विदेश

पेशावर से कराची तक सड़कों पर चौबीसों घंटे वीड‍ियो र‍िकॉर्डिंग करेगा चीन

पाकिस्तान और चीन की दोस्ती दुनिया के लिए नई नहीं है, लेकिन पाकिस्तान में बन रहे चीन-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को लेकर पाकिस्तानी सरकार कुछ ज्यादा ही उतावलेपन में है।

इस बीच, चीन में चल रहे 'वन बेल्ट, वन रोड समिट' में पाकिस्तान और चीन के बीच सबसे हॉट एजेंडा सीपीईसी के लॉन्ग टर्म प्लान को मंजूरी देना है।

पाकिस्तानी अखबार 'डॉन' की वेबसाइट पर छपी खबर के मुताबिक, चीन ने पाकिस्तान में अपने पांव पसारने का पुख्ता इंतजाम इस कॉरिडोर के सहारे किया है। इस पाकिस्तानी मीडिया को जो पेपर डॉक्यूमेंट हाथ लगे हैं। उसके मुताबिक, चीन का मास्टर प्लान है कि वो पाकिस्तान में हजारों एकड़ जमीन लीज पर लेगा और उसमें सिंचाई के अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल कर खेती करेगा।

इतना ही नहीं, वहां निगरानी का पूरा बंदोबस्त करने की भी चीन की योजना है। इसके तहत पेशावर से लेकर कराची तक शहरों में चौबीसों घंटे वीडियो रिकॉर्डिंग होने वाला सर्विलांस सिस्टम लगाया जाएगा।

इसके तहत सड़कों और प्रमुख बाजारों की निगरानी की जा सकेगी। इस इलाके में नेशनल फाइबर केवल बिछाकर न केवल इंटरनेट बल्कि चीनी टीवी ब्रॉडकास्टिंग को भी पाकिस्तान के घर-घर तक पहुंचाने की चीन सरकार की योजना है ताकि चीनी संस्कृति का प्रसार पाकिस्तान के हरेक हिस्से में हो सके।

चीन की योजना है कि वो चीनी संस्कृति और चीनी इन्टरप्राइजेज के जरिए पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था के हर मोड़ तक अपनी पहुंच बनाए।

हालांकि, पाकिस्तान के इतिहास में इस तरह के विदेशी निवेश और विदेशी हस्तक्षेप का कोई मिसाल सामने नहीं आया है। पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में चीनी कारोबारी मध्यम और छोटे इन्टरप्राइजेज भी स्थापित करेंगे। इनमें घरेलू उपकरण बनाने की यूनिट के अलावा, चीनी मोबाइल का निर्माण भी शामिल है।

इसके अलावा टेलीकम्यूनिकेशन और मेटालर्जिकल सेक्टर में भी चीनी उद्योग लगाएगे जाएंगे ताकि वहां के खनिज संसाधन का दोहन किया जा सके।

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे में टेक्सटाइल्स एंड गार्मेंन्ट्स, सीमेंट एंड बिल्डिंग मैटेरियल्स, फर्टिलाइजर एंड एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी से संबंधित प्लांट भी लगाए जाएंगे। इसके लिए वहां नई नीति भी बनाई जा रही है। इसके अलावा वहां इंडस्ट्रियल पार्क, स्पेशल इकोनॉमिक जोन बनाने की भी चर्चा है।

इन सबसे अहम है वहां कृषि, वानिकी के साथ-साथ औद्योगिक विकास को रफ्तार देने के लिए चीन की योजना है कि इस इलाके में रेलवे और हाई स्पीड हाईवे का निर्माण कराया जाय।

चीन की प्रमुख योजनाओं में पाकिस्तानी समुद्री तट का विकास करना शामिल है। इसके तहत वहां नौकायन के लिए मार्ग विकसित करना, रात में मनोरंजन के साधन मुहैया कराना, क्रूज होमपोर्ट्स विकसित करना, सिटी पार्क्स बनाना, पब्लिक स्क्वेयर बनाना, थियेटर और गोल्फकोर्स, स्पा, थियेटर और वाटर स्पोर्ट्स डेवलप करने की भी योजना है। इसके अलावा उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान के पेशावर में पायलट सेफ सिटी बनाने की भी चीन की योजना है।

दोनों देशों के बीच आधिकारिक बातचीत के कागजात से पता चलता है कि पाकिस्तान जहां ग्वादर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को जल्द से जल्द बनवाने के लिए चीन पर दबाव डाल रहा है  वहीं चीन पूर्वी एक्सप्रेसवे को जल्द से जल्द पूरा कराने का दवाब पाकिस्तान पर दे रहा है।

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने कुलभूषण जाधव पर अपना फ़ैसला सुरक्षित रखा

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस (आईसीजे) में पाकिस्तान ने कहा है कि कुलभूषण जाधव पर आरोपों को लेकर भारत की तरफ़ से कभी कोई जवाब नहीं आया।

उसने आरोप लगाया कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत को राजनीतिक ड्रामे के लिए इस्तेमाल किया है।

कुलभूषण जाधव को फांसी की सज़ा दिए जाने पर रोक लगाने को लेकर भारत आईसीजे पहुंचा है और सोमवार को इस पर सुनवाई हुई।

भारत ने पहले अपना पक्ष रखा और पाकिस्तान पर वियना संधि के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए फांसी की सज़ा पर रोक लगाने की मांग की।

जवाब में पाकिस्तान की दलील थी कि वियना संधि आतंकी कार्रवाई में शामिल रहे जासूस पर लागू नहीं होती।

पाकिस्तान ने कहा कि कुलभूषण जाधव के मुस्लिम नाम वाले पासपोर्ट को लेकर भारत ने कोई जवाब नहीं दिया और चुप्पी साधे रखी।

उसने अंतरराष्ट्रीय अदालत से कहा कि कुलभूषण जाधव पर भारत की अपील गैरज़रूरी और ग़लत समझ पर आधारित है।

इससे पहले भारत की ओर से पैरवी कर रहे अटार्नी हरीश साल्वे ने कहा कि जाधव को उनके कानूनी अधिकारों से वंचित रखा गया और कॉन्सुलर उपलब्ध कराए जाने की 16 अपीलों को नज़रअंदाज़ कर वियना संधि का उल्लंघन किया गया है।

भारत का पक्ष रखते हुए हरीश साल्वे ने कहा कि कुलभूषण पर उन बयानों के आधार पर आरोप तय किए गए जो उन्होंने पाकिस्तानी सेना के क़ैद में रहते हुए दिए थे।

उन्होंने कहा कि जाधव को कॉन्सुलर उलब्ध कराए जाने की सारी कोशिशों को पाकिस्तान ने अनसुना कर दिया।

भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को कथित जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने मौत की सज़ा सुनाई है।

भारत का कहना है कि कुलभूषण जाधव को कॉन्सुलर उपलब्ध कराए जाने से इनकार कर दिया गया और एकतरफ़ा फ़ैसला सुना दिया गया। अब भारत इस सज़ा पर रोक चाहता है।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है।

मिसाइल टेस्ट के बाद उत्तर कोरिया का दावा, वो नए रॉकेट से बड़े परमाणु 'वॉरहेड' ले जाने में सक्षम है

रविवार को किए गए मिसाइल टेस्ट के बारे में उत्तर कोरिया ने दावा किया है कि वो एक नए तरह का रॉकेट था जो बड़े परमाणु 'वॉरहेड' ले जाने में सक्षम है।

आसमान की ओर दागा गया ये मिसाइल 2000 किलोमीटर की ऊंचाई तक गया।

700 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद ये जापान के पश्चिमी सागर तट पर जाकर गिरा।

उत्तर कोरिया ने सोमवार को कहा कि ये टेस्ट 'नए विकसित किए गए बैलिस्टिक रॉकेट की काबिलियत' को परखने के लिए था।

संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों की एक और अवहेलना करके किए गए इस मिसाइल टेस्ट की दुनिया भर में आलोचना हुई है।

इस साल उत्तर कोरिया ने बार-बार मिसाइल टेस्ट किए हैं जिससे दुनिया भर में चिंता का माहौल है और अमरीका के साथ उसका तनाव बढ़ा है।

हालांकि उत्तर कोरिया के सभी टेस्ट कामयाब नहीं रहे हैं।

अमरीका और जापान ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक बुलाई है।

उत्तर कोरियाई समाचार एजेंसी 'केसीएनए' ने सोमवार को कहा कि नए विकसित किए गए 'ह्वॉसॉन्ग-12' का परीक्षण योजना के मुताबिक रहा।

एजेंसी के मुताबिक, 'ह्वॉसॉन्ग-12' मध्यवर्ती/लंबी दूरी तक मार करने वाला 'रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बैलिस्टिक रॉकेट' है।

उत्तर कोरिया के बारे में माना जाता है कि वो परमाणु हथियार और उन्हें टारगेट तक ले जाने वाले मिसाइलों को विकसित कर रहा है।

और ये सब संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों के बावजूद हो रहा है।

लेकिन इस बात को लेकर तस्वीर साफ नहीं है कि क्या रॉकेट में लगाए जा सकने लायक हथियार बनाने की काबिलियत उसके पास है या नहीं।

उत्तर कोरिया ने अभी तक 'इंटरकॉन्टिनेंटल (अंतरमहाद्वीपीय) बैलिस्टिक मिसाइल' या 'आईसीबीएम' का परीक्षण नहीं किया है जो टारगेट तक पहुंच सकता हो, उदाहरण के लिए अमरीका।

'इंटरकॉन्टिनेंटल (अंतरमहाद्वीपीय) बैलिस्टिक मिसाइलों' के बारे में कहा जाता है कि ये 6000 किलोमीटर के फ़ासले तक मार कर सकती हैं।

लेकिन जानकारों का मानना है कि रविवार को उत्तर कोरिया ने जिस मिसाइल का टेस्ट किया है उसे सीधा ऊपर दागने के बजाय धरती के समानांतर दागने पर ये 4000 किलोमीटर तक जा सकता है।

कहा जाता है कि कोरियाई शासक किम जोंग-उन ने वैज्ञानिकों को लापरवाह न होने की हिदायत दी है है और जब तक कि अमरीका सही फैसला न ले ले, उनसे परमाणु हथियारों पर अपना काम आगे जारी रखने के लिए कहा गया है।

इससे पहले अमरीका की तरफ़ से सही परिस्थितियों में उत्तर कोरिया से वार्ता के बारे में कहा गया था।

लेकिन रविवार को संयुक्त राष्ट्र में अमरीकी राजदूत निकी हेली ने कहा कि किम जोंग-उन जब तक अमरीकी शर्तें पूरी नहीं करते, हम उनके साथ वार्ता के लिए नहीं बैठने वाले हैं।

दुनिया के कई मुल्कों पर साइबर हमला, मांगी गई फिरौती

यूरोप समेत दुनिया के कई देशों में कुछ संगठनों पर साइबर हमला हुआ है।

इन साइबर हमलों के बाद कंप्यूटर्स ने काम करना बंद कर दिया। प्रभावित कई संगठनों ने कंप्यूटर्स के लॉक होने और बिटकॉइन की मांग करने वाले स्क्रीनशॉट्स साझा किए हैं।

ब्रिटेन, अमरीका, चीन, रूस, स्पेन, इटली, वियतनाम और कई अन्य देशों में रेनसमवेयर साइबर हमलों की खबर है।

साइबर एक्सपर्ट इन घटनाओं को एक साथ जोड़कर देख रहे हैं।

एक साइबर सुरक्षा शोधकर्ता ने ट्वीट किया कि उन्होंने इसके बदले में बिटकॉइन मांगने के 36,000 मामलों का पता लगाया है। ये वानाक्राइ या इससे मिलते-जुलते नाम से किए गए हैं। उन्होंने कहा, ''ये बहुत बड़ा है।''

ब्रिटेन की नेशनल हेल्थसर्विस (एनएचएस) भी रेनसमवेयर से बुरी तरह प्रभावित हुई है।

हैकर्स ने ब्रिटेन की हेल्थ सर्विस से जुड़े कंप्यूटरों को निशाना बनाया है।

एनएचएस के कर्मचारियों ने वानाक्राइ के प्रोग्राम के स्क्रीनशॉट्स साझा किए हैं।

समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, इंग्लैंड के कई अस्पतालों का कहना है कि उन्हें अपने कंप्यूटर खोलने में परेशानी हो रही है। जो कंप्यूटर्स हैक हुए हैं उन्हें खोलने पर एक मैसेज दिखाई दे रहा है जिसमें कहा गया है कि फ़ाइल रिकवर करना चाहते हो तो पैसे चुकाने होंगे।

रेनसमवेयर एक कंप्यूटर वायरस है जो कंप्यूटर्स फ़ाइल को बर्बाद करने की धमकी देता है। धमकी दी जाती है कि यदि अपनी फ़ाइलों को बचाना है तो फीस चुकानी होगी।

ये वायरस कंप्यूटर में मौजूद फ़ाइलों और वीडियो को इनक्रिप्ट कर देता है और उन्हें फिरौती देने के बाद ही डिक्रिप्ट किया जा सकता है।

ख़ास बात ये है कि इसमें फिरौती चुकाने के लिए समयसीमा निर्धारित की जाती है और अगर समय पर पैसा नहीं चुकाया जाता है तो फिरौती की रकम बढ़ जाती है।

ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन की वेबसाइट हैक

ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन की वेबसाइट हैक होने का मामला सामने आया है। उस वेबसाइट पर हैकर्स ने कुलभूषण जाधव और भारत के खिलाफ मैसेज पोस्ट किए।

पोस्ट में लिखा गया है कि भारत जाधव को वापस मांग रहा है, लेकिन पाकिस्तान भारत को उसकी डेड बॉडी भेजेगा।

हैकर्स ने मैसेज के साथ कुलभूषण जाधव की तस्वीर और फांसी का फंदा भी लगाया था।

फिलहाल वेबसाइट को ठीक कर लिया गया है।

बता दें कि इंटरनेशनल कोर्ट ने पाकिस्तान में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगाने को कहा है। जाधव को पाकिस्तान में जासूसी और विध्वसंक गतिविधियों के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई है।

भारत ने जाधव को फांसी के खिलाफ अंतराष्ट्रीय अदालत में अपील की थी।

मंगलवार देर रात मिली खबर के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत ने भारतीय नागरिक जाधव की फांसी की सजा की तामील पर स्टे दिया।

हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आइसीजे) ने भारत की ओर से यह कहे जाने के बाद कि नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद व्यवसाय कर रहे जाधव का ईरान से अपहरण किया गया था, उन्हें मिली फांसी की सजा की तामील पर स्थगन लगा दिया है।

कुलभूषण जाधव को मार्च 2016 में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसी महीने उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है जिसकी पुष्टि खुद पाकिस्तान सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने की पुष्टि थी।

कुलभूषण जाधव भारतीय नौसेना के रिटायर्ड अधिकारी हैं, लेकिन पाकिस्तान ने उन पर रॉ का खुफिया एजेंट होने के आरोप लगाए।

रिपोर्टों के मुताबिक, कुलभूषण जाधव पर पाकिस्तान का दावा है कि वह हुसैन मुबारक पटेल के नाम से बलूचिस्तान इलाके में ईरान की सीमा से दाखिल हुए थे।

बोको हराम की क़ैद से चिबोक लड़की ने आज़ाद होने से किया इंकार

नाइजीरिया के राष्ट्रपति ने कहा है कि इस्लामी चरमपंथी समूह बोको हराम ने जिन लड़कियों का अपहरण किया था उनमें से एक चिबोक लड़की ने आज़ाद होने से इनकार कर दिया है।

उनका कहना है कि लड़की ने आज़ाद होने की बजाय अपने पति से साथ रहना चुना है। ये शनिवार को बोको हराम की चुंगल से छुड़ाई गई लड़कियों में से एक हैं।

नाइजीरिया के राष्ट्रपति मोहमदू बुहारी के प्रवक्ता गार्बा शेहू ने स्थानीय टीवी चैनल्स को बताया कि उस लड़की ने कहा, ''मैं जहां हूं वहीं खुश हूं। मुझे पति मिल गया है।''

बोको हराम ने तीन साल पहले नाइजीरिया के उत्तर पूर्वी इलाके से 276 लड़कियों को अगवा किया था। इस इलाके में बगावत के दौरान बोको हराम ने कई और लोगों को भी अगवा किया था।

सरकार इस बात पर राज़ी हुई थी कि इनके बदले वो पकड़े गए बोको हराम के कुछ सदस्यों को रिहा करेगी। लेकिन कितने सदस्यों को छोड़ा जाना है इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।

माना जा रहा है कि सौ से अधिक लड़कियां अब भी चरमपंथियों की क़ैद में हैं।

ऐसी ख़बरे हैं कि जो लड़कियां अगवा की गई थीं उनमे से कुछ ने बोको हराम के लड़ाकों से शादी कर ली और अब उनके बच्चे भी हैं।

चिबोक लड़कियों के माता-पिता को धीरे-धीरे उनकी बेटियों के बारे में बताया जा रहा है।

सरकार ने लड़कियों के नाम ट्विटर पर पोस्ट किए हैं, लेकिन चिबोक में सोशल मीडिया की पहुंच सब लोगों तक नहीं है।

गार्बा शेहु का कहना है कि लड़कियों की पहचान की जा रही है ताकि जल्द से जल्द उन्हें उनके परिवारों से मिलाया जा सके।

ब्रिंगबैकअवरगर्ल्स अभियान की संयोजक आयशा यसुफू ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया कि वो इन लड़कियों के उनके माता-पिता से मिलाने के काम में जुटे हुए हैं।

कुलभूषण की फांसी पर इंटरनेशनल कोर्ट ने लगाई रोक

भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में फांसी की सज़ा सुनाए जाने के मामले में भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया है।

भारतीय समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने इस मामले में पाकिस्तान से ये सुनिश्चित करने को कहा है कि कुलभूषण सुधीर जाधव को सभी विकल्पों पर विचार करने से पहले फांसी न दी जाए। हालांकि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की तरफ़ से इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।

पाकिस्तान की मीडिया में भी कहा जा रहा है कि भारतीय मीडिया कुलभूषण जाधव की फांसी रोके जाने की ख़बर को ग़लत रिपोर्ट कर रही है।

पाकिस्तान सरकार की तरफ़ से भी इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ज़रूर ट्वीट कर कहा है कि उन्होंने आईसीजे के प्रेसिडेंट के ऑर्डर के बारे में कुलदीप जाधव की मां को जानकारी दी है।

भारतीय अख़बार 'द हिंदू' ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के प्रेसिडेंट रॉन अब्राहम के हवाले से लिखा है कि उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को निर्देश दिया है कि वो भारत की अपील पर गौर करें और जब तक न्यायालय मामले पर सुनवाई नहीं कर लेता और आदेश पारित नहीं कर देता, तब तक कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक रहेगी।

पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव को जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों में शामिल होने के मामले में फांसी की सज़ा सुनाई है।

कुलभूषण जाधव अभी भी पाकिस्तान की जेल में बंद हैं।

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की तरफ़ से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कहा कि फांसी के ख़िलाफ़ अपील करने के लिए बहुत कम समय है और पाकिस्तान में सभी विकल्प पर विचार करने के लिए भी समय नहीं है।

भारत ने 15 से ज़्यादा बार कुलभूषण जाधव को क़ानूनी मदद देने के लिए कॉन्सुलर एक्सेस की मांग की है, लेकिन पाकिस्तान ने अभी तक इसकी मंज़ूरी नहीं दी है।

कुलभूषण जाधव की मां भी पाकिस्तान से कुलभूषण की सज़ा पर फिर से विचार करने की अपील कर चुकी हैं।

जाधव की मां ने पाकिस्तान सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया था। इसके साथ ही उन्होंने अपने बेटे से मिलने की इच्छा जताई थी।

भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर कहा है कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत की अपील और आईसीजे के प्रेसिडेंट के ऑर्डर के बारे में कुलभूषण जाधव की मां को जानकारी दी है।

उन्होंने ये भी कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे अदालत में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अपनी अपील में कहा था कि कुलभूषण जाधव को ईरान में अगवा किया गया था जहां वो भारतीय नौसेना से रिटायर होने के बाद व्यापार कर रहे थे।

भारत ने इस अपील में कहा है कि उसे कुलभूषण को फांसी की सज़ा सुनाने के बारे में जानकारी प्रेस रिलीज़ से मिली थी।

वहीं पाकिस्तान ने पिछले साल तीन मार्च को बलूचिस्तान से उनकी गिरफ्तारी दिखाई है और इसके बारे में भारत को 25 मार्च 2016 को इस बारे में आधिकारिक जानकारी दी गई।

भारत ने उसी वक्त कॉन्सुलर एक्सेस की मांग की थी, लेकिन पाकिस्तान ने इनकार कर दिया था।

वहीं भारत ने अदालत को बताया है कि 23 जनवरी 2017 को पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव के कथित तौर पर पाकिस्तान में जासूसी और चरमपंथी गतिविधियों में शामिल होने के मामले की जांच में मदद मांगी थी और कहा था कि कॉन्सुलर एक्सेस की मांग पर विचार करते हुए भारत की प्रतिक्रिया को ध्यान में रखा जाएगा।

भारत का दावा है कि जांच में मदद मांगने को कॉन्सुलर एक्सेस की मांग से जोड़ना विएना कन्वेशन के ख़िलाफ़ है।

अंतरराष्ट्रीय अदालत में भारत ने अपील की है कि सैन्य अदालत ने जो सज़ा सुनाई है उसपर पाकिस्तान अमल न करे और सैन्य अदालत के फ़ैसले को निरस्त करने के लिए पाकिस्तान के कानून के मुताबिक क़दम उठाए।

एमानुएल मैक्रोन फ्रांस के नए राष्ट्रपति होंगे

मध्यमार्गी एमानुएल मैक्रोन फ्रांस के नए राष्ट्रपति होंगे। रविवार (सात मई) को फ्रांस में हुए राष्ट्रपति चुनाव में मैक्रोन ने धुर दक्षिणपंथी मरीन ली पेन को हराया।

नवनिर्वाचित राष्ट्रपति 39 वर्षीय पूर्व इन्वेस्टमेंट बैंकर मैक्रोन आज तक कभी किसी निर्वाचित पद पर नहीं रहे हैं। इस चुनाव को जीतकर फ्रांस के इतिहास में सबसे कम उम्र में चुनाव जीतने वाले राष्ट्रपति बन गये हैं।

राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद मैक्रोन ने कहा कि वो 'देश के अंदरूनी विभाजन' के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे।

मैक्रोन ने कहा, ''मैंने आप लोगों के क्रोध, तनाव और संदेहों को सुना है।''

पेरिस स्थित अपने पार्टी के मुख्यालय से मैक्रोन ने कहा, वो 'यूरोप और इसके नागरिकों के साथ लिंक को दोबारा जोड़ेंगे।'

मैक्रोन ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में फ्रांस अगली कतार में रहेगा।

चुनाव जीतने के बाद एक अन्य रैली में मैक्रोन ने कहा कि वो अगले पांच साल में वो सब करेंगे जिससे जनता को अतिवादियों को वोट न देना पड़े।

मैक्रोन ने जून में फ्रांस के निचले सदन के लिए होने वाले चुनाव में बहुमत प्राप्त करने की कोशिशें शुरू कर देने का भी संकेत किया।

फ्रांस के चुनाव में सबसे ज्यादा दिलचस्प बात ये रही कि देश की दो सबसे बड़ी पार्टियों के राष्ट्रपति उम्मीदवार पहले ही दौड़ से बाहर हो गये थे। मरीन ली पेन की लोकप्रियता पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी थी जिससे इस बात की आशंका बढ़ गयी थी कि कई अन्य देशों की तरह फ्रांस में भी धुर दक्षिणपंथी पार्टी सत्ता में आ सकती है।

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 65. 30 प्रतिशत मतदान हुआ है जो 2012 के राष्ट्रपति चुनाव से 6. 6 फीसदी कम है और 23 अप्रैल को हुए प्रथम चरण के चुनाव से चार फीसदी कम है। इस चुनाव में यूरोप समर्थक एवं कारोबार समर्थक मैक्रोन तथा आव्रजन विरोधी एवं यूरोपीय संघ विरोधी मरीन ली पेन के बीच मुकाबला था।

दोनों ही बिल्कुल अलग नजरिए वाले हैं और पश्चिमी लोकतांत्रिक देशों के बीच के विभाजन को रेखांकित करते हैं।  मैक्रोन 23 अप्रैल के प्रथम दौर के चुनाव में शीर्ष पर रहे थे। मरीन ली पेन ने इस चुनाव को मुक्त व्यापार, आव्रजन अ‍ैर साझा संप्रभुता के पक्षधर 'भूमंडलीकरण समर्थकों' और मजबूत सीमाओं और राष्ट्रीय पहचान की वकालत करने वाले राष्ट्रवादियों के बीच का मुकाबला बताया था।

दोनों उम्मीदवार नतीजे देखने के लिए पेरिस पहुंच हुए थे।  मतदान की प्रक्रिया 66,546 मतदान केंद्रों पर भारतीय समयानुसार सुबह साढ़े ग्यारह बजे शुरू हुई । इनमें से अधिकतर मतदान केंद्र रात साढ़े दस बजे बंद कर दिए गए, जबकि बड़े शहरों के केंद्र एक घंटा अधिक समय तक खुले हुए थे।

गौरतलब है कि 23 अप्रैल को हुए पहले दौर के चुनाव में मैक्रोन को 24.01 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि मरीन ली पेन को 21. 30 प्रतिशत मत मिले थे।

भारत ने संयुक्‍त राष्‍ट्र के समझौते का अनुमोदन नहीं किया

संयुक्त राष्ट्र की 30 वर्ष पुरानी यातना रोधी संधि के अनुमोदन में भारत अब भी पाकिस्तान समेत 161 देशों से पीछे खड़ा है। संधि के तहत वर्ष 1997 में हस्ताक्षर करने के बावजूद भारत अब तक इस संदर्भ में कानून नहीं बना पाया है।

भारत दुनिया के उन चुनिंदा नौ देशों में शामिल है जिसने अब तक इस अहम संधि का अनुमोदन नहीं किया है जो अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधि के अनुमोदन के मकसद से हस्ताक्षरकर्ता देश के लिये आवश्यक है।

उच्चतम न्यायालय ने इस तथ्य पर कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार से पूछा कि आखिर सरकार ने मामले में कानून बनाने की मंशा से अब तक कम से कम नेक इरादे से अपनी प्रतिबद्धता ही क्यों नहीं दर्शायी।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ''हम समझते हैं कि कानूनी प्रक्रिया में समय लग सकता है, लेकिन आप (केंद्र) हमें बताइये कि आखिर कानून बनाने को लेकर आपने अब तक हमारे समक्ष नेक इरादे वाली अपनी प्रतिबद्धता ही क्यों नहीं जाहिर की।''

खेहर की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ ने कहा, ''इसमें कोई विवाद नहीं है कि राष्ट्रीय हित और इससे परे यह मुद्दा अत्यंत महत्वपूर्ण है।''

पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब कांग्रेस नेता एवं पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि भारत दुनिया के उन चुनिंदा नौ देशों में शामिल है जिन्होंने संधि पर हस्ताक्षर करने के बावजूद अब तक इसका अनुमोदन नहीं किया है।

संयुक्त राष्ट्र यातना रोधी संधि के नाम से विख्यात 'यातना एवं अन्य क्रूरता, अमानवीय या अपमानजनक बर्ताव अथवा सजा रोधी संधि' एक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधि है जिसका लक्ष्य दुनियाभर में यातना एवं अन्य क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक बर्ताव को रोकना है।

केंद्र की ओर से उपस्थित सॉलिसिटर जनरल रणजीत कुमार ने मामले में इस आधार पर अदालत से कुछ समय की मोहलत मांगी कि कानून बनाने के संदर्भ में नयी मुहिम शुरू किये जाने से पहले कुछ राज्यों से परामर्श किया जाना बाकी है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि ''यह कहना अच्छा है कि हमलोग संधि को लेकर प्रतिबद्ध है लेकिन इस संदर्भ में कानून तो होना ही चाहिए।''

बहरहाल, सॉलिसिटर जनरल ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि वर्ष 2010 में पूर्ववर्ती संप्रग-2 सरकार ने लोकसभा में यातना पर विधेयक पेश किया था। पूर्व कानून मंत्री एवं वरिष्ठ वकील अश्विनी कुमार इस प्रक्रिया का हिस्सा थे, लेकिन कानून नहीं बन पाया।

इस पर पीठ ने कहा था, ''यह पक्षपात रहित होना चाहिए। यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।''

नवाज़ शरीफ पर लगा सेना विरोधी बात करते का आरोप, रिपोर्ट दर्ज

पाकिस्तानी पुलिस ने कथित तौर पर सेना के खिलाफ लोगों को उकसाने और नफरत फैलाने के मामले में पाकितान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। नवाज शरीफ के खिलाफ बुधवार को इश्तियाक अहमद मिर्जा नाम के एडवोकेट ने रावलपिंडी के सिविल लाइंस पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया। मिर्जा खुद के 'आई एम पाकिस्तान पार्टी' का प्रमुख होने का दावा करते हैं।

'द डान' अखबार के मुताबिक, पुलिस द्वारा दर्ज की गई यह रिपोर्ट एफआईआर नहीं है और स्थानीय भाषा में इसे 'रोजनामचा' के तौर पर जाना जाता है। मिर्जा ने दावा किया कि उन्हें अपने वाट्सएप पर एक वीडिया क्लिप मिली थी जिसमें एक शख्स भाषण देता दिख रहा था।

उन्होंने कहा कि भाषण देने वाला शख्स खुद प्रधानमंत्री नवाज शरीफ थे जो कथित तौर पर लोगों को उकसा रहे थे और सशस्त्र बलों के खिलाफ नफरत फैला रहे थे। शिकायतकर्ता ने  नवाज़ शरीफ के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की जो पीएमएलएन पार्टी के प्रमुख भी हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, इश्तियाक अहमद मिर्जा ने दावा किया कि उनका 'आईएम पाकिस्तान' राजनीतिक दल पाकिस्तानी निर्वाचन आयोग में पंजीकृत है।

दूसरी ओर खबर ये भी है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ जून महीने में कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में होने जा रही शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर बैठक से इतर मुलाकात कर सकते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में यह कहा गया है।

पाकिस्तानी समाचार पत्र 'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने राजनयिक सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि एससीओ के प्रभावशाली देश पाकिस्तान और भारत के बातचीत की प्रक्रिया में फिर साथ आने पर जोर दे रहे हैं ताकि अगली शिखर बैठक अनुकूल माहौल में हो सके।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों को एससीओ में इस शर्त पर शामिल किया गया है कि वे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के साथ संगठन के हित को बढ़ावा देने के लिए काम करेंगे। यही एक मुख्य वजह थी कि 2015 के एससीओ शिखर बैठक से इतर मोदी और शरीफ रूस के उफा शहर में मिले थे।