अमेरिकी थिंक टैंक ने कहा, वर्ल्‍ड बैंक की सर्वे के गलत तरीके के चलते भारत की रैंकिंग में बड़ी उछाल दिखी

पिछले साल विश्व बैंक की ओर से जारी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत की रैंकिंग में उछाल मिलने पर मोदी सरकार ने सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक मंचों पर इसे खूब भुनाया था, अब अमेरिकी थिंक टैंक ने इस रिपोर्ट पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फार ग्लोबल डेवलपमेंट ने विश्व बैंक की वह रिपोर्ट खारिज कर दी है, जिसमें ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत को जर्बदस्त उछाल मिली थी। संस्था ने विश्व बैंक की रिपोर्ट को भ्रामक करार देते हुए सर्वे के तरीकों पर सवाल उठाए हैं। सेंटर फार ग्लोबल डेवलपमेंट ने कहा है कि विश्व बैंक की रिपोर्ट ने गलत प्रचार किया।

अमेरिकी थिंक टैंक ने विश्व बैंक की रिपोर्ट की क्रास चेकिंग करते हुए अपनी वेबसाइट पर ब्लॉग के जरिए इसके बारे में जानकारी प्रकाशित की है। विश्व बैंक की रिपोर्ट पर पहले भी घमासान मच चुका है, जब इसके मुख्य अर्थशास्त्री पॉल रोमर ने राजनीतिक स्तर से रैंकिंग में छेड़छाड़ की बात कहते हुए जनवरी में इस्तीफा दे दिया था। हालांकि विश्व बैंक ने बचाव में यह कहा था कि पिछले चार साल की रैंकिंग की फिर से जांच होगी। विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग रैंकिंग पर सवाल उठाने वाली यह संस्था वैश्विक स्तर पर गरीबी और असमानता से जुड़े मुद्दों पर व्यापक अध्ययन के लिए जानी जाती है।

सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट ने कहा है कि 2014 के बाद विश्व बैंक ने रैंकिंग तय करने के पैरामीटर चेंज कर दिए। नए पैरामीटर के हिसाब से भले ही भारत की रैंकिंग अच्छी दिखती है, मगर हकीकत इससे उलट है। संस्था ने आरोप लगाया कि विश्व बैंक ने अपनी वेबसाइट पर भ्रामक हेडिंग लगाकर संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसने ईज ऑफ डूूइंग में भारत की नकली उछाल का प्रचार किया।

जब रिपोर्ट पर विवाद हुआ तो वर्ल्ड बैंक की ओर से सफाई देने की कोशिश भले हुई, मगर उन सब पर वो हैडलाइन भारी पड़ी। सेंटर फार ग्लोबल डेवलपमेंट ने विश्व बैंक की मेथेडोलॉजी ( प्रणाली ) में परिवर्तन से भारत की रैंकिंग में हुए फर्क के बाबत कहा, ''भारत ने पुरानी पद्धति से 2014 में 81.25 और नई पद्धति से 65 अंक अर्जित किया। इस नाते हमने हर वर्ष 1.25 (= 81.25 / 65) के हिसाब से गुणा करके रैंकिंग निकाली। कंसिस्टेंट मेथेडोलॉजी एंड फिक्स्ड सैंपल ऑफ कंट्रीज के तरीके से जब जांच हुई तो पता चला कि भारत की रैंकिंग में 2017 से 2018 के मुकाबले सिर्फ सात अंक का उछाल आया है। यानी भारत 141 से 134 पर पहुंचा है। जबकि विश्व बैंक ने आधिकारिक रूप से भारत की रैंकिंग 130 से 100 पर पहुंचनी दिखाई है।''

पिछले साल अक्टूबर 2017 में विश्व बैंक ने भारत को 100 रैंकिंग दी थी। सालाना रिपोर्ट ''डूइंग बिजनेस 2018: रिफार्मिंग टू क्रिएट जॉब्स'' में विश्व बैंक ने कहा था कि भारत की रैंकिंग 2003 से अपनाये गये 37 सुधारों में से करीब आधे का पिछले चार साल में किये गये क्रियान्वयन को प्रतिबिंबित करता है। कारोबार सुगमता के 10 संकेतकों में से आठ में सुधारों को क्रियान्वित किया गया। इसको लेकर भारत को पहली बार शीर्ष 100 देशों में जगह मिली। जबकि 2017 में भारत को 190 देशों की सूची में 130 वें स्थान पर रखा था। 100 वीं रैंक मिलने के बाद मोदी सरकार ने इसको लेकर काफी प्रचार भी किया। हाल में दावोस के दौरे के दौरान भी मोदी ने विश्व बैंक की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि धरती का सबसे बड़ा लोकतंत्र अब सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।