सीएए के ख़िलाफ़ केरल के बाद अब पंजाब विधानसभा ने प्रस्ताव पास किया

पंजाब विधानसभा ने नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पास कर इस क़ानून को वापस लिए जाने की मांग की है।

केरल के बाद इस तरह का प्रस्ताव करने वाला पंजाब दूसरा राज्य बन गया है।

दो दिन के विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन पंजाब सरकार के मंत्री ब्रह्म मोहिन्द्र ने इस क़ानून के विरोध में प्रस्ताव पेश किया।

उन्होंने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा, "इस क़ानून के विरोध में देश के कई हिस्सों में लोग सड़कों पर हैं।''

विधानसभा में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि सरकार भेदभाव करने वाले क़ानून को राज्य में लागू नहीं कर सकती।

अमरिंदर सिंह ने इससे पहले भी इसका विरोध करते हुए कहा था कि पंजाब जैसे राज्य जिनकी सीमा पड़ोसी देशों से मिलती है उनके लिए ये नया क़ानून ख़तरनाक है।

उनका कहना था, "नागरिकता क़ानून को लेकर मैं चिंतित हूं क्योंकि घुसपैठिए इसका इस्तेमाल देश में आने के लिए कर सकते हैं। सीमावर्ती राज्यों को इनसे अधिक ख़तरा है। क्या केंद्र सरकार को अंदाज़ा भी है कि वो क्या कर रही है।''

विधानसभा में आम आदमी पार्टी ने भी उनके इस प्रस्ताव का समर्थन किया है।

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने इसका विरोध करने के लिए पंजाब सरकार की तारीफ़ की है।

इससे पहले केरल सरकार ने 31 दिसंबर को विधानसभा में एक प्रस्ताव पास कर इस क़ानून को वापस लेने की माँग की थी।

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र लिख कर इस क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पास करने की गुज़ारिश की थी।

केरल सरकार ने इस क़ानून की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की है।