विशेष

मारे गए संदिग्ध आतंकी सैफुल्लाह के आईएसआईएस से लिंक के सबूत नहीं मिले: एटीएस

उत्तर प्रदेश पुलिस ने बुधवार (8 मार्च) को स्पष्ट किया कि राजधानी लखनऊ में तड़के मारे गए संदिग्ध आतंकी सैफुल्लाह के तार अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन आईएसआईएस से जुड़े थे, इसका कोई प्रमाण नहीं है। हालांकि वह आईएसआईएस के साहित्य और विचारों से स्वत: प्रेरित था।

उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) दलजीत चौधरी ने मीडिया से कहा, ''इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि सैफुल्लाह के आईएसआईएस से संबंध थे। आज के युग में कोई भी युवा आईएसआईएस के बहकावे में आ सकता है। इंटरनेट, सोशल मीडिया के माध्यम से वे प्रेरित हो जाते हैं।''

मध्यप्रदेश में भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में हुए विस्फोट के बाद गिरफ्तार तीन संदिग्ध आतंकी, उसके बाद कानपुर और इटावा में संदिग्धों की गिरफ्तारियां तथा सैफुल्लाह के साथ मुठभेड़ का सिलसिलेवार ब्यौरा देते हुए चौधरी ने बताया कि गिरफ्तार संदिग्ध आतंकियों और सैफुल्लाह के आईएसआईएस से जुड़े होने का हमारे पास कोई प्रमाण नहीं है।

उन्होंने कहा, ''हम नहीं कहते कि वह किसी से जुड़े था। वह नेट सामग्री के प्रभाव में आ जाते हैं और अपना आचरण और संकल्प उसी तरह करने लगते हैं। इसी प्रभाव में इन सभी ने काम करने का विचार किया और धीरे-धीरे करने की कोशिश की। वह आईएस-खोरासान के नाम से अपनी पहचान बनाना चाह रहे थे। उन्होंने छोटी घटनाओं का प्रयास किया, मगर नाकाम रहा। मध्य प्रदेश की घटना के बाद उनकी असली गतिविधियों के बारे में जानकारी मिली।''

जब सवाल किया गया कि आईएस-खोरासन माड्यूल का प्रमुख कौन था, तो चौधरी ने बताया कि सभी संदिग्ध आतंकियों का नेता अतीक मुजफ्फर था।

चौधरी ने बताया कि सैफुल्लाह की जब आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने घेराबंदी की तो वह शहादत की बात करने लगा। उसे आत्मसमर्पण के लिए राजी करने के काफी प्रयास किये गये, लेकिन वह लगातार गोलीबारी करता रहा। एटीएस ने भी जवाबी फायरिंग की और अंत में सैफुल्लाह मारा गया। उन्होंने बताया कि ठाकुरगंज के मकान में सैफुल्लाह के साथ तीन अन्य युवक रहते थे। ट्रेन विस्फोट के बाद पकडे गये संदिग्ध आतंकियों से पूछताछ के दौरान मिली जानकारी के आधार पर कानपुर, औरैया और लखनऊ में छापेमारी की गयी।

चौधरी ने बताया कि संदिग्धों के पास बरामद लैपटॉप की जांच करने पर पता चला कि वे लगातार आईएसआईएस के साहित्य का अध्ययन करते थे। इंटरनेट से ही उन्होंने असलहा और बम बनाना सीखा। इन्हें कहीं बाहर से धन नहीं मिलता था बल्कि धन की व्यवस्था उन्होंने खुद की थी। उन्होंने बताया कि कई जगह छापेमारी के बाद गिरफ्तारियां हुई हैं, लेकिन दो संदिग्ध अभी भी बाकी हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।

यह पूछने पर कि उत्तर प्रदेश पुलिस को माड्यूल की जानकारी किस राज्य की ओर से मुहैया करायी गयी, तो चौधरी ने कहा कि कई राज्यों और एजेंसियों से जानकारी आयी थी लेकिन वह किसी का नाम नहीं बताएंगे। इस सवाल पर कि क्या बाराबंकी के मशहूर देवाशरीफ सहित प्रदेश की दरगाहों और अन्य धार्मिक स्थानों पर यह माड्यूल हमले की फिराक में था, चौधरी ने स्पष्ट कहा, ''यह कहना गलत होगा। लक्ष्य पर दरगाहें आदि थीं, इस बारे में ना तो किसी संदिग्ध ने बयान दिया है और ना ही कोई प्रमाण है।''

इस सवाल पर कि पकड़े गये संदिग्ध आपस में भाई या रिश्तेदार हैं क्या, चौधरी ने कहा कि आपस में कुछ तो भाई और रिश्तेदार हैं, लेकिन साथ में कुछ दोस्त भी हैं। जब पूछा गया कि क्या सभी संदिग्ध नौसिखिये हैं, चौधरी ने कहा, ''ये नहीं कहेंगे कि नौसिखिये हैं। जिस ढंग से उनके पास हथियार और गोला बारूद सामग्री, बम बनाने का सामान मिला है, जिस ढंग से वे स्वत: प्रेरित थे और कट्टर थे, उनको नौसिखिया नहीं कहा जा सकता। आखिर ट्रेन विस्फोट तो उन्होंने कर ही दिया।''

चौधरी ने बताया कि मध्यप्रदेश पुलिस ने पिपरिया से उत्तर प्रदेश के रहने वाले तीन संदिग्धों दानिश अख्तर उर्फ जफर, सैयद मीर हुसैन उर्फ हजमा और अतीक मुजफ्फर उर्फ अल कासिम को गिरफ्तार किया। उन्होंने बताया कि लखनऊ में मारे गये संदिग्ध आतंकी सैफुल्लाह के पास से आठ पिस्टल, चार चाकू, 32 बोर के 630 जिन्दा कारतूस, 71 खोखा राउण्ड, 45 ग्राम सोना, तीन मोबाइल, बैंकों की चेक बुक, एटीएम कार्ड तथा पैन कार्ड, सिम कार्ड, दो वाकी टाकी सैट, बम बनाने का सामान, तीन पासपोर्ट, डेढ़ लाख रुपए नकद, काले रंग के कपड़े का बैनर बरामद किया गया।

मोदी के मेक इन इंडिया प्‍लान को झटका, नौकरियां जाने का खतरा बढ़ा

केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ‘मेक इन इंडिया’ की चाहे चाहे जितनी भी बातें कर ले और निवेशकों का आकर्षित करने के प्लान बना ले लेकिन उसका असर होता नहीं दिख रहा है। सात साल में पहली बार भारत में निर्मित माल की बिक्री में 3.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इस स्थिति से निर्माण क्षेत्र में छंटनी की आशंका बढ़ गई है, लोगों की नौकरियां जा सकती हैं और बैंकों के डिफॉल्टर्स की सूची लंबी हो सकती है। जानकारों का कहना है कि नोटबंदी से पहले जारी वैश्विक मंदी और कमजोर मांग की वजह से भारत में निर्मित वस्तुओं की मांग कम हुई है। यह गिरावट लेदर, टेक्सटाइल और स्टील सेक्टर में ज्यादा देखने को मिला है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक साल 2009-10 में निर्माण क्षेत्र में विकास दर 12.9 फीसदी था जो 2015-16 में घटकर 3.7 फीसदी रह गया है।

वैश्विक गिरावट की वजह से सितंबर 2016 में छमाही औद्योगिक समीक्षा के बाद इंजीनियरिंग सेक्टर की बड़ी कंपनी लार्सन एंड टुब्रो ने करीब 14000 कर्मचारियों की छंटनी की थी। इसके अलावा माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम और नोकिया जैसी बड़ी कंपनियों में भी साल 2016 में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी की खबर है। इन कंपनियों ने भी छंटनी के लिए कमजोर मांग को ही जिम्मेदार ठहराया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया अभियान की लॉन्चिंग से ठीक एक सप्ताह बाद ही नवंबर 2014 में नोकिया ने चेन्नई में अपने दफ्तर को बंद करते हुए करीब 6600 लोगों को रातों रात बेरोजगार बना दिया था।

अर्थव्यवस्था के जानकारों का कहना है कि सरकार को मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की मदद करनी चाहिए जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 15-16 फीसदी की हिस्सेदारी रखते हैं और करीब 12 फीसदी कर्मचारियों को रोजगार मुहैया कराते हैं। हालांकि, साल 2015-16 में सर्विस सेक्टर में 4.9 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है। यह पिछले वित्त वर्ष में 3.7 फीसदी था।

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी क्षेत्र की छोटी कंपनियां जिनकी सालाना बिक्री 100 करोड़ से कम है, वो सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं। इन कंपनियों की बिक्री में पिछले सात सालों में कुछ खास बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। इन कंपनियों की बिक्री में साल 2009-10 में 8.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी जो साल 2015-16 में बढ़कर 19.2 फीसदी तक पहुंच गई है।

बीएमडब्लू की उड़ने वाली होवर बाइक की शुरू हुई प्री-बुकिंग

उड़ने वाली कार की प्री बुकिंग शुरू हुए अभी कुछ ही दिन बीते थे कि आज जर्मन कंपनी बीएमडब्लू ने फ्लाइंग बाइक की प्री बुकिंग शुरू कर दी।

कंपनी बीएमडब्लू उड़ने वाली बाइक पर बड़ी तेजी से काम कर रही है। कंपनी बीएमडब्लू ने ऐसी बाइक का मॉडल तैयार कर लिया है जो उड़ने में सक्षम होगा।

बीएमडब्लू ने एक होवर बाइक का मॉडल तैयार किया है। होवर बाइक या होवर बोर्ड ऐसा उपकरण होता है जो जमीन से कुछ फीट की ऊंचाई पर चलता है। आसान भाषा में कहें तो ये उपकरण हवा में उड़ता है। बीएमडब्लू ने ऐसी ही एक बाइक का मॉडल तैयार कर लिया है।

कंपनी ने आर 1200 जीएस एडवेंचर मोटरसाइकिल के बेस पर इस मॉडल को तैयार किया है। दिखने में यह मॉडल एकदम किसी फ्यूचरिस्टिक बाइक की तरह ही लगता है। कुछ समय पहले टॉय मेकर कंपनी 'लेगो' ने बीएमडब्लू की एक बाइक का मॉडल तैयार किया था। यह कोई असली बाइक नहीं थी बल्कि उनके खिलौनों से तैयार की गई बाइक थी जिसे बनाने का काम 'लेगो' ने किया था।

प्लास्टिक से बनाई गई वह बाइक लोगों को काफी पंसद आई थी। उसी से प्रेरणा लेते हुए बीएमडब्लू ने खुद R 1200 GS बाइक का होवर मॉडल बनाया है। दिखने में यह मॉडल बेहद खूबसूरत है। इसे वाकई काफी अच्छी लुक्स दी गई हैं। बाइक की सीट, हैंडल, सस्पेंशन, इंजिन सब एकदम असली नजर आता है।

उड़ने वाली कार की बिक्री शुरू

रोड पर ट्रैफिक की बढ़ती समस्या से निजात दिलाने के लिए फ्लाइंग कार अब कांसेप्ट से जल्द ही रोड से दौड़ते हुए हवा में उड़ती नजर आएगी। डच कार कंपनी पैल-वी ने उड़ने वाली कार चलाने के सपने को हकीकत में बदल दिया है।

दुनिया की पहली कमर्शियल उड़ने वाली कार की बिक्री आम लोगों के लिए शुरू कर दी है। ग्राहक दो उड़ने वाली कारें, लिबर्टी स्पोर्ट और लिबर्टी पायनियर की प्री-बुकिंग शुरू कर सकते हैं।

मात्र 6.60 से 16.70 लाख रुपए देकर लिबर्टी स्पोर्ट और लिबर्टी पायनियर को बुक कर सकते हैं। कंपनी ने लिबर्टी स्पोर्ट की कीमत 2 करोड़ 70 लाख रुपए और लिबर्टी पायनियर की कीमत 4 करोड़ 1 लाख रुपए रखी है। कार की डिलेवरी यूरोप में 2018 के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है।

इस कार को कॉपटर बनने में 10 मिनट लगता है। जमीन पर ये कार 161 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है। हवा में 112 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकेंगी। एक लीटर इंधन में ये 11 किलोमीटर चलेंगी।

एक्स्ट्रा पैसे देने पर खरीदारों को ट्रेनिंग सेशन और सारे ही उपकरणों का डिस्प्ले देखने को मिलेगा। इन कारों में फोल्ड किए जा सकने वाले रोटर ब्लेड लगे हैं जो जमीन पर फोल्ड रहेंगे और उड़ने के लिए हेलीकॉप्टर की तरह घूमेंगे।

पैल-वी ने दो कार लिबर्टी स्पोर्ट और लिबर्टी पायनियर की बिक्री शुरू की है। लिबर्टी स्पोर्ट की कीमत 4 लाख डॉलर (2.70 करोड़ रुपए) और लिबर्टी पायनियर की कीमत 6 लाख डॉलर (4.1 करोड़ रुपए) तय की गई है। लिबर्टी स्पोर्ट को 6.60 लाख रुपए देकर बुक कर सकते हैं। लिबर्टी पायनियर को रिजर्व करने के लिए 16.70 लाख रुपए खर्च करने होंगे। बुकिंग के लिए दिए हुए पैसे नॉन रिफंडेबल है।

इसरो ने एक साथ 104 सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजकर इतिहास रचा

आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और कामयाबी हासिल कर ली। इसरो ने पीएसएलवी-सी37 से एक साथ 104 उपग्रह प्रक्षेपित कर नया कीर्तिमान स्थापित किया।

इसरो का यह मिशन भारत की अंतरिक्ष में एक मजबूत मौजूदगी दर्ज करवाएगा। इसरो ने पीएसएलवी-सी 37 के जरिए सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया।

अब तक रूस के पास एक साथ सबसे अधिक उपग्रह छोड़ने का रिकॉर्ड है। उसने 37 उपग्रहों को एक साथ प्रक्षेपित कर यह मुकाम हासिल किया था। इसरो भी जून 2015 में एक साथ 23 उपग्रह प्रक्षेपित कर अपनी काबलियत साबित कर चुका है।

इस मिशन में मुख्य उपग्रह 714 किलोग्राम वजन वाला कार्टोसेट-2 सीरीज उपग्रह है जो इसी सीरीज के पहले प्रक्षेपित अन्य उपग्रहों के समान है।

इसके अलावा इसरो के दो तथा 101 विदेशी अति सूक्ष्म (नैनो) उपग्रहों का भी प्रक्षेपण किया गया है जिनका कुल वजन 664 किलोग्राम है।

विदेशी उपग्रहों में 96 अमेरिका के तथा इजरायल, कजाखस्तान, नीदरलैंड, स्विटजरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात के एक-एक उपग्रह शामिल हैं।

इसरो के इस मिशन में सैन फ्रांसिस्को की एक कंपनी के 88 छोटे सैटेलाइट लॉन्च किए गए।

भारत द्वारा ही विकसित ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान इसरो का सबसे विश्वस्त रॉकेट है। पीएसएलवी-सी 37 इस श्रेणी के रॉकेट का 39वां मिशन है।

अब तक पीएसएलवी की मदद से 38 मिशन को अंजाम दिया जा चुका है।

कार्टोसेट-2 सीरीज का उपग्रह धरती की निगरानी के इस्तेमाल में आएगा। इसके अलावा दो नैनो उपग्रह आईएनएस-1ए और आईएनएस-1बी को भी कक्षा में स्थापित किया।

इसरो ने इस मिशन में सबसे भारी PSLV का इस्तेमाल किया है। PSLV-37 का वज़न 320 टन, ऊंचाई 44.4 मीटर है।

88 छोटे सैटेलाइटों का इस्तेमाल धरती की तस्वीरों के लिए किया जाएगा।

इसरो का यह रॉकेट 15 मंजिला इमारत जितना ऊंचा है।

भारोत्तोलकों के पीछे सिद्धांत ... एक नए क्वांटम थ्योरी की भौतिकी? डाक्यूमेंट्री

भारोत्तोलकों के पीछे सिद्धांत ... एक नए क्वांटम थ्योरी की भौतिकी? डाक्यूमेंट्री

अल्फा सेंटौरी के लिए यात्रा - डाक्यूमेंट्री

अल्फा सेंटौरी के लिए यात्रा - डाक्यूमेंट्री

कैसे काम करता है परमाणु बम - डाक्यूमेंट्री

कैसे काम करता है परमाणु बम - डाक्यूमेंट्री

कैसे काम करता है परमाणु रिएक्टर - डाक्यूमेंट्री

कैसे काम करता है परमाणु रिएक्टर - डाक्यूमेंट्री

क्या त्वचा कोशिकाओं से बच्चों को पैदा किया जा सकता है ?

क्या त्वचा कोशिकाओं से बच्चों को पैदा किया जा सकता है ?