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विनिमय सौदा: 110 फ़िलिस्तीनी कैदियों के बदले आठ बंदी रिहा

विनिमय सौदा: 110 फ़िलिस्तीनी कैदियों के बदले आठ बंदी रिहा

शुक्रवार, 31 जनवरी, 2025
हमास ने ग़ज़ा में तीन इसराइली और पाँच थाई बंदी रिहा कर दिए हैं और इसराइल ने बंदी सौंपने के एक बिंदु पर भीड़ के उमड़ने के बाद प्रक्रिया में देरी के बाद 110 फ़िलिस्तीनी कैदियों को रिहा करना शुरू कर दिया है।

20 वर्षीया इसराइली सैनिक अगम बर्गर गुरुवार को रिहा होने वाली पहली महिला थीं, जब वह ग़ज़ा में जबालिया शरणार्थी शिविर में मलबे के नीचे से निकलीं, जिसे 15 महीने से अधिक के युद्ध के दौरान इसराइली बलों द्वारा बार-बार निशाना बनाया गया है।

अल जज़ीरा के माइकल एपेल की रिपोर्ट।

फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया गया: मार्ग पर भीड़ को तितर-बितर करने के लिए इसराइली सेना ने गोलीबारी की

फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया गया: मार्ग पर भीड़ को तितर-बितर करने के लिए इसराइली सेना ने गोलीबारी की

गुरुवार, 30 जनवरी, 2025
हमास के साथ युद्धविराम समझौते के तहत इसराइल ने 110 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया है।

सैकड़ों फिलिस्तीनी लोग कब्जे वाले पश्चिमी तट पर बेतुनिया में इकट्ठा हुए और उनका स्वागत किया।

रिहा किए गए कैदियों में लगभग 30 बच्चे भी शामिल हैं। उनमें से कम से कम 32 आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे।

और जब रेड क्रॉस का काफिला फिलिस्तीनी कैदियों को लेकर कब्जे वाले पश्चिमी तट से गुजर रहा था, तब इसराइली सेना ने गोलीबारी की।

इसराइली सैनिकों ने भारी सुरक्षा वाले काफिले के मार्ग पर भीड़ को तितर-बितर करने के लिए रबर की गोलियों और आंसू गैस का इस्तेमाल किया।

अल जजीरा के हानी महमूद ग़ज़ा सिटी में हैं, तारिक अबू अज्जूम खान यूनिस में और हमदाह सलहुत जॉर्डन की राजधानी अम्मान में हैं, क्योंकि इसराइली सरकार और फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने अल जजीरा को इसराइल के अंदर और कब्जे वाले पश्चिमी तट पर रिपोर्टिंग करने से प्रतिबंधित कर दिया है।

ग़ज़ा युद्ध विराम समझौता: जबालिया में इसराइली महिला सैनिक रिहा

ग़ज़ा युद्ध विराम समझौता: जबालिया में इसराइली महिला सैनिक रिहा

गुरुवार, 30 जनवरी, 2025
इसराइली बंदी अगम बर्गर को जबालिया शरणार्थी शिविर में रेड क्रॉस को सौंप दिया गया है।

सैन्य वर्दी पहने, वह शिविर में एक क्षतिग्रस्त इमारत के मलबे के बीच से फिलिस्तीनी लड़ाकों के साथ चलती हुई दिखाई दी।

इसके बाद वह एक मंच पर दिखाई दी और रेड क्रॉस की एक कार में बैठने से पहले दर्शकों को हाथ हिलाया।

अल जज़ीरा के अनस अल-शरीफ़ उत्तरी ग़ज़ा के जबालिया से रिपोर्ट करते हैं।

अमेरिकी हवाई टक्कर: वर्जीनिया में विमान हेलीकॉप्टर से टकराया

अमेरिकी हवाई टक्कर: वर्जीनिया में विमान हेलीकॉप्टर से टकराया

गुरुवार, 30 जनवरी, 2025
अमेरिकी राज्य वर्जीनिया में विमान और हेलीकॉप्टर की टक्कर के बाद खोज और बचाव अभियान शुरू हो गया है।

संघीय विमानन प्रशासन (FAA) ने बुधवार देर रात कहा कि PSA एयरलाइंस का बॉम्बार्डियर CRJ700 जेट विमान अर्लिंग्टन काउंटी में हवाई अड्डे के पास पहुंचते समय सिकोरस्की H-60 ​​हेलीकॉप्टर से टकरा गया।

समाचार एजेंसियों ने अमेरिकी सेना का हवाला देते हुए कहा कि हेलीकॉप्टर में तीन सैनिक सवार थे।

कम से कम दो शव बरामद किए गए हैं।

रोनाल्ड रीगन राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सभी उड़ान और लैंडिंग रोक दी गई हैं।

आपातकालीन सेवाएं घटनास्थल पर हैं।

अल जज़ीरा के शिहाब रतनसी अब अर्लिंग्टन, वर्जीनिया से हमारे साथ लाइव जुड़ रहे हैं।

कीथ मैके एक विमान दुर्घटना अन्वेषक और विमानन सलाहकार हैं। वह एक सेवानिवृत्त पायलट भी हैं, जिन्होंने रीगन राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कई बार उड़ान भरी है। वह नवीनतम घटनाक्रमों पर चर्चा करने के लिए फ्लोरिडा के ओकाला से हमारे साथ लाइव जुड़ते हैं।

उत्तरी ग़ज़ा में इसराइली सेना द्वारा नया भयानक नरसंहार

उत्तरी ग़ज़ा में इसराइली सेना द्वारा नया भयानक नरसंहार

शनिवार, 26 अक्टूबर, 2024
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि उत्तरी ग़ज़ा के बेत लाहिया शहर में एक अपार्टमेंट ब्लॉक नष्ट हो गया। इसराइली हवाई हमलों के बाद फिलिस्तीनी मलबे के नीचे फंस गए हैं और बचाव अभियान जारी है। मंत्रालय ने कहा कि यह हमला एक "भयानक नरसंहार" है।

इस बीच, अल जज़ीरा के तारिक अबू अज़्ज़ौम ताज़ा अपडेट के लिए लाइव जुड़ते हैं।

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में बंदूकधारियों ने बस से उतार कर 23 यात्रियों को गोली मारी

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में बंदूकधारियों ने बस से उतार कर 23 यात्रियों को गोली मारी

सोमवार, 26 अगस्त 2024

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में बस से यात्रा कर रहे 23 लोगों की बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। ये सभी लोग पंजाब प्रांत से थे।

ये घटना बलूचिस्तान के मुसा खेल ज़िले में हुई है

बलूचिस्तान के मुसा खेल के असिस्टेंट कमिश्नर नजीब ने घटना की पुष्टि की और बीबीसी उर्दू को बताया कि 'घटना ज़िले के रारा हाशिम इलाक़े में हुई है। गोलीबारी की घटना रविवार, 25 अगस्त 2024 की रात पुलिस के नियंत्रण वाले इलाके में हुई है।'

जानकारी के मुताबिक़, कुछ अज्ञात लोगों ने पंजाब और बलूचिस्तान के बीच चल रहे ट्रकों और बसों को रोका। इसके बाद यात्रियों को नीचे उतारा। उनके पहचान पत्र चेक किए और जो बलोच नहीं थे, उन पर गोलियां चला दीं।

आतंकवादी समूह बलूच लिबरेशन आर्मी ने हमलों की ज़िम्मेदारी ली है और कहा कि उसने विभिन्न क्षेत्रों से उन सड़कों को ब्लॉक कर दिया है, जहां से प्रांत में प्रवेश किया जा सकता है।

बलूचिस्तान के विभिन्न इलाकों में हाईवे पर हथियारबंद लोगों की मौजूदगी के कारण यातायात रोक दिया गया।

जिन यात्रियों को मारा गया है, वे पंजाब प्रांत से बलूचिस्तान आ रहे थे।

सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, बंदूकधारियों ने कई वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया है। बीते 24 घंटे में बलूच लिबरेशन आर्मी ने कई सरकारी इमारतों को भी नुकसान पहुंचाया है।

असिस्टेंट कमिश्नर ने बताया कि गोलीबारी की घटना में पांच लोग घायल भी हुए हैं, जिनमें से एक की हालत गंभीर बनी हुई है।

इससे पहले शनिवार, 24 अगस्त 2024 और रविवार, 25 अगस्त 2024 की दरमियानी रात बलूचिस्तान के अलग-अलग इलाकों से बम धमाकों की खबरें आईं।

कलात शहर के पास हुए हमलों में वहां के असिस्टेंट कमिश्नर भी घायल हो गए, जबकि जिउनी में पुलिस स्टेशन के बाहर तीन वाहनों को आग लगा दी गई।

मस्तुंग जिले में भी अज्ञात हथियारबंद लोगों ने खाद कोचा इलाक़े में एक पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया।

ताज़ा घटना पर बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री ने रिपोर्ट मांगी है। मुख्यमंत्री मीर सरफराज बुगती ने घटना की निंदा की। मीर सरफराज बुगती ने इमरजेंसी बैठक भी बुलाई।

सोशल मीडिया, ओटीटी, डिजिटल प्लेटफॉर्म के नियमन के लिए क़ानून बनेगा

भारत में केंद्र की मोदी सरकार अगले तीन महीने में सोशल मीडिया और डिजीटल कंटेन्ट को नियमित करने के लिए एक नया क़ानून लाएगी। भारत के क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और भारत के संचार मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की।

रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''सोशल मीडिया भारत में बिजनस कर रहे हैं, उन्होंने अच्छा बिज़नस किया है और भारतीय लोगों को मज़बूत किया है।  लेकिन इसके साथ ही पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया के गैर-ज़िम्मेदाराना इस्तेमाल की शिकायतें आ रही हैं।''

मोदी सरकार के मुताबिक़ पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर हिंसा को बढ़ावा देने, अश्लील सामग्री शेयर करने, दूसरे देश के पोस्ट का इस्तेमाल करने जैसी कई शिकायतें सामने आई हैं, जिससे निपटने के लिए सरकार नई गाइडलाइंस लेकर आई है और तीन महीने में इसे लेकर एक क़ानून बनाया जाएगा।

गाइडलाइंस क्या हैं?

गाइडलाइंस के बारे में बताते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''सोशल मीडिया को 2 श्रेणियों में बांटा गया है, एक इंटरमीडयरी और दूसरा सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया इंटरमीडरी। हम जल्दी इसके लिए यूज़र संख्या का नोटिफिकेशन जारी करेंगे।''

''यूज़र्स की गरिमा को लेकर अगर कोई शिकायत की जाती है, ख़ासकर महिलाओं की गरिमा को लेकर तो शिकायत करने के 24 घंटे के अंदर उस कंटेन्ट को हटाना होगा।''

उन्होंने कहा कि सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया के क़ानून को तीन महीने में लागू किया जाएगा।

इसके अलावा सोशल मीडिया कंपनियों को एक शिकायत निवारण व्यवस्था बनानी होगी और शिकायतों का निपटारा करने वाले ऑफ़िसर का नाम भी सार्वजनिक करना होगा। ये अधिकारी 24 घंटे में शिकायत का पंजीकरण करेगा और 15 दिनों में उसका निपटारा करेगा।

उन्होंने कहा कि सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया को चीफ़ कंप्लाएंस ऑफिसर, नोडल कंटेन्ट पर्सन और एक रेज़ीडेट ग्रीवांस ऑफ़िसर नियुक्त करना होगा और ये सब भारत में ही होंगे। इसके अलावा शिकायतों के निपटारे से जुड़ी रिपोर्ट भी उन्हें हर महीने जारी करनी होगी।

अकाउंड वेरिफ़िकेशन होगा ज़रूरी

मोदी सरकार ने कहा, इसके अलावा ये सुनिश्चित करने के लिए कि सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट न बनाए जाए, कंपनियों से अपेक्षा होगी कि वो वेरिफिकेशन प्रक्रिया को अनिवार्य बनाएं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोई पोस्ट किसने किया है, कोर्ट के आदेश या सरकार के पूछने पर ये जानकारी कंपनी को देनी होगी।

रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''किसी कोर्ट या सरकार के पूछने पर उन्हें बताना पड़ेगा कि कोई पोस्ट किसने शुरू किया। अगर भारत के बाहर से हुआ तो भारत में किसने शुरू किया। यह भारत की संप्रभुता, राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ संबंध, बलात्कार आदि के संबंध में होना चाहिए।''

हालांकि सोशल मीडिया कंपनियां अक्सर ये दलील देती आई हैं कि इस तरह की जानकारियां देने के लिए उन्हें एंड टू एंड एन्क्रिपशन को तोड़ना पड़ेगा और यूज़र का डेटा सेव करना पड़ेगा जो उनकी निजता का हनन होगा। एंड टू एंड एन्क्रिपशन का मतलब है कि दो लोगों के बीच हो रही बातचीत को कोई तीसरा (कंपनी भी) सुन या पढ़ नहीं सकता।

ये जानकारियां कंपनी कैसे मुहैय्या करा सकती है, इससे जुड़े एक सवाल के जवाब में रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''हम एन्क्रिपशन तोड़ने के लिए नहीं कह रहे, हम बस ये पूछ रहे हैं कि इसे शुरू किसने किया।''

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की कुछ गाइडलाइंस का हवाला देते हुए कहा कि अश्लील सामग्री, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार से जुड़े वीडियो को फैलने से रोकने के लिए ये क़दम बेहद ज़रूरी हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि देश के बाहर से भी सोशल मीडिया पोस्ट्स करने की कई ख़बरें सामने आई हैं।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इन सभी नियमों का मकसद लोगों के हाथ में अधिक शक्ति देना है। इस पर विस्तार से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, ''अगर कोई सिग्निफिकेंट पोस्ट हटाई जाती है, तो कंपनी को इसकी वजह देनी होगी।''

उन्होंने कहा कि इन सभी चीज़ों को लेकर प्लैटफ़ॉर्म्स से कहेंगे कि एक मैकेनिज़म बनाया जाए।

रविशंकर प्रसाद अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यूज़र्स का डेटा भी दिया। उनके मुताबिक़ भारत में व्हाट्सएप के 53 करोड़, यूट्यूब के 44.8 करोड़, फेसबुक के 41 करोड़, इस्टाग्राम के 21 करोड़, ट्विटर के 1.75 करोड़ यूज़र्स हैं।

ओटीटी और डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए भी नियम

मोदी सरकार ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म को रेगुलेट करने के लिए भी कानून लेकर आएगी।

भारत के केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ''ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए तीन स्तर का तंत्र होगा। OTT प्लेटफॉर्म और डिजिटल मीडिया को अपने बारे में जानकारी देनी होगी, और उन्हें एक शिकायत निवारण तंत्र बनाना होगा।''

जावड़ेकर के मुताबिक़ सरकार ने पहले ओटीटी कंपनियों से मुलाकात की थी और एक सेल्फ़ रेगुलेशन बनाने के लिए कहा था लेकिन वो ऐसा नहीं कर पाए।

नए नियम के आने पर ओटीटी और डिजिटल न्यूज़ प्लेटफ़ॉर्म को अपनी डिटेल बतानी पड़ेंगी जैसे कि वो कहां से काम करते हैं। इसके अलावा शिकायतों के निवारण के लिए एक पोर्टल बनाना होगा।  

जावड़ेकर ने कहा कि टीवी और प्रिंट की तरह डिजिटल के लिए भी एक नियामक संस्था बनाई जाएगी, जिसका अध्यक्ष कोई रिटायर्ट जज या प्रख्यात व्यक्ति हो सकता है।

उन्होंने कहा, ''जैसे ग़लती करने पर टीवी पर माफ़ी मांगी जाती है, वैसा ही डिजीटल के लिए भी करना होगा।''

इसके अलावा कंटेंट पर उम्र के मुताबिक़ क्लासिफ़िकेशन करना होगा और पेरेंटल लॉक की सुविधा देनी होगी।

उन्होंने कहा कि जहां तुरंत एक्शन की ज़रूरत हो, ऐसे मामलों के लिए सरकारी स्तर पर एक निगरानी तंत्र बनाया जाएगा।

भारत में कोरोना वायरस का कहर: कोरोना से हुई कुल मौतों में 70 प्रतिशत पांच राज्यों में

भारत में कोरोना वायरस से हुई कुल मौतों में से 70 प्रतिशत मौतें आंध्र प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में हुई हैं।

वहीं, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में कोरोना वायरस के 62 प्रतिशत एक्टिव मामले हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस को लेकर की गई प्रेस कांफ्रेस में इस संबंध में जानकारी दी।

स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने बताया कि राजधानी दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों और मौतों को देखते हुए दिल्ली सरकार से बात की जा रही है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार को कुछ विशेष निर्देश दिए गए हैं। अगर उनका पालन होता है तो मामले नियंत्रण में आ सकते हैं।

भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर उन्होंने कहा, ''रोज़ाना पॉजिटिव मामले बढ़ रहे हैं। इसे पूरी जनसंख्या के संदर्भ में देखना चाहिए। सरकार ने पर्याप्त परीक्षण क्षमता सुनिश्चित करके, क्लीनिकल ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के स्पष्ट दिशानिर्देश देकर और अस्पताल के बुनियादी ढांचे को बढ़ाते हुए अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए एक श्रेणीबद्ध दृष्टिकोण अपनाया है।''

उन्होंने कहा कि दूसरे देशों से तुलना करने पर भारत में प्रति मिलियन (जनसंख्या) कोविड के मामले बहुत कम हैं। भारत में प्रति मिलियन मौतें भी बहुत कम हैं। यहां प्रति 10 लाख पर 49 मौतें हुई हैं। वहीं, कोरोना वायरस के प्रति दस लाख जनसंख्या पर 2,792 मामले हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये भी जानकारी दी कि पूरे भारत के 70 जिलों में दूसरा सीरो सर्वे शुरू हो चुका है। इसके नतीज़े अगले दो हफ़्तों में आ जाएंगे।

साथ ही बताया कि पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 11 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। पूरे देश में अब तक 4.5 करोड़ से ज़्यादा टेस्ट हो चुके हैं।

कुछ राज्यों में कोरोना के मामले में कमी भी देखने को मिली है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक आंध्र प्रदेश में एक्टिव मामलों में 13.7 प्रतिशत की साप्ताहिक कमी हुई है। इसी तरह कर्नाटक में 16.1 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 6.8 प्रतिशत और तमिलनाडु में 23.9 प्रतिशत और उत्तर प्रेदश में 17.1 प्रतिशत की साप्ताहिक कमी आई है।

महाराष्ट्र में पिछले तीन हफ़्तों में कोरोना वायरस के मामलों में 7 प्रतिशत की कमी देखी गई है।

फेसबुक द्वारा सोशल मीडिया का दुरूपयोग: क्या भारत में संसदीय समिति फेसबुक पर कार्रवाई करेगी?

भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक पर बनी 30 सदस्यों वाली संसदीय समिति ने बुधवार को सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर लग रहे आरोपों की सुनवाई की।

इस समिति के समक्ष विभाग से जुड़े अधिकारी मौजूद थे। साथ ही भारत में फेसबुक के प्रबंध निदेशक अजीत मोहन ने भी अपनी बात रखी।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार फेसबुक की तरफ़ से दलील रखी गयी कि उसने हमेशा अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लेकर पारदर्शिता रखी है।

फेसबुक का ये भी कहना था कि उसने बिना किसी राजनीतिक दबाव के लोगों को अपनी अभिव्यक्ति प्रकट करने का माध्यम भी दिया है।

ये विवाद तब शुरू हुआ जब एक अमरीकी समाचार पत्र वॉलस्ट्रीट जर्नल ने भारत में फेसबुक के बारे में आरोप लगाए कि वो सत्तारूढ़ दल यानी भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में ज़्यादा काम करता है।

समाचार पत्र में ये भी आरोप लगाया गया कि फेसबुक पर अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नफ़रत भड़काने वाली पोस्ट पर भी कोई नियंत्रण नहीं है। ये भी आरोप लगाये गए कि उन कथित भड़काऊ पोस्ट को फेसबुक ने तब हटाया जब अख़बार ने उनके बारे में जानकारी दी।

इन आरोपों पर बीबीसी को फेसबुक ने ईमेल के ज़रिये अपना जवाब दिया, ''किसी भी तरह की हिंसा या नफ़रत फैलाने वाली सामग्री फेसबुक पर प्रतिबंधित है। ये मायने नहीं रखता कि पोस्ट लिखने वाले का राजनीतिक रुझान किस तरफ़ है।''

कांग्रेस के सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने पत्रकार परंजय गुहा ठाकुरता और सोशल मीडिया पर नज़र रखने वाले एक समूह के प्रतिनिधि को भी अपनी मदद के लिए कार्यवाही में शामिल किया।

संसद के सूत्रों का कहना है कि संसदीय समिति की बैठक बंद कमरे में ज़रूर हुई मगर पूरी कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग की गयी है।

समिति की सुनवाई काफ़ी लंबी चली। इस दौरान बंद कमरे में क्या कुछ हुआ इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने फ़िलहाल चुप्पी साध रखी है।

समिति में संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल हैं जिसमें ज़्यादा संख्या सत्ता पक्ष के सदस्यों की है।

लेकिन समिति की बैठक से पहले ही कांग्रेस ने फेसबुक के सीईओ मार्क ज़करबर्ग को दो-दो चिठ्ठियां लिखीं जिसमें फेसबुक के लिए भारत में काम करने वाले दो प्रतिनिधियों के आचरण और उनके द्वारा की गई पोस्ट का हवाला दिया गया।

चिठ्ठी के बाद समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने फेसबुक को नोटिस भेजा तो भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने थरूर को समिति के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की।

दुबे का लिखित आरोप है कि शशि थरूर सोशल मीडिया के इस प्लेटफॉर्म के ज़रिये खुद के और अपनी पार्टी के एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

मगर लोकसभा के अध्यक्ष ने चिठ्ठी का कोई जवाब नहीं दिया।

समिति की बैठक से ठीक एक दिन पहले केंद्रीय विधि एवं न्याय, संचार एंव इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मार्क ज़करबर्ग को चिठ्ठी लिखकर आरोप लगाया कि उनका सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म दक्षिणपंथी विचारधारा रखने वालों की पोस्ट को सेंसर कर रहा है।

रविशंकर प्रसाद का ये भी आरोप था कि अमरीकी अख़बार में जो लिखा गया है दरअसल वो उल्टी छवि पेश कर रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि 'भारत की राजनीतिक व्यवस्था में अफ़वाहें फैला कर दख़लंदाज़ी करना निंदनीय है'।

भारत में फेसबुक के लगभग 30 करोड़ यूज़र्स हैं और रविशंकर प्रसाद का ये भी आरोप है कि 2019 में हुए आम चुनावों में फेसबुक ने भारतीय जनता पार्टी को लोगों तक ठीक से अपनी बात पहुँचाने नहीं दी।

राजनीतिक दलों के बीच चल रहे इस वाकयुद्ध की वजह से फेसबुक लगातार चर्चा में बना हुआ है लेकिन संसदीय समिति में क्या कुछ हुआ, इसकी किसी को जानकारी नहीं है।

राज्यसभा के उपाध्यक्ष हरिवंश नारायण सिंह ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि कुल मिलाकर 24 संसदीय समितियां हैं जो विभिन्न विभागों या मुद्दों को लेकर बनायी गयी हैं। इनमें लोकसभा और राज्यसभा के सांसद शामिल रहते हैं लेकिन ज़्यादातर समितियों के अध्यक्ष लोकसभा के सदस्य हैं।

संसद किस तरह चलेगी इसके लिए पहले से ही स्पष्ट रूपरेखा निर्धारित है। विधायी कार्यों के नियम भी स्पष्ट हैं जिन पर कोई बहस नहीं की जा सकती है क्योंकि वो पहले से ही निर्धारित संसदीय परंपरा का हिस्सा हैं।

हरिवंश नारायण कहते हैं, ''संसदीय समिति की बैठक पूरी तरह से गोपनीय होती है जिसके बारे में समिति के सदस्यों को बाहर बोलने की अनुमति नहीं है। न सिर्फ़ सदस्य बल्कि जिनको समिति नोटिस भेजकर बुलाती है वो भी बाहर कुछ नहीं कह सकते। अगर वो ऐसा करते हैं तो ये विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है।''

सांसद मनोज कुमार झा कहते हैं कि जब तक समिति की रिपोर्ट को संसद के पटल पर नहीं रखा जाता, तब तक उसे सार्वजनिक भी नहीं किया जा सकता है। वो कहते हैं कि संसदीय समिति के सदस्यों और उनके सामने पेश होने वाले लोग शपथ से भी बंधे हुए हैं।

इसलिए लगभग तीन घंटों तक चली इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक की संसदीय समिति की बैठक की कार्यवाही का लेखा-जोखा आम लोगों की जानकारी के लिए तब तक उपलब्ध नहीं है जब तक कि संसद इसका अनुमोदन नहीं कर देती। यही विधायी कार्यप्रणाली है।

भारत-चीन तनाव: चीन में बने पबजी समेत 118 और मोबाइल ऐप्स को भारत ने बैन किया

भारत सरकार ने चीन में विकसित 118 मोबाइल ऐप्स को बैन कर दिया है जिनमें गेमिंग ऐप पबजी भी शामिल है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इन ऐप्स को इसलिए बैन किया गया है, क्योंकि वे भारत की संप्रभुता और अखंडता, देश की रक्षा और लोक व्यवस्था के विरूद्ध गतिविधियों में लिप्त थे।

मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, ''इस क़दम से भारत के करोड़ों मोबाइल और इंटरनेट यूज़र्स के हितों की रक्षा होगी। ये फ़ैसला भारत के साइबर स्पेस की सुरक्षा और संप्रभुता को सुनिश्चित करने के इरादे से लिया गया है।''

बयान के अनुसार भारत सरकार को इन ऐप्स के बारे में विभिन्न स्रोतों से शिकायतें मिल रही थीं, जिनमें ऐसी रिपोर्टें भी थीं कि एंड्रॉयड और आइओएस पर उपलब्ध कुछ मोबाइल ऐप्स से यूज़र्स के डेटा अनाधिकृत तौर पर चोरी कर भारत से बाहर स्थित सर्वर में भेजे जा रहे थे।

चीन के 118 ऐप्स को बैन करने का फ़ैसला ऐसे समय लिया गया है जब भारत और चीन के बीच एक बार फिर से लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा या एलएसी पर दोनों देशों के बीच तनाव की ख़बरें आ रही हैं।

भारत सरकार ने इससे पहले जून में भी चीन से जुड़े 59 ऐप्स को बैन किया था। इनमें टिकटॉक भी शामिल था।

पिछली बार 59 चीनी ऐप्स को बैन करने का फ़ैसला गलवान घाटी में 15 जुलाई को भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के कुछ दिनों बाद लिया गया था।