एअर इंडिया को बेचेगी मोदी सरकार
भारत में मोदी सरकार के केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सरकार एअर इंडिया का विनिवेश करेगी। यानी अपना हिस्सा बेच देगी। इस पर सिद्धांतत: सरकार सहमत है। आगे की प्रक्रिया के लिए पैनल बनाया जाएगा।
बुधवार को कैबिनेट की बैठक के बाद जेटली ने संवाददाताओं को यह जानकारी दी। एअर इंडिया का घाटा लगातार बढ़ रहा है और तमाम प्रयासों के बावजूद इस पर काबू नहीं पाया जा सका है। उल्टे सरकार इसे लगातार आर्थिक मदद देकर जनता के पैसे से कुछ लोगों को हवाई सफर करा रही है। ऐसे में इसके विनिवेश की मांग काफी समय से उठ रही है।
बता दें एअर इंडिया की वित्तीय स्थिति 2007 से ही खराब है। दरअसल 2007 में एअर इंडिया और डोमेस्टिक एयरलाइंस कंपनी इंडियन एयरलाइन्स का नेशनल एविएशन कंपनी लिमिटेड ने विलय कर दिया था। इस विलय के बाद दोनों कंपनियों की देनदारी नेशनल एविएशन कंपनी लिमिटेड पर आ गई। 2010 में नेशनल एविएशन कंपनी लिमिटेड का नाम बदलकर एअर इंडिया लिमिटेड कर दिया गया था। वित्त वर्ष 2007 से ही एयरलाइंस की माली हालत नेगेटिव रही। इस स्थिति से निपटने के लिए एक प्लान तैयार किया गया जिसके तहत सरकार को 22 सालों के भीतर 42,182 करोड़ रुपये एयरलाइंस कंपनी में लगाने थे। हालांकि इस निवेश में देरी देखने को भी मिली है।
बीते पांच सालों (वित्त वर्ष 2012-2016) में जहां 22,609 करोड़ रुपये की इक्विटि प्लान की जानी थी वहीं अभी तक यह सिर्फ 22,280 करोड़ रुपये ही हो पाई थी। ऐसे में केंद्र सरकार ने आज कैबिनेट बैठक में कर्ज में चल रही एअर इंडिया की हिस्सेदारी बेचने का फैसला ले लिया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी लगभग 52,000 करोड़ रुपये का घाटा झेल रही है। नीति आयोग ने इसके विनिवेश से होने वाली कमाई को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगाने की सिफारिश, पीएमओ को अपनी चौथी रिपोर्ट में दी थी।
सरकार को इस विनिवेश से लगभग 25-27 हजार करोड़ रुपये की कमाई होने का अनुमान है। एअर इंडिया का डोमेस्टिक मार्केट में शेयर लगभग 14 पर्सेंट का है जो इंडिगो और जेट एयरवेज से काफी कम है। गौरतलब है एअर इंडिया को 1932 में जमशेद टाटा ने शुरू किया था जिसका 1948 में राष्ट्रीयकरण किया गया था।