बिलकिस बानो गैंगरेप के दोषियों की रिहाई पर गुजरात सरकार और केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

भारत में बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार और केंद्र को नोटिस जारी किया है। 15 अगस्त, 2022 को गुजरात सरकार ने माफ़ी योजना के तहत इन 11 दोषियों को रिहा कर दिया था।

गैंगरेप के दोषियों की रिहाई को लेकर गुजरात सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "सवाल ये है कि गुजरात सरकार के अंतर्गत क्या इन दोषियों को माफ़ी दी जा सकती है या नहीं। हमें ये भी देखना है कि क्या इन्हें माफ़ी देते समय सोच-विचार किया गया या नहीं।''

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 11 दोषियों को भी पार्टी बनाने का निर्देश दिया।

इस मामले में नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसकी सुनवाई दो सप्ताह बाद करने का फ़ैसला किया।

भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना की खंडपीठ ने कहा, ''हम गुजरात सरकार और केंद्र को नोटिस जारी कर रहे हैं। हम उनसे जवाब मांग रहे हैं। दो सप्ताह बाद इस पर सुनवाई होगी।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने अदालत से मांग की कि दोषियों की रिहाई तुरंत रद्द होनी चाहिए और गुजरात सरकार के फ़ैसले को खारिज कर देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि गुजरात दंगों के दौरान बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे और मुसलमानों का पलायन भी हुआ था। कपिल सिब्बल ने कहा कि एक गर्भवती महिला के गैंगरेप के दोषियों को माफ़ी नहीं मिलनी चाहिए थी।

विपक्ष की कई पार्टियों ने इस मामले में गुजरात सरकार की आलोचना की है। सुप्रीम कोर्ट में इन 11 दोषियों की रिहाई के ख़िलाफ़ कई लोगों ने याचिका दाखिल की थी। इनमें वामपंथी नेता सुभासिनी अली और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा भी शामिल हैं।

तीन मार्च 2002 को गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया गया था और उनके परिवार के 14 सदस्यों को मार दिया गया था। मृतकों में बिलकिस बानो की तीन साल की बेटी भी शामिल थी।

इस मामले की जाँच सीबीआई ने की थी जिसके बाद 2008 में बॉम्बे सत्र अदालत ने 11 लोगों को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी। 15 अगस्त, 2022 को गोधरा जेल में सज़ा काट रहे इन 11 क़ैदियों को गुजरात सरकार की सज़ा माफ़ी की नीति के तहत रिहा कर दिया गया था।

दोषियों के रिहा होने पर क्या कहा था बिलकिस के पति ने

बिलकिस बानो के पति याकूब रसूल ने 11 दोषियों का रिहाई के बाद इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा था, ''हमें जिस हालत में छोड़ा गया है, उसमें कुछ भी महसूस करने की शक्ति नहीं बची है।''

याकूब रसूल ने कहा था, ''जिस लड़ाई को हम वर्षों से लड़ रहे थे, वह एक क्षण में बिखर गई। अदालत की ओर से दी गई उम्र क़ैद की सज़ा को मनमानी तरीक़े से कम कर दिया गया। मैंने सज़ा कम करने की इस प्रक्रिया के बारे में आज तक सुना भी नहीं था।''

याकूब रसूल गुजरात में दाहोद के देवगढ़ बारिया में रहते हैं।

रसूल कहते हैं, ''2002 में जो कुछ हुआ वह भयावह था. बिलकिस के साथ जो बर्बरता हुई वह अकल्पनीय थी। उसने अपनी बेटी की हत्या अपनी आँखों के सामने देखी। एक माँ, एक महिला और एक इंसान के रूप में उसने सारी बर्बरता झेली। इससे बुरा और क्या हो सकता है?''

उन्होंने कहा था, ''अब हम यही चाहते हैं कि हमें अकेला छोड़ दीजिए। हमें अपनी सुरक्षा को लेकर डर है लेकिन अब कुछ करने की हिम्मत और वक़्त नहीं है।''