भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के गढ़ मेहसाणा में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उनपर जमकर हमला किया। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि 6 महीने में 9 बार सहारा के लोगों ने मोदी जी को पैसा दिया। सहारा का यह रेकॉर्ड आयकर विभाग के पास है। राहुल गांधी ने कहा कि कोई भी बिजनस चलाता है तो वह हिसाब रखता है। 22 नवंबर 2014 को सहारा कंपनी पर छापा पड़ा।
राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर ये आरोप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का हवाला देकर लगाया है। राहल गांधी के मुताबिक, सहारा के लोगों ने नरेंद्र मोदी को 30 अक्टूबर 2013 को 2.5 करोड़, 12 नवंबर 2013 को 5 करोड़, 27 नवंबर 2013 को 2.5 करोड़ और 29 नवंबर 2013 को 5 करोड़ रुपये दिए।
साथ ही राहुल गांधी ने पीएम मोदी को इसकी स्वतंत्र जांच की चुनौती भी दी। राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी देश को बताएं कि ये सच है या नहीं। आप इसकी स्वतंत्र जांच कराइये। यह हमारे प्रधानमंत्री पर सवाल उठा है और इसका जवाब मिलना चाहिए।
राहुल गांधी का पीएम मोदी पर पूरा आरोप सहारा-बिड़ला डायरी मामले पर आधारित है और इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो रही है। इस मामले में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण है। प्रशांत भूषण ने अपनी याचिका में कहा है कि सीबीआई और इनकम टैक्स की रेड में ये दस्तावेज मिले थे कि उन्होंने कई नेताओं जिनमें कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हैं, को करोड़ों की घूस दी थी। इस मामले की सुप्रीम कोर्ट SIT से जांच कराए। सीबीआई और आयकर के जब्त किए गए कागजातों को कोर्ट में मंगवाया जाए।
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को आरोप साबित करने के लिए ठोस सबूत पेश करने का आदेश दिया था। प्रशांत भूषण ने जवाब में कहा कि वो पीएम पर आरोप नहीं लगा रहे। दोनों के पास से इंकम टैक्स को ये सारे दस्तावेज मिले हैं। उनके पास 1500 पेज की रिपोर्ट भी है जिस पर वो हलफनामा दाखिल करेंगे। 12 दिसंबर को कोर्ट बंद था इसलिए उन्होंने तय किया कि वो इस रिपोर्ट को खंगालकर हलफनामा दाखिल करेंगे। लिस्ट में अगली तारीख 11 जनवरी दिखाई दे रही थी।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा और बिड़ला ग्रुप द्वारा बड़े नेताओं को करोड़ों रुपये देने के मामले की SIT से जांच कराने से इंकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि क्योंकि मामला एक बड़े जनप्रतिनिधि से जुड़ा है, सिर्फ इसलिए मामले की जांच के आदेश नहीं दे सकते। जो कागजात दिए गए हैं, उनके आधार पर जांच नहीं कराई जा सकती क्योंकि सहारा के दस्तावेज तो पहले ही फर्जी पाए गए हैं। हमने ये अपने आदेश में भी कहा था। कोई भी किसी के नाम की कंप्यूटर में एंट्री कर सकता है, इसे तवज्जो नहीं दी सकती। याचिकाकर्ता कोई ठोस सबूत दे तो सुनवाई कर सकते हैं। अगर कोई ठोस दस्तावेज ना मिलें तो मामले को फिर से कोर्ट ना लाएं।