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पीएनबी घोटाला: मोदी पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया

पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में 10,000 हजार करोड़ रुपये (1.8 अरब डॉलर) के घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने डायमंड कारोबारी नीरव मोदी एवं अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। मोदी पर बैंकों को 280.70 करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी के आधार पर यह केस दर्ज किया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस महीने की शुरुआत में सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की थी। इसी प्राथमिकी के आधार पर यह मामला काला धन रोधक अधिनियम (पी एम एल ए) के तहत दर्ज हुआ है। ऐसा माना जा रहा है कि ईडी ने नीरव मोदी एवं अन्य के खिलाफ पीएनबी की शिकायत का भी संज्ञान लिया है। पीएनबी ने सीबीआई से लुकआउट नोटिस जारी करने की भी मांग की है।

उन्होंने कहा कि सीबीआई इस बात की जांच करेगी कि क्या बैंक की धोखाधड़ी की गई राशि की हेरा-फेरी की गयी थी और अवैध संपत्ति बनाने के लिए आरोपियों ने इस तरीके का बार-बार इस्तेमाल किया था। सीबीआई ने इस संबंध में नीरव मोदी, उसके भाई, उसकी पत्नी और कारोबारी भागीदार के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

इसके अलावा सीबीआई ने मोदी, उसके भाई निशाल, पत्नी एमी और मेहुल चीनूभाई चौकसी के आवास पर छापेमारी भी की है। ये सभी डायमंड्स आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट्स और स्टेलर डायमंड्स में भागीदार हैं। दो बैंक अधिकारियों गोकुलनाथ शेट्टी (अब सेवानिवृत्त), मनोज खारत के आवास पर भी छापेमारी की गई है। नीरव मोदी फोर्ब्स की भारतीय अमीरों की सूची में भी शामिल रहे हैं।

पीएनबी का आरोप है कि गोकुल शेट्टी और मनोज खरट ने निर्धारित प्रक्रिया को पूरा किए बगैर ही हांगकांग स्थित इलाहाबाद बैंक और एक्सिस बैंक के लिए आठ एलओयू जारी कर दिए थे। इसका कुल मूल्य 4.42 करोड़ डॉलर (280.70 करोड़ रुपये) था।

हैरत की बात है कि आरोपी अधिकारियों ने कथित तौर पर इसकी एंट्री नहीं की थी। विभागीय छानबीन के बाद पीएनबी ने सीबीआई को शिकायत देकर मामले की छानबीन करने को कहा था। आरोप है कि करोड़ों रुपये मूल्य के आठ एलओयू जारी करने के लिए दस्तावेज मुहैया नहीं कराए गए थे। साथ ही, संबंधित अधिकारियों से इसकी मंजूरी भी नहीं ली गई थी।

घोटाला: बीपीएससी ने अप्लाई किये बिना असिस्टेन्ट प्रोफेसर बना दिया, खारिज उम्मीदवारों की बहाली हुई

नीतीश कुमार के शासनकाल में बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा असिस्टेन्ट प्रोफेसर की भर्ती में भारी गड़गड़ी के मामले उजागर हुए हैं। बीपीएससी ने कई ऐसे लोगों को भर्ती करने की सिफारिश की है जो पहले बीपीएससी द्वारा अयोग्य करार दिए गए थे। अब ये लोग भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुए और वहां से सफल घोषित होकर विश्वविद्यालयों में पदस्थापित भी हो चुके हैं।

एबीपी न्यूज ने महीने भर की गहन छानबीन के बाद यह उजागर किया है कि कई ऐसे अभ्यर्थियों का भी चयन बीपीएससी ने किया है जिनका नाम पहले न तो योग्य, न ही अयोग्य और न ही विलंब से आए आवेदनों की लिस्ट में था, लेकिन बाद में वो सीधे इंटरव्यू के लिए बुलाए गए और सफल भी करार दिए गए। चैनल के ऑपरेशन इंटरव्यू के मुताबिक, छानबीन से पता चलता है कि अंतिम तिथि समाप्त हो जाने के काफी बाद और भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद कुछ लोगों को अनुचित तरीके से फायदा पहुंचाया गया है।

बी एन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा में विजय शंकर और अनामिका यादव दोनों अंग्रेजी के असिस्टेन्ट प्रोफेसर के पद पर बहाल हुए हैं। इन दोनों का नाम आयोग की अयोग्य उम्मीदवारों की लिस्ट में रखा गया था।  इन दोनों ने न तो नेट या स्लेट पास किया था, न ही पीएचडी की थी। इसके बावजूद इन दोनों ने इंटरव्यू दिया और दोनों ही सफल रहे। इसी तरह से मगध विश्वविद्यालय में दर्शन शास्त्र विषय में वीरेंद्र मंडल बहाली हुई हैं। उनका नाम किसी लिस्ट में नहीं था। न तो योग्य उम्मीदवारों की लिस्ट में और न ही अयोग्य उम्मीदवारों की लिस्ट में। देर से प्राप्त हुए आवेदनों की लिस्ट में भी इनका नाम नहीं था। इसके बावजूद इंटरव्यू से कुछ दिन पहले इन्हें औपबंधिक रूप से योग्य करार देते हुए इंटरव्यू में शामिल किया गया और सफल करार दिए गए। जब इनसे पूछा गया तो मंडल ने बताया कि उनका आवेदन आयोग में प्राप्त नहीं हुआ था। बाद में आयोग ने उन्हें आवेदन करने को कहा और वो योग्य पाए गए। जबकि नियमानुसार अंतिम तारीख बीत जाने के बाद किसी भी सूरत में किसी का भी आवेदन स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यानी वीरेंद्र मंडल का चयन बीपीएससी में घपलेबाजी की ओर इशारा करता है।

आयोग के पूर्व अध्यक्ष राम आश्रय यादव कहते हैं कि इस तरह से किसी भी आवेदन को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। अगर किसी कारणवश आवेदन स्वीकार किए जाते हैं तो उसकी सूचना सार्वजनिक की जानी चाहिए थी ताकि और लोग भी लाभान्वित हो सकें। उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है कि स्क्रूटनी में दूसरे विषय का आवेदन दूसरे विषय में जा सकता है, लेकिन इससे कुल आवेदकों की संख्या नहीं बदली चाहिए।

इसके अलावा आरक्षण नियमों को भी झुठलाने के आरोप बीपीएससी पर लगे हैं। एबीपी न्यूज ने जब इन सभी मसलों पर बीपीएससी से पक्ष जानना चाहा तो आयोग की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया।

बता दें कि साल 2014 में बीपीएससी ने अलग-अलग विषयों के लिए कुल 3,364 पदों पर विज्ञापन निकाला था। कई विषयों का रिजल्ट जारी हो चुका है, जबकि कई विषयों में अभी रिजल्ट आना बाकी है। इससे पहले बिहार विद्यालय परीक्षा समिति, बिहार कर्मचारी चयन आयोग में फर्जीवाड़ा उजागर हो चुका है।

अमेरिका ने इस्राइल को वेस्ट बैंक में बस्तियों के निर्माण को हरी झंडी दी

अमेरिका ने इस्राइल को वेस्ट बैंक में बस्तियों के निर्माण को हरी झंडी दी।

इजरायल से निपटना बंद कर सकता है फिलिस्तीन

फिलिस्तीनी राष्ट्रपति ने डोनाल्ड ट्रम्प के शांति प्रयासों को 'सदी के थप्पड़' कहा है - और महमूद अब्बास ने वापस थप्पड़ देने का वादा किया।

अमेरिका में प्रवासियों का भविष्य ट्रम्प शासन के तहत क्या है?

आप्रवासन नीति में बदलावों से हजारों अमरीकी निवासियों की संख्या जल्द ही प्रभावित हो सकती है। एक प्रोग्राम के संभावित अंत से जो युवा लोगों को अवैध रूप से देश में लाया गया, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के तथाकथित "चेन माइग्रेशन" के विरोध में, कई जोखिम वाले को छोड़ना पड़ेगा।

क्या सीरिया में कुर्दों का समर्थन कर डोनाल्ड ट्रम्प आग से खेल रहे हैं?

सीरिया में कुर्दों के लिए अमेरिकी समर्थन तुर्की से प्रतिशोध के खतरों को लेकर है। अमेरिका की अगुआई वाले देशों का गठबंधन सीरिया में तीस हजार शक्तिशाली सेना की योजना बना रहा है, जो कि तुर्की के साथ सीमा के पार है।

तुर्की के राष्ट्रपति का मानना है कि कुर्द की अगुवाई वाली सेना खतरे में है और उत्तरी सीरिया में अफरीन शहर पर हमला करने का वायदा है।

अफरीन वाईपीजी कुर्द सैनिकों का एक बड़ा गढ़ है। तुर्की वाईपीजी को आतंकवादी समूह कुर्दिस्तान श्रमिक पार्टी से जुड़ा हुआ मानता है। इसके पीकेके सेनानियों ने तुर्की प्रभुत्व के खिलाफ एक लंबा युद्ध किया है।

युद्ध क्षेत्र में कितनी अस्थिरता जुड़ जाएगी?

दक्षिण अफ्रीका के एएनसी पार्टी के लिए आगे क्या है?

दक्षिण अफ्रीका में शासन करने वाली एएनसी अफ्रीका में सबसे पुराना राजनीतिक आंदोलनों में से एक है।

यह पार्टी 1 912 में स्थापित किया गया था और 1994 में रंगभेद के अंत के बाद से यह प्रभावशाली पार्टी रही है।

इस पार्टी ने लाखों दक्षिण अफ्रीकी में समृद्धि लाने का वादा किया था, लेकिन उस पर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन का आरोप लगाया गया है।

इसके नए नेता सिरिल रमोफोसा का कहना है कि वह इसे बदलना चाहते हैं।

उन्होंने इस पार्टी में विश्वसनीयता बहाल करने का वादा किया है, जिसे एक बार नेल्सन मंडेला ने नेतृत्व किया था।

लेकिन क्या वह इस काम को पूरा कर पाएंगे?

ब्लेज़ ऑफ़ फायर एंड फुरी: ट्रम्प अंतर्दृष्टि या उपन्यास?

ईरान परमाणु समझौते के खिलाफ ट्रम्प क्यों है?

संसद की स्थायी समिति ने रेलवे से पूछा, लक्जरी ट्रेनें सिर्फ 30 प्रतिशत यात्रियों के साथ क्यों चलाई जा रही हैं?

भारत में संसद की एक स्थायी समिति ने भारतीय रेल से पूछा है कि लक्जरी ट्रेनें सिर्फ 30 प्रतिशत यात्रियों के साथ क्यों चलाई जा रही हैं? भारतीय रेल पर संसद की स्थायी समिति ने गुरुवार को संसद में पर्यटन संवर्द्धन और तीर्थाटन सर्किट पर अपनी रिपोर्ट पेश की।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रालय को स्थिति-सुधार के उपाय करने चाहिए। समिति के अनुसार, महाराजा एक्सप्रेस, गोल्डन चैरियट, रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स, डेक्कन ओडिसी और पैलेस ऑन व्हील्स ट्रेनों में 2012 से 2017 के दौरान खाली सीटों की संख्या क्रमश: 62.7 प्रतिशत, 57.76 प्रतिशत, 45.46 प्रतिशत और 45.81 प्रतिशत रही है।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंध्योपाध्याय की अगुवाई वाली समिति ने कहा कि सबसे चौंकाने वाला मामला महाराजा एक्सप्रेस का है। यह ट्रेन पूरी तरह भारतीय रेल द्वारा चलाई जाती है। 2012-13, 2013-14, 2014-15, 2015-16 और 2016-17 में इस ट्रेन में यात्रियों की औसत संख्या क्षमता के क्रमश: 29.86 प्रतिशत, 32.33 प्रतिशत, 41.8 प्रतिशत, 41.58 प्रतिशत और 36.03 प्रतिशत रही।

यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जब रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने व्यापार और यात्रा पर अंशधारकों के साथ पहला परिचर्चा सत्र आयोजित किया है। भारतीय रेल की इस पहल का मकसद रेलवे के माध्यम से पर्यटन को प्रोत्साहन देना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति ने लक्जरी ट्रेनों में यात्रियों की कमी के मामले को गंभीरता से नहीं लेने के लिए रेल मंत्रालय की आलोचना की है। समिति ने कहा है कि मंत्रालय को इसकी उचित तरीके से समीक्षा के बाद बताना चाहिए कि ऐसी ट्रेनें सिर्फ 30 प्रतिशत यात्रियों के साथ क्यों चलाई जा रही हैं? वहीं दूसरी तरफ, भारतीय रेल की ड्रीम परियोजना 'स्वर्ण प्रोजेक्ट' के तहत शताब्दी ट्रेनों का कायाकल्प किया जा रहा है। इन ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को बेहतरीन सुविधाएं मुहैया कराने के लिए काफी काम हो रहा है। मुंबई और अहमदाबाद के बीच चलने वाली शताब्दी ट्रेन के लिए सोमवार को 25 नवीनीकृत और सर्वसुविधायुक्त कोच लॉन्च किए गए हैं। इन सभी कोच की बनावट बेहद ही खास है, इसमें स्वच्छता और सुंदरता पर काफी ध्यान दिया गया है।