शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन पर आपत्ति जताने वाले फ़ैसले क़ानून की नज़र में ठीक नहीं थे: इलाहाबाद हाई कोर्ट
भारत में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि देश के नागरिकों को अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने का संवैधानिक अधिकार है चाहे वो किसी भी जाति, धर्म या पंथ से हो।
इंग्लिश डेली न्यूज़ पेपर हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन पर आपत्ति जताने वाले पिछले दो फ़ैसले क़ानून की नज़र में ठीक नहीं थे।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस पंकज नक़वी और विवेक अग्रवाल की दो जजों की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ज़िले के रहने वाले सलामत अंसारी और उनकी पत्नी प्रियंका खरवार उर्फ़ आलिया की याचिका पर सुनवाई के दौरान ये कहा।
प्रियंका ने अपना धर्म परिवर्तन किया था और उनके पिता ने पुलिस में इस बाबत शिकायत की थी। पुलिस की कार्रवाई को निरस्त करने के लिए पति-पत्नी दोनों ने अदालत की शरण ली।
हिंदुस्तान टाइम्स लिखता है कि यह फ़ैसला अदालत ने 11 नवंबर 2020 को ही दे दिया था लेकिन इसे सार्वजनिक 23 नवंबर 2020 को किया गया है।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार अब जबकि उत्तर प्रदेश सरकार शादी के लिए धर्म परिवर्तन से जुड़ा एक क़ानून बनाने की योजना पर काम कर रही थी तो हाई कोर्ट का यह फ़ैसला उसके लिए समस्या पैदा कर सकता है।