क्या Covaxin कोरोना वायरस से बचाव करने में सक्षम है?
भारत में Covaxin नाम की कोरोना की वैक्सीन बना रही कंपनी भारत बायोटेक ने कहा है कि इस वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के दौरान व्यक्ति को दो डोज़ दिए जाते हैं जो 28 दिनों बाद यानी लगभग एक महीने के अंतराल पर दिए जाते हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार कंपनी ने कहा है कि दूसरा डोज़ दिए जाने के 14 दिनों के बाद ही वैक्सीन के असर के बारे में पता लगाया जा सकता है। इस वैक्सीन को इस तरह से बनाया गया है कि ये उन लोगों पर प्रभावी होती है जो इसकी दो डोज़ लेते हैं।
वैक्सीन के तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के बारे में कंपनी ने कहा है कि तीसरे चरण के ट्रायल में 50 फीसदी लोगों को वैक्सीन दी जाती है जबकि अन्य 50 फीसदी को प्लेसबो दिया जाता है।
प्लेसबो ख़ास तरह की दवा होती है जो शरीर पर किसी तरह का प्रभाव नहीं डालती। डॉक्टर इसका इस्तेमाल ये जानने के लिए करते हैं कि व्यक्ति पर दवा लेने का कितना और कैसा मानसिक असर पड़ता है।
इससे पहले हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने अपना कोरोना टेस्ट पॉज़ीटिव आने की जानकारी दी थी।
20 नवंबर 2020 को उन्होंने Covaxin का टीका लगवाकर वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल की शुरुआत की थी।
भारत के प्रान्त हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री ने 20 नवंबर 2020 को कोरोना वायरस से बचाव के लिए टीका लगवाया था। स्वास्थ्य मंत्री टीका लगवाने के बावजूद कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए है।
हरियाणा सरकार में कैबिनेट स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का कोरोना टेस्ट पॉज़ीटिव आया है। अनिल विज ने ट्विटर पर यह जानकारी दी।
उन्होंने ट्वीटर लिखा है, ''मेरा कोरोना टेस्ट पॉज़ीटिव आया है। मैं अंबाला कैंट के सिविल अस्पताल में भर्ती हूं। बीते दिनों जो भी लोग मेरे संपर्क में आए, उन्हें सलाह है कि वे भी अपनी कोरोना जांच करा लें।''
इससे पहले 20 नवंबर 2020 को उन्होंने अंबाला के एक अस्पताल में Covaxin का टीका लगवाकर वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल की शुरुआत की थी।