भारत के कब्ज़े वाले जम्मू और कश्मीर में रह रहे लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।''
पाकिस्तान ने कहा कि वह "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार आत्मनिर्णय के अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए भारत के कब्ज़े वाले जम्मू और कश्मीर के लोगों के वैध संघर्ष को अपना समर्थन देना जारी रखेगा।''
ग़ौरतलब है कि भारत सरकार ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद नया नक्शा जारी किया था।
भारत के सर्वे जनरल ने इस नक्शे को तैयार किया है। गृह मंत्रालय के बयान के मुताबिक, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में दो ज़िले होंगे- करगिल और लेह। इसके बाद बाक़ी के 26 ज़िले जम्मू और कश्मीर में होंगे।
भारत सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सुपरविज़न में जम्मू कश्मीर और लद्दाख की सीमा को निर्धारित किया गया है।
भारत में अब 28 राज्य और नौ केंद्र शासित प्रदेश हो गए हैं।
इस नक्शे के मुताबिक, भारत में अब 28 राज्य और नौ केंद्र शासित प्रदेश हो गए हैं।
5 अगस्त, 2019 को भारतीय संसद में संविधान के अनुच्छेद 370 और 35-ए को निष्प्रभावी बनाने का फ़ैसला बहुमत से लिया गया था, संसद की अनुशंसा के बाद राष्ट्रपति ने इन अनुच्छेदों को निरस्त करते हुए जम्मू कश्मीर पुनर्गठन क़ानून को मंजूरी दी।
1947 में जम्मू कश्मीर में 14 ज़िले होते थे- कठुआ, जम्मू, उधमपुर, रइसी, अनंतनाग, बारामुला, पूंछ, मीरपुर, मुज़फ़्फ़राबाद, लेह और लद्दाख, गिलगित, गिलगित वज़ारत, चिल्लाह एवं ट्रायबल टेरेरिटी।
2019 में भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर का पुर्नगठन करते हुए 14 ज़िलों को 28 ज़िले में बदल दिया हैं।
नए ज़िलों के नाम है- कुपवाड़ा, बांदीपुर, गेंदरबल, श्रीनगर, बडगाम, पुलवामा, सोपियां, कुलगाम, राजौरी, डोडा, किश्तवार, संबा, लेह और लद्दाख।
भारत में सुप्रीम कोर्ट की एक संवैधानिक बेंच ने अनुच्छेद 370 ख़त्म किए जाने और कश्मीर से जुड़ी अन्य याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को 28 दिनों का वक़्त दिया है।
जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने याचिकाकर्ताओं से भी कहा है कि वो केंद्र के जवाब के बाद एक हफ़्ते के भीतर अपना पक्ष अदालत में रखें।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 नवंबर की तारीख़ तय की है।
भारत में केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने जम्मू-कश्मीर याचिकाओं के जवाब देने के लिए अदालत से चार हफ़्ते का वक़्त मांगा था।
सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को चुनौती देने, प्रेस की आज़ादी, संचार सुविधाओं पर रोक, लॉकडाउन की वैधता और आने-जाने पर पाबंदियों और मानवाधिकारों के उल्लंघन से जुड़ी कई याचिकाएं दायर की गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने पहली सुनवाई में इस बारे में कोई आदेश नहीं दिया और इस बारे में दलीलें तुरंत सुनने से भी इनकार किया। अदालत ने कहा, "अगर फ़ैसला आपके पक्ष में आता है तो सब कुछ बहाल किया जा सकता है।''
अदालत ने ये भी कहा कि वो इस सम्बन्ध में कोई अन्य याचिका स्वीकार नहीं करेगी।
हालांकि याचिकाकर्ताओं ने केंद्र सरकार को चार हफ़्ते का वक़्त दिए जाने का विरोध किया और कहा कि इससे याचिकाएं दायर करने का उद्देश्य ही निरर्थक हो जाएगा।
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और जम्मू-कश्मीर औपचारिक रूप से 31 अक्टूबर, 2019 को अस्तित्व में आ जाएंगे। दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के बीच संपत्तियों के विभाजन के लिए तीन सदस्यीय कमिटी बनाई गई है।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने के बाद लगाए गए प्रतिबंधों में जैसे-जैसे सरकार की तरफ़ से ढील दी जा रही है, बाज़ार में चहल-पहल बढ़ने लगी है और ज़िंदगियां पटरी पर आती नज़र आ रही हैं। जम्मू के थोक बाज़ार में व्यापार सामान्य रूप से चल रहा है।
राज्य के जिन हिस्सों में प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनकी तुलना में जम्मू की स्थिति कहीं बेहतर है। ख़ासकर कश्मीर के मुकाबले।
इलाक़े में सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले प्रावधानों को ख़त्म किए जाने के क़रीब दो महीने होने वाले हैं, लेकिन अभी भी हाई स्पीड इंटरनेट यहां के लोगों के लिए एक सपना है।
यहां के लोगों को लैंडलाइन और मोबाइल के ज़रिये इंटरनेट की सुविधा तो मिल रही है, लेकिन उसकी स्पीड बहुत ही कम है। नतीजतन लोग समय पर जीएसटी और इनकम टैक्स रिटर्न दाख़िल नहीं कर पाए हैं।
जम्मू के लोग अपने भविष्य को लेकर असमंजस में हैं। स्थानीय लोगों के मन में कई सवाल हैं, जिनका उत्तर अभी तक उन्हें नहीं मिल पाया है। उदाहरण के लिए, क्या जम्मू और कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश ही रहेगा या फिर इसे अंततः राज्य का दर्जा दिया जाएगा?
यह सवाल सभी के लिए बहुत मायने रखता है, चाहे वो राज्य के सरकारी कर्मचारी हों या फिर व्यापारी और आम आदमी।
अनुच्छेद 370 के तहत बाहरी लोग राज्य में जमीन नहीं खरीद सकते थे, लेकिन अब सभी खरीद-फरोख़्त कर सकते हैं।
यही बात जम्मू के स्थानीय लोगों के लिए चिंता का कारण बनी हुई है और वे राज्य के राजनीतिक भविष्य की तरफ़ उम्मीद लगा कर देख रहे हैं।
जम्मू की थोक मंडी में सेब का बाज़ार सही चल रहा है। यह यहां की बड़ी मंडियों में से एक है।
मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष श्यामलाल का कहना है कि सेब के दाम पिछले साल की तुलना में काफ़ी कम हैं।
मैदानी इलाक़ों में सेब नहीं उगाए जाते हैं। वे कश्मीर की घाटी से आते हैं। श्यामलाल का कहना है कि उन्होंने इस सीज़न के लिए बाग मालिकों को अग्रिम भुगतान किया था, लेकिन किसी ने उन्हें सेब नहीं भेजे।
वो कहते हैं, "कश्मीर घाटी के बागान मालिकों ने इस सीज़न के लिए हमसे अग्रिम भुगतान लिया था, लेकिन हमारे पास फ़लों का एक ट्रक भी नहीं आया। हमारा पैसा फंसा हुआ है। पहली समस्या यह है कि हम उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। अगर हमारी बात भी होती है तो वे कहते हैं कि वहां की स्थिति अच्छी नहीं है और उनके आने-जाने पर रोक लगी हुई है।''
ऐसी स्थिति में प्रति किलोग्राम सेब 50 से 70 रुपये तक बेचे जा रहे हैं। लेकिन यहां के बाज़ारों को घाटी की सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले सेब का इंतज़ार है।
श्यामलाल को यह उम्मीद है कि घाटी में स्थितियां बेहतर होंगी और उन्हें उनके फंसे पैसे और माल वापस मिल पाएंगे।
राज्य से बाहर के लोग निवेश करने के लिए लंबे वक़्त से जम्मू पर अपनी नज़र गड़ाए हुए हैं और काफ़ी समय से विभिन्न परियोजनाओं में निवेश कर रहे हैं। अनुच्छेद 370 के ख़त्म किए जाने के बाद से कुछ स्थानीय व्यवसायी परेशान है।
जम्मू और कश्मीर के पूर्व विधान पार्षद और भाजपा के वरिष्ठ नेता विक्रम रंधावा को लगता है कि कई व्यापारी बाज़ार के बड़े खिलाड़ियों के आगे नहीं टिक पाएंगे।
वो कहते हैं, "जम्मू में बहुत बड़े कारोबारी घराने नहीं हैं, लेकिन यह सच है कि उनके मन में यह डर है कि वे बड़े खिलाड़ियों का सामना नहीं कर पाएंगे। भारी उद्योगों के मालिक पहले से बाहर के लोग हैं। जम्मू में बड़ा निवेश भी बाहरी लोग ही करेंगे। स्थानीय लोगों को नहीं पता है कि वे उस स्थिति का सामना कैसे करेंगे। हम उनसे मुकाबला भी नहीं कर सकते हैं। हमारे पास उतना पैसा या संसाधन नहीं है।''
विक्रम एक क्रशिंग यूनिट के मालिक भी है। जब फ़ोर लेन की सड़क परियोजना आई तो वो ख़ुश हुए। उन्हें लगा कि उनके लिए व्यापार के अवसर बढ़ेंगे लेकिन अब उनका विचार बदल गया है।
उन्होंने कहा, "दुर्भाग्य से जिन लोगों को फ़ोर लेन की सड़क परियोजना का कॉन्ट्रैक्ट मिला था, वो अपनी क्रशिंग यूनिट ख़ुद लेकर आए हैं। सिर्फ क्रशिंग यूनिट ही नहीं, बाहर से अपने श्रमिक भी लेकर आए हैं। हम निराश हुए कि विकास की योजनाओं में हमारा कोई योगदान नहीं है।''
जम्मू के स्थानीय डोगरा भारत सरकार के फ़ैसले से फ़िलहाल तो खुश हैं लेकिन वे चाह रहे हैं कि अनुच्छेद 371 जैसी व्यवस्था जम्मू-कश्मीर में भी होनी चाहिए, जिससे युवाओं का भविष्य सुरक्षित हो सके।
युवा डोगरा नेता तरुण उप्पल कहते हैं कि सरकार को कुछ ऐसे प्रबंध करने चाहिए जिससे स्थानीय लोगों का भविष्य सुरक्षित हो सके।
उन्हें लगता है कि अनुच्छेद 370 को ख़त्म किए जाने के बाद सरकार को संविधान का अनुच्छेद 371 राज्य में लागू करना चाहिए ताकि स्थानीय लोगों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
संविधान का अनुच्छेद 371 पूर्वोत्तर के कई राज्यों में लागू है, जिसके तहत राज्यों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
राज्यों के लिए विशेष प्रावधान इसलिए किए गए थे क्योंकि वे अन्य राज्यों के मुक़ाबले काफ़ी पिछड़े थे और उनका विकास समय के साथ सही तरीक़े से नहीं हो पाया था। साथ ही यह अनुच्छेद उनकी जनजातीय संस्कृति को संरक्षण प्रदान करता है। साथ ही स्थानीय लोगों को नौकरियों के अवसर मुहैया कराता है।
अनुच्छेद 371 में ज़मीन और प्राकृति संसाधनों पर स्थानीय लोगों के विशेषाधिकार की बात कही गई है।
मिज़ोरम, नागालैंड, मेघालय, सिक्किम और मणिपुर में अनुच्छेद 371 लागू है और बाहरी लोगों को यहां ज़मीन ख़रीदने की अनुमति नहीं है।
जम्मू के कई लोगों का मानना है कि अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद बाहरी लोगों को वहां के खनिज और अन्य प्राकृतिक संसाधनों को लूटने के अवसर मिलेंगे।
सुनील पंडिता एक कश्मीरी पंडित हैं। तीन दशक पहले वो कश्मीर से आकर जम्मू में बसे थे। पंडिता कहते हैं कि जम्मू में पहले से ही कई बाहरी लोग हैं।
वो कहते हैं, "कश्मीरी पंडितों से लेकर प्रवासी मज़दूरों तक। शहर पर पहले से ही भार बढ़ रहा है। बाहरी लोगों के लिए हम तैयार नहीं हैं। सरकार के इस क़दम से स्थानीय युवाओं में बेरोज़गारी और अपराध बढ़ेगा।''
राज्य में नई कानून व्यवस्था लागू हो चुकी है। यह बदलाव का वक़्त है और स्थानीय लोग अपने भविष्य को लेकर असमंजस में हैं कि क्या राज्य एक केंद्र शासित प्रदेश ही रहेगा या फिर उसे राज्य का दर्जा मिल पाएगा?
भारत में जम्मू के बस स्टैंड पर हुए ग्रेनेड धमाके में घायल दो युवक की मौत हो गई है। अधिकारियों के मुताबिक़, इस धमाके में 33 अन्य लोग घायल हैं। इनमें से चार की स्थिति गंभीर है।
जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा है कि इस मामले में यासिर अरहान नाम के एक व्यक्ति को कुलगाम से गिरफ़्तार किया गया है। दिलबाग सिंह का कहना है कि यासिर ने ही ग्रेनेड फेंका था।
बीबीसी ने पुलिस अधिकारियों के हवाले से बताया है कि हमले में घायल हुए 17 साल के एक युवक की इलाज के दौरान मौत हो गई।
जम्मू डिवीजन के आईजी एम के सिन्हा ने बताया कि मरने वाले युवक उत्तराखंड के हरिद्वार के रहने वाले मोहम्मद शारिक़ थे।
आईजी सिन्हा ने बताया कि हमले में घायल हुए 33 अन्य लोगों को गर्वनमेंट मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया है। घायलों में से चार की स्थिति गंभीर है।
हमले के बाद बड़ी संख्या में सुरक्षाबल मौके पर पहुंचे और हमलावरों की तलाश शुरू कर दी गई।
इस बीच आधिकारिक सूत्रों ने जानकारी दी है कि इस हमले के सिलसिले में पुलिस ने 10 लोगों को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है।
एक प्रत्यक्षदर्शी शशि कुमार ने बताया, ''हमारी यहां पर फलों की रेहड़ी है। बड़ी तेज़ का धमाका सुनाई दिया। किसी ने कहा टायर फटा, तो किसी ने कहा कि बम धमाका हो गया है। आगे बढ़ कर देखा तो पता चला कि कई लोग घायल पड़े थे।''
''हमने उन्हें उठा कर गाड़ियों में भरा और अस्पताल की तरफ गए। तब तक पुलिस भी आ गई।''
शुरुआती जाँच के मुताबिक, ग्रेनेड का सबसे ज़्यादा असर पंजाब रोडवेज की बस पर हुआ। बस में बैठे कुछ मुसाफिर घायल हो गए। साथ ही आस-पास के कुछ लोगों को भी चोटें आई हैं।
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