खेल

क्या महिला फुटबॉल को गंभीरता से लिया जा रहा है?

दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर अपने खेल के सबसे बड़े पुरस्कार के लिए लड़ने के लिए फ्रांस में हैं।

नहीं, हमने पिछले साल रूस में विश्व कप के साथ इसे भ्रमित नहीं किया है: हम महिला विश्व कप के बारे में बात कर रहे हैं।
टूर्नामेंट का आठवां संस्करण अगले महीने नौ शहरों में खेला जा रहा है।

फुटबॉल की दुनिया में शासी निकाय, फीफा के रिकॉर्ड एक बिलियन टेलीविजन दर्शकों तक पहुंचना चाहता है।

हालांकि, दुनिया की सर्वश्रेष्ठ महिला फुटबॉलर अदा हेगरबर्ग पिच पर नहीं उतरेंगी।

वह क्यों नहीं खेल रही है? और क्या महिला फुटबॉल आखिरकार पुरुषों के खेल की छाया से उभर रहा है?

आईसीसी भारत के बिना विश्व कप आयोजित नहीं कर सकता : सौरव गांगुली

भारत के क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली ने पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हुए आतंकवादी हमले के बाद कहा है कि पाकिस्तान से साथ द्विपक्षीय सीरीज की कोई संभावना नहीं है। साथ ही, उन्होंने इस कायरतापूर्ण हमले की भर्त्सना करते हुए दुख जताया है।

गांगुली ने साथ ही कहा कि अंतराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) भारत के बिना विश्व कप आयोजित नहीं कर सकता। पूर्व कप्तान ने कहा, ''पिछले सप्ताह जो कुछ भी पुलवामा में हुआ, वह काफी दुखद था और इस हमले के बाद भारत के लोगों की जैसी प्रतिक्रिया आयी, वह बिल्कुल ठीक है। इस कायरतापूर्ण हमले के बाद पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय सीरीज की कोई संभावना नहीं है।''

गांगुली ने कहा, ''मैं लोगों की भावनाओं को समझ सकता हूँ जो यह कह रहे हैं कि भारत को विश्व कप में पाकिस्तान के साथ नहीं खेलना चाहिए और मुझे लगता है कि सरकार को इस मुद्दे पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।''

उन्होंने कहा कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) उच्चतम न्यायालय के अधीन काम करता है और वह कोई भी बड़ा फैसला खुद नहीं ले सकता। गांगुली ने कहा, ''मुझे नहीं लगता कि बीसीसीआई के पास अपना निर्णय लेने की ताकत है। निर्णय लेने के लिए कोई पदाधिकारी नहीं बचे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि बीसीसीआई को इस मुद्दे पर एक मजबूत निर्णय लेना चाहिए और एक बेहद कठोर संदेश भेजना चाहिए।''

विश्व कप में पाकिस्तान के साथ नहीं खेलने के सवाल पर पूर्व कप्तान ने बयान देते हुए कहा कि विश्व कप में कुल 10 टीमें हिस्सा लेती है और सभी टीमों को एक-दूसरे से मैच खेलने होते हैं। अगर भारत विश्व कप में अपना एक मुकाबला नहीं खेलता है तो मुझे नहीं लगता कि इसमें किसी को आपत्ति होनी चाहिए। उन्होंने एक निजी न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा, ''आईसीसी को भारत के बिना विश्व कप कराने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन आपको यह भी देखना होगा कि क्या भारत के पास आईसीसी को ऐसा करने से रोकने की शक्ति है। लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि एक स्पस्ट संदेश जरुर भेजा जाना चाहिए।''

पुरूष हॉकी वर्ल्ड कप 2018 : इंग्लैंड को 6-0 से हराकर पहली बार फाइनल में पहुंचा बेल्जियम

उड़ीसा के भुवनेश्वर में बेल्जियम ने शनिवार को कलिंगा स्टेडियम में खेले गए एकतरफा मुकाबले में इंग्लैंड को 6-0 से करारी शिकस्त देकर पहली बार हॉकी विश्व कप के फाइनल में प्रवेश किया। इस मैच में बेल्जियम के लिए एलेक्जेंडर हेंड्रिक्स ने दो और टॉम बून, सिमोन गोउनार्ड, सेड्रिक चार्लियर और सेबेस्टियन डोकिएर ने एक-एक गोल किए।

इंग्लैंड की टीम ने मैच के शुरुआत से ही आक्रामक रुख अपनाया, लेकिन बेल्जियम ने बेहतरीन डिफेंस का परिचय दिया। बेल्जियम की टीम ने जवाबी हमला करते हुए जल्द ही बढ़त भी बना ली। मैच के 8वें मिनट में बेल्जियम के स्टार फॉरवर्ड खिलाड़ी टॉम बून ने अपनी टीम के लिए पहला गोल दागा।

दूसरे क्वार्टर की शुरुआत बेल्जियम के लिए शानदार रही और चार मिनट बाद ही गोउनार्ड ने पेनल्टी कॉर्नर पर गोल करके अपनी टीम की बढ़त को दोगुना कर दिया। बेल्जियम ने तीसरे और चौथे क्वार्टर में मैच को एकतरफा कर दिया। 2016 रियो ओलम्पिक के फाइनल में पहुंचने वाली बेल्जियम ने बेहतरीन पासिंग गेम खेला। 42वें मिनट में चार्लियर ने तीसरा गोल दागा। हेंड्रिक्स ने 45वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर पर मैच का अपना पहला गोल किया। चौथे क्वार्टर में इंग्लैंड की टीम ने अपने हथियार डाल दिए। हेंड्रिक्स ने 50वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर पर मैच का अपना दूसरा गोल किया और स्कोर 5-0 कर दिया। मैच समाप्त होने से पहले 53वें मिनट में डोकिएर ने अंतिम गोल दागा।

पुरूष हॉकी वर्ल्ड कप 2018 : ऑस्ट्रेलिया को हराकर फाइनल में पहुंचा नीदरलैंड्स

उड़ीसा के भुवनेश्वर में नीदरलैंड्स ने शनिवार को कलिंगा स्टेडियम में खेले गए बेहद रोमांचक सेमीफाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को पेनल्टी शूट आउट में 4-3 से हराकर पुरुष हॉकी विश्व कप के फाइनल में प्रवेश कर लिया। तय समय में मैच का नतीजा 2-2 से बराबर रहा। इस कारण मैच पेनल्टी शूट आउट में गया और यहां भी स्कोर 3-3 से बराबर रहा। सडन डेथ में नीदरलैंड्स ने गोल किया, जबकि ऑस्ट्रेलिया की टीम चूक गई और नीदरलैंड्स फाइनल में पहुँच गया। फाइनल में नीदरलैंड्स का सामना बेल्जियम से होगा जिसने अपने सेमीफाइनल मुकाबले में इंग्लैंड को 6-0 से मात दी।

सेमीफाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया की टीम एक समय 1-2 से पीछे थी, लेकिन कप्तान एडी ओकिंडन ने आखिरी मिनट में गोल कर स्कोर 2-2 से बराबर कर मैच में रोमांच ला दिया। नीदरलैंड्स से इस मैच में आक्रामक शुरुआत की उम्मीद थी। ऐसा ही हुआ। 5वें मिनट में उसे पेनल्टी कॉर्नर मिला। हालांकि इस पर वान डेर वीर्डेन गोल नहीं कर पाए। नीदरलैंड्स को पहले गोल के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा। खेल के 9वें मिनट में ग्लैन श्चूरमैन ने शानदार फील्ड गोल कर नीदरलैंड्स को 1-0 से आगे कर दिया। ऑस्ट्रेलिया ने बराबरी की बहुत कोशिश की, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली।

दूसरे क्वार्टर में नीदरलैंड्स ने दूसरा गोल कर ऑस्ट्रेलिया को और दबाव में ला दिया। सीवे वान आस ने 20वें मिनट में एक और शानदार फील्ड गोल कर नीदरलैंडस को 2-0 की बढ़त दिला दी। इस क्वार्टर में नीदरलैड्स को कुल तीन पेनल्टी कॉर्नर मिले, लेकिन एक पर भी गोल नहीं हो सका। वहीं दूसरे क्वार्टर में ऑस्ट्रेलिया के हिस्से भी दो पेनल्टी कॉर्नर आए। आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी दोनों मौकों पर नाकाम रहे। आस्ट्रेलियाई टीम की कोशिशेंं तीसरे क्वार्टर में भी नहीं रुकीं और आखिरकार क्वार्टर के आखिरी मिनट में वह पहला गोल कर मैच में वापसी करने में सफल रही। ऑस्ट्रेलिया को 45वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर मिला, जिस पर टिम हावर्ड ने गोल कर उसका खाता खोला।

आखिरी क्वार्टर में ऑस्ट्रेलिया की टीम बेहद आक्रामक थी। ऑस्ट्रेलिया ने अपने गोलकीपर को हटा कर एक अतिरिक्त फॉरवर्ड खिलाड़ी मैदान पर उतार दिया। 57वें मिनट में वह एक और पेनल्टी कॉर्नर हासिल करने में सफल रही, लेकिन एक बार फिर ब्लाक उसकी राह में बाधा बन गए। मैच खत्म होने में जब 26 सेकेंड का समय बचा था, तब ऑस्ट्रेलिया ने शानदार फील्ड गोल के जरिए बराबरी कर ली। डी के बाहर डेनियल बील ने ओकिंडन को पास दिया, ओकिंडन ने गेंद को नेट में डाल ऑस्ट्रेलिया को बराबरी करा मैच पेनल्टी शूटआउट में पहुंचा दिया। यहां भी स्कोर बराबर रहा और सडेन डेथ में नीदरलैंड्स ने बाजी मार लिया।

अगला एशियाई गेम्स चीन में होगा

रविवार को 18वें एशियाई खेलों की क्लोजिंग सेरेमनी (समापन समारोह) जकार्ता में संपन्न हुआ। इस भव्य समारोह में पारंपरिक संगीत और रंगारंग कार्यक्रमों के बीच विभिन्न खेलों में हिस्सा लेने वाले हजारों खिलाड़ी अपना आखिरी अलविदा कहने के लिए एकत्रित हुए। भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल ने तिरंगे झंडे के साथ भारतीय दल का नेतृत्व किया।

हमेशा की तरह इन एशियाई खेलों में भी चीन का वर्चस्व कायम है। यह अलग बात है कि 2010 और 2014 की तुलना में चीन ने कम पदक जीते हैं। लेकिन इसके बावजूद वह अपनी बादशाहत कायम रखने में सफल रहा।

वैश्विक स्तर पर खेल महाशक्ति माने जाने वाले चीन ने जकार्ता में 132 स्वर्ण, 92 रजत और 65 कांस्य के साथ कुल 289 पदक जीते। इसके अलावा जापान ही 200 पदकों का आंकड़ा पार कर सका। कुल 205 पदकों के साथ जापान दूसरे और 177 पदकों के साथ दक्षिण कोरिया तीसरे पायदान पर रहा। जबकि भारत ने भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 15 स्वर्ण के साथ कुल 69 पदक जीते। भारत ने 2010 में 65 पदक जीते थे और 1951 में 15 स्वर्ण जीते थे।

एशियाई खेलों की शुरुआत 1951 में हुई थी। चीन एशियाई खेलों में 1974 में शामिल हुआ, लेकिन इसके बावजूद वह आज इन खेलों में सबसे अधिक पदक जीतने वाला देश बना हुआ है। जकार्ता को अगर छोड़ दिया जाए तो चीन ने इस एशियाई खेलों के बीते 11 संस्करणों में कुल 2,976 पदक जीते थे, जिसमें 1,355 स्वर्ण, 928 रजत और 693 कांस्य पदक शामिल हैं।

एशियाई खेल 2018 : सेपक टाकरा इवेंट में भारत को पहला मेडल मिला, जीता कांस्य

सेपक टाकरा खेल में भारत को अबतक का पहला कांस्य पदक हासिल हुआ।

एशियाई खेल के तीसरे दिन की शुरुआत में भारत ने शूटिंग में गोल्ड सहित दो मेडल अपने नाम किए। 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में सौरभ ने गोल्ड जीता और अभिषेक ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। जिसके बाद शूटिंग में ही संजीव राजपूत ने सिल्वर अपने नाम करके भारत की झोली में दिन का तीसरा पदक दिलाया।

लेकिन रेसलिंग में भारत के लिए तीसरा दिन अच्छा नहीं रहा। भारतीय रेसलर अपने सभी गोल्ड मेडल इवेंट हार गए।

हालांकि सेपक टाकरा खेल में भारत को अबतक का पहला कांस्य पदक हासिल हुआ। अब सबकी नजर जिमनास्ट दीपा करमाकर पर होगी। एशियाई खेल के पहले दो दिन में भारत के खाते में 5 मेडल आए थे।

एशियाई गेम्स : सौरभ के गोल्ड के बाद संजीव ने सिल्वर मेडल जीता

एशियाई खेल के तीसरे दिन भारत की शुरुआत अच्छी रही। शूटिंग में भारत ने गोल्ड सहित दो मेडल अपने नाम किए।

10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में सौरभ ने गोल्ड जीता और अभिषेक ने ब्रॉन्ज मेडल जीता।

अब सबकी नजर जिमनास्ट दीपा करमाकर और शूटिंग व रेसलिंग के मेडल इवेंट पर होगी।

एशियाई खेल के पहले दिन भारत ने कांस्य पदक से अपना खाता खोला था और पहले दिन कुल 2 मेडल जीते थे। जबकि दूसरे दिन 3 मेडल अपनी झोली में डाले थे।

एशियाई गेम्स 2018 : विनेश फोगाट ने भारत को दूसरा गोल्ड दिलाया

एशियाई खेलों के दूसरे दिन भारतीय रेसलर विनेश फोगाट (50 kg) ने भारत की झोली में दूसरा गोल्ड मेडल डाल दिया। यह पहला मौका है जब किसी महिला पहलवान ने एशियन गेम्स में गोल्ड जीता हो।

इससे पहले, बजरंग पूनिया ने रविवार को पहला गोल्ड मेडल जीता था। इससे पहले दीपक कुमार ने शूटिंग में भारत को सिल्वर मेडल दिलाकर पदक के साथ दिन की शानदार शुरुआत की। इसके बाद 19 साल के लक्ष्य ने ट्रैप शूटिंग में सिल्वर मेडर जीतकर भारत के नाम एक और पदक जोड़ दिया।

भारत के अब कुल 5 मेडल हो गए हैं। इसमें दो गोल्ड, दो सिल्वर और एक ब्रॉन्ज है।

हालांकि रियो ओलंपिक में कांस्य जीतने वाली साक्षी मलिक (62kg) और पूजा ढांडा (57kg) अपने-अपने सेमीफाइनल मुकाबलों में हार गईं।

पहले दिन भारत ने कुल दो मेडल जीते थे। कुश्ती में बजरंग पूनिया ने गोल्ड मेडल जीता था, जबकि शूटिंग में रवि और अपूर्वी ने मिलकर ब्रोन्ज मेडल जीता था।

एशियाई गेम्स 2018: बजरंग पूनिया ने गोल्ड जीतकर रचा इतिहास

भारत के 24 साल के रेसलर बजरंग पूनिया ने रविवार को 18वें एशियन गेम्स में भारत की झोली में पहला गोल्ड मेडल डाला। बजरंग ने 65 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में जापान के ताकातानी दाईची को 11-8 से मात देकर स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। इसी के साथ वो एशियाई खेलों के इतिहास में कुश्ती में भारत को स्वर्ण पदक जिताने वाले पहले रेसलर बन गए हैं।

रविवार शाम को जैसे ही बजरंग का बेहद रोमांचक फाइनल मुकाबला खत्म हुआ, वैसे ही जकार्ता से लेकर भारत तक जीत का जश्न मनाया गया। जकार्ता में मौजूद भारतीय फैंस, स्टेडियम में ही जश्न मनाने लगे। वहीं सोशल मीडिया पर बजरंग के लिए धड़ाधड़ बधाइयों की लाइन लग गई।

फीफा वर्ल्ड कप : फ्रांस दूसरी बार चैंपियन बना, क्रोएशिया ने दिल जीता

फ्रांस ने फीफा विश्व कप के रोमांचक फाइनल में दमदार क्रोएशिया को 4-2 से हराकर दूसरी बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। फ्रांस ने 18वें मिनट में मारियो मैंडजुकिच के आत्मघाती गोल से बढ़त बनायी, लेकिन इवान पेरिसिच ने 28वें मिनट में बराबरी का गोल दाग दिया। फ्रांस को हालांकि जल्द ही पेनल्टी मिली जिसे एंटोनी ग्रीजमैन ने 38वें मिनट में गोल में बदला जिससे फ्रांस मध्यांतर तक 2-1 से आगे रहा।

पॉल पोग्बा ने 59वें मिनट में तीसरा गोल दागा, जबकि किलियान एमबापे ने 65वें मिनट में फ्रांस की बढ़त 4-1 कर दी। जब लग रहा था कि अब क्रोएशिया के हाथ से मौका निकल चुका है, तब मैंडजुकिच ने 69वें मिनट में गोल करके उसकी उम्मीद जगायी।

फ्रांस ने इससे पहले 1998 में विश्व कप जीता था। तब उसके कप्तान डिडियर डेसचैम्प्स थे जो अब टीम के कोच हैं। इस तरह से डेसचैम्प्स खिलाड़ी और कोच के रूप में विश्व कप जीतने वाले तीसरे व्यक्ति बन गये हैं। उनसे पहले ब्राजील के मारियो जगालो और जर्मनी के फ्रैंक बेकनबऊर ने यह उपलब्धि हासिल की थी।

क्रोएशिया पहली बार फाइनल में पहुंचा था। उसने अपनी तरफ से हर संभव प्रयास किये और अपने कौशल और चपलता से दर्शकों का दिल भी जीता, लेकिन आखिर में जालटको डालिच की टीम को उप विजेता बनकर ही संतोष करना पड़ा। निसंदेह क्रोएशिया ने बेहतर फुटबाल खेली, लेकिन फ्रांस ने अधिक प्रभावी और चतुराईपूर्ण खेल दिखाया, यही उसकी असली ताकत है जिसके दम पर वह 20 साल बाद फिर चैम्पियन बनने में सफल रहा।

दोनों टीमें 4-2-3-1 के संयोजन के साथ मैदान पर उतरी। क्रोएशिया ने इंग्लैंड के खिलाफ जीत दर्ज करने वाली शुरुआती एकादश में बदलाव नहीं किया तो फ्रांसीसी कोच डेसचैम्प्स ने अपनी रक्षापंक्ति को मजबूत करने पर ध्यान दिया। क्रोएशिया ने अच्छी शुरुआत की। पहले हाफ में न सिर्फ गेंद पर अधिक कब्जा जमाये रखा बल्कि इस बीच आक्रामक रणनीति भी अपनाये रखी। उसने दर्शकों में रोमांच भरा, जबकि फ्रांस ने अपने खेल से निराश किया। यह अलग बात है कि भाग्य फ्रांस के साथ था और वह बिना किसी खास प्रयास के दो गोल करने में सफल रहा।

फ्रांस के पास पहला मौका 18वें मिनट में मिला और वह इसी पर बढ़त बनाने में कामयाब रहा। फ्रांस को दायीं तरफ बाक्स के करीब फ्री किक मिली। ग्रीजमैन का क्रास शॉट गोलकीपर डेनियल सुबासिच की तरफ बढ़ रहा था, लेकिन तभी मैंडजुकिच ने उस पर हेडर लगा दिया और गेंद गोल में घुस गयी। इस तरह से मैंडजुकिच विश्व कप फाइनल में आत्मघाती गोल करने वाले पहले खिलाड़ी बन गये। यह वर्तमान विश्व कप का रिकार्ड 12वां आत्मघाती गोल है।

पेरिसिच ने हालांकि जल्द ही बराबरी का गोल करके क्रोएशियाई प्रशंसकों और मैंडजुकिच में जोश भरा। पेरिसिच का यह गोल दर्शनीय था जिसने लुजनिकी स्टेडियम में बैठे दर्शकों को रोमांचित करने में कसर नहीं छोड़ी। क्रोएशिया को फ्री किक मिली और फ्रांस इसके खतरे को नहीं टाल पाया।

मैंडजुकिच और डोमागोज विडा के प्रयास से गेंद विंगर पेरिसिच को मिली। उन्होंने थोड़ा समय लिया और फिर बायें पांव से शाट जमाकर गेंद को गोल के हवाले कर दिया। फ्रांसीसी गोलकीपरी ह्यूगो लोरिस के पास इसका कोई जवाब नहीं था। लेकिन इसके तुरंत बाद पेरिसिच की गलती से फ्रांस को पेनल्टी मिल गयी। बाक्स के अंदर गेंद पेरिसिच के हाथ से लग गयी। रेफरी ने वीएआर की मदद ली और फ्रांस को पेनल्टी दे दी। अनुभवी ग्रीजमैन ने उस पर गोल करने में कोई गलती नहीं की। यह 1974 के बाद विश्व कप में पहला अवसर है, जबकि फाइनल में मध्यांतर से पहले तीन गोल हुए।

क्रोएशिया ने इस संख्या को बढ़ाने के लिये लगातार अच्छे प्रयास किये, लेकिन फ्रांस ने अपनी ताकत गोल बचाने पर लगा दी। इस बीच पोग्बा ने देजान लोवरान को गोल करने से रोका। क्रोएशिया ने दूसरे हाफ में भी आक्रमण की रणनीति अपनायी और फ्रांस को दबाव में रखा। खेल के 48वें मिनट में लुका मोड्रिच ने एंटे रेबिच को गेंद थमायी जिन्होंने गोल पर अच्छा शाट जमाया, लेकिन लोरिस ने बड़ी खूबसूरती से उसे बचा दिया। लेकिन गोल करना महत्वपूर्ण होता है और इसमें फ्रांस ने फिर से बाजी मारी। दूसरे हाफ में वैसे भी उसकी टीम बदली हुई लग रही थी।

खेल के 59वें मिनट में किलियान एमबापे दायें छोर से गेंद लेकर आगे बढ़े। उन्होंने पोग्बा तक गेंद पहुंचायी जिनका शॉट विडा ने रोक दिया। रिबाउंड पर गेंद फिर से पोग्बा के पास पहुंची जिन्होंने उस पर गोल दाग दिया। इसके 6 मिनट बाद एमबापे ने स्कोर 4-1 कर दिया। उन्होंने बायें छोर से लुकास हर्नाडेज से मिली गेंद पर नियंत्रण बनाया और फिर 25 गज की दूरी से शाट जमाकर गोल दाग दिया जिसका विडा और सुबासिच के पास कोई जवाब नहीं था।

एमबापे ने 19 साल 207 दिन की उम्र में गोल दागा और वह विश्व कप फाइनल में गोल करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गये। क्रोएशिया लेकिन हार मानने वाला नहीं था। तीन गोल से पिछड़ने के बावजूद उसका जज्बा देखने लायक था, लेकिन उसने दूसरा गोल फ्रांसीसी गोलकीपर लोरिस की गलती से किया। उन्होंने तब गेंद को ड्रिबल किया, जबकि मैंडजुकिच पास में थे। क्रोएशियाई फारवर्ड ने उनसे गेंद छीनकर आसानी से उसे गोल में डाल दिया।

इसके बाद भी क्रोएशिया ने हार नहीं मानी। उसने कुछ अच्छे प्रयास किये, लेकिन उसके शॉट बाहर चले गये। इस बीच इंजुरी टाइम में पोग्बा को अपना दूसरा गोल करने का मौका मिला, लेकिन वह चूक गये। रेफरी की अंतिम सीटी बजते ही फ्रांस जश्न में डूब गया।

पॉल पोग्बा ने 59वें मिनट में तीसरा गोल दागा, जबकि किलियान एमबापे ने 65वें मिनट में फ्रांस की बढ़त 4-1 कर दी। जब लग रहा था कि अब क्रोएशिया के हाथ से मौका निकल चुका है, तब मैंडजुकिच ने 69वें मिनट में गोल करके उसकी उम्मीद जगायी।