अगर ऐसा नहीं होता तो गुजरात में बीजेपी चुनाव हार जाती और कांग्रेस की सरकार बनती !
गुजरात की सत्ता में वापसी के लिए अपनी जुमलेबाजी के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीतीश कुमार और मायावती का धन्यवाद करना चाहिए। मायावती का तो खास शुक्रिया अदा करना जरूरी है, जिसका हाथी कांग्रेस के वोट काटता रहा।
भाजपा के खाते में कम से कम 20 ऐसी सीटें गई हैं, जहां जीत का अंतर केवल 300 - 400 से एक हज़ार वोटों तक रहा।
जानकारों के अनुसार, इन स्थानों पर मायावती की बहुजन समाज पार्टी को दो से चार हज़ार तक वोट मिले।
नीतीश कुमार का भी मायावती की ही तरह कहीं खाता तो नहीं खुला, लेकिन मोदी से वफ़ादारी निभाने में पीछे नहीं रहे।
सवाल उठता है कि बिहार में महा गठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार ने गुजरात में मोदी की बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव क्यों नहीं लड़ा ? नीतीश अगर मोदी के साथ मिलकर चुनाव लड़ते तो सेक्युलर वोट बैंक में कैसे सेंध लगा पाते ?
गुजरात चुनाव में मायावती और नीतीश कुमार की भूमिका 'वोट कटवा' की रही जिससे कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ, जबकि बीजेपी गुजरात में निश्चित हार से बच गई और सत्ता में वापस भी आ गई।
गुजरात चुनाव में मायावती और नीतीश कुमार ने सेक्युलर वोट में सेंध लगाने का काम किया। ऐसा करके गुजरात चुनाव में मायावती और नीतीश कुमार ने बीजेपी को फायदा पहुँचाया। अब वक़्त आ गया है कि लोगों को मायावती और नीतीश कुमार को वोट देने से बचना चाहिए।
मायावती की सियासत बेजोड़ है। विपक्ष की एकता की बात हो, चंद्रशेखर की भीम सेना हो, गुजरात के ऊना में दलित उत्पीड़न हो, जिग्नेश मेवाणी का आन्दोलन हो, किसी से लेना-देना नहीं।
याद रहे, 2002 की हिंसा के बाद 2004 में हुए चुनावों में मायावती ने गुजरात जाकर भाजपा के समर्थन में प्रचार किया था। कांशीराम का संघर्ष कहाँ तक ले आया 'बहिन' जी को !
गुजरात विधानसभा चुनावों के नतीजों के विश्लेषण में कम-से-कम 11 सीटें कांग्रेस महज 2,000 से भी कम मार्जिन से हारी, जहां बसपा को इस मार्जिन से कहीं ज्यादा वोट मिले हैं।
जिन सीटों पर कांग्रेस बहुत ही कम वोटों से हारी है। वे हैं: गोधरा से 258, धोलका से 327, बोटाद से 906, हिम्मतनगर से 1712, खंभात से 2318, पोरबंदर से 1855, प्रांतिज से 2551, राजकोट रूरल से 2179, उमरेथ से 1883, वागरा से 2370 और वीजापुर से 1164 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशियों की हार हुई है। इन सीटों पर इन प्रत्याशियों के हार के मार्जिन से कहीं अधिक वोट बहुजन समाज पार्टी को मिली।
अगर इन सीटों पर बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार खड़े नहीं होते तो गुजरात का रिजल्ट कुछ और होता। बीजेपी चुनाव हार जाती और गुजरात में कांग्रेस की सरकार बनती !