मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले की तर्ज पर ही बिहार के एनजीओ सृजन घोटाले में आरोपी की भी मौत होनी शुरू हो गई है। कल्याण विभाग के गिरफ्तार नाजिर महेश मंडल की रविवार (20 अगस्त) की आधी रात जेल में ही मौत हो गई। भागलपुर के एसएसपी मनोज कुमार ने इसकी पुष्टि की है।
फिलहाल उसकी मौत की क्या वजह है? इसका खुलासा नहीं हो सका है। लिहाजा, तरह-तरह की शंका जाहिर की जा रही है। सृजन घोटाले में अब तक 18 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें से 11 सरकारी अधिकारी और कर्मचारी हैं, जबकि 4 लोग सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के और 3 बैंककर्मी हैं।
पुलिस की एसआईटी ने जिस दिन आरोपी महेश मंडल को उसके गांव के आलीशान एयरकंडीशन्ड कोठी से गिरफ्तार किया था, उसी वक्त से उसकी तबियत बिगड़ने लगी थी।
हालांकि, पुलिस ने एक निजी क्लिनिक में दूसरे ही दिन पुलिस सुरक्षा में महेश मंडल का डायलिसिस कराया था। उसके बाद पुलिस ने दो दिनों तक गहन पूछताछ की थी।
सूत्र बताते हैं कि मंडल के बयान के आधार पर ही कल्याण अधिकारी अरुण कुमार गुप्ता को एसआईटी ने दबोचा था। बाद में इन दोनों ने पुलिस और आर्थिक अपराध शाखा की टीम को कई बड़े-बड़े अधिकारियों और हाई प्रोफाइल लोगों के नाम बताए थे।
हालांकि, महेश मंडल को जेल भेजते वक्त उसकी हालत ठीक थी। एसएसपी कहते हैं कि उन्हें पहले से गंभीर बीमारी थी और साल में तीन बार उन्हें डायलिसिस की जरूरत पड़ती थी। जेल में आधी रात को अचानक उनकी तबियत ज्यादा बिगड़ी और मौत हो गई।
हो सकता है कि मंडल की मौत बीमारी की वजह से हुई हो, मगर पुलिस की बात को लोग रची हुई कहानी बता रहे हैं। लोगों को पुलिस की दलील पर यकीन नहीं हो रहा। महेश मंडल के परिजन मानते हैं कि वे कई गंभीर रोग से पीड़ित थे। बावजूद इसके उनका शक पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही दूर हो सकेगा।
बता दें कि सृजन महिला विकास सहयोग समिति ने सरकारी विभाग और दो बैंकों के कर्मचारियों-अधिकारियों की सांठगांठ से फर्जीवाड़ा कर 884 करोड़ रुपए का चूना सरकारी खाते को लगाया है। घोटाले की इस रकम में और इजाफा होने से इनकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि अभी दूसरे विभागों में भी पटना से आई वित्त विभाग की टीम रात-दिन ऑडिट करने में जुटी है। एनजीओ सृजन के तार झारखंड के रांची से भी जुड़े हैं। सृजन की संस्थापक मनोरमा देवी और उसकी पुत्रवधू प्रिया कुमार का मायका रांची ही है।
फिलहाल प्रिया ही सृजन की सचिव हैं और फरार हैं। उसके पिता कांग्रेसी नेता हैं, इसलिए कांग्रेस से भी इनके मधुर रिश्ते रहे हैं। रांची के एक बड़े कांग्रेसी नेता जो केंद्र में मंत्री भी रहे हैं, वे भी सृजन के जलसे में शिरकत करते रहे हैं।
मनोरमा देवी के पति अवधेश कुमार रांची में वैज्ञानिक की नौकरी करते थे। वे भागलपुर के गोसाई गांव के थे। इनके निधन के बाद मनोरमा अपने बच्चों के साथ भागलपुर आ गई थी और सबौर में एक किराए के मकान में रहने लगी। यह 1992-1993 की बात है।
बताते हैं कि इसी दौरान मनोरमा ने भागलपुर की एक फर्म से दो सिलाई मशीन किश्तों पर लिया था। इस फर्म के सेल्समैन एनवी राजू थे। बताते हैं कि आज सृजन की कृपा से एनवी राजू की हैसियत करोड़ों की है। टीवी और फ्रीज के कई शोरूम हैं।
इसी तरह विपिन शर्मा का नाम सृजन के दुर्जन की सूची में मिला है। इनकी भी कहानी रंक से राजा की है। सृजन से फायदा लेने वालों की लंबी फेहरिस्त है। सृजन की सचिव प्रिया कुमार और उसके पति अमित कुमार फरार हैं। पुलिस को उनके मोबाइल का लोकेशन रांची में मिला है। एसएसपी के मुताबिक, इनको तलाशने पुलिस टीम रांची गई है। इनकी गिरफ्तारी के बाद बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।
2008 में भागलपुर में पदस्थापित जिलाधिकारी विपीन कुमार ने सरकारी धन का सृजन के खातों में हस्तान्तरण देखकर हैरत जताई थी और फौरन इस काम को रोकने की हिदायत दी थी। मगर उनके तबादले के बाद यह खेल फिर से शुरू हो गया। बल्कि यों कहें कि तेजी पकड़ा। विपीन कुमार फिलहाल दिल्ली में बिहार भवन के आयुक्त हैं।
बहरहाल, नाजिर महेश मंडल की मौत पर कई तरह की चर्चा है। व्यापम की तर्ज पर कहीं मौतों / हत्याओं का सिलसिला सृजन में भी न हो। ऐसे खतरे का अंदेशा महेश मंडल की मौत से लगाया जा रहा है।
बिहार के 15 जिले इन दिनों भयानक बाढ़ से जूझ रहा है। वहां की करीब एक करोड़ आबादी इस आपदा से प्रभावित हुई है। उन्हें जहां-तहां शरण लेना पड़ा है। बाढ़ ने अब तक 120 लोगों की जिंदगी लील ली है।
बाढ़ प्रभावित जिले अररिया से गुरुवार (17 अगस्त) को दिल दहला देनेवाला एक वीडियो सामने आया। वीडियो में एक नदी पर बने पुल के ढह जाने से एक महिला अपने दो बच्चों समेत बाढ़ में बह गई। तबाही वाले इस वीडियो के बाद अररिया से ही एक ऐसा फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसने सभी के रोंगटे खड़े कर दिए हैं। फोटो के मुताबिक, अररिया के मीरगंज पुल से लाशों को नदी में फेंका जा रहा है। फोटो वायरल होने के बाद अररिया के जिलाधिकारी हिमांशु शर्मा ने जांच के आदेश दिए हैं।
आज तक के मुताबिक, मीरगंज पुलिस ने मंगलवार को इन छह लाशों को पुल से फेंका था। इससे पहले यह खबर आई ती कि जिन लाशों की पहचान नहीं हो पाई है, उसे प्रशासन मिट्टी में दबा रहा है। इस वीडियो और फोटो के वायरल होने से राज्यभर में हाहाकार मचा है।
अररिया में अबतक बाढ़ से 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। पुलिस के मुताबिक, पिछले शनिवार को आई बाढ़ में बहकर 15 लाशें आई थीं जिनमें से 13 की पहचान हो गई थी जबकि दो लाशों की शिनाख्त नहीं हो सकी थी। पुलिस के मुताबिक, पांच लाशें नेपाल से बहकर आई थीं, जिसके बारे में नेपाल पुलिस ने भी संपर्क किया था।
बिहार राज्य आपदा प्रबंधन के मुताबिक, अभी तक करीब चार लाख लोगों को दूसरी जगहों पर शरण दिया गया है ,जबकि करीब 2.15 लाख लोगों को करीब 500 राहत शिविरों में पहुंचाया गया है। राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार हवाई सर्वेक्षण कर रहे हैं। केंद्र की तरफ से भी एन डी आर एफ की कई टीमें राज्य के बाढ़ प्रभावित इलाकों में भेजी गई हैं।
गौरतलब है कि इस समय भारत के 9 राज्यों में बाढ़ का कहर जारी है। राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एन डी आर एफ) के मुताबिक बिहार, असम, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और गुजरात के आपदा प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य के लिए करीब 113 टीमें तैनात की गई हैं।
बिहार में सात मुसलमानों को बीफ खाने के शक में गुरुवार को भीड़ ने बेरहमी से पिटाई कर दी। पिटाई करने वालों की जगह पुलिस ने पीड़ित सातों मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार कर लिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिहार के चम्पारण में बीफ खाने के शक में तथाकथित गौरक्षकों ने घर में घुसकर मुस्लिमों की पिटाई कर दी। गौरक्षकों की भीड़ में विश्व हिंदू परिषद के कई लोग शामिल थे।
पुलिस ने कहा है कि इन सातों मुस्लिम युवकों पर हमला करने वालों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता क्योंकि उनके खिलाफ अभी तक किसी ने कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई है।
शुक्रवार को बीफ कानून तोड़ने के आरोप में पुलिस ने उन सातों मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार किया है। इन पर समुदाय की भावनाओं को आहत करने का आरोप है। इसमें खुदुश कुरैशी, नसरुद्दीन, मुस्तफा, जहांगीर, असलम अंसारी, बबलू और रिजवान को हिरासत में लिया गया है। हमले में बुरी तरह घायल हुए 4 लोगों को नजदीक के अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
आपको बता दें कि अभी कुछ दिनों पहले भी बिहार के आरा जिले में एक मुस्लिम शख्स को बीफ ट्रांसपोर्ट करने के शक में बुरी तरह से पीटा गया था। बिहार के अलावा भारत भर में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जिनमें गौरक्षा के नाम पर मुसलमानों को भीड़ ने अपना निशाना बनाया है।
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव कानूनी पचड़े में फंसते दिख रहे हैं। तेजस्वी यादव पर देश के राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के अपमान का आरोप लगा है। इस बावत तेजस्वी यादव पर बिहार के दरभंगा में केस दर्ज किया गया है। उनपर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है।
बता दें कि 13 अगस्त को तेजस्वी यादव ने एक ट्वीट किया था। इस ट्वीट में तेजस्वी यादव ने उमाशंकर सिंह नाम के शख्स के ट्वीट के पर टिप्पणी की थी।
उमाशंकर सिंह ने लिखा था, 'बंदे मारते हैं हम।' इस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए तेजस्वी यादव ने लिखा था, 'सही कहा इनका वंदे मातरम् = बंदे मारते हैं हम।'
तेजस्वी यादव की इस टिप्पणी पर जनता दल यूनाइटेड तकनीकी प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष इकबाल अंसारी ने सीजीएम कोर्ट में याचिका दायर की है और कहा है कि तेजस्वी यादव ने 13 अगस्त के एक ट्वीट से राष्ट्रगीत का अपमान किया है। और उनके इस ट्वीट से भारतीय और भारतीयता को ठेस पहुंची है। इस केस में जनता दल यूनाइटेड नेता ने उमाशंकर सिंह को भी अभियुक्त बनाया है।
इन दोनों पर आईपीसी की धारा 124 (A) (राष्ट्रद्रोह), 120 (B) भारतीय दण्ड विधान, 501 (B) भारतीय दण्ड विधान, प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट 69 (1971) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि एक पूर्व उपमुख्यमंत्री के ऐसे राष्ट्रविरोधी ट्वीट से यह बात साबित हो जाती है कि इनको अपना राजनीतिक स्वार्थ साधने के लिए न तो राष्ट्र के सम्मान की चिंता है और न ही राष्ट्र की छवि की।
इकबाल अंसारी ने कहा कि इस ट्वीट पर कड़ी आलोचना होना के बावजूद तेजस्वी यादव ने ना तो इस ट्वीट को डिलीट किया और ना ही इसके लिए माफी मांगी। आर जे डी नेता के रवैये से राहत होकर उन्हें अदालत की शरण में आना पड़ा।
बता दें कि तेजस्वी यादव इस वक्त बिहार में नीतीश सरकार के खिलाफ जनादेश अपमान यात्रा कर रहे हैं। बुधवार रात को ही तेजस्वी यादव को भागलपुर में सभा की इजाजत नहीं दी गई। जिस जगह पर सभा होनी थी प्रशासन ने वहां धारा-144 लागू कर दी। इससे नाराज तेजस्वी यादव भागलपुर रेलवे स्टेशन पर ही धरने पर बैठ गये थे।
बिहार विधान सभा में विरोधी दल के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक भागलपुर के सबौर में जनसभा का आयोजन होना था, लेकिन ऐन मौके पर सरकार ने इजाजत देने से मना कर दिया।
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि भागलपुर का सृजन एनजीओ घोटाला 2000 करोड़ रुपये की रकम को पार कर जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह घोटाला नीतीश कुमार और सुशील मोदी के संरक्षण में चल रहा था इसीलिए ये दोनों नेता घोटाले के मुख्य आरोपियों और अपने चहेतों को बचाने में जुटे हैं।
तेजस्वी ने कहा कि वो किसी भी सूरत में एक एनजीओ की लूट का मामला दबने नहीं देंगे और इसे सड़क से लेकर सदन तक उठाएंगे।
तेजस्वी ने सृजन घोटाले की सीबीआई से निष्पक्ष जांच कराने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में जल्द ही राजद का प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री, प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई निदेशक से मिलकर उन्हें निष्पक्ष जांच के लिए ज्ञापन सौंपेगा।
तेजस्वी भागलपुर के एक होटल में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उनके साथ बांका सांसद जयप्रकाश नारायण यादव, भागलपुर सांसद बुलो मंडल और राजद के भागलपुर जिलाध्यक्ष तिरुपति यादव भी मौजूद थे।
तेजस्वी जनादेश अपमान यात्रा के सिलसिले में समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया में सभाएं करते हुए बुधवार की रात एक बजे भागलपुर पहुंचे थे। यहां आने पर उन्हें जानकारी मिली कि उनके प्रस्तावित सभा स्थल सबौर के हाई स्कूल मैदान में जिला प्रशासन ने धारा 144 लगा दी है। सभा गुरूवार को होनी थी।
यहां बताना जरूरी है कि एनजीओ सृजन, सरकारी बैंक के कर्मचारियों और अधिकारी की सांठगांठ से हुए 700 करोड़ रूपए से भी ज्यादा के फर्जीवाड़े की बुनियाद सबौर ही है। सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड का दफ्तर सबौर ब्लॉक की सरकारी जमीन पर है।
तेजस्वी ने कहा कि भागलपुर का सृजन घोटाला व्यापम और पनामा पेपर घोटाले से कम नहीं है। व्यापम की तरह ही इसे भी दबाने की कोशिश जनता दल यूनाइटेड और बीजेपी की बिहार सरकार कर रही है।
उन्होंने इसके पीछे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी को बताया, जिनके जिम्मे वित्त विभाग पहले भी था और अभी भी है।
तेजस्वी ने कहा कि ऐसा हो नहीं सकता कि खजाना लुटता रहे और खबर वित्त मंत्री को न हो। ऐसे में मुख्यमंत्री का फर्ज बनता है कि वो निष्पक्ष जांच कराएं।
तेजस्वी ने कहा कि जांच के नाम पर मुख्यमंत्री अपने चहेते अफसरों को हवाई जहाज से भेजकर जांच कराने का नाटक कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आज तो हम 27 अगस्त की राजद की बीजेपी भगाओ - देश बचाओ रैली की कामयाबी के लिए आए हैं। इसके बाद राजद सृजन घोटाले को ठीक से उजागर करने और इसमें शरीक बड़े-बड़े लोगों के चेहरे से नकाब उतारने के लिए रैली आयोजित करेगा। सुशील मोदी भागलपुर के सांसद रहे हैं। उस वक्त से सृजन को संरक्षण मिलता रहा है। हम सृजन के दुर्जनों का विसर्जन करके रहेंगे। इसके लिए हमें कुछ भी करना पड़े।
तेजस्वी ने कहा कि लालू प्रसाद और उनके परिवार पर गलत आरोप लगा सीबीआई का छापा पड़वाया गया। नीतीश कुमार ने बीजेपी की गोद में बैठने के लिए ढोंग किया, मगर जाहिर हो चुका है कि यह भ्रष्टाचारियों की सरकार है। इनके 75 फीसदी मंत्री दागी हैं। खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हत्या का मुकदमा चल रहा है। उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी पर 5 मुकदमे चल रहे हैं।
बता दें कि तेजस्वी जब बुधवार की आधी रात भागलपुर स्टेशन चौक पर अपने काफिले के साथ पहुंचे, तब उन्हें ना तो ठहरने के लिए सर्किट हाउस में कमरा दिया गया और ना ही सबौर में जनसभा करने की इजाजत। इसके विरोध में वो अंबेदकर प्रतिमा के चबूतरे पर ही धरने पर बैठ गए।
तेजस्वी ने कहा, हम और हमारी पार्टी के लोग कानून का सम्मान करते हैं। इस वजह से काफिले के साथ सबौर जाना ठीक नहीं।
तेजस्वी ने कहा कि रात में डीएम, एसएसपी, डीजीपी को फोन किया, लेकिन किसी ने फोन रिसीव नहीं किया। फिर ट्वीट किया। तब एसएसपी ने राजद सांसद बुलो मंडल के पास फोन किया। जाहिर है यह सब नीतीश कुमार के इशारे पर हो रहा है। नतीजतन एक निजी होटल में रात गुजारनी पड़ी। नेता प्रतिपक्ष के साथ ऐसा सलूक लोकतंत्र की हत्या है। विरोध की आवाज दबाने की साजिश है।
उत्तरी बिहार में बाढ़ के हालात पर एक सवाल के जवाब में तेजस्वी ने नीतीश सरकार पर सीधा हमला बोला। वे बोले कि सरकारी आंकड़ा 75 मौतों का है। पहले से सरकार ने कोई इंतजाम नहीं किया। नतीजतन यह हालात पैदा हुए। पिछली बाढ़ से भी सबक नहीं ली। दरअसल, नीतीश कुमार को अपनी कुर्सी बचाने की ज्यादा चिंता है। ये तो बीजेपी की गोद में बैठने की जुगत में थे। बाढ़ का अंदेशा के बावजूद इनको कोई फिक्र नहीं है।
बिहार में बाढ़ की स्थिति लगातार रविवार को भयावह बनी हुई है, और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ से प्रभावित हजारों लोगों के राहत एवं बचाव के लिए सेना और भारतीय वायुसेना की मदद मांगी है।
नीतीश कुमार ने कहा, ''बिहार में बाढ़ की स्थिति भयावह है। राज्य सरकार पूरी तरह सतर्क है और हमने प्रभावित लोगों को बचाने तथा लोगों के बीच राहत सामग्री बांटने के लिए सेना और वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की मदद मांगी है।''
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से अनुरोध किया है कि प्रभावित लोगों के राहत एवं बचाव के लिए केंद्र से हर संभव मदद मुहैया कराएं।
बिहार में सीमांचल और कोशी इलाके के लगभग आधा दर्जन जिले पिछले तीन दिनों के दौरान हुई भारी बारिश के कारण बुरी तरह प्रभावित हैं। बिहार में सभी प्रमुख नदियां नेपाल एवं बिहार में अपने जलागम क्षेत्रों में हुई भारी बारिश के बाद से उफान पर हैं।
अधिकारियों ने कहा कि सैकड़ों गांव बाढ़ के पानी में डूब गए हैं जिसके कारण हजारों की संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं। अभी तक बाढ़ में किसी के मौत की खबर नहीं है। आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों को सतर्क कर दिया है, और बाढ़ प्रभावित किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, पश्चिम चंपारण, सहरसा, और सुपौल जिलों में निवासियों को घर खाली करने के आदेश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय में जानकार सूत्रों ने कहा कि पटना के दानापुर छावनी से बिहार रेजीमेंट के 80 सैन्यकर्मी लोगों को बचाने के लिए रविवार शाम किशनगंज और अररिया पहुंच गए।
राज्य सरकार ने एन डी आर एफ और एस डी आर एफ की टीमें इन जिलों में पहले से तैनात कर रखी है। आपदा प्रबंधन विभाग ने निचले इलाकों में रह रहे लोगों को ऊंचाई वाले स्थानों पर चले जाने को कहा है।
राजधानी पटना पहुंच रहीं खबरों में कहा गया है कि सुपौल, सहरसा, बाघा, गोपालगंज, मधुबनी, सीतामढ़ी, खगड़िया, दरभंगा और मधेपुरा जिलों में गांवों में पानी घुसने के बाद सैकड़ों लोग अपने घरों से भाग गए हैं।
जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ''राज्य में और नेपाल के जलागम क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण सभी नदियां उफान पर हैं, जिसके कारण इन गांवों में पानी घुस गया है।''
अररिया और किशनगंज में कई रेलवे स्टेशन बाढ़ के पानी में डूब गए हैं, जिसके कारण कई सारे यात्री फंस गए हैं। अधिकारियों के अनुसार, करोड़ों रुपयों की फसलें बर्बाद हो गई हैं और कई स्थानों के लिए जाने वाले मार्ग कट गए हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार एनडीए में शामिल हो सकते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक पटना में 19 अगस्त को जनता दल यूनाइटेड कार्यकारिणी की प्रस्तावित बैठक में नीतीश कुमार अपनी पार्टी जनता दल यूनाइटेड को एनडीए का हिस्सा बनाने की घोषणा कर सकते हैं। इसके एवज में नीतीश कुमार को एनडीए में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
रेडिफ डॉट कॉम की खबर के मुताबिक, नीतीश कुमार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का संयोजक बनाया जा सकता है। इसके अलावा जनता दल यूनाइटेड के दो नेताओं को नरेन्द्र मोदी सरकार में जगह मिल सकती है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इनमें से एक नेता को कैबिनेट रैंक का मंत्री बनाया जा सकता है, जबकि दूसरे नेता को राज्यमंत्री बनाया जा सकता है।
हालांकि जनता दल यूनाइटेड को इस वक्त पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं की बगावत का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सभा सांसद शरद यादव और अली अनवर नीतीश कुमार के फैसले के खिलाफ हैं। जनता दल यूनाइटेड ने अली अनवर को पार्टी के संसदीय दल से सस्पेंड कर दिया है। जबकि पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव को राज्य सभा में पार्टी के संसदीय दल के नेता पद से हटा दिया है। इनके स्थान पर जनता दल यूनाइटेड ने आर सी पी सिंह को राज्यसभा में पार्टी का नया नेता नियुक्त किया है। आर सी पी सिंह नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, नीतीश गुट अब राज्यसभा से इन दोनों नेताओं की विदाई चाहता है।
राज्यसभा में इस वक्त जनता दल यूनाइटेड के 10 सदस्य हैं। नीतीश कुमार और शरद यादव के बीच मतभेद तब सामने आए थे, जब पिछले महीने नीतीश ने कांग्रेस और राजद के साथ संबंध खत्म कर बिहार में नई सरकार बनाने के लिए बीजेपी से हाथ मिला लिए थे।
हाल ही में बिहार दौरे के दौरान शरद यादव ने कहा था कि उनका अभी भी यही मानना है कि वह राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन का हिस्सा हैं। जनता दल यूनाइटेड केवल नीतीश कुमार की ही पार्टी नहीं है बल्कि उनकी भी पार्टी है।
इधर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को कहा कि उन्होंने नीतीश कुमार को एनडीए में शामिल होने का न्यौता दिया है।
जनता दल यूनाइटेड में अब आर-पार की स्थिति आ गई है। नीतीश कुमार गुट ने एक अहम चाल चलते हुए शरद यादव को ठिकाने लगाने की कोशिश की है। उन्हें राज्य सभा में पार्टी संसदीय दल के नेता के पद से हटा दिया है।
राज्यसभा में जनता दल यूनाइटेड के सांसदों ने आज (12 अगस्त को) सभापति वेंकैया नायडू से मिलकर आर सी पी सिंह को सदन में पार्टी का नया नेता बनाने का आधिकारिक पत्र सौंपा। राज्य सभा सभापति को लिखे पत्र में जनता दल यूनाइटेड सांसदों ने कहा है कि उन लोगों ने सर्वसम्मति से आर सी पी सिंह को सदन में पार्टी का नया नेता चुना है।
जनता दल यूनाइटेड के बिहार प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने मीडिया को इसकी जानकारी दी। इससे एक दिन पहले शरद यादव के करीबी राज्य सभा सांसद अली अनवर को नीतीश खेमे ने पार्टी के संसदीय दल से निलंबित कर दिया था।
इधर, पार्टी में चल रहे आंतरिक कलह पर पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार (11 अगस्त) को अपनी चुप्पी तोड़ी। नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के पहले उन्होंने कहा, ''शरद यादव अपना फैसला लेने के लिए आजाद हैं। वह अपनी राह चुनने के लिए स्वतंत्र हैं। वह किसके प्रति वफादार रहना चाहते हैं, इसका फैसला खुद कर सकते हैं। बीजेपी के साथ गठबंधन का फैसला पूरी पार्टी की सहमति से लिया गया है।''
दूसरी तरफ, बिहार में कार्यकर्ताओं से संपर्क अभियान पर निकले शरद यादव ने दावा किया है, ''असली जनता दल (यूनाइटेड) उनके साथ है, जबकि सरकार पार्टी नीतीश के साथ है। असली जनता दल यूनाइटेड धर्मनिरपेक्ष ताकतों के साथ मिलकर आम चुनाव में सरकार बनाएगी।''
बता दें कि शरद गुट के लोगों को पार्टी में साइड लाइन करने का सिलसिला पांच दिन पहले ही शुरू हो गया था। इससे पहले मंगलवार (8 अगस्त) को पार्टी महासचिव पद से अरुण श्रीवास्तव को बर्खास्त कर दिया गया था। श्रीवास्तव पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने गुजरात राज्यसभा चुनावों में पार्टी के एक मात्र विधायक छोटू भाई वासवा को पार्टी नेतृत्व के फैसले से अवगत कराने में कोताही बरती थी और पार्टी विरोधी काम किया था।
नीतीश कुमार ने 19 अगस्त को पार्टी कार्यकारिणी की पटना में बैठक बुलाई है, लेकिन उससे पहले ही नीतीश गुट शरद यादव के करीबियों को पार्टी से किनारा करने में जुटी हुई है। अरुण श्रीवास्तव के बाद अली अनवर पर निलंबन की कार्रवाई और अब शरद यादव को राज्यसभा में पार्टी के नेता पद से हटाना, उसी कड़ी का हिस्सा है।
शरद यादव इन दिनों बिहार के सात जिलों के तीन दिवसीय दौरे पर हैं। आज उनकी यात्रा संपन्न हो रही है। इस बीच वो जगह-जगह कहते रहे कि असली जनता दल यूनाइटेड उनके साथ है। यानी पार्टी का बंटवारा तय है। ऐसा होता है तो जनता दल यूनाइटेड पर वर्चस्व की लड़ाई चुनाव आयोग पहुंच सकती है। इस बीच, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जनता दल यूनाइटेड को एनडीए में शामिल होने का औपचारिक निमंत्रण दिया है। माना जा रहा है कि 19 अगस्त को जनता दल यूनाइटेड कार्यकारिणी की बैठक में इस पर औपचारिक तौर पर मुहर लगेगी।
राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव इन दिनों चारा घोटाले के मामले में अक्सर रांची की अदालत में पेश हो रहे हैं। सीबीआई कोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत पेशी से छूट नहीं दी है, इसलिए उन्हें अक्सर हर सुनवाई पर पेश होना पड़ रहा है। इसी वजह से लालू यादव के वकील प्रभात कुमार ने सीबीआई की विशेष अदालत के जज शिवपाल सिंह पर दुर्भावना के साथ काम करने का आरोप लगाया है।
प्रभात कुमार का आरोप है कि जब इसी मामले में अन्य आरोपियों को पेशी से छूट दी गई है तो लालू यादव को क्यों नहीं? इसके साथ ही लालू के वकील ने जज बदलने की मांग पर झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही है।
लालू यादव ने 'द टेलीग्राफ' से कहा, ''मुझे नहीं लगता कि इस अदालत से मुझे न्याय मिल पाएगा। इसलिए हम अपने वकील के माध्यम से झारखंड हाईकोर्ट में जज बदलने की याचिका डालेंगे।''
सीबीआई की यह अदालत चारा घोटाले से जुड़े आर सी 64 ए/96 और आर सी 38 ए/96 मामले की सुनवाई कर रही है। आर सी 64 ए/96 देवघर ट्रेजरी से 85 लाख रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है, जबकि आर सी 38 ए/96 दुमका ट्रेजरी से 3.76 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है।
लालू के वकील ने इससे पहले सीबीआई कोर्ट को टाइम पेटिशन दिया था।
लालू यादव ने आरोप लगाया कि जज जानबूझकर उन्हें हर सुनवाई में पेश होने को कहते हैं जिसकी आवश्यकता नहीं है। लालू यादव के वकील ने कोर्ट को बताया था कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है क्योंकि उनकी हार्ट का वाल्व बदला जा चुका है। वकील ने इसके लिए जज को दवाइयां भी दिखाईं।
इसके साथ ही राजद अध्यक्ष के वकील ने आरोप लगाया कि जज ने बचाव पक्ष के उनके एक गवाह के साथ बदसलूकी भी की।
वकील ने बताया कि शुक्रवार को लालू के पक्ष में तीन गवाह अपना बयान दर्ज कराने अदालत पहुंचे थे, लेकिन जज ने उनमें से सिर्फ एक का ही बयान दर्ज किया। तीन गवाहों में एक बिहार सरकार में डीजीपी रैंक के अधिकारी सुनील कुमार थे। दूसरे बिहार सरकार के पूर्व मुख्य सचिव मुकुंद प्रसाद थे और तीसरे बिहार सरकार के कर्मचारी कन्हैया कुमार थे।
जज ने इनमें से सिर्फ मुकुंद प्रसाद का ही बयान दर्ज किया। वकील ने आरोप लगाया कि जज ने डीजीपी रैंक के अधिकारी सुनील कुमार के साथ ना केवल बुरा बर्ताव किया बल्कि उन पर जातिसूचक टिप्पणी भी की। इसके विरोध में डीजीपी रैंक के अधिकारी ने भी जज को खरी-खोटी सुनाई।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता शरद यादव के बीच मतभेद की अटकलों के बीच समाजवादी नेता और पूर्व विधान पार्षद विजय वर्मा ने शरद के महागठबंधन में बने रहने के लिए एक नई पार्टी बनाने के संकेत दिए हैं।
शरद यादव के विश्वस्त माने जाने वाले और दो बार बिहार विधान परिषद सदस्य रहे विजय वर्मा ने शरद के महागठबंधन में बने रहने के लिए एक नई पार्टी बनाने के संकेत दिए हैं, पर जनता दल यूनाइटेड के प्रधान महासचिव के सी त्यागी ने इसे अफवाह बताया है।
जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश प्रवक्ता अजय आलोक ने शरद की नाराजगी को आज खारिज कर दिया।
विजय वर्मा ने भाषा को मधेपुरा से फोन पर कहा कि शरद जी पुराने साथियों के संपर्क में हैं और राजनीतिक हालात पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नए दल का गठन एक विकल्प है और उस पर संजीदगी से विचार किया जा रहा है।
विजय वर्मा ने दावा किया कि शरद जी ने जोर देकर कहा है कि वे धर्मनिरपेक्ष शक्ति वाले महागठबंधन में बने रहेंगे और इसी को जेहन रखते हुए वे कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और माकपा नेता सीताराम येचुरी से मिले थे।
उन्होंने कहा कि शरद जी ने राजग सरकार में मंत्री के तौर पर शामिल होने से इंकार किया है। यह पूछे जाने पर कि अन्य किन-किन लोगों से शरद यादव की बातचीत हुई है। विजय वर्मा ने नाम का खुलासा करने से इंकार करते हुए कहा कि उनका सोशल नेटवर्क बहुत बड़ा है।
होटल के बदले भूखंड मामले में सीबीआई की प्राथमिकी पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद के पुत्र और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के जनता के बीच स्पष्टीकरण नहीं देने पर नीतीश के महागठबंधन से अलग होकर राजग में शामिल बीजेपी और उसके अन्य सहयोगी दलों के साथ बिहार में नई सरकार बनाने लेने पर चुप्पी साधे रहने के बाद जनता दल यूनाइटेड के राज्यसभा सदस्य शरद ने इसको लेकर सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जतायी है।
गत 31 जुलाई को संसद के बाहर शरद ने पत्रकारों से बातचीत करतेहुए कहा था कि जनादेश इसके लिए नहीं था और महागठबंधन के बिखरने को अप्रिय और दुर्भाग्यपूर्ण बताया था।
शरद के करीबी माने जाने वाले के सी त्यागी ने फोन पर पीटीआई और भाषा से बातचीत करते हुए इसे अफवाह बताते हुए कहा कि उन्हें आश्चर्य (बीजेपी के साथ हाथ मिलाने पर) व्यक्त किया है, पर कभी नहीं कहा कि मेरा विरोध है।
त्यागी ने कहा कि उन्होंने शरद जी को पिछले 40 सालों से बहुत करीब से देखा है और जानते हैं कि भ्रष्टाचार को लेकर वे लालू प्रसाद से अलग हुए थे, ऐसे में वे कैसे लालू के साथ जा सकते हैं। जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश प्रवक्ता अजय आलोक ने शरद के पार्टी से नाराज होने की मीडिया रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि सावन का महीना है, इसके बाद भादो और शरद आता है .... कोई नाराजगी नहीं।
जनता दल यूनाइटेड के दो सांसदों अली अनवर और विरेंद्र कुमार ने शरद से मुलाकात की थी। दोनों ने बीजेपी के साथ जाने के निर्णय का विरोध किया था।
नीतीश ने कहा था कि आगामी 19 अगस्त को जनता दल यूनाइटेड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पटना में बुलायी गयी है और उसमें इसको रखा जाएगा।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने महागठबंधन बिखराव के लिए नीतीश पर प्रहार करते हुए शरद से अपनी पार्टी की आगामी 27 अगस्त को पटना में आयोजित ''बीजेपी हटाओ, देश बचाओ'' रैली में शामिल होने का न्योता दिया है और सांप्रदायिक शक्तियों को परास्त करने के लिए देश भ्रमण करने की अपील की है।