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सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला: तलाक़शुदा मुस्लिम महिलाएं भी गुज़ारा भत्ता की हक़दार

सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला: तलाक़शुदा मुस्लिम महिलाएं भी गुज़ारा भत्ता की हक़दार

बुधवार, 10 जुलाई 2024

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 10 जुलाई 2024 को एक फ़ैसला देते हुए कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की सेक्शन 125 के तहत मुस्लिम महिला गुज़ारा भत्ता की मांग कर सकती है।

जस्टिस बीवी नागरत्ना की अगुवाई वाली दो जजों की बेंच ने इस सेक्शन के तहत गुज़ारा भत्ता की मांग करने वाली एक मुस्लिम महिला के केस की सुनवाई करते हुए यह फ़ैसला दिया।

दस हज़ार रुपये गुज़ारा भत्ता देने के तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को एक मुस्लिम व्यक्ति ने चुनौती दी थी।

उसके वकील की दलील थी कि चूंकि मुस्लिम महिला (तलाक़ मामले में अधिकारों का संरक्षण) क़ानून 1986 लागू है, इसलिए सेक्शन 125 के तहत उन्हें गुज़ारा भत्ता नहीं मिल सकता।

दोनों जजों ने एकमत से यह फ़ैसला दिया है। अभी आदेश लिखा जाना बाक़ी है।

1985 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेक्शन 125 एक सेक्युलर क़ानून है जो सभी महिलाओं पर लागू होता है।

जिसके बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे।

इसके बाद 1986 में भारत सरकार ने मुस्लिम महिला (तलाक़ मामले में अधिकारों का संरक्षण) क़ानून पास किया था।

तलाक़शुदा मुस्लिम महिलाओं को गुज़ारा भत्ता देने के मामले पर मुस्लिम धर्मगुरु ने क्या है?

बुधवार, 10 जुलाई 2024

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 10 जुलाई 2024 को एक फ़ैसला देते हुए कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता के सेक्शन 125 के तहत मुस्लिम महिला गुज़ारा भत्ता की मांग कर सकती है।

इस पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संस्थापक सदस्य मोहम्मद सुलेमान ने प्रतिक्रिया दी है।

मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि "शाह बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने साल 1985 में जो फ़ैसला सुनाया था। उसके ख़िलाफ़ पर्सनल बोर्ड ने आंदोलन चलाया। इसके बाद एक क़ानून वजूद में आया। उस क़ानून की व्याख्या सुप्रीम कोर्ट करता है।''

"उस वक्त ही सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया था। जो लोग धारा 125 के तहत राहत चाहेंगे उनको राहत दी जाएगी। इसमें मुस्लिम समुदाय भी शामिल है।''

मोहम्मद सुलेमान ने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय की ये मान्यता रही है कि जो महिलाओं के अधिकार के लिए धार्मिक गारंटी है वो पर्याप्त नहीं है।''

"हालिया फ़ैसले पर मुझे यही कहना है कि जो हमारी बहनें हैं, तलाक़ या किसी वजह से अलग हो जाने पर वो इस्लामिक कानून के मुताबिक न्याय चाहती हैं तो यह उनके लिए बेहतर है। जिन बहनों को यह लगता है कि धारा 125 के तहत भरण पोषण मिलना चाहिए वो कोर्ट जा सकती हैं।''

"लेकिन इसमें एक मसला है कि अलग होने के बाद भी वो रिश्ता ख़त्म नहीं होता और महिला दूसरी शादी नहीं कर सकती क्योंकि भरण पोषण लेने की वजह से दोनों के बीच वो ताल्लुक बना रहता है। इसलिए ये अप्राकृतिक अमल है।''

भारत के प्रधानमंत्री को रूस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला

भारत के प्रधानमंत्री को रूस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला

मंगलवार, 9 जुलाई 2024

रूस और ऑस्ट्रिया के तीन दिवसीय दौरे पर गए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्रेमलिन में रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 'ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल' से सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर मोदी ने कहा, "मैं रूस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल' पाकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। मैं इसे भारतीय नागरिकों को समर्पित करता हूं।''

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल से सम्मानित किया।

इस अवसर पर मोदी ने कहा, "महामहिम और मेरे मित्र राष्ट्रपति पुतिन को रूस के सर्वोच्च अवॉर्ड से सम्मानित करने के लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं।''

"ये सम्मान केवल मेरा सम्मान नहीं है। यह 140 करोड़ भारतवासियों का सम्मान है। यह भारत और रूस की सदियों पुरानी गहरी मित्रता और आपसी विश्वास का सम्मान है।''

अपने संबोधन में मोदी ने कहा, ''महामहिम पिछले लगभग ढाई दशक से आपके नेतृत्व में भारत और रूस के संबंध हर दिशा में मज़बूत हुआ हैं।  और हर बार नई ऊचाइयों को प्राप्त करते रहे हैं। आपने दोनों देशों के बीच जिन रणनीतिक संबंधों की नींव रखी थी वो गुज़रते वक्त के साथ गहरी होती गई है।''

मोदी ने कहा, "आज भी हमने सभी क्षेत्रों में आपसी सहयोग को मज़बूत करने के नए और अहम फ़ैसले किए हैं। हमारे संबंध केवल दोनों देशों के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए अहम हैं।''

मोदी ने कहा, ''वैश्विक वातावरण में भारत और रूस की पार्टनरशिप और भी अहम हो जाती है। हम दोनों विश्वास रखते हैं कि वैश्विक स्थिरता और शांति के लिए लगातार कोशिश करते रहना चाहिए।''

हाथरस सत्संग हादसे में एसडीएम, सीओ समेत छह अफ़सर निलंबित

हाथरस सत्संग हादसे में एसडीएम, सीओ समेत छह अफ़सर निलंबित

मंगलवार, 9 जुलाई 2024

भारत के राज्य उत्तर प्रदेश सरकार ने हाथरस मामले में एसडीएम, सीओ (क्षेत्राधिकारी) समेत छह अफ़सरों को निलंबित कर दिया है।

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि हाथरस सत्संग हादसे की जांच के लिए बनी एसआईटी की रिपोर्ट के बाद ये कार्रवाई की गई है।

रिपोर्ट में हादसे के लिए किसी साज़िश से इनकार नहीं किया गया है।

इसमें ये भी कहा कि आयोजकों की लापरवाही से हादसा हुआ। आयोजन में बड़ी संख्या में लोगों को बुलाया गया लेकिन उनके लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए।

रिपोर्ट के मुताबिक़, स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने आयोजन को गंभीरता से नहीं लिया।

उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को भी इस बारे में ठीक से जानकारी नहीं दी।

हाथरस हादसे की गहन जांच के लिए न्यायिक आयोग भी अपनी कार्यवाही शुरू कर चुका है।

दो जुलाई 2024 को हाथरस के सिकन्द्राराऊ इलाके में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान भगदड़ मचने से 121 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इसकी जांच के लिए एसआईटी बनाई थी।

जम्मू-कश्मीर: कठुआ में पाँच भारतीय सैनिकों के मारे जाने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्या कहा?

जम्मू-कश्मीर: कठुआ में पाँच भारतीय सैनिकों के मारे जाने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्या कहा?

मंगलवार, 9 जुलाई 2024

भारत के जम्मू-कश्मीर के कठुआ में भारतीय सैनिकों पर हुए आतंकी हमले पर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुख जताया है।

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर राजनाथ सिंह ने लिखा, "कठुआ के बदनोटा में एक आतंकवादी हमले में हमारे पाँच बहादुर सैनिकों की मौत पर मुझे गहरा दुख है।''

"शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। इस कठिन समय में देश उनके साथ मज़बूती से खड़ा है। आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए जा रहे हैं और हमारे सैनिक क्षेत्र में शांति और व्यवस्था कायम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।''

राजनाथ सिंह ने इस आतंकी हमले में घायल लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है।

सोमवार, 8 जुलाई 2024 को जम्मू-कश्मीर के कठुआ ज़िले में भारतीय सेना के काफ़िले पर हमला हुआ था, जिसमें पांच सैनिकों की मौत हो गई थी और पांच सैनिक घायल हो गए। इसके बाद से पूरे इलाके में सर्च अभियान चलाया जा रहा है।

मणिपुर दौरे पर पहुंचे राहुल गांधी ने मणिपुर के हालात के बारे में क्या कहा?

मणिपुर दौरे पर पहुंचे राहुल गांधी ने मणिपुर के हालात के बारे में क्या कहा?

सोमवार, 8 जुलाई 2024

भारत के विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मणिपुर दौरे के दौरान एक प्रेस कांफ्रेंस करते हुए मणिपुर के हालात की चर्चा की।

राहुल गांधी ने कहा, "मणिपुर में स्थिति खराब होने के बाद यह तीसरी बार है जब मैं यहां आया हूं। सच कहूं तो मुझे ऐसी उम्मीद थी कि ज़मीनी स्थितियों में कुछ सुधार आया होगा। लेकिन मुझे ये देख कर निराशा हुई है कि स्थिति में अभी भी कोई सुधार नहीं आया है और वो सही होने के आस-पास भी नहीं पहुंच सकी है।''

राहुल गांधी ने कहा, "मैंने कैंपों में जाकर लोगों से मुलाकात की और उनके दुख-दर्द को सुना। मैं यहां उन लोगों को सुनने के लिए आया हूं और उन लोगों को यह भरोसा दिलाने के लिए आया हूं कि विपक्ष में कोई है जो सरकार पर इस बात का दबाव बनाएगा कि उनके लिए कुछ किया जाए।''

राहुल गांधी ने कहा, "मैं मणिपुर के सभी लोगों से यह कहना चाहता हूं कि मैं यहां आपका भाई बनकर आया हूं। मैं यहां एक ऐसे व्यक्ति के रूप में आया हूं जो आपकी मदद करना चाहता है।''

हाथरस हादसे के पीड़ितों से राहुल गांधी ने मिलने के बाद क्या कहा?

हाथरस हादसे के पीड़ितों से राहुल गांधी ने मिलने के बाद क्या कहा?

शुक्रवार, 5 जुलाई 2024

भारत में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार, 5 जुलाई 2024 को हाथरस हादसे में मारे गए लोगों के परिवार वालों से मुलाक़ात की और उनके लिए ज़्यादा से ज़्यादा और जल्दी मुआवजा मांगा।

पीड़ित परिवारों से मिलने के बाद राहुल गांधी ने पत्रकारों से कहा, "इस हादसे में बहुत से परिवारों को नुकसान हुआ है। काफी लोगों की मौत हुई है। लेकिन मैं इस घटना को राजनीतिक नज़रिये से नहीं देख रहा हूं।  प्रशासन में कमी तो है। ग़लतियां हुई हैं। इसका पता लगाना चाहिए।''

राहुल गांधी ने कहा, ''शायद सबसे ज़रूरी बात ये है कि मुआवजा सही मिलना चाहिए। ये ग़रीब परिवार हैं और मुश्किल समय है। मुआवजा ज़्यादा से ज़्यादा मिलना चाहिए।''

राहुल ने कहा, "मैं यूपी के मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूँ कि मुआवजा दिल खोल कर मिलना चाहिए। इस समय इसकी ज़रूरत है। इसमें देर नहीं होनी चाहिए। छह महीने या एक साल बाद दिया तो किसी को फ़ायदा नहीं होगा।''

राहुल गांधी ने कहा, "परिवार वालों से मेरी पर्सनल बात हुई है। उन्होंने कहा कि प्रशासन की कमी थी। पुलिस का जो इंतजाम होना चाहिए था वो नहीं हुआ। बहुत दुख में हैं। सदमे में हैं। उनकी स्थिति समझने की कोशिश कर रहा हूं।''

दो जुलाई 2024 को भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा नाम से चर्चित बाबा के सत्संग में भगदड़ मचने से 123 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं।

ये कहना गलत है कि भारत में साल 2014 से पहले कुछ नहीं हुआ: अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़

ये कहना गलत है कि भारत में साल 2014 से पहले कुछ नहीं हुआ: अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़

शनिवार, 20 अप्रैल 2024

मशहूर अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता ज्यां द्रेज़ का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था का वर्तमान स्वरूप आने वाले पांच साल में भारत को अधिक बुरी हालत में डालने वाला है।

ज्यां द्रेज़ ने कहा कि इससे सामाजिक असमानता बड़े स्तर पर बढ़ेगी। इससे भारत का आम नागरिक परेशान होगा। क्योंकि, भारत की मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में पिछले 10 साल में लोगों की वास्तविक मज़दूरी में कोई वृद्धि नहीं हुई है।

ज्यां द्रेज़ ने कहा कि सरकार के आंकड़े ही अर्थव्यवस्था की कमियां उजागर कर रहे हैं। हमें इस पर चिंता करने की ज़रूरत है।

ज्यां द्रेज और आईआईटी दिल्ली में अर्थशास्त्र की प्रोफ़ेसर रितिका खेड़ा ने रांची प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस वार्ता में आंकड़ों के साथ अर्थव्यवस्था से जुड़े तथ्य बताए।

इस कॉन्फ़्रेंस का आयोजन लोकतंत्र बचाओ मोर्चा ने किया था। इस दौरान भारत की आज़ादी के बाद साल 1951 से भारत की अर्थव्यवस्था और सामाजिक स्थिति में हुए ग्रोथ और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के कार्यकाल के दौरान साल 2014 के दौरान हुए विकास की भी तुलना की गई।

मोदी सरकार से पहले भारत कहां खड़ा था?

ज्यां द्रेज ने कहा, "यह कहा जाना गलत है कि भारत में साल 2014 से पहले कुछ हुआ ही नहीं। भारत के लोगों की प्रति व्यक्ति आय (कांस्टेंट प्राइस) 1951 में सिर्फ़ 100 थी, जो साल 2011 में 511 हो गई। लाइफ एक्सपेक्टेंसी 1951 में सिर्फ़ 32 साल थी, जो साल 2011 तक 66 साल हो चुकी थी।''

"इसी अवधि में महिलाओं की साक्षरता दर नौ फ़ीसदी से बढ़कर 65 फ़ीसदी और पुरूषों की 27 फ़ीसदी से बढ़कर 82 फ़ीसदी हो गई। नवजात शिशुओं के मृत्यु दर पर ज़बरदस्त तरीक़े से काबू पाया गया। 1951 में जहां प्रति 1000 नवजात बच्चों में से 180 की मौत हो जाती थी, वह संख्या साल 2011 में घटकर 44 पर आ गई। यह मोदी सरकार के पहले की उपलब्धियां हैं।''

मोदी सरकार में इकोनॉमी नीचे गई: ज्यां द्रेज

ज्यां द्रेज ने कहा, "यूपीए सरकार में ग्रॉस नेशनल इनकम (कांस्टेंट प्राइस) 6.8 फ़ीसदी था, जो बीजेपी की मौजूदा मोदी सरकार में घटकर 5.5 फ़ीसदी पर आ गया। रियल कंजप्शन 5 फ़ीसदी से घटकर 3 फ़ीसदी पर आया। कृषि मज़दूरों की वार्षिक वृद्धि दर साल 2004-05 और 2014-15 के बीच 6.8 प्रतिशत थी। वह साल 2014-15 से 2021-22 के दौरान घटकर माइनस 1.3 प्रतिशत हो गई।''

नहीं हुई जनगणना, नहीं मिला लाभ

ज्यां द्रेज और रितिका खेड़ा ने कहा कि भारत सरकार ने साल 2021 में जनगणना ही नहीं कराई। आज़ादी के बाद ऐसा पहली दफ़ा हुआ, जब जनगणना ही नहीं हुई। इस कारण अकेले भारत के राज्य झारखंड में 44 लाख योग्य लोग जन वितरण प्रणाली की सुविधाओं से वंचित हैं। पूरे भारत में ऐसे वंचित लोगों की संख्या 100 मिलियन से भी अधिक है।

योजनाओं के नाम बदले, इससे कई दिक़्क़तें: रितिका खेड़ा

अर्थशास्त्री रितिका खेड़ा ने कहा, "मोदी सरकार में कई पुरानी योजनाओं के नाम बदल दिए गए। इन्होंने न केवल यूपीए सरकार के समय से चल रही योजनाओं के नाम बदले, बल्कि अपनी सरकार की योजनाओं की भी री-ब्रैंडिंग की। मसलन, आयुष्मान योजना के तहत चलने वाले वेलनेस सेंटर का नाम अब आयुष्मान आरोग्य मंदिर कर दिया गया। केरल सरकार ने मलयाली भाषा भाषियों के लिए इसका पुराना नाम ही रखने की अपील की, तो सरकार इस पर सहमत नहीं हुई। इससे केरल के लोगों को इसका लाभ ही नहीं मिल पा रहा है।''

अर्थव्यवस्था कहां है?

रितिका खेड़ा ने कहा, "भारत सरकार में शामिल नेता गर्व से कहते हैं कि जीडीपी के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर आ गया है। लेकिन, प्रति व्यक्ति आय के नज़रिये से भारत का रैंक दुनिया के 170 देशों में 120 वें नंबर पर है। यह कैसी ग्रोथ है। इस पर सवाल तो उठने ही चाहिए।''

कच्छतीवु द्वीप पर पीएम मोदी का बयान: कांग्रेस ने विदेश मंत्री जयशंकर के रुख़ पर उठाए कई सवाल

कच्छतीवु द्वीप पर पीएम मोदी का बयान: कांग्रेस ने विदेश मंत्री जयशंकर के रुख़ पर उठाए कई सवाल

सोमवार, 1 अप्रैल 2024

कच्छतीवु द्वीप को 1974 में श्रीलंका को सौंपने के भारत सरकार के फ़ैसले पर दाख़िल एक आरटीआई आवेदन का जवाब आने के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार, 31 मार्च 2024 को इस द्वीप के श्रीलंका के पास चले जाने के मामले को उठाते हुए तत्कालीन कांग्रेस सरकार को ज़िम्मेदार बताया था।

इसके बाद सोमवार, 1 अप्रैल 2024 को कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं जयराम रमेश और पी चिदंबरम ने मोदी सरकार की नीयत पर सवाल उठाए।

इन नेताओं ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान 2015 में इस बारे में दाख़िल एक अन्य आरटीआई आवेदन के जवाब का ज़िक्र किया।

जयराम रमेश ने जयशंकर को घेरा

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने 2015 में भारत के विदेश सचिव रहे और अब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर को घेरा।

जयराम रमेश ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, "मौजूदा विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर, क्या 27 जनवरी 2015 को विदेश मंत्रालय के जवाब को नकार रहे हैं, जब वही विदेश सचिव थे?"

जयराम रमेश ने बताया, "2015 में कच्छतीवु पर एक आरटीआई सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि इस (समझौते) में भारत से संबंधित क्षेत्र का अधिग्रहण करने या उसे छोड़ने का मामला नहीं था, क्योंकि जिस इलाक़े को लेकर सवाल थे, उसका सीमांकन कभी हुआ ही नहीं था। समझौते के तहत, कच्छतीवु द्वीप भारत और श्रीलंका की अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के श्रीलंका के हिस्से में स्थित है। किसी राजनीतिक अभियान में बलि का बकरा खोजना सबसे आसान है। वो कौन होगा?''

चिदंबरम ने भी उठाए सवाल

भारत के पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने भी 2015 के उसी आरटीआई रिप्लाई का सहारा लेकर भारत के विदेश मंत्री जयशंकर पर सवाल खड़े किए हैं।

पी चिदंबरम ने अपने ट्वीट में लिखा, "उस रिप्लाई में उन हालात का ज़िक्र करते हुए भारत ने स्वीकार किया कि एक छोटा द्वीप श्रीलंका का है। विदेश मंत्री (जयशंकर) और उनका मंत्रालय अब कलाबाज़ी क्यों कर रहे हैं? लोग कितनी जल्दी रंग बदल लेते हैं। एक सौम्य उदार आईएफएस अधिकारी से एक चतुर विदेश सचिव और फिर आरएसएस-बीजेपी के माउथपीस बनने तक, जयशंकर का जीवन कलाबाज़ी के इतिहास में दर्ज किया जाएगा।''

कच्छतीवु मामले में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने क्या कहा?

सोमवार, 1 अप्रैल 2024

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार, 1 अप्रैल 2024 को कच्छतीवु मामले में कांग्रेस और डीएमके को निशाना बनाया।

एस जयशंकर ने कहा कि दोनों पार्टियां इस मुद्दे पर ऐसे बात कर रही हैं जैसे उनकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि लोगों को ये जानने का अधिकार है कि कच्छतीवु द्वीप को दूसरे देश को कैसे दे दिया गया।

इस मुद्दे पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयशंकर ने कहा, ''ये ऐसा मुद्दा नहीं है, जो आज अचानक उठा है। ये वो मसला है, जो संसद और तमिलनाडु में लगातार उठता रहा है, इस पर बहस हुई। मेरे रिकॉर्ड बताते हैं कि इस मसले पर मैंने 21 बार जवाब दिया है।''

एस जयशंकर ने कहा कि जनता को ये जानने का अधिकार है कि कच्छतीवु द्वीप को श्रीलंका को दे दिया गया और कैसे 1976 में भारतीय मछुआरों का मछली पकड़ने का अधिकार भी उसे दे दिया गया, जबकि संसद में ये गारंटी दी गई थी कि 1974 के समझौते में भारतीय मछुआरों के अधिकार सुरक्षित रखे गए हैं।

एस जयशंकर ने कहा कि भारत को श्रीलंका के अधिकारियों के साथ मिल कर इसका हल निकालना चाहिए।

एस जयशंकर ने कहा, ''पिछले 20 साल में 6184 भारतीय मछुआरों को श्रीलंका ने पकड़ा। भारत की मछली पकड़ने वाली 1175 नावें ज़ब्त कर ली गईं। ये वो बैकग्राउंड है जिसके बारे में हम बताना चाहते हैं।''

सुप्रीम कोर्ट की ईडी पर सख्त टिप्पणी- बिना सुनवाई सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर कर-कर के किसी शख्स को जेल में नहीं रख सकते

सुप्रीम कोर्ट की ईडी पर सख्त टिप्पणी- बिना सुनवाई सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर कर-कर के किसी शख्स को जेल में नहीं रख सकते

बुधवार, 20 मार्च 2024

भारत में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 20 मार्च 2024 को एक मामले की सुनवाई के दौरान सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर करने और जाँच को खींचने को लेकर प्रवर्तन निदेशालय पर कड़ी टिप्पणी की है।

जस्टिस संजीव खन्ना और दिपांकर दत्ता की बेंच प्रेम प्रकाश की बेल याचिका पर सुनवाई कर रही थी। प्रेम प्रकाश एक मनी लॉन्ड्रिंग केस में कथित तौर पर झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेने के करीबी सहयोगी थे।

प्रेम प्रकाश अगस्त 2022 से हिरासत में हैं। उस समय रांची के उनके आवास पर हथियार बरामद हुए थे। उन पर आर्म्स एक्ट और प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

इस केस में अभी तक चार सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की जा चुकी है।

जस्टिस खन्ना ने कहा, "हम आपको (ईडी) को ये ध्यान दिलाना चाहते हैं कि कानून के तहत आप किसी शख्स को जाँच पूरी होने से पहले गिरफ़्तार नहीं कर सकते। किसी व्यक्ति को ट्रायल शुरू होने से पहले हिरासत में नहीं रखा जा सकता।''

जस्टिस खन्ना ने कहा कि डिफॉल्ट बेल का प्रावधान ये सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि अगर पुलिस तय समय में चार्जशीट दायर नहीं करती है, तो अभियुक्त को जेल से रिहा किया जा सके। हालांकि, इस मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर कर-कर के, जाँच अभी भी जारी है।

जस्टिस खन्ना ने कहा, "आप बिना सुनवाई सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर करते-करते किसी शख्स को जेल में नहीं रख सकते।''

जस्टिस खन्ना ने कहा कि अगर सुनवाई में अत्यधिक या असामान्य तौर पर देरी हो रही है तो पीएमएलए के तहत कड़े प्रावधानों के बावजूद, अदालत अभियुक्त को बेल दे सकती है।

इस मामले में अगली सुनवाई 29 अप्रैल 2024 को होगी।

भारत की केंद्र सरकार ने फ़ैक्ट चेकिंग यूनिट के गठन की अधिसूचना जारी की

भारत की केंद्र सरकार ने फ़ैक्ट चेकिंग यूनिट के गठन की अधिसूचना जारी की

बुधवार, 20 मार्च 2024

भारत की केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया पर कंटेंट की निगरानी के लिए फ़ैक्ट चेक यूनिट के गठन की अधिसूचना जारी कर दी है।

हाल ही में संशोधित आईटी नियमों के तहत इस फ़ैक्ट चेकिंग यूनिट का गठन किया गया है।

अधिसूचना के अनुसार, "केंद्रीय सरकार, सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के नियम-3 के उप-नियम(1) के खंड (ख) में दी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, केंद्रीय सरकार के किसी भी कारोबार के संबंध में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रेस सूचना ब्यूरो के अधीन तथ्य जांच इकाई को केंद्रीय सरकार की तथ्य जांच इकाई के रूप में अधिसूचित करती है।''

बॉम्बे हाई कोर्ट ने 13 मार्च 2024 को इस फ़ैक्ट चेकिंग यूनिट बनाने पर रोक लगाने वाली याचिका को खारिज कर दिया था।

इस फ़ैक्ट चेकिंग यूनिट को 2023 में क़ानून में शामिल किया गया था।  सरकार का कहना है कि इसका मकसद भ्रामक जानकारियों पर लगाम लगाना है, मगर फ़ैक्ट चेकिंग यूनिट को क़ानून में शामिल करने की कोशिश विवादों के घेरे में रही है।

कई पत्रकारों और विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सरकार की आलोचना करने वाली मीडिया की स्वतंत्र रिपोर्टिंग को कुचलने की कोशिश है।

हालांकि, फ़ैक्ट चेकिंग यूनिट की संवैधानिकता से जुड़ी याचिका अभी भी बॉम्बे हाई कोर्ट में लंबित है।