बिहार / झारखण्ड

लाइव : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राँची, झारखंड की परिवर्तन उलगुलान रैली को संबोधित किया

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कीर्ति आज़ाद कांग्रेस में शामिल हुए: कांग्रेस मुख्यालय में शक्तिसिंह गोहिल द्वारा एआईसीसी प्रेस वार्ता

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बजट सत्र 2019: गर्ल्स शेल्टर होम्स पर संसद में रंजीत रंजन का भाषण

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लाइव : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में जन आकांक्षा रैली को संबोधित किया

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में जन आकांक्षा रैली को संबोधित किया

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में जन आकांक्षा रैली को संबोधित किया

उमेश कुमार पर झूठा केस करने वाले का सच

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तेजस्वी यादव ने कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में संयुक्त भारत की रैली को संबोधित किया

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अहमद पटेल, शक्तिसिंह गोहिल, उपेंद्र कुशवाहा और अन्य समान विचारधारा वाले दलों द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

उपेंद्र कुशवाहा यूपीए में शामिल हुए। अहमद पटेल, शक्तिसिंह गोहिल और अन्य समान विचारधारा वाले दलों द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

बिहार के 17 और बाल आश्रय स्थलों की जांच होगी : सुप्रीम कोर्ट

मुजफ्फरपुर बाल आश्रय के बाद बिहार के 17 अन्य बाल आश्रय गृहों में बच्चों के यौन शोषण के मामले में बिहार पुलिस की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरा असंतोष जताया है। भारत के सुप्रीम कोर्ट कहा कि यह जांच भी सीबीआई को दी जाएगी।

जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को सीबीआई के वकील से कहा कि वह इस बारे में निर्देश लेकर कोर्ट को बताएं। कोर्ट ने कहा कि पुलिस अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं कर पा रही है। कोर्ट ने यह भी कहा कि हम सेाच रहे थे कि मामला मुजफ्फरपुर तक ही सीमित है। लेकिन ऐसा नहीं है। इस मामले में कई बच्चे सदमे में हैं और एक लड़की ने आत्महत्या तक कर ली है।

सुप्रीम कोर्ट इस बारे में एक रिपोर्ट को देख रहा था जिसमें आश्रय स्थलों की स्थिति के बारे में बताया गया था। इस मामले में एमिकस क्यूरी शेखर नफड़े ने कहा कि बिहार सरकार इन आश्रय गृहों के बच्चों के यौन शोषण पर बहुत ही नरम है। इस मामले में एफआईआर तार्किक रूप से धारा 323, 324 और 375 के तहत दर्ज होनी चाहिए थी, लेकिन छोटे अपराधों में ही रिपोर्ट दर्ज की गई है।

उन्होंने कहा कि इस मामलों में बच्चों पर गंभीर चोट और उनका यौन शोषण सामने आया है। इसमें अप्राकृतिक यौन संबंध में धारा 377 के तहत भी रिपोर्ट होनी चाहिए, लेकिन मामला जे जे एक्ट, 2015 की धारा 82 के तहत ही दर्ज हुआ है। बिहार में 110 आश्रय स्थल हैं जिनमें से 17 की स्थिति बहुत खराब है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ और बिहार सरकार के वकील के बीच हुई बातचीत इस प्रकार है :

पीठ : आप क्या कर रहे हो, यह बहुत ही शर्मनाक है, एक बच्चे के साथ अप्राकृतिक यौन शोषण हो रहा है और आप कह रहे हैं कि कुछ नहीं हुआ है। यह अमानवीय है। आप इस मामले में पॉक्सो एक्ट नहीं, आईपीसी की धारा 377 (आप्राकृतिक यौन संबंध) लगाइए। क्या इस मामले में धारा 377 के तहत जांच नहीं होनी चाहिए।

वकील : मामले की जांच हो रही है।

पीठ : यदि किसी की हत्या होती है और आप सामान्य चोट की रिपोर्ट दर्ज करते हैं तो क्या आप हमसे उम्मीद रखते हैं कि हम आपकी यह बात मान लेंगे कि इसकी जांच हो रही है कि आदमी मरा तो नहीं है। यह क्या है।

जस्टिस लोकुर : आप या तो यह कह सकते हैं कि आपसे सही धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करने में गलती हुई है या फिर आप हमारे आदेश का इंतजार कर सकते हैं। यदि हम इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि धारा 377 का उल्लंघन हुआ है तो आपको  रिपोर्ट दर्ज करनी पड़ेगी।

वकील : धारा 377 के तहत आरोप लगाए जाएंगे।

कोर्ट : आपने हमें बताया था कि आप गंभीरता के साथ मामले देखेंगे, क्या यही आपकी गंभीरता है। आपकी सरकार को रिपोर्ट मई में दी गई थी और आप बता रहे हैं कि आपने रिपोर्ट आज ही देखी है। यह दुखद है। आप यह कह कर सरकार को नहीं बचा सकते।

कोर्ट मुख्य सचिव से : क्या इसका कोई अर्थ है। एक बच्चे के साथ शोषण हुआ और आप कहते हो कि जे जे बोर्ड ने सही काम नहीं किया, उस पर कार्रवाई की जाएगी। जब आरोप को एफआईआर में रखा ही नहीं गया है तो आप जांच कैसे करेंगे? हमने देखा कि पुलिस की सामान्य प्रवृत्ति होती है कि वह रिपोर्ट में गंभीर किस्म की धाराएं लगाती है, लेकिन यहां एकदम उल्टा है।

वकील : मामले को 24 घंटे के अंदर ठीक करवा देंगे। इसे सोमवार तक स्थगित किया जाए।

कोर्ट : क्या इसका फायदा अभियुक्त नहीं उठाएंगे? वह कहेंगे कि मामला देरी से दर्ज किया गया है। इसे कल ही ठीक कीजिए और मुख्य सचिव कल कोर्ट में रहेंगे। उन्हें पता होना चाहिए कि राज्य में क्या हो रहा है। इस मामले को दो बजे सुना जाएगा।

उपेन्द्र कुशवाहा पहले मंत्री का पद छोड़ें, फिर एनडीए पर निशाना साधें : भाजपा

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष और भारत के केंद्रीय राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा बीते कई दिनों से एनडीए के घटक दलों पर निशाना साध रहे थे। अब भाजपा ने उपेन्द्र कुशवाहा पर निशाना साधा है। शनिवार को पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में भाजपा कोटे के दो मंत्रियों ने उन पर हमला किया।

उधर, आज  ही पटना में  हुई रालोसपा  की अहम  बैठक के  बाद उपेंद्र कुशवाहा ने  भी  कड़े तेवर दिखाते हुए भाजपा से 30 नवंबर तक सम्मानजनक सीट शेयर पर फैसला लेने को कहा है।

कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि अगर उपेन्द्र कुशवाहा को एनडीए छोड़ना है, तो पहले मंत्री पद त्यागें। एनडीए विरोधी मुहिम में शामिल होना है तो मंत्रिमंडल से इस्तीफा दें। वैसे फिलहाल रालोसपा एनडीए का हिस्सा है। पहले उनको तय करना चाहिए कि उन्हें केंद्र में रहना है या नहीं। निर्णय लेने के बाद वह स्वतंत्र हैं।

अमित शाह उन्हें मिलने का समय क्यों नहीं दे रहे हैं, के सवाल पर प्रेम कुमार ने कहा कि कई राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, इस कारण भाजपा अध्यक्ष अभी व्यस्त हैं।

दूसरी ओर, खान एवं भूतत्व मंत्री विनोद कुमार सिंह ने कहा कि कुशवाहा समाज बुद्धिजीवी है। इस समाज का कोई एक नेता ठेकेदार नहीं हो सकता है। कुशवाहा समुदाय किसी के कहने से उसके पीछे नहीं हो जाता है। सोच-समझ कर फैसला लेता है। कुशवाहा समुदाय एक नेता के कहने पर ही चलेगा, इसका दावा कोई नहीं कर सकता है।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिलने को लेकर हो रही बयानबाजी पर विनोद कुमार ने कहा कि वे चर्चा में बने रहने के लिए ऐसा बयान दे रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष सभी से मिलते हैं। नहीं मिलने का सवाल नहीं है।

इससे पूर्व राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की शनिवार को पटना में हुई कार्यकारिणी की अहम बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा।

उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी को सीट शेयरिंग के फार्मूले पर अल्टीमेटम देते हुए कहा कि 30 नवंबर तक यदि मुझे सम्मानजनक सीट देने का फैसला नहीं हुआ, तो समझेंगे कि भाजपा हमसे रिश्ता नहीं रखना चाहती है।

उन्होंने कहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे और उसके बाद ही अंतिम फैसला लेंगे। वह पहले खुद कोई फैसला नहीं लेंगे।