सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हेट स्पीच के मामले में सरकार मूकदर्शक क्यों बनी हुई है?

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हेट स्पीच के मामले ने सरकार के रवैये पर सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में सरकार मूकदर्शक क्यों बनी हुई है? इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने टीवी चैनल के एंकरों की भी भूमिका को भी अहम बताया है।

भारत में न्यूज़ चैनलों पर होने वाली बहस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी ज़ाहिर की है। बुधवार, 21 सितम्बर 2022 को हेट स्पीच के मामले में एक सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा है कि ऐसी बहसों में अक्सर हेट स्पीच को जगह दी जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल पूछा है कि वो ऐसे हेट स्पीच को लेकर मूकदर्शक क्यों बनी रही है?

मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के एम नटराज से कई सवाल पूछे हैं। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पूछा है, ''आख़िर इसमें समस्या क्या है? भारत सरकार इस मामले में कोई स्टैंड क्यों नहीं ले रही है? सरकार क्यों ऐसे मामलों को लेकर मूकदर्शक बनी हुई है?''

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सलाह दी है कि केंद्र को इस मामले में कोर्ट के विरोध में खड़ा नहीं होना चाहिए, बल्कि मदद करनी चाहिए।

न्यूज़ चैनलों की बहस पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने भारत के उन न्यूज़ चैनलों पर भी टिप्पणी की है जो अक्सर टीवी पर बहसों में हेट स्पीच को जगह देते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पाया है कि हेट स्पीच से सबसे ज़्यादा फ़ायदा राजनीतिक लोगों को होती है और इसके लिए टीवी न्यूज़ चैनल मौक़ा देते हैं।

जस्टिस के एम जोसेफ़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट के बेंच ने कहा है कि न्यूज़ चैनल के एंकर की भूमिका इसी लिहाज़ से बहुत महत्वपूर्ण है। कोर्ट का मानना है कि टीवी बहस में शामिल लोग हेट स्पीच से दूर रहें, यह तय करना एंकर की ज़िम्मेदारी है। इस बेंच में दूसरे जज जस्टिस ऋषिकेश राय हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच को लेकर कई याचिकाओं की एक साथ सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है।

बोलने की आज़ादीः कहां तक छूट हो

सुप्रीम कोर्ट ने ज़ोर देकर कहा है कि बोलने की आज़ादी बहुत ही ज़रूरी है लेकिन टीवी चैनल पर हेट स्पीच के लिए छूट नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने ध्यान दिलाया है कि हेट स्पीच के लिए ब्रिटेन में एक टीवी चैनल पर भारी ज़ुर्माना लगाया गया है।

हेट स्पीच को लेकर दायर एक याचिका की पैरवी करने वाले वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े भी कोर्ट की टिप्पणी से सहमत हैं। उन्होंने कहा, "चैनल और राजनेताओं को ऐसी स्पीच से चारा मिलता है। चैनलों को पैसे मिलते हैं और वो बहस में 10 लोगों को एक साथ बैठा देते हैं।''

अपनी नज़रिया न थोपें एंकर

सुप्रीम कोर्ट की बेंच का कहना है, "एंकर को वो बात आगे बढ़ानी चाहिए जो लोग कह रहे हैं, वो नहीं जो वो ख़ुद कहना चाहते हैं। लोकतंत्र के स्तंभ को स्वतंत्र होना चाहिए, उन्हें किसी के आदेश पर नहीं चलना चाहिए।''

नफ़रत को हवा देना मंजूर नहीं

बेंच ने कहा है, ''किसी एंकर का अपना नज़रिया हो सकता है लेकिन बात तब बिगड़ती है जब आपके सामने अलग-अलग राय रखने वाले लोग होते हैं और आप उन्हें बोलने नहीं देते हैं। इस तरह से आप नफ़रत पैदा करते हैं और इससे आपको टीआरपी मिलती है।''

वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने बेंच से कहा कि मंगलवार, 20 सितम्बर, 2022 को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि हम हेट ऑक्सीजन नहीं दे सकते। इसपर जस्टिस हेगड़े ने कहा, ''बिल्कुल नहीं। हम नफ़रती हवा नहीं फैला सकते।''

केंद्र सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल नटराज ने कोर्ट को बताया कि इसपर 14 राज्यों ने अपने सुझाव भेज दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सभी राज्यों के जवाब एक साथ फ़ाइल करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर, 2022 को होगी।