2019 के लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा की राजनीति क्या रंग लाएगी !

2019 लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में सीट शेयरिंग को लेकर दोनों प्रमुख एलायंस-एनडीए और महागठबंधन रालोसपा के पेंच में उलझ गया है। रालोसपा वैसे तो एनडीए का घटक दल है, लेकिन इसके प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बयानों को लेकर दोनों गठबंधनों के नेता उलझन में हैं।

वहीं कुशवाहा ने शुक्रवार को मीडिया के एक सवाल के जवाब में साफ कहा कि अगर भाजपा को हमारी चिंता नहीं रहती तो सीटों का बंटवारा अब तक हो जाता।

कुशवाहा ने यह कहकर कि वह एनडीए के साथ हैं, भाजपा का भरोसा बनाए रखा है। लेकिन, बीच-बीच में सीट शेयरिंग पर उनके बयानों से महागठबंधन के नेता भी रालोसपा को लेकर उम्मीद का दामन नहीं छोड़ पा रहे हैं। कुशवाहा जितनी तेज आवाज में एनडीए के सीट बंटवारे के ताजा फार्मूले पर टिप्पणी करते हैं, उससे ज्यादा मजबूती से वे नरेन्द्र मोदी को दोबारा पीएम बनने का दावा भी करते हैं।

माना जा रहा है कि इसी कारण सूबे के दोनों गठबंधनों में सीटों के बंटवारे पर फैसला नहीं हो पा रहा है।

रालोसपा की सियासत पर दोनों गठबंधन के नेताओं की पैनी नजर है। उपेन्द्र कुशवाहा का कभी सेहत जानने के बहाने लालू प्रसाद से मिलना तो कभी नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से मुलाकात लोगों को चौंकाता रहा है।

गौरतलब है कि एनडीए में सीट शेयरिंग के फार्मूले की घोषणा के वक्त ही यह बात आई थी कि दो-तीन दिनों में संख्या घोषित कर दी जाएगी।

उधर, उपेन्द्र कुशवाहा को महागठबंधन से पेशकश की भी खबरें आती रही है। राजद के तेजस्वी यादव ने पहले भी कहा था कि उपेंद्र कुशवाहा को ही फैसला करना है। मेरी ओर से उनको ऑफर दिया जा चुका है।

हम प्रमुख जीतनराम मांझी ने भी दो दिन पहले कहा कि कुशवाहा को जल्द फैसला करना चाहिए। साफ है कि वहां भी मामला कुशवाहा को लेकर ही फंसा है।

जानकारों की मानें तो शायद यही वजह है कि कांग्रेस भी अपने पत्ते नहीं खोल रही है। राजनीतिक हलकों में चर्चा पर अगर भरोसा करें तो कुशवाहा को राजद से एनडीए के मुकाबले दोगुनी सीटों का ऑफर है। तीन बिहार में और एक सीट झारखंड में।