60 फीसदी तक कटी इंफोस‍िस सीईओ, व‍िप्रो चेयरमैन की सैलरी-पैकेज

भारत की दिग्गज आईटी कंपनियों में कर्मचारियों को निकालने और सैलरी में कटौती का सिलसिला लगातार जारी है। केवल जूनियर लेवल पर ही नहीं, कंपनियों के टॉप लेवल में भी सैलरी की कटौती की गई है। जिन बड़े लोगों को कम सैलरी-पैकेज मिला है, उनमें इंफोसिस के सीईओ विशाल सिक्का, विप्रो के अजीम प्रेमजी और आइडिया के कुमार मंगलम बिड़ला शामिल हैं।

वित्तीय वर्ष 2017 में उनके सैलरी में कटौती देखी गई है। कम सैलरी भुगतान के लिए आईटी क्षेत्र में उथल-पुथल और कंपनी के खराब प्रदर्शन को जिम्मेदार ठहराया गया है।

इंफोसिस के सीईओ विशाल सिक्का और विप्रो के चेयरमैन अज़ीम प्रेमजी के कम्पन्सेशन में FY17 में 60 प्रतिशत से अधिक का कटौती हुई है। ऐसा आईटी सेक्टर में वैश्विक मंदी, कड़े आव्रजन निमय तथा ऑटोमेशन में बदलाव के कारण हुआ।

हाल ही में आई रिपोर्ट के मुताबिक, सिक्का की सैलरी 67 फीसदी तक कम हो गई है। ऐसा कम बोनस मिलने की वजह से हुआ है। इंफोसिस की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2016-17 में सिक्का की सैलरी का कैश कम्पोनेंट 16.01 करोड़ रुपए था, जो कि पिछले वित्त वर्ष (2015-16) में 48.73 करोड़ रुपए से कम है।

इसी तरह से, विप्रो के चेयरमैन अज़ीम प्रेमजी की सैलरी में 63 फीसदी तक की कटौती हुई है। उनकी सैलरी कम्पन्सेशन में पिछले वित्त वर्ष 63 प्रतिशत की कटौती की गई है। यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन को कंपनी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, प्रेमजी को वित्त विर्ष 2016-17 में कम्पन्सेशन के रूप में 108,026 डॉलर (करीब 71.4 लाख रुपए) मिले, जबकि इससे पिछले साल उन्हें $292,991 (1.93 करोड़ रुपए) मिले थे।

इसी तरह, आदित्य बिड़ला ग्रुप के स्वामित्व वाली आइडिया सेल्युलर के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला की सैलरी में कई गुना गिरावट आई है। टेलिकॉम ऑपरेटर आइडिया ने हाल ही में बताया था कि उसे मार्केट में लिस्टेड कंपनी बनने के बाद पहली बार घाटा उठाना पड़ा है। वित्त वर्ष 2016 में आइडिया के चेयरमैन बिड़ला की सैलरी 13.15 करोड़ रुपए थी, लेकिन अगले वित्त वर्ष में यह कई गुना गिरकर 3.30 लाख रुपए तक पहुंच गई। आदित्य बिड़ला ग्रुप ने अपने चेयरमैन और अन्य एग्जिक्युटिव्स को कोई कमिशन भी नहीं दिया है।

बता दें कि आईटी सेक्टर इस समय वैश्विक मंदी की दौर से गुजर रहा है। इसे देखते हुए काफी समय से छंटनी की भी खबरें आ रही हैं। कंपनियों का कहना है कि वो ऐसा अपनी लागत को कम करने के लिए कर रही हैं। भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी इंफोसिस ने भी अपने सीनियर और मिड लेवल के कर्मचारियों की छंटनी की थी।