शुक्राणु-अंडाणु का मिलन मु्श्किल होता है
वैज्ञानिकों ने उस प्रक्रिया को उजागर किया है जिसके ज़रिए एक शुक्राणु तमाम बाधाओं को चुनौती देता गर्भाशय नली तक पहुंचता है और ये काफ़ी हद तक उसकी रिदम पर निर्भर करता है।
ब्रिटेन और जापान के वैज्ञानिकों ने पाया कि किसी शुक्राणु के अगले और पिछले हिस्से की हरकतों का तौर-तरीका कुछ वैसा ही है, जैसा चुम्बकीय क्षेत्रों के इर्द-गिर्द होता है।
और ये सब स्त्री के अंडाणु तक पहुंचने में उस शुक्राणु की मदद करते हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक़, ये जानना अहम होगा कि आख़िर क्यों कुछ शुक्राणु अपने सफर में कामयाब हो जाते हैं और कुछ मंजिल तक नहीं पहुंच पाते हैं।
इससे उन पुरुषों के इलाज में मदद मिल सकती है जो पिता नहीं बन पा रहे।
जब कोई मर्द और औरत सेक्स करते हैं तो करोड़ों शुक्राणु एक अंडाणु से मिलन के लिए सफर पर निकलते हैं।
कोई 10 शुक्राणु ही आखिरी पड़ाव तक पहुंचने में कामयाब हो पाते हैं लेकिन विजेता केवल एक ही होता है।
इस रिसर्च पेपर के लेखक डॉक्टर हर्मीज गाडेल्हा बताते हैं कि शुक्राणुओं का ये सफर बेहद जोखिम भरा होता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क में अप्लाइड मैथ पढ़ाने वाले डॉक्टर गाडेल्हा कहते हैं, ''हर बार जब कोई मुझे बताता है कि उन्हें बच्चा हुआ है तो मैं सोचता हूं कि ये दुनिया का सबसे बड़ा चमत्कार है, लेकिन ये बात किसी को समझ में नहीं आती।''
अपने इर्द-गिर्द मौजूद तरल के बीच रास्ता बनाने की शुक्राणु की जद्दोजहद को डॉक्टर गाडेल्हा की टीम ने समझने की कोशिश की।
डॉक्टर गाडेल्हा ने बताया, ''हमने पाया कि इसका एक सीधा गणितीय फॉर्मूला है।''
साइंस जर्नल फिज़िकल रिव्यू लेटर्स में ये रिसर्च पेपर प्रकाशित हुआ है। अब वे शुक्राणुओं की गतिविधियों की तादाद का अंदाज़ा लगाना चाहते हैं।
शुक्राणु की चुनौतियां
जब एक पुरुष इजैक्यूलेट करता है या स्खलित होता है तो 5 करोड़ से 15 करोड़ शुक्राणु पैदा होते हैं और ये कोशिकाएं फौरन धारा के ख़िलाफ़ गर्भाशय नली में पहुंचने के लिए अपना सफर शुरू कर देती हैं। लेकिन ये कोई आसान सफर नहीं होता। 0.655 एमएम लंबी इन कोशिकाओं को राह में कई चुनौतियों का सामना करना होता है।
केवल एक शुक्राणु ही स्त्री अंडाणु के साथ मिलन कर पाता है इसलिए रेस जारी रहती है।
पहले तो उन्हें योनी के रास्ते में ही बचना होता है, ज्यादातर यहीं खत्म हो जाते हैं। गर्भाशय तक पहुंचने से पहले उन्हें कई बंद रास्तों की भूलभुलैया से बचना होता है।
रास्ते में उनकी जान लेने के लिए तैयार सफेद रक्त कोशिकाएं भी होती हैं, जिनसे बचना एक अलग चुनौती है।
और आखिरकार कुछ बची हुई कोशिकाएं गर्भाशय नली के दरवाजे तक पहुंच पाती हैं, लेकिन विजेता शुक्राणु वही होता है जिसके स्वागत के लिए ठीक वक्त पर कोई अंडाणु आ जाए।