सुस्त अर्थव्यवस्था और अलग अलग सेक्टर में लोगों की नौकरी का जाना पूरे देश में चिंता का विषय बना हुआ है।
इन्हीं चिंताओं के बीच शुक्रवार को भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार को देश की मौजूदा आर्थिक हालत का पूरा अंदाज़ा है और देश की विकास का एजेंडा सबसे ऊपर है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के दौरान फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट (FPI) की आय पर आयकर सरचार्ज बढ़ाने का फ़ैसला वापस ले लिया। साथ ही घरेलू निवेशकों के लिए भी आयकर सरचार्ज को बढ़ाने का निर्णय भी रद्द कर दिया।
वित्त मंत्री ने शेयर बाज़ार में लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर सरचार्ज को बढ़ाने के सरकार के फ़ैसले की वापसी की भी घोषणा की।
वित्त मंत्री के साथ इस प्रेस वार्ता में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर, वित्त सचिव राजीव कुमार, राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय, आर्थिक सचिव अतनु चक्रवर्ती, एक्सपेंडिचर सचिव गिरीश चंद्र मुर्मू भी मौजूद थे।
निर्मला सीतारमण की घोषणाएं
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए 70 हज़ार करोड़ के बेलआउट पैकज की मंज़ूरी दी गई।
- बैंकों को रेपो रेट की कटौती का फ़ायदा ब्याज में कमी कर ग्राहकों को देना होगा।
- लोन सेटलमेंट की शर्तें आसान हुईं। लोन की अर्ज़ी की ऑनलाइन मॉनिटरिंग होगी। कर्ज़ वापसी के 15 दिनों के भीतर बैंकों को ग्राहकों को दस्तावेज़ देने होंगे।
- टैक्स के लिए किसी को परेशान नहीं किया जाएगा। टैक्स असेसमेंट तीन महीने में पूरा किया जाएगा। आयकर से जुड़े ऑर्डर 1 अक्तूबर से सेंट्रलाइज़्ड सिस्टम के ज़रिए जारी किए जाएंगे।
- जीएसटी रिफंड आसान होगा, सभी जीएसटी रिफंड 30 दिन में किए जाएंगे। एमएसएमई की अर्जी के 60 दिनों के भीतर रिफंड दिया जाएगा।
- इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए 100 करोड़ रुपये का पैकेज़ दिया जाएगा। इस सेक्टर के कामकाज पर नज़र रखने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाई जाएगी।
- सीएसआर उल्लंघन को क्रिमिनल नहीं सिविल अपराध माना जाएगा।
- स्टार्टअप टैक्स निपटारे से जुड़े मामलों के लिए अलग सेल बनेगा।
- स्टार्टअप पंजीकरण में आयकर की धारा 56 2 (बी) लागू नहीं होगी। स्टार्टअप्स में एंजेल टैक्स ख़त्म।
- 31 मार्च 2020 तक ख़रीदे गए बीएस-IV वाहन अपने रजिस्ट्रेशन पीरियड तक बने रहेंगे और उनके वन टाइम रजिस्ट्रेशन फ़ीस को जून 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया।
- ऑटोमोबाइल सेक्टर में स्क्रैपेज पॉलिसी (पुरानी गाड़ियां का सरेंडर) लाएगी सरकार। गाड़ियों की ख़रीद बढ़ाने के लिए सरकार कई योजनाओं पर काम कर रही है।
- अमरीका और चीन के बीच ट्रेड वॉर से हालात पर नकारात्मक असर पड़ा है।
- अमरीका और चीन जैसे देशों में मांग में कमी के आसार हैं लेकिन हमारा विकास दर उनकी तुलना में आगे है।
- अमरीका और जर्मनी विपरीत यील्ड कर्व्स का सामना कर रहे हैं, यानी इन देशों में मांग में कमी आई है।
- भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत है। यहां कारोबार करना आसान हुआ। हम लगातार व्यापार को आसान कर रहे हैं। इसके लिए सभी मंत्रालय साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम वेल्थ क्रिएटर का आदर करते हैं। हमने अलग-अलग सेक्टर के लोगों से मुलाक़ात की। सरकार के एजेंडे में सुधार सबसे ऊपर है।
- मूडीज़ ने भारत के जीडीपी ग्रोथ को घटाकर 6.2 फ़ीसदी कर दी है जो पहले 6.8 फ़ीसदी थी।
- 2019 में वैश्विक विकास 3.2 फ़ीसदी से नीचे रह सकता है।
- पर्यावरण को लेकर मंजूरी में पहले से अब कम समय लगता है। इनकम टैक्स भरना पहले से बहुत आसान हुआ है। हम जीएसटी को और आसान बनाएंगे।
- इज़ ऑफ़ डूइंड बिज़नेस के मामले में यह सरकार पिछली सरकारों की तुलना में बहुत आगे है।
- अगले हफ़्ते होम बायर्स और अन्य मामलों को लेकर भी कुछ घोषणाएं की जाएंगी।
भारत में तीन तलाक़ को दंडात्मक अपराध बनाने वाले क़ानून को चुनौती देने वाली तीन याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पर सहमति दे दी है। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने इस संबंध में केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया है।
याचिका में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) एक्ट की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है जिसे पिछले महीने ही संसद में पास किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एनवी रमन्ना ने भारत सरकार को नोटिस भेजा है।
याचिकाकर्ताओं में से एक जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा है कि इस क़ानून के तहत तीन तलाक़ को ग़ैर ज़मानती अपराध बनाया गया ताकि मुस्लिम पुरुषों को तीन साल के लिए जेल में बंद किया जा सके जबकि इसी भारत में पत्नी को छोड़ देना अपराध नहीं माना जाता है।
संगठन का कहना था कि इस क़ानून के तहत तीन साल की सज़ा का प्रावधान 'असंगत और ज़्यादती' है।
पिछले महीने राज्यसभा में विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद तीन तलाक़ पर विधेयक पास हो गया था।
मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में तीन तलाक़ को ग़ैर-क़ानूनी घोषित करने के लिए क़ानून बनाने की कोशिश की।
मगर ये मामला अदालत में गया और विभिन्न पक्षों की बातें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2017 को तीन तलाक़ को अवैध घोषित कर दिया और केंद्र को क़ानून बनाने का आदेश दिया।
इसके बाद सरकार तीन तलाक़ पर विधेयक लेकर आई जो दिसंबर 2017 में लोक सभा से पास हो गया।
मगर अगले साल राज्य सभा से ये विधेयक पास नहीं हो पाया जिसके बाद सितंबर 2018 में सरकार ने अध्यादेश लाकर तीन तलाक़ को अवैध घोषित कर दिया।
इसका विरोध हुआ मगर प्रचंड बहुमत के साथ दोबारा सत्ता में आई मोदी सरकार ने 25 जुलाई 2019 को विधेयक को लोक सभा से पारित करवाया और पाँच दिन बाद 30 जुलाई को सरकार ये बिल राज्य सभा से भी पारित करवाने में सफल रही।
हालाँकि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके और राष्ट्रीय जनता दल ने इस बिल को 'पक्षपाती, असंवैधानिक और एकतरफ़ा' क़रार देते हुए आरोप लगाया कि 'मोदी सरकार ने इसे संख्याबल के जुगाड़ से पारित कराया है'।
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में जारी मंदी बहुत चिंताजनक है और सरकार को ऊर्जा क्षेत्र और ग़ैर बैंकिंग वित्तीय क्षेत्रों की समस्याओं को तुरंत हल करना होगा।
उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में निवेश को बढ़ाने के लिए नए सुधारों की शुरुआत करनी होगी।
समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में रघुराम राजन ने कहा कि भारत में जिस तरह जीडीपी की गणना की गई है उस पर फिर से विचार करने की ज़रूरत है।
उन्होंने मोदी सरकार के पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के उस बयान का भी ज़िक्र किया जिसमें उन्होंने जीडीपी को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए जाने की बात कही थी और अपना अनुमान पेश किया था।
साल 2018-19 में विकास दर 6.8 प्रतिशत हो गई थी जो 2014-15 के बाद सबसे कम है। कई निजी विशेषज्ञों और सेंट्रल बैंक का अनुमान है कि इस साल भी विकास दर 7 प्रतिशत के सरकारी अनुमान से कम रहने वाली है।
समाचार एजेंसी पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से बताया है कि सोमवार को भारत के कश्मीर के श्रीनगर में 190 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को खोला गया है।
श्रीनगर में मौजूद बीबीसी संवाददाता रियाज़ मसरूर ने बताया है कि शनिवार को सरकार ने कहा था कि सोमवार से आठवीं कक्षा तक सभी स्कूल खोले जाएंगे लेकिन रविवार शाम में कई जगहों पर पत्थरबाज़ी की घटनाओं के बाद सिर्फ़ पांचवीं कक्षा तक के स्कूल खोलने के आदेश दिए गए।
उन इलाक़ों के स्कूल खोले गए थे, जहां की स्थिति सामान्य समझी जा रही थी और प्रतिबंध कमोबेश हटा लिए गए हैं।
रियाज़ ने बताया कि आज श्रीनगर में सुबह सड़कों पर स्कूल बसें नज़र नहीं आईं और जब उन्होंने छात्रों के परिजनों से बात की तो उन्होंने बताया कि पांचवीं कक्षा तक के बच्चों की आयु 10 साल से कम ही होती है जिसके लिए स्कूल और बस ड्राइवर से संपर्क होना ज़रूरी है इसलिए उन्होंने बच्चों को स्कूल नहीं भेजा है।
वहीं श्रीनगर में मौजूद बीबीसी संवाददाता आमिर पीरज़ादा ने श्रीनगर के जाने-माने स्कूलों का दौरा किया।
उन्होंने बताया, "हम श्रीनगर के जाने-माने स्कूलों में गए। जहां पहले हमें अंदर जाने नहीं दिया गया। सिक्यूरिटी गार्ड से बात करने पर स्कूल के अंदर घुस पाया, जहां हमारी बात वहां के शिक्षकों से हुई। शिक्षकों का कहना है कि शिक्षक तो स्कूल पहुंच गए हैं लेकिन बच्चे नहीं आए हैं।''
आमिर को शिक्षकों ने बताया कि दो-तीन बच्चे आए थे, जब उन्होंने देखा कि कोई नहीं आया है तो वे भी घर वापस चले गए।
इसके बाद आमिर एक दूसरे स्कूल भी गए, जहां के सिक्यूरिटी गार्ड ने बताया, "बच्चे स्कूल पहुंचे ही नहीं हैं। स्कूल बसें बच्चों को लाने तो गई थीं पर वो खाली लौट आईं।''
समाचार एजेंसी पीटीआई ने भी बताया है कि कक्षाओं में शिक्षक तो पहुंचे लेकिन वहां छात्रों की संख्या बेहद कम थी।
वहीं, एक अन्य समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया है कि घाटी में अभी भी हाई स्कूल, हायर सेकेंडरी स्कूल और सभी डिग्री कॉलेज बंद हैं लेकिन जम्मू में सभी स्कूल खुले हुए हैं।
बीबीसी संवाददाता रियाज़ मसरूर के मुताबिक रविवार को श्रीनगर के अधिकतर इलाक़ों में पत्थरबाज़ी की घटनाएं हुईं जिनमें आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए।
उन्होंने बताया कि प्रशासन ने भी कहा है कि कुछ हिंसक घटनाओं में पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे लेकिन उन्हें फ़र्स्ट एड देकर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, इसके अलावा प्रशासन ने कहा है कि उत्तरी कश्मीर में बीते 15 दिनों में कोई एनकाउंटर नहीं हुआ और न ही छापेमारी की घटना हुई है।
रियाज़ ने बताया कि दक्षिणी कश्मीर से आए लोगों ने उन्हें बताया है कि प्रशासन हिंसा भड़काने वाले लोगों और पत्थरबाज़ों को गिरफ़्तार करने के लिए रोज़ाना छापेमारी कर रही है, उन्हें गिरफ़्तार किया जाता है या थानों पर बुलाया जाता है ताकि कोई प्रदर्शन न हो सके।
बीबीसी संवाददाता ने बताया कि सोमवार के दिन को बहुत अहम समझा जा रहा है क्योंकि आज एक नए हफ़्ते की शुरुआत है और शांति की जो कोशिशें हो रही हैं उस पर सरकार के प्रवक्ता अपने बयान देंगे।
"सरकार की कोशिशें हैं कि हालात सामान्य करने हैं और उसी के मद्देनज़र आज स्कूल खोले गए हैं। आज सरकार के प्रवक्ता बताएंगे कि कितने स्कूल खुले और हालात कितने सामान्य हो पाए।''
"प्रशासन चाहता है कि सड़कों पर स्कूल बसें दिखें। जहां तक कारोबारी सरगर्मियों की बात की जाए जो वह बिलकुल बंद हैं। कहीं भी कोई दुकान और बाज़ार नहीं खुल रहा है। साथ ही कमर्शियल और पब्लिक ट्रांसपोर्ट बिलकुल बंद हैं।''
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि अगर भारत की पाकिस्तान से बात होती है तो वह केवल अब 'पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके)' पर ही होगी।
राजनाथ सिंह ने यह बात हरियाणा के पंचकुला में एक चुनावी रैली की शुरुआत करते हुए कही। रक्षा मंत्री ने जो रैली में कहा है उसे उन्होंने ट्वीट भी किया है।
राजनाथ सिंह के बयान के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री का भी बयान आया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी का बयान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का दिया गया आज का बयान देखा है। और यह दिखाता है कि भारत एक मुश्किल स्थिति में फंस गया है क्योंकि उसने क्षेत्र की शांति और सुरक्षा को ख़तरे में डालकर एकतरफ़ा फ़ैसला लिया है।
"वह निंदा करते हैं कि भारत ने जम्मू-कश्मीर में दो सप्ताह से पूरी जनता को क़ैद करके रखा है और वहां पर मानवीय संकट गहराता जा रहा है। इस घटना को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी रिपोर्ट किया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समेत विश्व समुदाय ने भी इस स्थिति का संज्ञान लिया है।''
साथ ही क़ुरैशी ने जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान की स्थिति साफ़ करते हुए कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र चार्टर सिद्धांत और अंतरराष्ट्रीय क़ानून को मानता है और जम्मू-कश्मीर विवाद का फ़ैसला केवल अंतरराष्ट्रीय क़ानून, सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं से होगा।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ुद को हमेशा फेडरलिज़म के पैरोकार के रूप में पेश किया है। एक ऐसे व्यक्ति की तरह जो राज्यों को अधिक स्वतंत्रता देने में यक़ीन रखता है।
लेकिन पिछले हफ़्ते जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया गया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बाँटा गया।
राज्य में कर्फ़्यू और संचार के सभी माध्यमों पर रोक लगा दी गई। इसे कई लोग भारत के संघीय ढांचे पर प्रहार के रूप में देख रहे हैं।
अब नए केंद्र शासित प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख सीधे दिल्ली से शासित होंगे। संघीय सरकार केंद्र शासित प्रदेशों को राज्यों की तुलना में कम स्वायत्तता देती है। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अंतरराष्ट्रीय और तुलनात्मक राजनीति के प्रोफेसर सुमंत्रा बोस इन्हें एक तरह से "दिल्ली की विशेष नगरपालिकाएं" मानती हैं।
एक टिप्पणीकार के शब्दों में कहा जाए तो जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करके इसे देश के केंद्र शासित प्रदेशों की श्रेणी में लाकर मोदी सरकार ने "भारत की नाजुक संघीय संतुलन को बिगाड़ने" की कोशिश की है।
विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 कई मायनों में अधिक प्रतीकात्मक था क्योंकि बीते कई सालों में राष्ट्रपति के निर्णयों ने जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता को काफ़ी प्रभावित किया था।
वास्तव में भारत काफ़ी संघर्षों और कठिन परिश्रम के बाद संघवाद के रास्ते पर चला था।
आर्थिक रूप से मज़बूत और समान संस्कृति वाले अमरीका और कनाडा सरकार की संघीय प्रणाली के विपरीत धार्मिक-सांस्कृतिक विभिन्नता और ग़रीबी के बावजूद भारत के लिए सत्ता में साझेदारी पर सहमति बनाना आसान नहीं था।
चुनी हुई संघीय सरकार और राज्य की विधानसभाओं की शक्तियां क्या होंगी, इसका स्पष्ट ज़िक्र भारतीय संविधान में किया गया है।
दिल्ली स्थित सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की मुख्य कार्यकारी अधिकारी यामिनी अय्यर कहती हैं, "संविधान एकात्मक शासन यानी राज्य और संघीय व्यवस्था के बीच एक संतुलन बनाने का प्रयास करता है।
हालांकि कुछ टिप्पणीकार "भारतीय संघवाद की प्रामाणिकता" पर हमेशा से संदेह जताते रहे हैं।
राज्यों में राज्यपालों की नियुक्तियों का फ़ैसला केंद्र की सरकार करती है, जो आमतौर पर राजनीति से प्रेरित होती हैं। जब भी राज्यों की चुनी हुई सरकार विफल होती है, उनके चुने हुए राज्यपाल उन राज्यों में केंद्र को प्रत्यक्ष शासन करने में मदद करते हैं।
राज्य सरकारों के ख़िलाफ़ राज्यपाल की एक प्रतिकूल रिपोर्ट राष्ट्रपति शासन का आधार बन सकती है, जिसके बाद दिल्ली से सीधे राज्यों पर शासन किया जाता है। इसके आधार पर राज्य सरकार की बर्खास्तगी भी की जा सकती है।
1951 से 1997 तक भारतीय राज्यों पर 88 बार राष्ट्रपति शासन लगाए जा चुके हैं।
कई लोग मानते हैं कि स्थानीय लोगों और राजनेताओं से परामर्श किए बिना भारत के कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया जाना भारत की संघीय व्यवस्था पर एक दाग है। यह तब किया गया जब वहां राज्यपाल शासन लागू था।
'डीमिस्टिफाइंग कश्मीर' की लेखिका और ब्रूकिंग इंस्टिट्यूट की पूर्व विजिटिंग स्कॉलर नवनीत चड्ढा बेहरा कहती हैं, "सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हम एकात्मक राज्य की ओर बढ़ रहे हैं और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को निरस्त किया जा रहा है। यह भारत में संघवाद को कमज़ोर कर रहा है। सरकार के इस फ़ैसले के बाद लोग ख़ुशी मनाने में इतने व्यस्त हैं कि वो इसकी बड़ी तस्वीर देख ही नहीं पा रहे हैं।''
"अधिक चिंता वाली बात यह है कि यह किसी भी अन्य राज्य के साथ हो सकता है। संघीय सरकार राज्य सरकार को भंग कर सकती है। यह राज्यों को विभाजित कर सकती है और इसकी स्थिति को कमज़ोर कर सकती है। साथ ही चिंता की बात यह भी है कि अधिकांश लोग, मीडिया और क्षेत्रीय दल इस पर चुप्पी साधे हुए हैं और इसका ज़ोरदार विरोध नहीं कर रहे हैं।''
यामिनी अय्यर का मानना है कि "संघवाद - जिसे भारतीय संविधान को बनाने वालों ने देश के लोकतंत्र के लिए ज़रूरी माना था, आज इसके पक्ष में 1947 की तुलना में बहुत कम लोग हैं। यह भारत के लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक है।''
सरकार के इस फ़ैसले को सही ठहराने वालों का कहना है कि यह एक "विशेष मामला" है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी कई सालों से अनुच्छेद 370 हटाने की बात करती आ रही थी और इसे देश के एकमात्र मुसलमान बहुल राज्य में "तुष्टीकरण" का उदाहरण बता रही थी।
हालांकि भारत में अलगाववाद की आकांक्षाओं से समझौते का इतिहास रहा है। पूर्वोत्तर के कुछ राज्य इसके उदाहरण हैं।
भारत का सर्वोच्च न्यायालय पहले ही यह स्पष्ट रूप से कहा चुका है कि "संविधान की योजना के तहत अधिक से अधिक शक्तियां केंद्र सरकार को दी गई हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि राज्य केंद्र के सिर्फ़ पिछलग्गु हैं।''
अदालत ने यह भी कहा था कि "अपने तय क्षेत्र के भीतर राज्य सर्वोच्च हैं। केंद्र उनकी प्रदत शक्तियों के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकता है।''
यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय कश्मीर पर लिए गए फ़ैसले के ख़िलाफ़ क़ानूनी चुनौतियों से कैसे निपटता है। यह शीर्ष अदालत की स्वतंत्रता के लिए एक इम्तिहान का मामला होगा।
भारत के कश्मीर में श्रीनगर के सौरा इलाक़े में दरगाह से पिछले सप्ताह स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन और रैली शुरू की थी।
पिछले सप्ताह 9 अगस्त शुक्रवार को सौरा में ही बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसमें हज़ारों लोगों ने भाग लिया था जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।
शौरा में अभी भी हर गली और हर रास्ते पर बैरिकेड लगा था। साथ ही बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी मौजूद थे। सुरक्षाकर्मियों का मानना था कि अगर वह बैरिकेड हटाते हैं तो बड़े पैमाने पर लोग मुख्य सड़क तक आ जाएंगे।
सुरक्षाकर्मियों का मानना है कि अगर प्रदर्शनकारी मुख्य सड़क तक आ गए तो उन्हें संभालना मुश्किल हो जाएगा और क़ानून-व्यवस्था बिगड़ जाएगी।
पिछले सप्ताह के मुक़ाबले इस सप्ताह की बात करें तो आज जुमे की नमाज़ के बाद सैकड़ों लोग इकट्ठा हुए। इनमें पुरुष और महिलाएं शामिल थे जिन्होंने शांतिपूर्ण रैली निकाली। यह रैली गलियों-मोहल्लों में घूमते हुए वापस इसी दरगाह तक पहुंची।
रैली समाप्त होने के बाद दरगाह के लाउडस्पीकर से वो गीत सुनाए जा रहे थे जो कश्मीर की आज़ादी की बात कर रहे थे।
इन्हीं लाउडस्पीकर के ज़रिए सुबह से लोगों को घरों से बाहर बुलाया जा रहा था कि वह विरोध प्रदर्शनों में शामिल हों। एक तरह से अगर देखें तो लोगों के अंदर डर ख़त्म हो रहा है और गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
प्रदर्शन के दौरान एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि उनका हक़ उनसे छीना जा रहा है।
उन्होंने कहा, "हमारा हक़ हमसे क्यों छीना जा रहा है। हम भारत सरकार से कह रहे हैं कि वह हमारा हक़ हमें वापस दे। हमने शांतिपूर्ण जुलूस निकाला है लेकिन तब भी हम पर पैलेट गन्स और आंसू गैस के गोले छोड़े गए हैं। यह ज़्यादती नहीं है तो क्या है।''
एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाकर भारत सरकार ने कश्मीर को एक संघर्ष क्षेत्र में बदल दिया है।
उन्होंने कहा, "हम अनुच्छेद 370 को हटाने के विरोध में यह प्रदर्शन कर रहे हैं। मोदी सरकार ने यह करके कश्मीर को एक संघर्ष और युद्ध क्षेत्र में बदल दिया है। सुरक्षाकर्मी हम पर पैलेट गन्स और आंसू गैस से वार कर रहे हैं। हम अनुच्छेद 370 के लिए मरेंगे।''
"यह मोदी के लिए संदेश है कि हम न ही भारत और न ही पाकिस्तान के साथ रहना चाहते हैं। हम स्वतंत्र कश्मीर चाहते हैं। हर आदमी के पास अधिकार होता है और हमारे पास भी अधिकार है। हम स्वतंत्र कश्मीर चाहते हैं।''
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत परमाणु हथियारों के 'पहले इस्तेमाल न' करने की नीति पर अभी भी कायम है लेकिन 'भविष्य में क्या होता है यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है।'
पांचवें इंटरनेशनल आर्मी स्काउट मास्टर्स कॉम्प्टीशन के लिए पोखरण पहुंचे राजनाथ सिंह ने पत्रकारों से यह बात कही। साथ ही राजनाथ सिंह ने कई ट्वीट भी किए।
उन्होंने ट्वीट में लिखा, "पोखरण वह जगह है जो अटल जी के परमाणु शक्ति बनने के दृढ़ संकल्प का गवाह बना था और अभी भी हम 'पहले इस्तेमाल नहीं' के सिद्धांत को लेकर प्रतिबद्ध हैं। भारत इस सिद्धांत का कड़ाई से पालन करता है। भविष्य में क्या होता है तो परिस्थितियों पर निर्भर करता है।''
इसी के साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
इसको लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, "आज पोखरण गया और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और स्वतंत्र भारत के दिग्गजों में से एक अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी।''
इसके अलावा राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया कि भारत एक ज़िम्मेदार परमाणु राष्ट्र का दर्जा रखता है जो भारत के हर नागरिक के लिए एक राष्ट्रीय गौरव की बात है। राष्ट्र अटल जी की महानता का ऋणी रहेगा।''
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान लगातार भारत पर हमलावर है। उसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाया है और संयुक्त राष्ट्र से इस मामले में दख़ल देने को कहा है।
इससे पहले जुलाई में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा था कि भारत अगर परमाणु हथियार छोड़ता है तो उनका देश भी इसे छोड़ने के लिए तैयार है। इमरान ख़ान ने यह बात अमरीकी दौरे पर कही थी।
दौरे के दौरान उन्होंने कहा था कि परमाणु युद्ध कोई विकल्प नहीं है। इस दौरान इमरान ख़ान ने यह भी स्वीकार किया था कि बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद दोनों देशों की सीमाओं पर तनाव है।
भारत के 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हर बार की तरह इस बार भी लाल क़िले की प्राचीर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरंगा फहराया और क़रीब डेढ़ घंटे का भाषण दिया।
मोदी ने अपने भाषण के शुरुआत में देश को रक्षाबंधन की शुभकामनाएं दीं और देश में बाढ़ की स्थिति पर चिंता जताते हुए आज़ादी के लिए बलिदान दिए लोगों को भी याद किया।
मोदी ने अपने भाषण में सबसे पहले कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का ज़िक्र किया। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर दूसरी बार शपथ लेने के 10 हफ़्ते के भीतर तीन तलाक़ का क़ानून बनाना, आतंक से जुड़े क़ानूनों में बदलाव कर उसे मज़बूत करने का काम, किसानों को 90 हज़ार करोड़ रुपये ट्रांसफ़र करने का काम, किसानों और छोटे व्यापारियों के लिए पेंशन, अलग जलशक्ति मंत्रालय, मेडिकल की पढ़ाई से जुड़े क़ानून की बात की।
उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का भारत कैसा हो, इसे देखते हुए आने वाले पांच सालों के कार्यकाल का ख़ाका तैयार किया जा रहा है।
मोदी ने कहा कि इस्लामिक देशों ने तो तीन तलाक़ क़ानूनों को ख़त्म कर दिया था, लेकिन भारत इस पर क़दम उठाने से कतराता रहा।
दो तिहाई बहुमत से आर्टिकल 370 हटाने का क़ानून पारित कर दिया। इसका मतलब है कि हर किसी के दिल में यह बात थी, लेकिन आगे कौन आए। लेकिन सुधार करने का आपका इरादा नहीं था।
70 साल हर सरकारों ने कुछ न कुछ प्रयास किया, लेकिन इच्छित परिणाम नहीं मिले। ऐसे में नए सिरे से सोचने की ज़रूरत होती है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख़ के नागरिकों का सपना पूरा हो, यह हमारा दायित्व है।
130 करोड़ की जनता को इस ज़िम्मेदारी को उठाना है। पिछले 70 सालों में वहां आतंकवाद, अलगाववाद, परिवारवाद, भ्रष्टाचार की नींव को मज़बूत करने का काम किया गया है।
लाखों लोग विस्थापित हो कर आए उन्हें मानविक अधिकार नहीं मिले। पहाड़ी भाइयों की चिंताएं दूर करने की दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं। भारत की विकास यात्रा में जम्मू-कश्मीर बड़ा योगदान दे सकता है। नई व्यवस्था नागरिकों के हितों के लिए काम करने के लिए सीधे सुविधा प्रदान करेगी।
'सबका साथ, सबका विकास' का मंत्र लेकर हम चले थे लेकिन पांच साल में ही देशवासियों ने 'सबका विश्वास' के रंग से पूरे माहौल को रंग दिया। समस्याओं का जब समाधान होता है तो स्वावलंबन का भाव पैदा होता है, समाधान से स्वालंबन की ओर गति बढ़ती है। जब स्वावलंबन होता है तो अपने आप स्वाभिमान उजागर होता है और स्वाभिमान का सामर्थ्य बहुत होता है।
आज हर नागरिक कह सकता है 'वन नेशन, वन कंस्टीट्यूशन'
आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35ए का हटना, सरदार पटेल के सपनों को साकार करने की दिशा में अहम क़दम है। जो लोग इसकी वकालत करते हैं उनसे देश पूछता है अगर ये इतना महत्वपूर्ण था तो 70 साल तक इतनी भारी बहुमत होने के बाद भी आप लोगों ने उसे स्थायी क्यों नहीं किया।
आज देश में आधे से अधिक घर ऐसे हैं जिनमें पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं है। उनके जीवन का बहुत हिस्सा पानी लाने में खप जाता है। इस सरकार ने हर घर में जल, यानी पीने का पानी लाने का संकल्प किया है।
आने वाले दिनों में जल जीवन मिशन को लेकर आगे बढ़ेंगे। इसके लिए केंद्र और राज्य मिल कर साथ काम करेंगे। साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए से भी ज़्यादा इस पर ख़र्च करने का संकल्प किया है।
वर्षा के पानी को रोकने, समुद्री पानी, माइक्रो इरिगेशन, पानी बचाने का अभियान, सामान्य नागिरक सजग हों, बच्चों को पानी के महत्ता की शिक्षा दी जाए, 70 साल में जो काम हुआ है अगले पांच वर्षों में उससे पांच गुना अधिक काम हो, इसका प्रयास करना है।
भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए हमें ग़रीबी से मुक्त होना ही है और पिछले पांच वर्षों में ग़रीबी कम करने की दिशा में, ग़रीबों को ग़रीबी से बाहर लाने की दिशा में बहुत सफल प्रयास हुए हैं। देश को नई ऊंचाइयों को पार करना है, विश्व में अपना स्थान बनाना है और हमें अपने घर में ही ग़रीबी से मुक्ति पर बल देना है और ये किसी पर उपकार नहीं है।
जैन मुनि महुड़ी ने लिखा है- एक दिन ऐसा आएगा जब पानी किराने की दुकान में बिकता होगा। 100 साल पहले उन्होंने यह लिखा। आज हम किराने की दुकान से पानी लेते हैं। जल संचय का यह अभियान सरकारी नहीं बनना चाहिए, जन सामान्य का अभियान बनना चाहिए।
अब हमारा देश उस दौर में पहुंचा है जिसमें बहुत सी बातों को लेकर अपने को छुपानी की ज़रूरत नहीं है। वैसा ही एक विषय है- हमारे यहां बेतहाशा जनसंख्या विस्फोट हो रहा है, जो आने वाली पीढ़ी के लिए संकट पैदा करता है। हमारे देश में एक जागरूक वर्ग है जो इस बात को भली भांति समझता है। वो अपने घर में शिशु को जन्म देने से पहले सोचता है कि उसकी मानवीय आवश्यकता को पूरा कर पाउंगा या नहीं। वो लेखा जोखा करके एक छोटा वर्ग परिवार को सीमित करके अपने परिवार का भला करता है और देश के लिए योगदान देता है। छोटा परिवार रख कर भी वो देशभक्ति का काम करता है। यह परिवार लगातार आगे प्रगति करता है, उनसे हम सीखें। किसी भी शिशु के आने से पहले यह सोचें की उसे वह कैसा भविष्य देंगे। जनसंख्या विस्फोट की चिंता करनी ही होगी। राज्य, केंद्र सभी को यह दायित्व निभाना होगा।
व्यवस्था चलाने वाले लोगों के दिल-दिमाग़ में बदलाव आवश्यक है तभी इच्छित परिणाम मिलते हैं।
आज़ादी के 75 साल मनाने जा रहे हैं। मैं अपने अफ़सरों के बीच बार-बार कहता हूं कि क्या आज़ादी के इतने वर्षों बाद सामान्य नागरिकों के जीवन में सरकारी दख़ल को ख़त्म नहीं कर सकते। लोग मनमर्जी से अपने परिवार की भलाई के लिए, देश की तरक़्क़ी के लिए इको सिस्टम बनाना होगा। सरकार का दबाव नहीं हो लेकिन अभाव भी नहीं होना चाहिए। सपनों को लेकर आगे बढ़ें, सरकार साथी के रूप में हर पल मौजूद हो। क्या उस प्रकार की व्यवस्था हम विकसित कर सकते हैं। गत पांच वर्षों में मैने प्रतिदिन एक गैर ज़रूरी क़ानून ख़त्म किए। 1450 क़ानून ख़त्म किए। अभी 10 हफ़्ते में ही हमने कई क़ानून ख़त्म कर दिए हैं।
'इज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस' के क्षेत्र में हमने बहुत काम किया है। यह एक पड़ाव है, मेरी मंज़िल है 'इज़ ऑफ़ लीविंग'।
हमारा देश आगे बढ़े, लेकिन इंक्रिमेंटल प्रोग्रेस के लिए अब और इंतज़ार नहीं किया जा सकता। भारत को ग्लोबल बेंचमार्किंग में लाने की दिशा में प्रयास के लिए हमने तय किया है कि 100 लाख करोड़ रुपये आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए लगाए जाएंगे। सागरमाला, भारतमाला, आधुनिक रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, अस्पताल, विश्वविद्यालय बनाने की दिशा में प्रयास करना चाहते हैं।
हमारा देश आगे बढ़े, लेकिन इंक्रिमेंटल प्रोग्रेस के लिए अब और इंतज़ार नहीं किया जा सकता. भारत को ग्लोबल बेंचमार्किंग में लाने की दिशा में प्रयास के लिए हमने तय किया है कि 100 लाख करोड़ रुपये आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए लगाए जाएंगे. सागरमाला, भारतमाला, आधुनिक रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, अस्पताल, विश्वविद्यालय बनाने की दिशा में प्रयास करना चाहते हैं।
आज हर नागरिक वंदे भारत एक्सप्रेस की बात करता है, हवाई अड्डे की बात करता है। कभी रेल के एक स्टॉप की बात से संतुष्ट होने वाले देश के नागरिकों की सोच बदल चुकी है। वो फोर लेन की बात करता है, वो 24 घंटे बिजली की बात करता है, आज वो डेटा की स्पीड पूछता है। बदलते हुए मिजाज को समझना होगा।
अब तक सरकार ने किस इलाक़े, किस वर्ग, किस समूह के लिए क्या किया है, कितना दिया, किसको दिया, किसको मिला, उसी के आसपास सरकार और जनमानस चलते रहे। लेकिन अब हम सब मिल कर देश के लिए क्या करेंगे, उसको लेकर जीना, जूझना और चल पड़ना देश की मांग है। इसीलिए पांच ट्रिलियन इकोनॉमी का सपना संजोया है। 130 करोड़ नागरिक छोटी-छोटी चीज़ों को लेकर आगे चलें तो यह संभव हो सकता है।
हम एक्सपोर्ट हब बनने की दिशा में क्यों नहीं सोचें। हमारे देश के एक-एक ज़िले की कुछ न कुछ पहचान है। किसी ज़िले के पास इत्र की पहचान हैं, तो किसी के पास साड़ियों की पहचान है, किसी की मिठाई मशहूर है तो किसी के बर्तन। इस विविधता को दुनिया से परिचित कराते हुए उनको बल देंगे तो रोज़गार मिलेगा। माइक्रो इकोनॉमी के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण होगा। हमें पर्यटकों का हब बनने की दिशा में काम करना होगा। टूरिस्ट डेस्टिनेशन बढ़ाने की बात हो।
आज हमारी राजनीतिक स्थिरता को गर्व के साथ देख रहा है। आज व्यापार करने के लिए विश्व उत्सुक है। हमने महंगाई को नियंत्रित करते हुए विकास दर को बढ़ाने की दिशा में काम किया है। हमारी अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स बहुत मज़बूत हैं और ये हमें आगे ले जाने का भरोसा दिलाती है।
जो देश के वेल्थ क्रिएशन की दिशा में काम कर रहे हैं उनका मान सम्मान किया जाना चाहिए। जो वेल्थ क्रिएट करने में लगे हैं वे भी हमारे देश की वेल्थ हैं। उनका सम्मान नई ताक़त देगा।
आतंकवाद को पनाह देने वाले सारी ताक़तों को दुनिया के सामने उनके सही स्वरूप में पेश करना। भारत इसमें अपनी भूमिका पूरी करे, इस पर ध्यान देना है। भारत के पड़ोसी भी आतंकवाद से जूझ रहे हैं। हमारा पड़ोसी अफ़ग़ानिस्तान अपने आज़ादी के 100वें साल का जश्न मनाने वाला है। मैं उन्हें अनेक अनेक शुभकामना देता हूं।
आतंकवाद का माहौल पैदा करने वालों को नेस्तनाबूद करने की हमारी नीति स्पष्ट है। सुरक्षाबलों, सेना ने उत्कृष्ट काम किया है। मैं उनको नमन करता हूं, उनको सैल्यूट करता हूं। सैन्य रिफॉर्म पर लंबे समय से चर्चा चल रही है। कई रिपोर्ट आए हैं। हम गर्व कर सकें ऐसी व्यवस्था हैं। वो आधुनिकता के प्रयास भी करते हैं। आज तकनीक बदल रही है। ऐसे में तीनों सेनाएं एक साथ एक ही ऊंचाई पर आगे बढ़ें, विश्व में बदलते हुए सुरक्षा और युद्ध के अनुरूप हों। इसे देखते हुए अब हम चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ (सीडीएस) की व्यवस्था करेंगे।
क्या हम इस दो अक्तूबर (महात्मा गांधी जयंती) को सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्त बना सकते हैं। हम प्लास्टिक को विदाई देने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। हाइवे बनाने के लिए प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है। मैं सभी दुकानदारों से कहूंगा कि वो अपने दुकानों पर बोर्ड लगा दें- हमसे प्लास्टिक की थैली की अपेक्षा नहीं करें। दीवाली पर कपड़े का थैला गिफ़्ट करें। डायरी, कैलेंडर से आपका विज्ञापन भी होगा।
हम तय करें कि मैं अपने जीवन में मेरे देश में जो बनता है वो प्राथमिकता होगी। हमें 'लकी कल के लिए लोकल प्रोडक्ट पर बल' देना है।
हमारा रुपया कार्ड सिंगापुर में चल रहा है। हम क्यों न डिजिटल पेमेंट को बल दें। डिजिटल पेमेंट को हां, नक़द को नां का बोर्ड लगाएं। बैंकिंग, व्यापार जगह को कहता हूं कि इन चीज़ों को बल दें।
लाल क़िले से देश के नौजवानों के रोज़गार को बढ़ाने के लिए क्या आप तय कर सकते हैं कि 2022 से पहले हम अपने परिवार के साथ भारत के कम से कम 15 टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर जाएंगे। बच्चों को आदत डालें। 100 टूरिस्ट डेस्टिनेशन तैयार न करें। टारगेट करके तय करें। हिंदुस्तान के लोग जाएंगे तो दुनिया के लोग भी वहां आएंगे।
किसान भाइयों से आग्रह करता हूं, मांगता हूं कि क्या वो अपने खेतों में केमिकल फर्टिलाइज़र का इस्तेमाल कम कर सकते हैं, हो सके तो उसका इस्तेमाल रोक दें।
देश के प्रोफ़ेशनल का लोहा दुनिया मानती है। चंद्रयान चांद पर पहुंचने की तैयारी में है। खेल के मैदानों में हम कम नज़र आते हैं। आज देश के खिलाड़ी नाम रौशन कर रहे हैं, देश को आगे बढ़ाने, बदलाव लाने के लिए, सरकार-जनता को मिलकर करना है। गांव में डेढ़ लाख वेलनेस सेंटर बनाने होंगे। हमने 15 करोड़ ग्रामीण घरों में पीने का पानी पहुंचाना है, सड़के बनानी हैं, स्टार्ट्अप का जाल बिछाना है, अनेक सपनों को लेकर आगे बढ़ना है।
आइये हम महात्मा गांधी के 150 साल, संविधान के 70 साल, गुरुनानक देव के 550वें पर्व के मौक़े पर देश को आगे बढ़ाने का संकल्प करें।
इससे पहले प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर सुबह सुबह देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने लिखा, "सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। जय हिंद।''
कांग्रेस अध्यक्ष को चुनने के लिए शनिवार को आयोजित कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सोनिया गांधी को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष चुन लिया गया है।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद और हरीश रावत ने बैठक ख़त्म होने के बाद बताया कि सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष चुन लिया गया है और अध्यक्ष पद से दिया गया राहुल गांधी का त्यागपत्र भी स्वीकार कर लिया गया है।
बैठक के बाद कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल और पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बताया कांग्रेस कार्यसमिति की दूसरी बैठक में सर्वसम्मति से तीन प्रस्ताव पारित किए गए।
1- राहुल गांधी उम्मीद की नई किरण के रूप में सामने आए और पार्टी का नेतृत्व किया। इसके लिए पार्टी ने उनका धन्यवाद किया। लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद राहुल गांधी ने इसकी ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़ा दिया था। उनका इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया गया है। हालांकि उनसे गुज़ारिश की गई है कि वो पार्टी को आगे भी रास्ता दिखाते रहें।
2- कार्यसमिति ने कांग्रेस के सभी प्रदेश नेताओं के विचार जाने और प्रस्ताव पारित किया कि सभी की इच्छा है कि राहुल अपने पद पर बने रहें। राहुल गांधी को इस्तीफ़ा वापिस लेने के लिए अपील की गई जिसे उन्होंने ठुकरा दिया और कहा कि ज़िम्मेदारी की कड़ी की शुरुआत उनसे होनी चाहिए। सोनिया गांधी से अपील की गई कि वो पार्टी का कार्यभार संभालें। और उन्हें तब तक के लिए पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष चुना गया है जब तक एक पूर्णकालिक अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो जाता।
3- जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर कार्यसमिति में चर्चा हुई और प्रस्ताव पारित किया गया कि सरकार से गुज़रिश की जाएगी कि विपक्षी पार्टियों के एक दल को हालात का जायज़ा लेने के लिए जम्मू कश्मीर भेजा जाए।
बैठक के दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मीडिया को बताया कि बैठक में कश्मीर मुद्दे पर चर्चा हुई।
राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष को चुनने के लिए चल रही बैठक के बीच में जम्मू कश्मीर के कुछ इलाकों में हिंसा होने और कुछ लोगों की मौत की ख़बरें आईं जिसके बाद उन्हें वहां बुलाया गया।
उन्होंने कहा कि "जम्मू कश्मीर में हालात काफी ख़राब हो गए हैं जिसके बाद बैठक में जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा हुई। ज़रूरी है कि पूरी पारदर्शिता के साथ प्रधानमंत्री और सरकार देश को बताएं कि जम्मू कश्मीर में क्या हालात हैं?''