अफवाह वाले संदेशों के स्रोत की जानकारी देने से व्हॉट्सएप का इंकार
सोशल नेटवर्किंग एप व्हॉट्सएप ने अपने प्लेटफॉर्म पर संदेश के मूल स्रोत का पता लगाने और इसकी जानकारी भारत को देने से इनकार कर दिया है। भारत सरकार ने व्हाट्सएप पर अफवाह फैलने से हिंसा की बढ़ती घटनाओं के बाद कंपनी से ऐसा तंत्र विकसित करने को कहा था, जिससे संदेश के मूल स्रोत का पता लगाया जा सके।
व्हाट्सएप के प्रवक्ता ने कहा कि ऐसा सॉफ्टवेयर बनाने से एक किनारे से दूसरे किनारे तक कूटभाषा प्रभावित होगी और व्हॉट्सएप की निजी प्रकृति पर भी असर पड़ेगा। साथ ही इसके दुरुपयोग की और ज्यादा संभावना पैदा होगी और हम निजता के संरक्षण को कमजोर करना नहीं चाहते हैं। लिहाजा कंपनी ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित नहीं कर सकती है। हमारा ध्यान भारत में दूसरों के साथ मिलकर काम करने और लोगों को गलत सूचना के बारे में शिक्षित करने पर है। इसके जरिये हम लोगों को सुरक्षित रखना चाहते हैं।
व्हाट्सएप के प्रमुख क्रिस डेनियल्स इसी सप्ताह भारत के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद से मिले थे, जिसमें अफवाह वाले संदेशों को रोकने पर बातचीत हुई थी।
दुनियाभर में व्हाट्सएप के प्रयोगकर्ताओं की संख्या करीब डेढ़ अरब है। भारत कंपनी के लिए सबसे बड़ा बाजार है। भारत में इसका इस्तेमाल करने वालों की संख्या 20 करोड़ से अधिक है।
व्हाट्सएप की ओर से कहा गया कि संदेशों के मूल स्रोत का खुलासा होने से उपयोक्ताओं की निजता भंग हो जाएगी। लोग व्हॉट्सएप के जरिये सभी प्रकार की संवेदनशील सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के लिए निर्भर हैं। चाहे वह उनके चिकित्सक हों, बैंक या परिवार के सदस्य हों। ऐसे में अगर इनके स्रोतों का खुलासा होगा तो निजी जानकारी लीक हो सकती है।
भारत सरकार की मंशा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मसलन फेसबुक, ट्विटर और व्हॉट्सएप से फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की है। पिछले कुछ माह में व्हाट्सएप के मंच से कई फर्जी सूचनाओं का प्रसार हुआ जिससे भारत में भीड़ की हिंसा के मामले बढ़ गए।