भाजपा के केन्द्र में आने के बाद से सांप्रदायिक हिंसा में काफी बढ़ोत्तरी हुई: प्रकाश कारात
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का 15 वां दिल्ली राज्य सम्मेलन आज दक्षिण-पश्चिम ज़िले के विजय एन्कलेव, पालम डाबरी रोड, नई दिल्ली में शुरू हुआ। यह 2 दिवसीय सम्मेलन 16 और 17 दिसम्बर, 2017 तक चलेगा। पार्टी के वरिष्ठ साथी बलदेव सिंह ने झण्डारोहण किया। सम्मेलन का उद्घाटन कॉमरेड प्रकाश कारात पोलिट ब्यूरो सदस्य, सी.पी.आई. (एम) ने किया।
प्रकाश कारात ने अपने उद्घाटन भाषण में वर्तमान राजनीतिक हालात पर बोलते हुए कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा अपनाई गई जन-विरोधी नीतियों के चलते मोदी सरकार रोजगार के नए अवसरों को पैदा करने में पूरी तरह विफल रही हैं, बल्कि उलटे उन्होंने बची हुई रोजगारपरक संभावनाओं को भी खत्म करने का काम किया है। प्रति वर्ष 2 करोड रोजगार देने का वायदा करके आज रोजगार देने की बात तो दूर इसके उल्ट 'नोटबंदी' व 'जी.एस.टी.' लाने के बाद से 70 लाख रोजगार छीन गए। निजीकरण के माध्यम से देशी-विदेशी निवेश को सरकारी क्षेत्रों में ले आने का विनाशकारी असर रोजगार के सृजन पर भी पड़ेगा। कृषि संकट के चलते तथा मानरेगा में कटौती के कारण देहातों में उपलब्ध रोजगार में भारी कमी आई है। किसानों को उनकी फसल की सही कीमत न मिल पाने के कारण आज लाखों किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर किया गया है।
उन्होंने कहा कि तेल व गैस खनन में निजी क्षेत्र को और बढ़ावा दिया गया है। जिसका नतीजा है कि रसोई गैस व डीजल-पेट्रोल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। महंगाई से आज देश की गरीब मेहनतकश जनता बुरी तरह त्रस्त है। सब्जियां, दालें और खाद्य तेल के दाम काफी बढ़ गए हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा के केन्द्र में आने के बाद से सांप्रदायिक हिंसा में काफी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। पिछले साढे़ 3 सालों में ऐसी अनेक घटनाएँ सामने आई हैं, जहां तथाकथित गोरक्षकों ने पशु-व्यापार में लगे लोगों या गोमांस रखने-खाने के आरोपितों की या तो हत्या की है या उन्हें बुरी तरह घायल किया है। गोरक्षा के नाम पर मुसलमानों के साथ ही दलितों को भी निशाना बनाया जा रहा है। वास्तव में इस प्रकार की हिंसा सरकार के खिलाफ उठने वाले स्वर को दबाने तथा भय का ऐसा माहौल बनाने के लिए की जाती है जिसमें कोई भी सरकार के खिलाफ कुछ न बोल सके। अनेकों तार्किक-वैज्ञानिक बुद्धिजीवियों तथा पत्रकारों की हत्याएँ और उनके हत्यारों का आज तक पता न चलना इस बात की पुष्टि करता है। सांप्रदायिकता मजदूर वर्ग और अन्य मेहनतकशों को विभाजित करती है। लिहाजा, इसके खि़लाफ़ लड़ने के लिए हमें पूरी तरह सावधान रहना चाहिए।
साथ ही, उन्होंने दलित समुदाय की बदहाली, उनके साथ किये जा रहे भेद-भाव व तिरस्कार और विभिन्न शासक वर्गीय पार्टियों द्वारा उपेक्षा की कड़ी निंदा करते हुए, दलितों के बुनियादी हकों को हासिल करने के लिए लगातार संघर्ष करने पर भी जोर दिया।
उद्घाटन भाषण की समाप्ति पर काॅमरेड प्रकाश कारात ने सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार की इन विनाशकारी जनविरोधी नीतियों के खि़लाफ़ संघर्ष को और मजबूत बनाने का संकल्प करना होगा और भाजपा को हराने का आह्वान किया।
सीपीआई (एम) के 15 वें दिल्ली राज्य सम्मेलन में राज्य सम्मेलन की प्रस्तावित रिपोर्ट सीपीआई (एम) के राज्य सचिव के एम तिवारी ने रखा। आर्थिक उदारीकरण की नीतियों के विरोध में अनुराग सक्सेना ने प्रस्ताव रखा और समर्थन गंगेश्वर दत्त ने किया। सांप्रदायिकता के विरुद्ध प्रस्ताव सहबा फारुकी ने रखी और समर्थन बृजेश सिंह ने किया। जाति के उत्पीड़न के खिलाफ प्रस्ताव नत्थू प्रसाद ने रखा और समर्थन जगदीश शर्मा ने किया। महिला उत्पीड़न के विरुद्ध प्रस्ताव मैमूना मौला ने रखा और समर्थन सुबीर बनर्जी ने किया, रोजगार की मांग को लेकर प्रस्ताव प्रमोद ने रखा और समर्थन अमन ने किया।