सीएए पर भ्रम फैलाया जा रहा है, मुस्लिम और हिंदू नागरिकों के अधिकार समान: केंद्र सरकार
सीएए क़ानून का मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष
मंगलवार, 12 मार्च 2024
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने भारत में नागरिकता संशोधन क़ानून लागू करने का स्वागत किया है।
शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "मैं इस क़ानून के लागू किए जाने पर इसका स्वागत करता हूं। ये बहुत पहले लागू किया जाना चाहिए था, ख़ैर देर आए-दुरुस्त आए।''
शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने कहा कि इस क़ानून को लेकर मुसलमानों के बीच बहुत सी गलतफ़हमियां हैं, जिसे दूर किया जाना चाहिए।
शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने कहा, "इस क़ानून का मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है। सीएए क़ानून से सिर्फ़ अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से जो गै़र-मुस्लिम भारत आए हैं और सालों से यहां रह रहे हैं, जिन्हें नागरिकता नहीं मिली है, उन्हें नागरिकता दिए जाने के लिए कोई क़ानून नहीं था। इसलिए भारत सरकार ने ऐसा क़ानून बनाया, जिसके तहत 2014 तक यहां (भारत) पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान से आए ग़ैर-मुस्लिम रह रहे हैं। जिनके साथ उस मुल्क़ में ज़्यादतियां हुई थीं, उनको यहां पर भारत सरकार नागरिकता देगी।''
शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने कहा कि इस क़ानून से भारत के करोड़ों मुसलमानों का कोई लेना-देना नहीं है और न ही इस क़ानून के ज़रिए किसी भी मुसलमान की नागरिकता जाएगी।
शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी का कहना है कि कुछ पॉलिटिकल लोगों ने मुसलमानों के बीच गलतफ़हमी पैदा की थी। जगह-जगह हुए धरने और प्रदर्शन इसी गलतफ़हमी की बुनियाद पर थे। लेकिन अब बहुत हद तक ये गलतफ़हमियां दूर हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि वो चाहते हैं भारत का हर मुसलमान इस क़ानून का स्वागत करे।
केंद्र सरकार ने सोमवार, 11 मार्च 2024 की देर शाम नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर अधिसूचना जारी की, जिसके बाद ये भारत में लागू हो गया।
इस क़ानून के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए धार्मिक अल्पसंख्यक अपने माता-पिता, दादा-दादी या उनसे पीछे की पीढ़ी की राष्ट्रीयता के दस्तावेज़ दिखाकर भारत की नागरिकता हासिल कर सकते हैं।
सीएए पर भ्रम फैलाया जा रहा है, मुस्लिम और हिंदू नागरिकों के अधिकार समान: केंद्र सरकार
मंगलवार, 12 मार्च 2024
भारत के केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि सीएए को लेकर कुछ भ्रम फैलाए जा रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय का कहना है कि सीएए का भारतीय मुस्लिमों की नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है, ''एक भारतीय मुस्लिम नागरिक के भी उतने ही अधिकार हैं जितने एक भारतीय हिंदू नागरिक के।''
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि सीएए से भारतीय मुस्लिमों को चिंतित होने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि सीएए में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिससे उनकी नागरिकता पर कोई फर्क पड़ेगा।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है, "सीएए के तहत अवैध प्रवासियों को भी वापस भेजने का कोई प्रावधान नहीं है। कहा जा रहा है कि इसके प्रावधान भारतीय मुस्लिमों के ख़िलाफ़ है। किसी भी भारतीय नागरिक को अपनी नागरिकता सिद्ध करने के लिए कोई दस्तावेज़ पेश नहीं करना होगा।''
सोमवार, 11 मार्च 2024 को केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन क़ानून से जुड़े नियमों की अधिसूचना जारी कर दी थी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने इसकी जानकारी देते हुए बताया है कि नागरिकता लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके लिए जल्द ही एक वेब पोर्टल लांच किया जाएगा।
भारत के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी जानकारी देते हुए एक्स पर लिखा, ''मोदी सरकार ने नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 की अधिसूचना जारी कर दी है इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आए अल्पसंख्यकों को यहां की नागरिकता मिल जाएगी।''
"इस अधिसूचना के ज़रिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और प्रतिबद्धता पूरी की है। इन देशों में रहने वाले हिन्दुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को संविधान निर्माताओं की ओर से किए गए वादे को पूरा किया है।''