केरल हाई कोर्ट ने कहा, केंद्र का आदेश किसी को बीफ खाने से नहीं रोकता
मवेशियों को मारने के नरेंद्र मोदी सरकार के नए नियम पर केरल हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। सरकार के फैसले को खारिज किए जाने को लेकर दायर की गई एक जनहित याचिका कोर्ट ने रद्द कर दी।
हाई कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने केंद्र के नए नियम को गलत समझ लिया है। टाइम्स नाउ के मुताबिक, हाई कोर्ट ने कहा कि केंद्र का आदेश किसी को बीफ खाने से नहीं रोकता।
कोर्ट ने कहा कि मवेशियों को मारने या मांस खाने पर कोई पाबंदी नहीं है। केवल बड़े पशु बाजारों में मवेशियों की बिक्री पर रोक लगाई गई है।
राजस्थान हाई कोर्ट ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने को कहा है। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, हाई कोर्ट ने राजस्थान सरकार से कहा है कानून में बदलाव कर गाय का वध करने वालों को आजीवन उम्रकैद की सजा होनी चाहिए।
हाई कोर्ट ने हिंनगोनिया गौशाला में गायों की मौत मामले पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। हाई कोर्ट ने वन विभाग को आदेश दिया है कि हर साल गौशालाओं में 5000 पौधे लगाए जाएं। फिलहाल गौहत्या करने पर 3 साल की सजा का प्रावधान है।
26 मई को नरेंद्र मोदी सरकार ने वध के लिये पशु बाजारों में मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगा दिया था। पर्यावरण मंत्रालय ने पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम के तहत सख्त पशु क्रूरता निरोधक (पशुधन बाजार नियमन) नियम, 2017 को अधिसूचित किया था।
लेकिन मद्रास हाई कोर्ट ने 4 हफ्ते के लिए केंद्र सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी है और इस संबंध में उससे जवाब मांगा है।
मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने कहा था कि लोगों की 'फूड हैबिट' तय करना सरकार का काम नहीं है। इस संबंध में केन्द्र के फैसले के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एमवी मुरलीधरन और जस्टिस सीवी कार्तिकेयन ने कहा था कि अपने पसंद का खाना चुनना सभी का व्यक्तिगत मामला है और इस अधिकार में कोई दखल दे नहीं सकता।
वध के लिए मंडियों और बाजार में पशुओं की बिक्री पर रोक लगाने के फैसले का कई राज्य सरकारों ने विरोध किया था।
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि केन्द्र सरकार ने फैसला राज्यों से बिना पूछे लिया है। इस मामले में बड़ा विवाद तब छिड़ गया था, जब केरल के कन्नूर में इस फैसले के विरोध में यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सार्वजनिक रुप से एक बछड़े को काटा और उसके मीट को लोगों के बीच में बाँटा था।
यूथ कांग्रेस के इस कार्यक्रम का देश भर में विरोध हुआ था। खुद कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इसकी निंदा की थी।
हालांकि कांग्रेस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए अपने पार्टी के दो सदस्यों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
आईआईटी मद्रास में भी स्टूडेंट्स ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ बीफ फेस्टिवल का आयोजन किया था।
वहीं केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर उन पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि यह किसी भी शख्स के संवैधानिक और मूलभूल अधिकारियों का हनन है।
विजयन ने कहा, ''यह देखना होगा कि क्या केंद्र सरकार के पास यह आदेश देने का अधिकार है या नहीं।''
नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा वध के लिये पशु बाजारों में मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगाने से केंद्र-राज्य सम्बन्ध ख़राब होंगे।
पहले सिर्फ कश्मीर में आज़ादी की माँग उठ रही थी। लेकिन अब मोदी सरकार के मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगाने के बाद ट्विटर पर द्रविड़नाडु की माँग उठने लगी है जिसमें केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना को मिलाकर अलग देश बनाने की माँग की जा रही है।
द्रविड़नाडु की माँग 1940 में पेरियार ने अंग्रेजों से की थी। 1947 में आज़ादी के बाद द्रविड़नाडु की माँग को लोग भूल गए थे, लेकिन मोदी सरकार के मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगाने के बाद द्रविड़नाडु की माँग फिर से की जाने लगी है।