बिहार में 900 करोड़ के सृजन घोटाले में ग‍िरफ्तार नाज‍िर की जेल में मौत या हत्या !

मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले की तर्ज पर ही बिहार के एनजीओ सृजन घोटाले में आरोपी की भी मौत होनी शुरू हो गई है। कल्याण विभाग के गिरफ्तार नाजिर महेश मंडल की रविवार (20 अगस्त) की आधी रात जेल में ही मौत हो गई। भागलपुर के एसएसपी मनोज कुमार ने इसकी पुष्टि की है।

फिलहाल उसकी मौत की क्या वजह है? इसका खुलासा नहीं हो सका है। लिहाजा, तरह-तरह की शंका जाहिर की जा रही है। सृजन घोटाले में अब तक 18 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें से 11 सरकारी अधिकारी और कर्मचारी हैं, जबकि 4 लोग सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के और 3 बैंककर्मी हैं।

पुलिस की एसआईटी ने जिस दिन आरोपी महेश मंडल को उसके गांव के आलीशान एयरकंडीशन्ड कोठी से गिरफ्तार किया था, उसी वक्त से उसकी तबियत बिगड़ने लगी थी।

हालांकि, पुलिस ने एक निजी क्लिनिक में दूसरे ही दिन पुलिस सुरक्षा में महेश मंडल का डायलिसिस कराया था। उसके बाद पुलिस ने दो दिनों तक गहन पूछताछ की थी।

सूत्र बताते हैं कि मंडल के बयान के आधार पर ही कल्याण अधिकारी अरुण कुमार गुप्ता को एसआईटी ने दबोचा था। बाद में इन दोनों ने पुलिस और आर्थिक अपराध शाखा की टीम को कई बड़े-बड़े अधिकारियों और हाई प्रोफाइल लोगों के नाम बताए थे।

हालांकि, महेश मंडल को जेल भेजते वक्त उसकी हालत ठीक थी। एसएसपी कहते हैं कि उन्हें पहले से गंभीर बीमारी थी और साल में तीन बार उन्हें डायलिसिस की जरूरत पड़ती थी। जेल में आधी रात को अचानक उनकी तबियत ज्यादा बिगड़ी और मौत हो गई।

हो सकता है कि मंडल की मौत बीमारी की वजह से हुई हो, मगर पुलिस की बात को लोग रची हुई कहानी बता रहे हैं। लोगों को पुलिस की दलील पर यकीन नहीं हो रहा। महेश मंडल के परिजन मानते हैं कि वे कई गंभीर रोग से पीड़ित थे। बावजूद इसके उनका शक पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही दूर हो सकेगा।

बता दें कि सृजन महिला विकास सहयोग समिति ने सरकारी विभाग और दो बैंकों के कर्मचारियों-अधिकारियों की सांठगांठ से फर्जीवाड़ा कर 884 करोड़ रुपए का चूना सरकारी खाते को लगाया है। घोटाले की इस रकम में और इजाफा होने से इनकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि अभी दूसरे विभागों में भी पटना से आई वित्त विभाग की टीम रात-दिन ऑडिट करने में जुटी है। एनजीओ सृजन के तार झारखंड के रांची से भी जुड़े हैं। सृजन की संस्थापक मनोरमा देवी और उसकी पुत्रवधू प्रिया कुमार का मायका रांची ही है।

फिलहाल प्रिया ही सृजन की सचिव हैं और फरार हैं। उसके पिता कांग्रेसी नेता हैं, इसलिए कांग्रेस से भी इनके मधुर रिश्ते रहे हैं। रांची के एक बड़े कांग्रेसी नेता जो केंद्र में मंत्री भी रहे हैं, वे भी सृजन के जलसे में शिरकत करते रहे हैं।

मनोरमा देवी के पति अवधेश कुमार रांची में वैज्ञानिक की नौकरी करते थे। वे भागलपुर के गोसाई गांव के थे। इनके निधन के बाद मनोरमा अपने बच्चों के साथ भागलपुर आ गई थी और सबौर में एक किराए के मकान में रहने लगी। यह 1992-1993 की बात है।

बताते हैं कि इसी दौरान मनोरमा ने भागलपुर की एक फर्म से दो सिलाई मशीन किश्तों पर लिया था। इस फर्म के सेल्समैन एनवी राजू थे। बताते हैं कि आज सृजन की कृपा से एनवी राजू की हैसियत करोड़ों की है। टीवी और फ्रीज के कई शोरूम हैं।

इसी तरह विपिन शर्मा का नाम सृजन के दुर्जन की सूची में मिला है। इनकी भी कहानी रंक से राजा की है। सृजन से फायदा लेने वालों की लंबी फेहरिस्त है। सृजन की सचिव प्रिया कुमार और उसके पति अमित कुमार फरार हैं। पुलिस को उनके मोबाइल का लोकेशन रांची में मिला है। एसएसपी के मुताबिक,  इनको तलाशने पुलिस टीम रांची गई है। इनकी गिरफ्तारी के बाद बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।

2008 में भागलपुर में पदस्थापित जिलाधिकारी विपीन कुमार ने सरकारी धन का सृजन के खातों में हस्तान्तरण देखकर हैरत जताई थी और फौरन इस काम को रोकने की हिदायत दी थी। मगर उनके तबादले के बाद यह खेल फिर से शुरू हो गया। बल्कि यों कहें कि तेजी पकड़ा। विपीन कुमार फिलहाल दिल्ली में बिहार भवन के आयुक्त हैं।

बहरहाल, नाजिर महेश मंडल की मौत पर कई तरह की चर्चा है। व्यापम की तर्ज पर कहीं मौतों / हत्याओं का सिलसिला सृजन में भी न हो। ऐसे खतरे का अंदेशा महेश मंडल की मौत से लगाया जा रहा है।