खेल

एशियाई गेम्स : सौरभ के गोल्ड के बाद संजीव ने सिल्वर मेडल जीता

एशियाई खेल के तीसरे दिन भारत की शुरुआत अच्छी रही। शूटिंग में भारत ने गोल्ड सहित दो मेडल अपने नाम किए।

10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में सौरभ ने गोल्ड जीता और अभिषेक ने ब्रॉन्ज मेडल जीता।

अब सबकी नजर जिमनास्ट दीपा करमाकर और शूटिंग व रेसलिंग के मेडल इवेंट पर होगी।

एशियाई खेल के पहले दिन भारत ने कांस्य पदक से अपना खाता खोला था और पहले दिन कुल 2 मेडल जीते थे। जबकि दूसरे दिन 3 मेडल अपनी झोली में डाले थे।

एशियाई गेम्स 2018 : विनेश फोगाट ने भारत को दूसरा गोल्ड दिलाया

एशियाई खेलों के दूसरे दिन भारतीय रेसलर विनेश फोगाट (50 kg) ने भारत की झोली में दूसरा गोल्ड मेडल डाल दिया। यह पहला मौका है जब किसी महिला पहलवान ने एशियन गेम्स में गोल्ड जीता हो।

इससे पहले, बजरंग पूनिया ने रविवार को पहला गोल्ड मेडल जीता था। इससे पहले दीपक कुमार ने शूटिंग में भारत को सिल्वर मेडल दिलाकर पदक के साथ दिन की शानदार शुरुआत की। इसके बाद 19 साल के लक्ष्य ने ट्रैप शूटिंग में सिल्वर मेडर जीतकर भारत के नाम एक और पदक जोड़ दिया।

भारत के अब कुल 5 मेडल हो गए हैं। इसमें दो गोल्ड, दो सिल्वर और एक ब्रॉन्ज है।

हालांकि रियो ओलंपिक में कांस्य जीतने वाली साक्षी मलिक (62kg) और पूजा ढांडा (57kg) अपने-अपने सेमीफाइनल मुकाबलों में हार गईं।

पहले दिन भारत ने कुल दो मेडल जीते थे। कुश्ती में बजरंग पूनिया ने गोल्ड मेडल जीता था, जबकि शूटिंग में रवि और अपूर्वी ने मिलकर ब्रोन्ज मेडल जीता था।

एशियाई गेम्स 2018: बजरंग पूनिया ने गोल्ड जीतकर रचा इतिहास

भारत के 24 साल के रेसलर बजरंग पूनिया ने रविवार को 18वें एशियन गेम्स में भारत की झोली में पहला गोल्ड मेडल डाला। बजरंग ने 65 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में जापान के ताकातानी दाईची को 11-8 से मात देकर स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। इसी के साथ वो एशियाई खेलों के इतिहास में कुश्ती में भारत को स्वर्ण पदक जिताने वाले पहले रेसलर बन गए हैं।

रविवार शाम को जैसे ही बजरंग का बेहद रोमांचक फाइनल मुकाबला खत्म हुआ, वैसे ही जकार्ता से लेकर भारत तक जीत का जश्न मनाया गया। जकार्ता में मौजूद भारतीय फैंस, स्टेडियम में ही जश्न मनाने लगे। वहीं सोशल मीडिया पर बजरंग के लिए धड़ाधड़ बधाइयों की लाइन लग गई।

फीफा वर्ल्ड कप : फ्रांस दूसरी बार चैंपियन बना, क्रोएशिया ने दिल जीता

फ्रांस ने फीफा विश्व कप के रोमांचक फाइनल में दमदार क्रोएशिया को 4-2 से हराकर दूसरी बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। फ्रांस ने 18वें मिनट में मारियो मैंडजुकिच के आत्मघाती गोल से बढ़त बनायी, लेकिन इवान पेरिसिच ने 28वें मिनट में बराबरी का गोल दाग दिया। फ्रांस को हालांकि जल्द ही पेनल्टी मिली जिसे एंटोनी ग्रीजमैन ने 38वें मिनट में गोल में बदला जिससे फ्रांस मध्यांतर तक 2-1 से आगे रहा।

पॉल पोग्बा ने 59वें मिनट में तीसरा गोल दागा, जबकि किलियान एमबापे ने 65वें मिनट में फ्रांस की बढ़त 4-1 कर दी। जब लग रहा था कि अब क्रोएशिया के हाथ से मौका निकल चुका है, तब मैंडजुकिच ने 69वें मिनट में गोल करके उसकी उम्मीद जगायी।

फ्रांस ने इससे पहले 1998 में विश्व कप जीता था। तब उसके कप्तान डिडियर डेसचैम्प्स थे जो अब टीम के कोच हैं। इस तरह से डेसचैम्प्स खिलाड़ी और कोच के रूप में विश्व कप जीतने वाले तीसरे व्यक्ति बन गये हैं। उनसे पहले ब्राजील के मारियो जगालो और जर्मनी के फ्रैंक बेकनबऊर ने यह उपलब्धि हासिल की थी।

क्रोएशिया पहली बार फाइनल में पहुंचा था। उसने अपनी तरफ से हर संभव प्रयास किये और अपने कौशल और चपलता से दर्शकों का दिल भी जीता, लेकिन आखिर में जालटको डालिच की टीम को उप विजेता बनकर ही संतोष करना पड़ा। निसंदेह क्रोएशिया ने बेहतर फुटबाल खेली, लेकिन फ्रांस ने अधिक प्रभावी और चतुराईपूर्ण खेल दिखाया, यही उसकी असली ताकत है जिसके दम पर वह 20 साल बाद फिर चैम्पियन बनने में सफल रहा।

दोनों टीमें 4-2-3-1 के संयोजन के साथ मैदान पर उतरी। क्रोएशिया ने इंग्लैंड के खिलाफ जीत दर्ज करने वाली शुरुआती एकादश में बदलाव नहीं किया तो फ्रांसीसी कोच डेसचैम्प्स ने अपनी रक्षापंक्ति को मजबूत करने पर ध्यान दिया। क्रोएशिया ने अच्छी शुरुआत की। पहले हाफ में न सिर्फ गेंद पर अधिक कब्जा जमाये रखा बल्कि इस बीच आक्रामक रणनीति भी अपनाये रखी। उसने दर्शकों में रोमांच भरा, जबकि फ्रांस ने अपने खेल से निराश किया। यह अलग बात है कि भाग्य फ्रांस के साथ था और वह बिना किसी खास प्रयास के दो गोल करने में सफल रहा।

फ्रांस के पास पहला मौका 18वें मिनट में मिला और वह इसी पर बढ़त बनाने में कामयाब रहा। फ्रांस को दायीं तरफ बाक्स के करीब फ्री किक मिली। ग्रीजमैन का क्रास शॉट गोलकीपर डेनियल सुबासिच की तरफ बढ़ रहा था, लेकिन तभी मैंडजुकिच ने उस पर हेडर लगा दिया और गेंद गोल में घुस गयी। इस तरह से मैंडजुकिच विश्व कप फाइनल में आत्मघाती गोल करने वाले पहले खिलाड़ी बन गये। यह वर्तमान विश्व कप का रिकार्ड 12वां आत्मघाती गोल है।

पेरिसिच ने हालांकि जल्द ही बराबरी का गोल करके क्रोएशियाई प्रशंसकों और मैंडजुकिच में जोश भरा। पेरिसिच का यह गोल दर्शनीय था जिसने लुजनिकी स्टेडियम में बैठे दर्शकों को रोमांचित करने में कसर नहीं छोड़ी। क्रोएशिया को फ्री किक मिली और फ्रांस इसके खतरे को नहीं टाल पाया।

मैंडजुकिच और डोमागोज विडा के प्रयास से गेंद विंगर पेरिसिच को मिली। उन्होंने थोड़ा समय लिया और फिर बायें पांव से शाट जमाकर गेंद को गोल के हवाले कर दिया। फ्रांसीसी गोलकीपरी ह्यूगो लोरिस के पास इसका कोई जवाब नहीं था। लेकिन इसके तुरंत बाद पेरिसिच की गलती से फ्रांस को पेनल्टी मिल गयी। बाक्स के अंदर गेंद पेरिसिच के हाथ से लग गयी। रेफरी ने वीएआर की मदद ली और फ्रांस को पेनल्टी दे दी। अनुभवी ग्रीजमैन ने उस पर गोल करने में कोई गलती नहीं की। यह 1974 के बाद विश्व कप में पहला अवसर है, जबकि फाइनल में मध्यांतर से पहले तीन गोल हुए।

क्रोएशिया ने इस संख्या को बढ़ाने के लिये लगातार अच्छे प्रयास किये, लेकिन फ्रांस ने अपनी ताकत गोल बचाने पर लगा दी। इस बीच पोग्बा ने देजान लोवरान को गोल करने से रोका। क्रोएशिया ने दूसरे हाफ में भी आक्रमण की रणनीति अपनायी और फ्रांस को दबाव में रखा। खेल के 48वें मिनट में लुका मोड्रिच ने एंटे रेबिच को गेंद थमायी जिन्होंने गोल पर अच्छा शाट जमाया, लेकिन लोरिस ने बड़ी खूबसूरती से उसे बचा दिया। लेकिन गोल करना महत्वपूर्ण होता है और इसमें फ्रांस ने फिर से बाजी मारी। दूसरे हाफ में वैसे भी उसकी टीम बदली हुई लग रही थी।

खेल के 59वें मिनट में किलियान एमबापे दायें छोर से गेंद लेकर आगे बढ़े। उन्होंने पोग्बा तक गेंद पहुंचायी जिनका शॉट विडा ने रोक दिया। रिबाउंड पर गेंद फिर से पोग्बा के पास पहुंची जिन्होंने उस पर गोल दाग दिया। इसके 6 मिनट बाद एमबापे ने स्कोर 4-1 कर दिया। उन्होंने बायें छोर से लुकास हर्नाडेज से मिली गेंद पर नियंत्रण बनाया और फिर 25 गज की दूरी से शाट जमाकर गोल दाग दिया जिसका विडा और सुबासिच के पास कोई जवाब नहीं था।

एमबापे ने 19 साल 207 दिन की उम्र में गोल दागा और वह विश्व कप फाइनल में गोल करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गये। क्रोएशिया लेकिन हार मानने वाला नहीं था। तीन गोल से पिछड़ने के बावजूद उसका जज्बा देखने लायक था, लेकिन उसने दूसरा गोल फ्रांसीसी गोलकीपर लोरिस की गलती से किया। उन्होंने तब गेंद को ड्रिबल किया, जबकि मैंडजुकिच पास में थे। क्रोएशियाई फारवर्ड ने उनसे गेंद छीनकर आसानी से उसे गोल में डाल दिया।

इसके बाद भी क्रोएशिया ने हार नहीं मानी। उसने कुछ अच्छे प्रयास किये, लेकिन उसके शॉट बाहर चले गये। इस बीच इंजुरी टाइम में पोग्बा को अपना दूसरा गोल करने का मौका मिला, लेकिन वह चूक गये। रेफरी की अंतिम सीटी बजते ही फ्रांस जश्न में डूब गया।

पॉल पोग्बा ने 59वें मिनट में तीसरा गोल दागा, जबकि किलियान एमबापे ने 65वें मिनट में फ्रांस की बढ़त 4-1 कर दी। जब लग रहा था कि अब क्रोएशिया के हाथ से मौका निकल चुका है, तब मैंडजुकिच ने 69वें मिनट में गोल करके उसकी उम्मीद जगायी।

आईपीएल फाइनल: हैदराबाद को हराकर चेन्नई ने आईपीएल 2018 का खिताब जीता

आईपीएल के 11वें सीजन के खिताबी मुकाबले में चेन्नै सुपर किंग्स ने शेन वॉटसन की विस्फोटक पारी की बदौलत सनराइजर्स हैदराबाद को 9 विकेट से हराकर खिताब पर तीसरी बार अपना कब्जा जमा लिया है। वॉटसन ने 57 बॉल पर नाबाद 117 रन की पारी खेली और वह अंत तक आउट नहीं हुए। अपनी इस मैराथन पारी के दौरान वॉटसन ने 11 चौके और 8 छक्के जड़कर विरोधी टीम को मैच से बाहर ही कर दिया।

वॉटसन ने सुरेश रैना (32) के साथ दूसरे विकेट के लिए 117 रन की साझेदारी निभाई, जो चेन्नै की जीत में अहम साबित हुई।

इससे पहले चेन्नई सुपर किंग्स ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। पहले बल्लेबाजी करते हुए हैदराबाद की टीम ने यूसुफ पठान की उम्दा पारी की बदौलत चेन्नै सुपर किंग्स को 179 रन का लक्ष्य दिया। पारी के 13वें ओवर में बल्लेबाजी के लिए क्रीज पर आए यूसुफ ने अपनी टीम के लिए इस अहम मुकाबले में 25 बॉल पर 45 रन की उम्दा पारी खेली। अपनी इस पारी में उन्होंने 2 छक्के और 4 चौके लगाए।

हैदराबाद की शुरुआत कुछ खास नहीं रही और मैच के दूसरे ओवर में श्रीवत्स गोस्वामी 5 रन पर आउट होकर पविलियन लौट गए। गोस्वामी फाइन लेग पर शॉट खेल कर्ण शर्मा के सामने 2 रन चुराना चाहते थे, लेकिन कर्ण शर्मा ने बॉल पर तेजी से झपटते हुए उसे धोनी की ओर फेंक दिया और जब तक गोस्वामी क्रीज पर लौटते, तब तक धोनी उनका काम तमाम कर चुके थे।

पहला विकेट गिरने के बाद कप्तान केन विलियमसन ने शिखर धवन के साथ मिलकर 51 रन जोड़े। दोनों बल्लेबाज संभलकर पारी को आगे बढ़ा रहे थे और स्कोर को 64 रन पर पहुंचा दिया।

इसके बाद धोनी ने बॉल रविद्र जडेजा को सौंप दी और जडेजा ने अपने पहले ही ओवर में शिखर धवन (26) को बोल्ड कर दिया। धवन जडेजा की इस बॉल पर स्लॉप स्वीप लगाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन बॉल उनके बैट को छकाते हुए थाई पैड से टकराई और सीधे स्टंप पर जा लगी। इस तरह 64 रन के कुल योग पर सनराइजर्स ने अपना दूसरा विकेट गंवा दिया। धवन ने यह 26 रन बनाने के लिए 25 बॉल खर्च कीं, जिसमें 2 चौके और 1 छक्का शामिल रहा।

ए बी डीविलियर्स ने संन्यास की घोषणा की

दक्षिण अफ्रीका के स्टार बल्लेबाज ए बी डीविलियर्स ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है। बुधवार को डीविलियर्स ने खुद एक वीडियो रिलीज करके जानकारी दी कि वो तत्काल प्रभाव से इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह रहे हैं।

वीडियो में 34 वर्षीय डीविलियर्स ने कहा कि यह उनके रिटायर होने का सही समय है। बता दें कि दुनिया के सबसे स्टाइलिश बैट्समैनों में से एक डीविलियर्स 14 साल तक दक्षिण अफ्रीकी टीम का मुख्य हिस्सा बनकर रहे। उन्होंने साउथ अफीका के लिए 114 टेस्ट मैच खेले हैं, जबकि 228 वनडे में वो प्रोटीज टीम का हिस्सा रहे हैं। इसके अलावा डीविलियर्स ने 78 टी-20 इंटरनेशनल मैच खेले हैं।

अफ्रीकी टीम के साथ डीविलियर्स ने जिस मैदान से अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत की, आज उसी ग्राउंड पर रिटायरमेंट की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा, ''14 साल देश के लिए खेलने के बाद अब समय गया है कि दूसरे लोगों को मौका दिया जाए। मैंने अपना काम कर लिया है और सच कहूं तो अब मैं थक चुका हूँ।''

आपको बता दें कि डीविलियर्स ने टेस्ट में 191 ईनिंग में 8765 रन बनाए हैं, जबकि वनडे में 218 पारियों में उन्होंने 9677 रन बनाए हैं।

भारत चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में हार का बदला नहीं ले पाएगा

भारत आई सी सी चैंपियंस ट्रॉफी (50-50 ओवर मैच) के फाइनल में पाकिस्तान के हाथों मिली करारी शिकस्त का बदला अब कभी नहीं ले सकेगा। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आई सी सी) ने चैंपियंस ट्रॉफी के बजाय अब वर्ल्ड T20 कराने का निर्णय लिया है।

पिछला चैपिंयस ट्रॉफी इंग्लैंड में वर्ष 2017 में आयोजित किया गया था। वर्ष 2021 में इसे भारत में आयोजित किया जाना था, लेकिन आई सी सी के ताजा फैसले के बाद अब ऐसा नहीं हो सकेगा। इसकी भरपाई भारत में वर्ल्ड T20 के आयोजन से की जाएगी।

दिलचस्प है कि वर्ष 2020 में ऑस्ट्रेलिया में वर्ल्ड T20 के आयोजन की घोषणा बहुत पहले ही की जा चुकी है। इसका मतलब यह हुआ कि एक साल के अंतराल में दो वर्ल्ड T20 का आयोजन किया जाएगा। पहला ऑस्ट्रेलिया और दूसरा उसके अगले साल ही भारत में होगा। नई योजना को आई सी सी के बोर्ड ने अपनी मंजूरी दे दी है।

बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में दर्शकों के बीच T20 का क्रेज बहुत बढ़ा है। T20 फॉर्मेट के लोकप्रिय होने से एकदिवसीय मैचों की श्रृंखला में क्रिकेट प्रशंसकों का रुझान पहले के मुकाबले कम हुआ है।

आई सी सी के ताजा फैसले से चैंपियंस ट्रॉफी का कांसेप्ट समाप्त हो गया है। चैंपियंस ट्रॉफी का पिछला आयोजन वर्ष 2017 में इंग्लैंड में किया गया था। लंदन के ऐतिहासिक ओवल मैदान में दो चिर प्रतिद्वंद्वी भारत और पाकिस्तान की टीमें आमने-सामने थीं। पाकिस्तान ने सेमीफाइनल में मेजबान इंग्लैंड को आठ विकेट से हराया था। वहीं, भारत ने बांग्लादेश को 9 विकेट से रौंद कर फाइनल में जगह बनाई थी।

भारत और पाकिस्तान के बीच 18 जून, 2017 में फाइनल मुकाबला खेला गया था। पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 50 ओवरों में चार विकेट के नुकसान पर 338 रन बनाए थे। विशाल स्कोर का पीछा करने उतरी भारत की पूरी टीम 30.3 ओवरों में सिर्फ 158 रनों पर ही सिमट गई थी।

इस तरह पाकिस्तान ने भारत को 180 रन के बड़े अंतर से मात दी थी। आई सी सी टूर्नामेंट में रनों से हार के मामले में यह सबसे बड़ा अंतर था। पाकिस्तान भारत को आज तक आई सी सी द्वारा आयोजित किसी भी श्रृंखला में नहीं हरा पाया था। इस मामले में पाकिस्तान की पहली जीत थी। पाकिस्तान की ओर से फखर जमान ने शानदार 114 रनों की पारी खेली थी। उन्हें मैन ऑफ द मैच का खिताब दिया गया था। वहीं, शिखर धवन को गोल्डन बैट (मैन ऑफ द सीरीज) से नवाजा गया था। उन्होंने पूरी श्रृंखला में 338 रन बनाए थे।

बीसीसीआई नेशनल बॉडी घोषित हो, आरटीआई के दायरे में आए: लॉ कमीशन

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बी सी सी आई) को ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए लॉ कमीशन ने बोर्ड में बड़े बदलाव करने के सुझाव दिये हैं। लॉ कमिशन ने सिफारिश की है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बी सी सी आई) को सूचना के अधिकार कानून (आर टी आई) के तहत लाया जाए।

अब अगर केंद्र सरकार लॉ कमीशन के इस रिपोर्ट को मान लेती है तो बी सी सी आई में एक व्यापक बदलाव देखने को मिल सकता है। लॉ कमीशन का कहना है कि हर किसी को बी सी सी आई से जुड़े मसलों की जानकारी मिल सके, इसके लिए जरूरी है कि इसका दर्जा एक जन निकाय (पब्लिक बॉडी) की तरह हो और इसे  सूचना के अधिकार कानून के तहत लाया जाए।

लॉ कमीशन का कहना है कि बी सी सी आई को नेशनल स्पोर्ट फेडरेशन का दर्जा दिया जाए। भविष्य में इसके खिलाफ कोर्ट में अपील भी डाली जा सके, चाहे मामले मानवाधिकार के उल्लंघन का ही क्यों ना हो।

लॉ कमीशन ने अपने सुझावों में आगे कहा है कि बी सी सी आई से जुड़ा हर संगठन जो इसके नियमों को पूरा करता है, उन सभी संगठनों को आर टी आई के दायरे में लाने की जरूरत है।

बता दें कि साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से पूछा था कि क्या बी सी सी आई को आर टी आई के तहत लाया जा सकता है। जिसके बाद विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट तैयार की है।

लॉ कमीशन ने कहा कि बी सी सी आई, राज्य की एक संस्था के तौर पर काम करता है। सिफारिश में कहा गया है कि बी सी सी आई को टैक्स छूट और जमीन के मामले में सरकार से बड़ी छूट मिलती है। इस मामले में लॉ कमीशन ने बी सी सी आई के उस बात को खारिज कर दिया, जिसमे बोर्ड ने खुद को निजी संस्था बतलाया था और इसी वजह से खुद को आर टी आई से बाहर रखे जाने की दलील दी थी।

लॉ कमीशन का कहना है कि बी सी सी आई सरकार की तरह ताकतों का इस्तेमाल करती है। जब दूसरे सभी राष्ट्रीय खेल आर टी आई के दायरे में रखे गए हैं तो फिर बी सी सी आई क्यों नहीं?

जाहिर है अगर सरकार लॉ कमीशन के सुझाव को मान लेती है तो फिर राज्य, जोन या नेशनल टीम में खिलाड़ियों के चयन को लेकर कोई भी सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकता है।

पूरी दुनिया के सामने भारत की जिमनास्टिक्‍स टीम शर्मिंदा हुई

कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की जिमनास्टिक्स टीम को उस वक्त शर्मिंदा होना पड़ा, जब उनके पहनावे पर राष्ट्रीय प्रतीक गायब मिलने पर उनके कुछ प्वाइंट काट लिए गए।

बता दें कि अन्तर्राष्ट्रीय खेल नियमों के मुताबिक हर खिलाड़ी के पहनावे पर उसके देश का राष्ट्रीय चिन्ह होना जरुरी है। चूंकि भारतीय जिमनास्टिक्स टीम की खिलाड़ियों अरुणा बुद्धा रेड्डी, प्रानीति नायक और प्रानीति दास के पहनावे पर यह गायब मिला, इसके लिए टीम को सजा के तौर पर कुछ प्वाइंट गंवाने पड़े। इतना ही नहीं, शुक्रवार को वूमेंस टीम फाइनल के दौरान जिमनास्टिक्स टीम को एक-जैसी जिमनास्टिक ड्रेस नहीं पहनने के कारण भी पेनल्टी झेलनी पड़ी।

वहीं जिमनास्टिक से जुड़े लोगों ने इस घटना पर गहरी निराशा जाहिर की है। भारत की मशहूर जिमनास्टिक खिलाड़ी दीपा करमाकर के कोच बिश्वेशनर नंदी का कहना है कि, एक अन्तर्राष्ट्रीय इवेंट के दौरान इतनी बड़ी गलती होना बेहद चौंकाने वाला है।

बता दें कि दीपा चोट के कारण इस बार कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा नहीं ले रही है। इससे पहले जिमनास्टिक टीम के सलेक्शन को लेकर भी काफी हंगामा हुआ था और कॉमनवेल्थ के लिए जाने के आखिरी समय तक जिमनास्टिक्स टीम का सलेक्शन नहीं हो पाया था।

दरअसल जिमनास्टिक फेडरेशन दो धड़ों में बंटी हुई है, जिस कारण टीम के चयन को लेकर काफी ऊहा-पोह की स्थिति रही। जब इंटरनेशनल जिमनास्टिक फेडरेशन ने इसमें दखल दिया, तब जाकर भारतीय टीम का सलेक्शन हुआ और वह गोल्ड कोस्ट जा पायी। अब स्पर्धा के दौरान हुई इतनी बड़ी गलती के बाद भारतीय जिमनास्टिक टीम एक बार फिर से चर्चाओं में आ गई है।

कोच बिश्वेशवर नंदी का कहना है कि कोच और मैनेजर को इस मामले में ध्यान रखना चाहिए था, हालांकि लड़कियां भी काफी अनुभवी हैं और उन्हें खुद भी इसका ध्यान रखना चाहिए था।

बता दें कि ड्रेस कोड नियमों का उल्लंघन करने के कारण भारतीय जिमनास्टिक्स टीम का कुल 1 प्वांइट काटा गया। बता दें कि भारतीय टीम फाइनल में कुल 128.975 प्वाइंट के साथ सातवें स्थान पर रही। वहीं ड्रेस कोड के उल्लंघन पर टीम की कोच मिनेरा बेगम से अभी इस मामले में बात नहीं हो पायी है।

राष्ट्रमंडल खेल 2018: 48 किग्रा महिला वेटलिफ्टिंग में मीराबाई चानू ने गोल्ड जीता

भारत की महिला खिलाड़ी साइखोम मीराबाई चानू ने ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में चल रहे 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में गुरुवार (4 अप्रैल, 2018) को भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया है। चानू ने खेलों के पहले दिन महिलाओं की 48 किलोग्राम भारवर्ग स्पर्धा में सोने का तमगा हासिल किया। चानू ने स्नैच में 86 का स्कोर किया और क्लीन एंड जर्क में 110 स्कोर करते हुए कुल 196 स्कोर के साथ स्वर्ण अपने नाम किया। स्नैच और क्लीन एंड जर्क दोनों में चानू का यह व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। उन्होंने साथ ही दोनों में राष्ट्रमंडल खेल का रिकार्ड भी अपने नाम किया है। स्पर्धा का रजत पदक मौरिशस की मैरी हैनित्रा के नाम रहा।

इससे पहले, गुरुवार को ही भारोत्तोलान में ही गुरुराजा ने भारत को पहला पदक दिलाया था। वह पुरुषों की 56 किलोग्राम भारवर्ग स्पर्धा में रजत जीतने में सफल रहे थे। गुरुराज ने स्नैच में 111 का स्कोर किया तो वहीं क्लीन एंड जर्क में 138 का स्कोर किया। उन्होंने कुल 249 का स्कोर करते हुए पदक अपने नाम किया।

इस स्पर्धा का स्वर्ण मलेशिया के मुहामेद इजहार अहमद हाजालवा के नाम रहा। उन्होंने कुल 261 का स्कोर किया। उन्होंने स्नैच में 117 का स्कोर किया जो एक नया गेम रिकार्ड है। इस मामले में उन्होंने नई दिल्ली में 2010 में खेले गए राष्ट्रमंडल खेलों में अपने हमवतन इब्राहिम द्वारा स्थापित किए रिकार्ड को ध्वस्त किया। क्लीन एंड जर्क में मलेशियाई खिलाड़ी ने 144 का स्कोर किया। स्पर्धा में कांसा श्रीलंका के चाटुरंगा लकमल के नाम रहा। उन्होंने स्नैच में 110 और क्लीन एंड जर्क में 134 का स्कोर किया।

इजहार ने पिछले साल राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप में जीत हासिल की थी। उन्होंने एक किलोग्राम से अपने उस स्कोर को बेहतर किया। फिजी के मैनुएली तुलो ने काफी मेहनत की, लेकिन वो सिर्फ चौथा स्थान हासिल कर सके। तुलो काफी समय तक पदक की दौड़ में थे, लेकिन आखिरी के दो प्रयासों में वो सफलता हासिल नहीं कर सके और पदक से चूक गए।

गुरुराज ने अच्छी शुरुआत की और पहले प्रयास में ही बढ़त ले ली। उन्होंने स्नैच में पहला प्रयास 107 किलोग्राम के लिए किया जो सफल रहा। तुलो ने दूसरे प्रयास में 108 किलोग्राम का भार उठाया, लेकिन उनके प्रयास में तकनीकी गलती के कारण ज्यूरी ने उसे नकार दिया। लकमल ने 110 किलोग्राम का पहला भार उठाया और सफलता हासिल की। इजहार ने हालांकि 114 किलोग्राम का भार उठाते हुए सफलता हासिल की। इसके बाद उन्होंने दूसरे प्रयास में 117 किलोग्राम का भार उठाते हुए गेम रिकार्ड हासिल किया। उनके पास अपने इस रिकार्ड को और बेहतर करने का मौका था, लेकिन 119 किलोग्राम के प्रयास में वह चूक गए।