भारत-चीन सीमा विवाद पर भारत की क्या है रणनीति?

भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कबूल किया है कि भारत चीन सीमा पर इस समय चीन और भारत के बीच विवाद है और अच्छी खासी संख्य़ा में चीन के सैनिक सीमा पर मौजूद हैं।

नेटवर्क 18 से बात करते हुए भारत के रक्षामंत्री ने कहा है कि भारत ने भी सीमा पर पूरा बंदोबस्त किया है।

भारत-चीन सीमा पर ताज़ा हालात के बारे में पूछे गए सवाल पर राजनाथ सिंह ने कहा,  ''हाल फिलहाल की जो घटना है, ये बात सच है कि सीमा पर इस समय चीन के लोग (चीन के सैनिक) भी, उनका दावा है कि हमारी सीमा यहां तक है, भारत का यह दावा है कि हमारी सीमा यहां तक है, उसको लेकर एक मतभेद हुआ है। और अच्छी खासी संख्या में चीन के लोग (चीन के सैनिक) भी आ गए हैं।''

भारत के रक्षामंत्री ने कहा, ''लेकिन अपनी तरफ़ से भारत को जो कुछ भी करना चाहिए, भारत ने भी किया है।''  

उन्होंने कहा, ''भारत चीन सीमा पर लंबे समय से भारत और चीन के बीच लगातार कुछ न कुछ होता रहता है। शायद ही ऐसा कोई साल गुज़रा हो जब भारत और चीन की सेना के बीच सीमा पर फ़ेस आफ़ न होता हो।  भारत और चीन की सेना में आपस में झड़पें होती हैं, कभी कभी ऐसा तनाव भी हुआ है कि हथियारों की छीना झपटी भी हुई है। ऐसा हालात समय-समय पर पैदा होते हैं।''

भारत के रक्षामंत्री ने कहा, ''मैं समझता हूं कि चीन को भी अब इस संबंध में गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए ताकि इस विवाद को पूरी तरह से सुलझाया जा सके।''

भारत के रक्षामंत्री ने कहा कि पहले भी जब भी विवाद हुआ है, जैसे डोकलाम विवाद, भारत और चीन ने सैन्य स्तर पर और कूटनीतिक स्तर पर वार्ता करके समाधान किए हैं।

उन्होंने कहा कि जब दोनों देशों के बीच डोकलाम को लेकर विवाद हुआ था तब भी बातचीत से ही समाधान हुआ था। इसके पहले भी जब भी दोनों देशों के बीच कोई वारदात हुई है सेना के स्तर पर और बातचीत के स्तर पर समाधान निकाला गया है।

भारत के रक्षामंत्री ने बताया कि 'फिलहाल सैन्य स्तर पर इस समय वार्ता चल रही है। संभतः छह जून को सेना के बड़े स्तर के सैन्य अधिकारियों के बीच बात होने जा रही है।'

भारत के रक्षामंत्री ने ये भी कहा कि अगर भारत को उकसाया गया तो भारत जवाब देगा, उन्होंने कहा, ''भारत की एक नीति बहुत ही स्पष्ट है, भारत दुनिया के किसी भी देश के स्वाभिमान पर न चोट पहुंचाना चाहता है और न ही अपने स्वाभिमान पर चोट बर्दाश्त कर सकता है। हमारी नीति बिलकुल स्पष्ट है। इससे जिसको जो अर्थ निकालना हो वो अर्थ निकाल ले।''

जब उनसे पूछा गया कि क्या वो चीन को दुश्मन मानते हैं तो उन्होंने कहा, ''मैं चीन को दुश्मन नहीं मानता, पड़ोसी मानता हूं। जहां तक सोच का प्रश्न है, भारत की सोच ये हमेशा रही है कि हम किसी को दुश्मन नहीं मानते, सभी से बराबर का रिश्ता रखना चाहते हैं।''

उन्होंने कहा, ''लेकिन अगर कोई भारत के स्वाभिमान को झुकाने की कोशिश करेगा तो हमारे अंदर वो कुव्वत भी है कि हम उसे मुंहतोड़ जवाब दे सकते हैं।''

भारत और चीन के बीच इस समय बॉर्डर पर विवाद है। कई मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि चीन ने बड़ी तादाद में सैनिक सीमा पर भेजे हैं और कुछ इस समय भारतीय क्षेत्र में घुस आए हैं।

अब भारत के रक्षामंत्री ने भी स्वीकार किया है कि दोनों देशों के बीच सीमा पर तनातनी है और सैन्य मौजूदगी बढ़ रही है।

भारत के रक्षामंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने के प्रस्ताव पर कहा कि भारत और चीन के बीच सीधी वार्ता का मैकेनिज़्म मौजूद है और मध्यस्थता की ज़रूरत नहीं है।

चीन के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को ज़ोर देकर कहा था कि चीन और भारत के बीच सीमा पर हालात स्थिर हैं और नियंत्रण में हैं और दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के चैनल खुले हुए हैं।

चीन के अख़बार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक चीन की सेना की तिब्बत कमांड ने ऊंचाई पर सैन्य अभ्यास किया है। रिपोर्ट के मुताबिक पीपुल्ज़ लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) ने 4700 मीटर की ऊंचाई पर दुश्मन के क्षेत्र में घुसकर हमला करने का अभ्यास किया।

रात में क़रीब एक बजे किए गए अभ्यास में मुश्किल वातावरण में अंधेरे में हमला करने का अभ्यास किया गया। इस अभ्यास के बारे में चीन के सरकारी टीवी पर भी रिपोर्ट प्रसारित की गई है।

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है, ''भारत और चीन ऊंचाई क्षेत्र में सीमा साझा करते हैं। हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच सीमा पर घटनाएं हुई हैं और दोनों ही देशों ने अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाई है।''

भारत और चीन के बीच अक्साई चीन में स्थित गलवान घाटी को लेकर उस वक्त तनाव पैदा हो गया जब भारत ने आरोप लगाया कि गलवान घाटी के किनारे चीनी सेना ने कुछ टेंट लगाए हैं।

गलवान घाटी लद्दाख और अक्साई चीन के बीच भारत-चीन सीमा के नज़दीक स्थित है। यहां पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) अक्साई चीन को भारत से अलग करती है। ये घाटी चीन के दक्षिणी शिनजियांग और भारत के लद्दाख़ तक फैली है।

इसके बाद भारत ने वहाँ फ़ौज की तैनाती बढ़ा दी। दूसरी तरफ़ चीन ने आरोप लगाया कि भारत गलवान घाटी के पास सुरक्षा संबंधी ग़ैर-क़ानूनी निर्माण कर रहा है।

इसके अलावा पूर्वी लद्दाख की पानगोंग त्सो झील के पास भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प होने के बाद चीन और भारत के बीच लद्दाख के क्षेत्र में सीमा पर गतिरोध कायम हो गया।

नौ मई को नॉर्थ सिक्किम के नाकू ला सेक्टर में भारतीय और चीनी सेना में झड़प हुई थी। उस वक्त लद्दाख में एलएसी के पास चीनी सेना के हेलिकॉप्टर देखे गए थे। फिर इसके बाद भारतीय वायुसेना ने भी सुखोई और दूसरे लड़ाकू विमानों की पेट्रोलिंग शुरू कर दी थी।

कुछ समय पहले डोकलाम में भी ऐसा हो चुका है। 2017 में डोकलाम को लेकर भारत-चीन के बीच काफ़ी विवाद हुआ था। जो 70-80 दिन चला था, फिर बातचीत से यह मसला सुलझा।  

मामला तब शुरू हुआ था जब भारत ने पठारी क्षेत्र डोकलाम में चीन के सड़क बनाने की कोशिश का विरोध किया।

वैसे तो डोकलाम चीन और भूटान के बीच का विवाद है। लेकिन सिक्किम बॉर्डर के नज़दीक ही पड़ता है और एक ट्राई-जंक्शन प्वाइंट है। जहां से चीन भी नज़दीक है। भूटान और चीन दोनों इस इलाक़े पर अपना दावा करते हैं और भारत भूटान के दावे का समर्थन करता है।