संपादकीय

भारत में अंतर-धार्मिक शादी के हंगामे पर विदेशी मीडिया की प्रतिक्रिया क्या है?

डिस्क्लेमर: भारत के ''मौजूदा क़ानून में 'लव जिहाद' शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है। किसी भी केंद्रीय एजेंसी की ओर से 'लव जिहाद' का कोई मामला सूचित नहीं किया गया है।''

रिपोर्ट की शुरुआत में इस तरह के डिस्क्लेमर का ख़ास संदर्भ है। कई राजनीतिक नेता इस शब्द का प्रयोग कर रहे हैं लेकिन ऊपर लिखा वाक्य भारत के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी की तरफ़ से चार फ़रवरी 2020 को लोकसभा में दिए गए एक तारांकित प्रश्न के जवाब का अंश है।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अंतर-धार्मिक विवाह के ख़िलाफ़ एक अध्यादेश को मंज़ूरी दे दी है। भारतीय जनता पार्टी की चार और राज्य सरकारें इसी तरह के अध्यादेश लाने की बात कर चुकी हैं।

भारत में इस मुद्दे पर ज़ोरों से बहस छिड़ी हुई है।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी इस कथित जबरन अंतर-धार्मिक शादी (जिसे बीजेपी लव जिहाद कहती है) के अध्यादेश के विरोध को अपने पन्नों पर जगह दी है।

सिंगापुर के स्ट्रैट टाइम्स अख़बार ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात को रेखांकित किया है कि ''लव जिहाद'' लाने की बात करने वाले पाँच राज्य वो हैं जहाँ बीजेपी की सरकारें हैं। अख़बार के अनुसार उत्तर प्रदेश में लाए गए अध्यादेश और दूसरे चार राज्यों में इस पर प्रस्ताव से ''लव जिहाद'' के मुद्दे को हवा मिलेगी।

अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में योगी आदित्यनाथ के बयानों को काफ़ी जगह दी है। 24 नवंबर 2020 को उत्तर प्रदेश में इस पर एक अध्यादेश को मंज़ूरी मिली है।

अख़बार ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के 31 अक्टूबर 2020 वाले एक बयान को प्रमुखता से छापा है। अख़बार ने लिखा है, ''योगी आदित्यनाथ, एक हिन्दू पुरोहित जो भारत के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, 31 अक्टूबर 2020 को एक चुनावी सभा में कहते हैं कि सरकार 'लव जिहाद' को रोकने के लिए एक फ़ैसला ले रही है। हम उन लोगों को वार्निंग देते हैं जो अपनी शिनाख़्त को छिपाते हैं और हमारी बहनों की बेइज़्ज़ती करते हैं। अगर आप बाज़ नहीं आए तो आपका अंतिम संस्कार जल्द होगा।''

'यूएस न्यूज़' नाम की अमेरिका की एक मीडिया आउटलेट ने लखनऊ डेटलाइन से ताज़ा अध्यादेश पर अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ''भारतीय राज्य ने विवाह के लिए 'जबरन' धर्म परिवर्तन को अपराध ठहराया।''

आलोचकों के हवाले से रिपोर्ट में लिखा गया है, ''आलोचक कहते हैं कि योगी की कैबिनेट ने जिस ग़ैर-क़ानूनी धर्म परिवर्तन वाले अध्यादेश को मंज़ूरी दी है उसका उद्देश्य भारत के 17 करोड़ मुसलमानों को मुख्यधारा से अलग करना है।''

अख़बार ने इस रिपोर्ट में तृणमूल कांग्रेस की सांसद नुसरत जहां के एक बयान को भी जगह दी है जिसमें उन्होंने कहा है कि ''लव जिहाद'' नाम की कोई चीज़ है ही नहीं और ये बीजेपी की केवल एक सियासी चाल है।

अल-जज़ीरा ने अपनी वेबसाइट पर इसे जगह दी है और पश्चिमी देशों के कई अख़बारों की वेबसाइट ने भी इस ख़बर को छापा है।

अधिकतर मीडिया आउटलेट भारत में इससे जुड़े मुद्दों को भी साझा कर रहे हैं। अल-जज़ीरा ने अक्टूबर 2020 में हुई उस घटना का हवाला दिया है जिसमें तनिष्क जेवेलरी स्टोर को वो विज्ञापन हटाना पड़ा था जिसमें एक हिन्दू बहू को उसके मुस्लिम पति के साथ दिखाया गया था।

फ़र्स्टपोस्ट वेबसाइट ने नेटफ्लिक्स में दिखाई जा रही मीरा नायर की फ़िल्म 'ऐ सूटेबल बॉय' में एक मंदिर के अंदर एक चुंबन दृश्य पर हुए विवाद को ''लव जिहाद'' के अध्यादेश से जोड़ते हुए भारत में बढ़ते असहिष्णुता पर रिपोर्टिंग की है।

इस किसिंग सीन में एक मुस्लिम युवा एक मंदिर के अंदर अपनी हिन्दू गर्लफ़्रेंड को चूमते हुए दिखाई देता है जिसके ख़िलाफ़ कुछ हिन्दू संस्थाओं ने पुलिस से शिकायत दर्ज की है। मध्य प्रदेश में नेटफ्लिक्स के कुछ अधिकारियों के ख़िलाफ़ एक एफ़आईआर दर्ज की जा चुकी है।

लव जिहाद क्या है?

हिन्दू राइट विंग संस्थाएं 'लव जिहाद' ऐसे प्रेम विवाह को कहती हैं जिसमें एक मुस्लिम मर्द एक हिन्दू औरत से शादी करके उसे इस्लाम धर्म अपनाने पर मजबूर करता है। अगर उल्टा हो यानी एक मुस्लिम औरत एक हिन्दू मर्द से शादी करे तो इस पर कुछ हिन्दू संस्थाएं ख़ामोश हैं तो कुछ संस्थाएं ऐसी शादियों का बढ़चढ़ कर समर्थन करती हैं।

भारत सरकार और निजी सामाजिक संस्थाओं के पास इन शादियों के आंकड़ें नहीं हैं लेकिन एक अनुमान के मुताबिक़ ऐसी शादियाँ तीन प्रतिशत से भी कम हैं।

सरकारी एजेंसियों की कई रिपोर्टों में हिन्दू औरत और मुस्लिम मर्द के बीच विवाह में 'जिहाद' के इल्ज़ाम ग़लत पाए गए हैं लेकिन इसके बावजूद बीजेपी की पाँच राज्य सरकारें इसे रोकने के लिए क़ानून का सहारा ले रही हैं।

इस शब्द का पहली बार इस्तेमाल कहाँ और कब हुआ? ये कहना मुश्किल है लेकिन 2009 के आसपास कर्नाटक और केरल में इस शब्द के इस्तेमाल की मिसाल मिलती हैं जहाँ के कुछ हिंदू और ईसाई संस्थानों को मुस्लिम मर्दों द्वारा हिन्दू या ईसाई महिलाओं को इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए धोखा देकर शादी करने की साज़िश का उल्लेख किया गया है।

भारत में अंतर-धार्मिक शादियाँ स्पेशल मैरिज एक्ट के अंतर्गत होती हैं जिसके लिए अदालत में शादी रजिस्टर करानी पड़ती है और इससे पहले अदालत एक महीने का नोटिस जारी करती है ताकि किसी को इस विवाह से आपत्ति हो तो अदालत को बता सकते हैं।

''लव जिहाद'' शब्द के प्रचलन से पहले सालों से दक्षिणपंथी हिन्दू संस्थाएं अदालत में ऐसी शादियों का विरोध करते आए थे जिसमें जोड़े को धमिकयां भी दी जाती थीं लेकिन ये इतना सार्वजनिक तरीक़े से नहीं किया जाता था।

"लव जिहाद" के ख़िलाफ़ मुहिम के अंतर्गत हिन्दू-मुस्लिम शादियों का खुल कर विरोध होना शुरू हो गया, ख़ास तौर से उत्तर प्रदेश में मानवाधिकार संस्थाओं और मीडिया ने इसे एक नागरिक के मौलिक अधिकारों पर प्रहार बताया है।

वायरस नहीं, भुखमरी से ज़्यादा मौतें होंगी: ऑक्सफ़ैम

चैरिटी संस्था ऑक्सफ़ैम ने चेतावनी दी है कि इस साल के अंत कर कोविड-19 से जुड़ी भुखमरी के कारण हर दिन 12 हज़ार लोगों की जान जा सकती है।

ये आँकड़ा शायद हर दिन बीमारी से मरने वालों की संख्या से ज़्यादा होगा।

ऑक्सफ़ैम का कहना है कि भुखमरी बढ़ने की कई वजहें हैं जिनमें बड़ी संख्या में बेरोज़गारी, लॉ़कडाउन के कारण खाद्यान्न उत्पादकों की परेशानी और सहायता देने में परेशानियाँ शामिल हैं।

अपनी रिपोर्ट में ऑक्सफ़ैम ने भुखमरी के जिन हॉटस्पॉट्स का ज़िक्र किया है, वे हैं- डीआर कांगो, अफ़ग़ानिस्तान, वेनेज़ुएला, पश्चिमी अफ़्रीकी साहेल, इथियोपिया, दक्षिणी सूडान, सीरिया, सूडान और हैती।

भारत सरकार का दावा: प्रति दस लाख आबादी पर सबसे कम मौतें

भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक कोरोना से पांच सबसे ज़्यादा प्रभावित देशों में भारत में प्रति दस लाख की जनसंख्या पर संक्रमण के सबसे कम मामले 538 हैं और मौतों की संख्या केवल 15 हैं। जबकि संक्रमण का वैश्विक औसत 1,453 है और मौतों का औसत 68.7 है।

हालांकि भारत में कोरोना का टेस्ट भी कम हुआ है। बीते सप्ताह भारत में कोरोना टेस्ट का आंकड़ा एक करोड़ के पार पहुंचा था। हालांकि गुरुवार की प्रेस कांफ्रेंस में इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च की सीनियर साइंटिस्ट निवेदिता गुप्ता ने बताया कि भारत में कोरोना टेस्ट के मामलों में वृद्धि हुई है और अब देश भर में रोज़ाना दो लाख 60 हज़ार टेस्ट हो रहे हैं।

निवेदिता गुप्ता के मुताबिक आने वाले दिनों में एंटीजन टेस्ट तकनीक के इस्तेमाल से और ज़्यादा टेस्ट किए जा सकेंगे।

वैसे भारत की आबादी 130 करोड़ से ज़्यादा है। यहां अब तक साढ़े सात लाख से ज़्यादा लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं जबकि मरने वाले लोगों की संख्या 21 हज़ार के पार हो चुकी है।

अमरीका में कोरोना संक्रमण की स्थिति फिर से गंभीर होती जा रही है: शीर्ष एक्सपर्ट

अमरीका में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार तेजी देखने को मिल रही है। इसको देखते हुए अमरीका के शीर्ष महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फ़ाउची ने कहा कि स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। अमरीका में कोरोना संक्रमण को लेकर ताजा अपडेट इस तरह से है -

अमरीका के कई राज्यों ने लॉकडाउन खोलने के विचार को आगे के लिए बढ़ा दिया है। इस सूची में ताज़ा नाम फ़्लोरिडा के ग्रेटर मियामी इलाक़े का जुड़ गया है। सोमवार को यहां के रेस्टोरेंट में इंडोर डाइनिंग बंद किया गया, साथ में जिम बंद करने का फ़ैसला लिया गया।

कैलिफ़ोर्निया, टैक्सास और फ़्लोरिडा अमरीका के उन दो दर्जन प्रांतों में शामिल हैं जहां पिछले कुछ दिनों में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं। कैलिफ़ोर्निया के अस्पतालों में बीते दो सप्ताह के दौरान कोरोना संक्रमितों की संख्या में 50 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी देखने को मिली है।

बाक़ी के राज्यों में भी इसी तरह संक्रमण बढ़ रहा है, अधिकारियों के मुताबिक कई इलाक़ों में अस्पतालों के बेड पूरी तरह भर चुके हैं।

अमरीका के शीर्ष महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फ़ाउची ने कहा कि देश भर में गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है और इस पर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है।

अमरीका की यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों ने कैंपस खोलने की योजना को भी टाल दिया है।

हार्वर्ड यूनिविर्सिटी ने कहा कि आगामी सेमेस्टर की क्लासेज ऑनलाइन होंगी और दूसरे संस्थान भी इसको फॉलो करने वाले हैं।

अमरीका में कोरोना संक्रमितों की संख्या 29 लाख से ज़्यादा हो चुकी है, जबकि एक लाख 30 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

सीबीएसई ने नौवीं से 12वीं कक्षा तक के सिलेबस कम किए

भारत में कोरोना संक्रमण को देखते हुए सीबीएसई ने छात्रों को राहत देते हुए नौवीं से 12वीं कक्षा तक के सिलेबस कम करने का एलान किया है।

सीबीएसई की ओर से जारी प्रेस बयान में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण से उपजी स्थितियों को देखते हुए यह फ़ैसला लिया गया है क्योंकि स्कूलों के बंद होने से क्लास रूम क्लासेज नहीं हो पा रही हैं।

इसके चलते बोर्ड ने 2020-21 के सत्र में नौवीं से 12वीं तक के सिलेबस को 30 फीसदी कम करने का फ़ैसला लिया है।

सिलेबस में से जो हिस्से कम किए जाएंगे उनसे इंटर्नल एस्सेमेंट और बोर्ड परीक्षा में सवाल नहीं पूछे जाएंगे।

कोरोना संक्रमण: रूस को पीछे छोड़ते हुए तीसरे नंबर पर पहुंचा भारत

भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में कोविड-19 संक्रमण के कुल 6,97,213 मामले हो गए हैं। इनमें से 2,53,287 मामले सक्रिय हैं। संक्रमण की वजह से अब तक कुल 19,693 लोगों की मौत हुई है।

जॉन्स हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से मरने वालों का आंकड़ा 5 लाख 35 हज़ार से भी ज़्यादा हो गया है। वहीं, दुनिया में संक्रमण के कुल 11,51,6,782 मामले हैं।

जॉन्स हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के अनुसार, भारत संक्रमण मामलों की कुल संख्या में रूस को पीछे छोड़ते हुए तीसरे नंबर पर पहुंच गया है।

दुनिया के 240 वैज्ञानिकों का दावा है कि कोरोना वायरस संक्रमण हवा के ज़रिए भी फैल सकता है। वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से इसे गंभीरता से लेने को कहा है।

संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण से जुड़ी एक संस्था का कहना है कि अगर इंसानों ने जानवरों को मारना बंद नहीं किया तो उसे कोरोना संक्रमण जैसी और भयानक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।

कोरोना महामारी को देखते हुए भारत सरकार ने फ़िल्म शूटिंग की मानक संचालन प्रक्रिया जल्द शुरू करने वाली है जिससे फ़िल्म निर्माण को तेज़ी के साथ फिर से शुरू किया जा सके।

भारत में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है, ''महामारी को देखते हुए भारत सरकार फ़िल्म शूटिंग की मानक संचालन प्रक्रिया जल्द जारी करने वाली है जिससे फ़िल्म निर्माण को तेज़ी के साथ फिर से शुरू किया जा सके जो कोविड की वजह से ठहर गया है। सरकार टीवी सीरियल, फ़िल्म मेकिंग, को​-प्रोडक्शन, एनिमेशन, गेमिंग समेत सभी प्रोडक्शन के कामों के लिए इंसेंटिव भी ला रही है। इनकी जल्द घोषणा की जाएगी।''

ओडिशा में कोरोना संक्रमण के कुल मामले दस हज़ार से अधिक हो गये हैं। ओडिशा में अब तक 42 लोगों की कोविड-19 से मौत हुई है।

सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फ़ोर्स (सीएपीएफ़) ने कहा है कि अब तक उनके पाँच हज़ार से ज़्यादा जवान कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और कुल 27 सीएपीएफ़ जवानों की कोविड-19 से मौत हुई है।

कर्नाटक सरकार ने कहा है कि अब तक ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है जिसके आधार पर कहा जा सके कि प्रदेश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है।

महाराष्ट्र के सतारा ज़िले की पुलिस ने एक सीसीटीवी फ़ुटेज जारी किया है जिसमें कुछ चोर पीपीई किट पहनकर चोरी करते हुए दिखाई दे रहे हैं। पुलिस के अनुसार, ''चोरों ने सुनार की दुकान का ताला तोड़ा और क़रीब 780 ग्राम सोना लेकर फरार हो गए।''

मेघालय सरकार के अधिकारियों ने बताया है कि इलाज के लिए क़रीब 400 किलोमीटर की यात्रा करके अरुणाचल प्रदेश से मेघालय लाए गए 8 महीने के बच्चे की मौत हो गई है। कोविड टेस्ट पॉज़िटिव पाये जाने के कुछ ही घंटों बाद ही बच्चे की मौत हो गई।

क्या भारत-चीन वार्ता से बॉर्डर पर शांति स्थापित हो जाएगी?

भारत और चीन के बीच गलवानी घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों तरफ से शांति बहाल करने की कोशिशों के बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच रविवार को टेलिफ़ोन पर बातचीत हुई।

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बातचीत का ब्यौरा भारत स्थित चीनी दूतावास ने बयान जारी दिया है।

भारत में चीनी राजदूत सुन वायडोंग ने अपने बयान में दोनों विशेष प्रतिनिधियों के आपस में बातचीत का ब्यौरा दिया है। उन्होंने कहा है कि चीनी विदेश मंत्री ने अजीत डोभाल को बताया कि भारत और चीन के आपसी रिश्ते 70 साल पुराने हैं।

चीनी विदेश मंत्री के मुताबिक़ भारत और चीन के बीच वेस्टर्न सेक्टर सीमा के गलवान घाटी में जो कुछ हुआ है, उसमें सही क्या है और ग़लत क्या हुआ है - ये स्पष्ट है।

चीनी विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि चीन अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के साथ-साथ इलाके में शांति भी बहाल करना चाहता है।

वांग यी ने अपनी बातचीत में इस बात पर भी ज़ोर दिया कि चीन और भारत दोनों की शीर्ष प्राथमिकता विकास है, ऐसे में दोनों देशों को तनाव कम करने पर ध्यान देना चाहिए।

चीनी राजदूत के मुताबिक़ दोनों प्रतिनिधियों के बीच विस्तार से बातचीत हुई। इस बातचीत में मोटे तौर पर चार बातों पर सहमति बनी है -

- दोनों देश के शीर्ष नेताओं के बीच बनी सहमति को लागू किया जाएगा। दोनों नेताओं के बीच सीमावर्ती इलाकों में शांति के साथ विकास के लिए लंबे समय तक साथ काम करने की सहमति है।

- दोनों देश आपसी समझौते के मुताबिक सीमा पर तनातनी को कम करने के लिए संयुक्त रूप से कोशिश करेंगे।

- विशेष प्रतिनिधियों के बीच होने वाली बातचीत के ज़रिए दोनों पक्ष आपसी संवाद को बेहतर बनाएंगे। भारत चीन के बीच सीमा मामलों में सलाह और संयोजन के लिए वर्किंग मैकेनिज्म की व्यवस्था को नियमित करके उसे बेहतर बनाया जाएगा। इससे दोनों पक्षों के बीच भरोसा मज़बूत होगा।

दोनों पक्ष ने हाल में हुई कमांडर स्तर की बैठक में जिन बातों पर सहमति जताई गई है, उसका स्वागत किया है। पहली जुलाई को कमांडर स्तर की बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा पर तनातनी को कम करने पर सहमति जताई थी।

इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया था कि भारत और चीन के बीच वेस्टर्न सेक्टर की सीमा पर हाल की गतिविधियों को लेकर डोभाल और वांग यी के बीच स्पष्ट और विस्तार से बात हुई है।

दोनों पक्षों में इस बात पर सहमति जताई गई है कि द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए दोनों देशों को सीमा पर शांति बहाल करनी होगी और मतभेदों को विवाद का रूप लेने से रोकना होगा।

इस दिशा में दोनों पक्ष सीमा पर तनातनी कम करने की प्रक्रिया पर काम कर चुके हैं, यानी अब वैसी स्थिति नहीं है जैसी कि दोनों पक्षों के सैनिकों के आमने सामने आ जाने से उत्पन्न हो गई थी। दोनों पक्षों ने इसे चरणबद्ध तरीके से कदम दर कदम करने पर सहमति जताई है।

बयान में ये भी कहा गया है कि दोनों विशेष प्रतिनिधियों की इस बातचीत में दोनों देशों के सैन्य और राजनयिक अधिकारियों के बीच भी बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई गई है।

इसके अलावा डोभाल और वांग यी के बीच आपसी बातचीत को नियमित रखने पर भी सहमति बनी है।

वहीं समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने सोमवार को बीजिंग में पत्रकारों से कहा, ''दोनों पक्षों में सीमा पर तनातनी कम करने को लेकर साकारात्मक प्रगति हुई है।''

लिजियान ने उम्मीद जताई है कि भारतीय पक्ष चीन के साथ मिलकर उन बातों को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाएगा जिन बातों को लेकर आपसी सहमति बन गई है।

भारत-चीन सीमा विवाद पर नज़र रख रहे अधिकारियों ने बीबीसी को बताया है कि सीमा पर तनातनी को कम करने की प्रक्रिया सोमवार सुबह से शुरू हो गई है।

अधिकारियों ने बताया कि यह काम तीन जगहों पर चल रहा है, ये जगहें हैं - गलवान, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स। बीबीसी को जानकारी देने वाले अधिकारी ने स्पष्ट किया कि वे देपसांग या पैंगोंग त्सो झील की बात नहीं कर रहे हैं।

एक अन्य अधिकारी ने बताया, "तंबू और अस्थायी ढांचे दोनों तरफ़ से हटाए जा रहे हैं और सैनिक पीछे हट रहे हैं। लेकिन इसका मतलब वापसी या प्रकरण का अंत नहीं है।''

भारतीय अधिकारियों ने बताया कि इन गतिविधियों की लगातार निगरानी की जा रही है जिसके लिए सैटेलाइट तस्वीरों और ऊँचे प्लेटफॉर्म्स की मदद ली जा रही है।

कई मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि चीनी सैनिक कितने पीछे हटे हैं, इस सवाल के जवाब में अधिकारी ने कोई दूरी बताने से इनकार किया।

उन्होंने इतना ही कहा, ''यह उस प्रक्रिया की शुरूआत है जो 30 जून को चुसुल में हुई दोनों पक्षों के कमांडरों की बैठक के बाद तय की गई थी।''

हालांकि मीडिया में आ रही रिपोर्ट्स के अनुसार गलवान में जहां पर हिंसा हुई थी चीनी सैनिक वहां से दो किलोमीटर पीछे की ओर जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि बीते 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी।

इसके बाद बीते एक जुलाई को दोनों देशों की सेनाओं के बीच कमांडर स्तर की बातचीत हुई और उस बातचीत में भी भारत-चीन एलएसी पर तनातनी को कम करने पर सहमति जताई गई थी।

इसके बाद सप्ताह भर पहले भारत सरकार ने 59 ऐसे मोबाइल ऐप्स बंद करने की घोषणा की जिनमें जाने माने सोशल प्लेटफ़ॉर्म टिकटॉक, वीचैट अली बाबा ग्रुप का यूसी ब्राउज़र भी शामिल थे।

हालांकि भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने चीन का नाम नहीं लिया लेकिन स्पष्ट कहा कि शिकायत मिली थी कि एंड्रॉयड और आईओएस पर ये ऐप्स लोगों के निजी डेटा में भी सेंध लगा रहे थे। इन ऐप्स पर पाबंदी से भारत के मोबाइल और इंटरनेट उपभोक्ता सुरक्षित होंगे। यह भारत की सुरक्षा, अखंडता और संप्रभुता के लिए ज़रूरी है।

रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हैदराबाद, तेलंगाना में मीडिया को संबोधित किया

रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हैदराबाद, तेलंगाना में मीडिया को संबोधित किया 

जनता तेल की बढ़ती कीमतों से त्रस्त, मोदी जुमलेबाजी में व्यस्त

गिरता रुपया, महंगा तेल मोदी के भाषण फेल। पेट्रोल 80 रुपया के पार, डीजल लगभग 72 रुपया के पार, और रुपया भी 72 के पार और भारत की जनता पर रोज हो रहा वार। जनता पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से त्रस्त और मोदी जी जुमलेबाजी में व्यस्त।

सबसे पहले, मोदी सरकार ने साढ़े चार साल में, पेट्रोल और डीजल पर टैक्स लगाकर 11 लाख करोड़ रुपया कमाया, देशवासियों को कहा गया कि ये कुर्बानी आप राष्ट्रहित में दे रहे हैं। देश के हित में ये 11 लाख करोड़ रुपया का अतिरिक्त टैक्स का भार जो आम जनमानस की जेब पर डाका डाल कर और आम जनमानस का बजट बिगाड़ कर, डीजल, पेट्रोल और गैस की कीमतें बढ़ा कर डाला जा रहा है, ये किसलिए है, पर वो 11 लाख करोड़ रूपया किसकी जेब में गया? इसका जबाव आज तक मोदी जी नहीं दे पाए।

16 मई, 2014 में कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें 106.24 यूएस डॉलर प्रति बैरल थी जो अब घटकर 73 से 77 यूएस डॉलर प्रति बैरल हो गई है। इसके बावजूद पेट्रोल की कीमत थी 71 रुपया 41 पैसे दिल्ली में, बाकी शहरों में और ज्यादा थी। आज वो कीमत है 79 रुपया 51 पैसे यानी बहुत सस्ते कच्चे तेल के बावजूद पेट्रोल 8 रुपया महंगा।

सवा चार- साढ़े चार साल में मोदी सरकार ने डीजल की कीमत बढ़ाई है, 16 मई, 2014 को डीजल 55 रुपया 49 पैसे, जबकि आज वो कीमत है 71 रुपया 55 पैसे प्रति लीटर यानी 16 रुपया प्रति लीटर कीमत डीजल में बढ़ा दी।

लगभग 8 रुपए पेट्रोल में और 16 रुपया डीजल की कीमतों में साढ़े चार साल में इजाफा हुआ है। इतना भारी इजाफा मोदी कर चुके, ये पैसा कहां गया? क्या इसका जवाब देंगे?

तीसरी बात, मई, 2014 से पेट्रोल की एक्साईज में 211 प्रतिशत इजाफा मोदी सरकार ने किया जो सीधा भारत की सरकार के खजाने में जाता है। मई, 2014 में एक्साईज ड्यूटी का पैसा था 9 रुपया 20 पैसे प्रति लीटर, आज ये पैसा बढ़कर है, एक्साईज एक्साईज ड्यूटी का 19 रुपया 48 पैसे प्रति लीटर, डीजल पर और ज्यादा मार की गई। डीजल पर भारत सरकार के द्वारा लगाया जाने वाला एक्साईज ड्यूटी मई, 2014 के बाद 444 प्रतिशत मोदी सरकार बढ़ा चुकी है। 3 रुपया 46 पैसे, मई 2014 में, डीजल पर एक्साईज ड्यूटी थी, जो आज बढ़कर 15 रुपया 33 पैसे प्रति लीटर हो गई है। सेन्ट्रल एक्साईज ड्यूटी 12 बार बढ़ी दी गई, 11 लाख करोड़ रुपया, देश की जनता की गाढ़ी कमाई से, उनका बजट बिगाड कर डीजल, पेट्रोल और गैस का निकाल लिया गया। इसके लिए कौन जिम्मेवार है?

एनआरसी का असर अन्य राज्यों पर भी पड़ना तय है

एनआरसी में कुल 3,29,91,384 आवेदकों में से अंतिम मसौदे में शामिल किए जाने के लिए 2,89,83,677 लोगों को योग्य पाया गया है। इस दस्तावेज में 40.07 लाख आवेदकों को जगह नहीं मिली है। यह 'ऐतिहासिक दस्तावेज' असम का निवासी होने का प्रमाण पत्र होगा।

बता दें कि 1951 के बाद से भारत में पहली बार अवैध प्रवासियों को रोकने के लिए इस तरह का कोई लिस्ट जारी किया गया है। माना जा रहा है कि इस लिस्ट के जारी होने के बाद बांगलादेश से हो रहे अवैध प्रवास को रोकने में मदद मिलेगी। इस लिस्ट में 25 मार्च 1971 से पहले से रह रहे लोगों को ही असम का नागरिक माना गया है।

लेकिन एनआरसी पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष ने इस पर कई गंभीर सवाल उठाये हैं और 40 लाख लोगों को इस लिस्ट से निकाले जाने पर इसकी कड़ी आलोचना की है। इन 40 लाख लोगों में सबसे बड़ी संख्या बंगाल के निवासियों की है। दूसरे नंबर पर बिहार, तीसरे पर चंडीगढ़, चौथे पर मणिपुर और पांचवें पर मेघालय के उन निवासियों की है जो चाय बागान में काम करने के दौरान असम में बस गए थे। और भी चौंकाने वाले खुलासे हुए है जिसे सुनकर ताज्जुब होता है। असम के एनआरसी लिस्ट में बाप का नाम है तो बेटा का नहीं, पति का नाम है तो पत्नी का। इसे आप क्या कहेंगे? गंभीर भ्रष्टाचार या गंभीर अनियमितता या गहरी साजिश!

भारत एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है। भारत राज्यों का संघ है। भारत में संघवाद है। जिस तरह से असम के एनआरसी लिस्ट से दूसरे राज्यों के निवासियों को निकाला गया है। यह भारतीय संघवाद पर हमला है और निश्चित तौर पर इसके गंभीर परिणाम होंगे। इसका असर अन्य राज्यों पर भी पड़ना तय है।