केरल बाढ़ : राज्य को फिर से पटरी पर लाना एक बेहद चुनौतीपूर्ण काम है

केरल में भारी बारिश और उसके बाद आई बाढ़ से तबाही का आलम ये है कि फिलहाल भले ही पानी घट रहा हो, लेकिन इस आपदा से निकलने के लिए केरल के लोगों को वर्षों लग जाएंगे। बर्बादी के असर को कम कर आम जनजीवन को सामान्य बनाने की दिशा में जिन महत्वपूर्ण कदमों को उठाया जाएगा, उसे लागू करने में ही काफी वक्त लग जाएंगे।

सबसे ज्यादा बाढ़ से प्रभावित जिले हैं इडुक्की, मलप्पुरम, कोट्टयम और एर्नाकुलम। केरल सरकार का यह अनुमान है कि इससे करीब 20 हजार करोड़ रुपये की बर्बादी हुई है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि राज्य की इस समय प्राथमिकता लोगों को बचाना और बाढ़ प्रभावित लाखों लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाना है। हालांकि, उन्होंने यह माना कि राज्य को फिर से पटरी पर लाना एक बेहद चुनौतीपूर्ण काम है।

केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन से जब सोमवार को पुनर्निर्माण को लेकर उनकी योजना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ''मुश्किल दिन अभी आने बाकी हैं।'' उन्होंने कहा, ''करीब दस लाख से ज्यादा लोग राहत कैम्पों में हैं और इस समय वे हमारी प्राथमिकता हैं। हम जानमाल के नुकसान का आकलन कर रहे हैं।''
 
सरकार का यह अनुमान है कि करीब एक लाख इमारतें जिनमें लोगों के घर भी शामिल हैं और 10 हजार किलोमीटर राजमार्ग और सड़कें बर्बाद हुई हैं। जबकि, सैकड़ों पुल बाढ़ में बह गए और लाखों हेक्टेयर फसल तबाह हो गई। अधिकारी ने बताया कि राहत और बचाव कार्य पूरी होने के बाद सरकार नुकसान के सही आकलन की प्रक्रिया शुरू करेगी।