विदेश

पोलैंड: प्रेस की स्वतंत्रता पर नए प्रतिबंध के खिलाफ हजारों लोगों का विरोध प्रदर्शन

कई हजार लोग पोलैंड के राष्ट्रपति के महल के बाहर इकट्ठे होकर मीडिया पर लगे नए प्रतिबंध के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
वारसॉ में संसद भवन के सामने मीडिया पर लगे नए प्रतिबंध के खिलाफ हजारों लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे है।

पेंटागन: चीन अमेरिकी ड्रोन लौटने के लिए सहमत

चीन के साथ बढ़ते तनाव पर विल करर की रिपोर्ट

जिम्बाब्वे: रॉबर्ट मुगाबे की पार्टी को विभाजित करने की धमकी मिली

जिम्बाब्वे के 92 वर्षीय नेता रॉबर्ट मुगाबे को 2018 में राष्ट्रपति के रूप में दूसरे कार्यकाल के लिए खड़े करने के लिए उनकी Zanu-पीएफ पार्टी द्वारा समर्थन दिया गया है।
लेकिन आंतरिक डिवीजनों ने पार्टी को विभाजित करने की धमकी दी।

तुर्की विस्फोट: विश्वविद्यालय के बाहर कार बम फटा

केंद्रीय तुर्की में एक बम विस्फोट में कम से कम 13 सैनिक मारे गए और 55 अन्य घायल हो गए।
विस्फोट कायसेरी के केंद्रीय शहर में ड्यूटी ख़त्म होने के बाद लौट रहे सैन्य कर्मियों के बस में हुआ।
तुर्की के राष्ट्रपति रिसेप तईप एरडोगन ने हमले के लिए पीकेके को दोषी ठहराया है।

डकोटा एक्सेस पाइपलाइन: लापता मीडिया के मामले

अमेरिका के मूल निवासी और उनके समर्थकों के द्वारा पिछले छह महीने के लंबे विरोध प्रदर्शन की ओर मीडिया के कम ध्यान देने के बावजूद उन्हें विजयी मिली।

पेरू: द सोडालिटीम स्कैंडल

लैटिन अमेरिका के सबसे धनी रोमन कैथोलिक समाजों में से एक से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच।

दक्षिण सूडान सिविल वॉर: अत्यधिक अत्याचारों के कारण शरणार्थियों का पलायन

दक्षिण सूडान में छिड़े सिविल वॉर में अत्यधिक अत्याचारों के कारण शरणार्थियों का पलायन हो रहा है।

नाटो के खर्च को पूरा करने के लिए यूरोपीय संघ के नेता सहमत

नाटो के खर्च की जरूरतों को पूरा करने के लिए यूरोपीय संघ के नेताओं ने मीटिंग के लिए सहमति दी।

पाकिस्तान-रूस के बीच पहली द्विपक्षीय बातचीत

भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती नजदीकियों के बीच रूस और पाकिस्तान के बीच दूरियां खत्म होती दिख रही है। बुधवार को इस्लामाबाद में पाकिस्तान और रूस के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। यह पहला मौका है, जब दोनों देशों के बीच बातचीत हुई है।

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस दौरान कई क्षेत्रीय मुद्दों और आपसी हितों से जुड़े मामलों पर चर्चा हुई। इसके अलावा आर्थिक सहयोग एवं संपर्क पर भी बात हुई। मंत्रालय ने कहा, ''दोनों पक्षों ने महत्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं वैश्विक घटनाओं पर बातचीत की। इस मीटिंग में यह फैसला भी लिया गया कि दोनों पक्षों के बीच 2017 में मॉस्को में वार्ता आयोजित होगी।''

सितंबर में रूसी और पाकिस्तानी सैनिकों ने पहली बार संयुक्त सैन्य अभ्यास किया था। दोनों देशों की सेनाओं ने पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा के चेरात में आयोजित सैन्य अभ्यास में हिस्सा लिया था। इस जॉइंट ड्रिल को 'फ्रेंडशिप 2016' का नाम दिया गया था। इस सैन्याभ्यास को देनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों के तौर पर देखा गया था। दोनों देश शीत युद्ध के दौरान प्रतिद्वंद्वी थे।

2011 में अमेरिका के एक गुप्त अभियान में पाकिस्तान के एबटाबाद में अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मार गिराए जाने और नाटो सेनाओं के हमले में अफगान सीमा पर 24 पाक सैनिकों के मारे जाने के बाद से पाकिस्तान ने रूस के साथ अपने संबंधों को मधुर बनाने की कोशिशें तेज की हैं।

इन दोनों घटनाओं के बाद पाकिस्तान के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र में नई विदेश नीति को मंजूरी दी गई थी जिसमें रूस के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की बात भी शामिल थी। अपने पुराने सहयोगी रहे भारत को खुश रखने के लिए रूस लंबे समय से पाकिस्तान को नजरअंदाज करता रहा है।

बीते 15 महीनों में पाकिस्तानी सेना, नेवी और एयर फोर्स के चीफ रूस की यात्रा पर गए हैं और दोनों देशों के बीच 4 MI-35 हेलिकॉप्टर्स को लेकर डील भी हुई।

पाकिस्तान के साथ संबंध बढ़ाने को रूस की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। अमेरिका और भारत में नजदीकी बढ़ने के साथ ही रूस ने पाकिस्तान की ओर रुख करने की नीति अपनाई है।

चीन की ताइवान को जंग की धमकी

अमेरिका-ताइवान की बढ़ती नजदीकियों से चीन बौखला गया है। चीन अब ताइवान में बल प्रयोग की तैयारी में है। चीन ने सार्वजनिक तौर पर ताइवान में बल प्रयोग करने की वकालत की है।

बीते दिनों अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और ताइवान के राष्ट्रपति की फोन पर हुई बातचीत को लेकर चीन नाराज है। चीन ने इसे ताइवान की छोटी चाल तक बता दिया था। वहीं चीन के विदेशमंत्री ने इस बातचीत पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि इस फोन कॉल के बाद चीन और अमेरिका के संबंध खराब नहीं होंगे।

चीन के सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' में छपे संपादकीय में कहा गया है, ''अब समय आ गया है जब चीन को अपनी ताइवान नीति को दोबारा तैयार करना चाहिए जिसमें बल प्रयोग प्रमुख विकल्प हो और सावधानीपूर्वक इसके लिए तैयार होना चाहिए।'' ग्लोबल टाइम्स के इस संपादकीय को इसलिए भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि इसका चीन की सरकार से सीधा संबंध है। विदेश नीति से जुड़े किसी भी मुद्दे पर टिप्पणी करने के लिए चीनी सरकार इसी का सहारा लेती है।

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चार दशक पुराने 'वन चाइना पॉलिसी' को लेकर जब से सवाल खड़े किए हैं, उसके बाद से ही चीनी मीडिया ने ट्रंप के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

असल में चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। यही कारण है कि अमेरिका और ताइवान के बीच 1979 से ही आधिकारिक कूटनीतिक संबंध नहीं हैं। 'वन चाइना पॉलिसी' के तहत अमेरिका भी ताइवान को संप्रभु राष्ट्र नहीं मानता