असम एनकाउंटर को फर्जी बताने वाले सीआरपीएफ आईजी का ट्रांसफर
सेना, सीआरपीएफ, एसएसबी और असम पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाने वाले सीआरपीएफ आईजी रजनीश राय का तबादला कर दिया गया है। राय ने कहा था कि इस साल मार्च में टीम ने फर्जी एनकाउंटर में दो लोगों की हत्या कर दी थी।
राय को तत्काल प्रभाव से उत्तर-पूर्व से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। उन्हें आंध्र प्रदेश के चित्तूर में कांउटर इनसर्जेंसी एंड एंटी टेररिज्म (CIAT) स्कूल ज्वाइन करने को कहा गया था।
राय सीआरपीएफ के उत्तर-पूर्व आईजी के पद पर तैनात थे। राय का ट्रांसफर ऐसे वक्त में किया गया है जब गृह मंत्रालय ने उनके आरोपों की जांच करने का फैसला किया है।
राय का दावा है कि 10 मार्च, 2017 को चिरंग जिले में सेना, असम पुलिस, सीआरपीएफ और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) द्वारा किया गया एनकाउंटर फर्जी था। राय ने दिल्ली स्थित मुख्यालय को यह जानकारी अपनी रिपोर्ट में दी है।
उनके मुताबिक, एनकाउंटर करने के लिए दो लोगों को मारकर उनके शवों पर हथियार प्लांट किए गए थे जिससे कि यह लगे कि कथित आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर हमला किया था। एनकाउंटर में मारे गए दो लोगों के नाम लूकस नार्जेरी और डेविड इस्लेरी था।
मामले में सिर्फ राय के ट्रांसफर पर ही नहीं, उसकी प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। सोमवार को सीआरपीएफ हेडक्वार्टर्स ने गुवाहाटी में अपनी डी आई जी को पत्र भेजकर बताया कि आईपीएस अधिकारी डी प्रकाश, जिन्होंने डेप्युटेशन के पहले दिन ही फोर्स ज्वाइन की, मंगलवार को राजधानी पहुंचेंगे और उनके ठहरने और गाड़ी का इंतजाम किया जाए। प्रकाश के गुवाहाटी पहुंचने के बाद, राय को ट्रांसफर ऑर्डर्स मिले, जिसपर 12 जून, 2017 (सोमवार) की तारीख थी।
इस आदेश में कहा गया कि प्रकाश को असल में आईजी (संचार एवं सूचना क्रांति) नियुक्त किया गया था, लेकिन वे राय के पद का अतिरिक्त चार्ज भी संभालेंगे। प्रकाश के गुवाहाटी जाने और राय के ट्रांसफर के आदेश एक ही तारीख को जारी किए गए।
राय के अनुसार, दोनों का एनकाउंटर करने के लिए उन्हें डी-कलिंग नाम के एक गांव के घर से उठाया गया था उन्हें फर्जी एनकाउंटर में सिमलागुरी गांव में मार दिया गया था। लूकस और डेविड, दोनों को नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी (एस)) नाम के संगठन का आतंकी होने का दावा किया गया था।
वहीं राय का यह दावा भी है इस मामले से जुड़े चश्मदीद उसके हिरासत में सुरक्षित हैं। उनके मुताबिक, इन चश्मदीदों ने ही शवों की पहचान की थी।