मोदी के दौरे पर बांग्लादेश में हुई हिंसा पर बांग्लादेश के गृह मंत्री ने क्या कहा?

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों में हुई हिंसा पर बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज़्ज़मां ख़ान ने नाराज़गी जताई है और कहा है कि ''कुछ समूह धार्मिक उन्माद फैला रहे हैं और सरकारी संपत्ति और लोगों की जान का नुक़सान कर रहे हैं।''

उन्होंने रविवार, 28 मार्च 2021 को कहा कि हिंसा तुरंत रोकी जाए नहीं तो सरकार को कड़े क़दम उठाने होंगे।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के ख़िलाफ़ ब्राह्मणबरिया में रविवार, 28 मार्च 2021 को लगातार तीसरे दिन झड़पें हुईं।

हिंसक प्रदर्शनों में अब तक कम से कम 12 लोगों की मौत हुई है।  

बांग्लादेश के गृह मंत्री ने कहा, ''पिछले तीन दिनों से कुछ उपद्रवी लोग और समूह धार्मिक उन्माद के चलते कुछ इलाक़ों में सरकारी संपत्ति को नुक़सान पहुंचा रहे हैं।''

प्रदर्शनों में शामिल लोगों ने कथित तौर पर उपज़िला परिषद, थाना भवन, सरकारी भूमि कार्यालय, पुलिस चौकी, रेलवे स्टेशन, राजनीतिक हस्तियों के घर और प्रेस क्लब को नुक़सान पहुंचाया है।

उन्होंने कहा, ''हम सबंधित लोगों से इस तरह के नुक़सान और किसी भी तरह की अव्यवस्था को रोकने के लिए कह रहे हैं। नहीं तो सरकार लोगों की ज़िंदगियों और संपत्ति को बचाने के लिए कड़े क़दम उठाएगी।''

कट्टरपंथी इस्लामी संगठन 'हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम' भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के ख़िलाफ़ हुए कई प्रदर्शनों के बाद रविवार, 28 मार्च 2021 को हड़ताल पर चला गया।

हड़ताल की वजह से कई जगहों पर नाकेबंदी और झड़पें हुईं, लेकिन सबसे ज़्यादा हिंसा ब्राह्मणबरिया में हुई।

बांग्लादेश के गृह मंत्री ने कहा, ''कुछ स्वार्थी लोग अनाथ बच्चों को सड़कों पर ला रहे हैं, और उन्हें परेशान कर रहे हैं।''

उन्होंने साथ ही कहा कि सोशल मीडिया पर अफ़वाहें और फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाकर तनाव का माहौल बनाया जा रहा है।

बांग्लादेश के गृह मंत्री ने कहा, ''हमें लगता है कि ये देश के ख़िलाफ़ जा रहा है। हम आपसे इसे रोकने के लिए कह रहे हैं, नहीं तो हम क़ानून के मुताबिक़ कार्रवाई करेंगे।''

उन्होंने कहा कि सरकार ये सुनिश्चित करने के लिए क़दम उठाएगी कि जो इस सब से प्रभावित हुए हैं उन्हें और परेशानी ना हो।

उन्होंने कहा कि तीन दिन तक क़ानूनी एजेंसियों ने बहुत संयम दिखाया।  

हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम ने हिंसा की ज़िम्मेदारी से इनकार किया

कट्टरपंथी इस्लामी संगठन 'हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम' ने हाल की हिंसा में उसके समर्थकों पर लगाए गए आरोपों का खंडन किया है।

हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम ने एक बयान में कहा कि प्रदर्शनकारियों पर सरकार के लोगों और पुलिस ने हमला किया था।

हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम के संयुक्त महासचिव, नसीरुद्दीन मुनीर ने बीबीसी से कहा कि सरकारी इमारतों पर हमले के लिए उनके समर्थकों पर आरोप लगाना सही नहीं है।

उन्होंने कहा, ''बैतूल मुकर्रम में शुक्रवार, 26 मार्च 2021 को हिंसा हुई थी। ख़बर ऑनलाइन फैलने के बाद हमारे मदरसे के कई छात्रों में गुस्सा था।''

उन्होंने कहा, ''जुमे की नमाज़ के एक घंटे बाद छात्रों ने शांतिपूर्ण मार्च शुरू किया। जब पुलिस स्टेशन के नज़दीक से निकले तो, कुछ लड़के, जो मदरसे के छात्र नहीं थे, वो उपद्रवी लोग मार्च में शामिल हो गए। वो पुलिस स्टेशन पर ईंटें फेंक रहे थे। पुलिस की तरफ से गोलियां बरसा दी गईं।''

हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम के संयुक्त महासचिव, नसीरुद्दीन मुनीर ने बीबीसी से कहा, ''हमारे छात्रों ने पुलिस स्टेशन के अंदर हमला नहीं किया। मैं आपको इसके लिए 100 प्रतिशत आश्वासन दे सकता हूं।''

सरकार ने अतीत में कई बार हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम की मांगों को माना है, जिसमें किताबों में बदलाव करना और बांग्लादेश में मूर्तियों को हटाना शामिल है।