पश्चिमी भारत

भारत में कोरोना वायरस का कहर: कोरोना से हुई कुल मौतों में 70 प्रतिशत पांच राज्यों में

भारत में कोरोना वायरस से हुई कुल मौतों में से 70 प्रतिशत मौतें आंध्र प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में हुई हैं।

वहीं, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में कोरोना वायरस के 62 प्रतिशत एक्टिव मामले हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस को लेकर की गई प्रेस कांफ्रेस में इस संबंध में जानकारी दी।

स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने बताया कि राजधानी दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों और मौतों को देखते हुए दिल्ली सरकार से बात की जा रही है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार को कुछ विशेष निर्देश दिए गए हैं। अगर उनका पालन होता है तो मामले नियंत्रण में आ सकते हैं।

भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर उन्होंने कहा, ''रोज़ाना पॉजिटिव मामले बढ़ रहे हैं। इसे पूरी जनसंख्या के संदर्भ में देखना चाहिए। सरकार ने पर्याप्त परीक्षण क्षमता सुनिश्चित करके, क्लीनिकल ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के स्पष्ट दिशानिर्देश देकर और अस्पताल के बुनियादी ढांचे को बढ़ाते हुए अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए एक श्रेणीबद्ध दृष्टिकोण अपनाया है।''

उन्होंने कहा कि दूसरे देशों से तुलना करने पर भारत में प्रति मिलियन (जनसंख्या) कोविड के मामले बहुत कम हैं। भारत में प्रति मिलियन मौतें भी बहुत कम हैं। यहां प्रति 10 लाख पर 49 मौतें हुई हैं। वहीं, कोरोना वायरस के प्रति दस लाख जनसंख्या पर 2,792 मामले हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये भी जानकारी दी कि पूरे भारत के 70 जिलों में दूसरा सीरो सर्वे शुरू हो चुका है। इसके नतीज़े अगले दो हफ़्तों में आ जाएंगे।

साथ ही बताया कि पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 11 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। पूरे देश में अब तक 4.5 करोड़ से ज़्यादा टेस्ट हो चुके हैं।

कुछ राज्यों में कोरोना के मामले में कमी भी देखने को मिली है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक आंध्र प्रदेश में एक्टिव मामलों में 13.7 प्रतिशत की साप्ताहिक कमी हुई है। इसी तरह कर्नाटक में 16.1 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 6.8 प्रतिशत और तमिलनाडु में 23.9 प्रतिशत और उत्तर प्रेदश में 17.1 प्रतिशत की साप्ताहिक कमी आई है।

महाराष्ट्र में पिछले तीन हफ़्तों में कोरोना वायरस के मामलों में 7 प्रतिशत की कमी देखी गई है।

क़तर में फंसे 300 भारतीयों की घर वापसी हुई

कोरोना महामारी को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण क़तर में फंसे 300 से अधिक भारतीय स्वदेश वापस लौट आए हैं। इन लोगों को लेकर पहला चार्टर्ड विमान शुक्रवार को नागपुर पहुंचा और दूसरा विमान शनिवार को मुंबई में उतरा।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ ये फ्लाइट्स भारत सरकार के वंदे भारत मिशन का हिस्सा नहीं थे। इनकी व्यवस्था दोहा स्थित भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के प्रतिनिधियों ने किया था।

दोहा स्थित इंडियन कल्चरल सेंटर के उपाध्यक्ष विनोद नायर ने बताया कि नागपुर पहुंचने वाली फ्लाइट में छत्तीसगढ़ के 86, मध्य प्रदेश के 34 और महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के 52 लोग थे। इन्होंने किराये के तौर पर 24 हज़ार रुपये दिए थे। मुंबई पहुंचने वाले लोगों ने किराये के तौर पर 20 हज़ार रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से अदा किए।

विनोद नायर ने बताया कि क़तर में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो घर वापस लौटना चाहते हैं। उन्होंने बताया, ''हमने इंडिगो एयरलाइंस और भारतीय दूतावास से उनकी वापसी के बारे में बात की। क़तर में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के महाराष्ट्र मंडल से जुड़े लोगों ने उनके टिकट के रुपये इकट्ठा किए और यात्रा दस्तावेज़ों का प्रबंध किया।''

उन्होंने बताया कि 169 यात्रियों को लेकर एक और यात्री विमान सोमवार को गोवा पहुंचेगा।

इस चार्टर्ड फ़्लाइट से नागपुर पहुंचने वाले एक यात्री मधुसूदन एकरे ने पीटीआई को बताया कि वे चार मार्च को बिज़नेस वीज़ा पर क़तर पहुंचे थे लेकिन लॉकडाउन के कारण वहीं फंस गए।

उन्हें सोशल मीडिया से भारतीय सांस्कृतिक केंद्र की इस पहल के बारे में जानकारी मिली थी।

लाइव: अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा गुजरात राज्य सभा चुनाव पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए एआईसीसी प्रेस वार्ता

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मालगाड़ी की चपेट में आने से महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 16 प्रवासी मज़दूरों की मौत

भारत में महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मालगाड़ी की चपेट में आने से 16 प्रवासी मज़दूरों की मौत हो गई है।

दक्षिण मध्य रेलवे ने एक बयान जारी कर बताया है कि ये हादसा परभनी-मनमाड़ सेक्शन के बदनापुर और करमाड़ रेलवे स्टेशन के बीच शुक्रवार तड़के हुआ।

बयान के अनुसार मनमाड़ की तरफ जा रही एक मालगाड़ी पटरी पर सो रहे 19 लोगों के एक समूह पर चढ़ गई थी। 14 लोगों की मौक़े पर ही मौत हो गई जबकि गंभीर रूप से घायल होने के कारण 2 लोगों ने बाद में दम तोड़ दिया।

बयान में कहा गया है कि मालगाड़ी से ड्राइवर ने पटरी पर सोते लोगों के देखने के बाद तुरंत हॉर्न बजाया और ट्रेन रोकने की पूरी कोशिश की।

दक्षिण मध्य रेलवे का कहना है कि हादसे के कारणों की स्वतंत्र जांच दक्षिण मध्य रेलवे के रेलवे सेफ्टी कमिश्नर राम कृपाल की अध्यक्षता में की जाएगी।

इससे पहले दक्षिण मध्य रेलवे के चीफ़ पीआरओ ने बीबीसी हिंदी से हादसे की पुष्टि की थी और बताया था कि, "ऐसा लगता है कि मज़दूर पटरी पर सो रहे थे।''

दुर्घटना में घायल हुए एक व्यक्ति का इलाज औरंगाबाद के सिविल अस्पताल में चल रहा है।

औरंगाबाद के एसपी मोक्षदा पाटिल ने बीबीसी मराठी के निरंजन छानवाल को बताया कि सभी मज़दूर औरंगाबाद के पास जालना की एक स्टील फैक्ट्री में काम करते थे।

ये लोग जालना से भुसावल की तरफ़ जा रहे थे। उन्हें बताया गया था कि भुसावल से ट्रेन मिल जाएगी।

परभनी-मनमाड रेल सेक्शन पर बदनापुर और कर्माड रेलवे स्टेशन के बीच ये दुर्घटना हुई।

कर्माड पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ''मजदूर मध्य प्रदेश लौट रहे थे। वे रेल पटरी के साथ चल रहे थे और थकान की वजह से पटरी पर सो गए।''

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर हादसे पर दुख जताया है।  उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, "महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुई रेल दुर्घटना में लोगों की मौत बहुत ही दुखद है। रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात हुई है।  उनकी नज़र पूरे मामले पर बनी हुई है। सभी संभव मदद मुहैया कराई जाएगी।''

दुर्घटना पर भारतीय रेल मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा, "आज सवेरे जब लोको पायलट ने देखा कि कुछ मजदूर पटरी पर सो रहे हैं तो उन्होंने ट्रेन रोकने की कोशिश की। लेकिन आख़िरकार ट्रेन ने उन्हें टक्कर मार दी। इस संबंध में जांच के आदेश दिए गए हैं।''

साउथ-सेंट्रल ज़ोन के रेलवे सेफ़्टी कमिश्नर राम कृपाल इस रेल दुर्घटना की स्वतंत्र जांच करेंगे।

महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल ने तीस अप्रैल तक लॉकडाउन को बढ़ाया

महाराष्ट्र ने तीस अप्रैल तक लॉकडाउन को बढ़ा दिया है। जबकि पश्चिम बंगाल ने भी तीस अप्रैल तक लॉकडाउन को बढ़ाया।

ममता ने तीस अप्रैल तक बढ़ाया लॉकडाउन, मीडिया से कहा सूत्रों के हवाले से ख़बर न चलाएं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हवाले से कहा है कि कोरोना के चलते जारी देशव्यापी लॉकडाउन को और दो सप्ताह यानी 30 अप्रैल तक बढ़ाया जाएगा। पश्चिम बंगाल सरकार ने स्कूलों को भी दस जून तक बंद कर दिया है।

शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद ममता बनर्जी ने शाम को राज्य सचिवालय में अपनी प्रेस कांफ्रेंस में यह बात कही। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल में बीते चौबीस घंटे के दौरान छह नए मामले सामने आने के साथ कोरोना के मरीजों की तादाद बढ़ कर 95 हो गई है।

ममता ने बताया, “मैंने प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत के दौरान विभिन्न कंपनियों की ओर से सीएसआर के तहत पीएम केयर्स में धन देने और राज्यों को इससे वंचित करने पर आपत्ति जताई। अगर केंद्र को पैसे दिए जा सकते हैं तो राज्यों के साथ भेदभाव क्यों?''

मुख्यमंत्री ममता ने बताया कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर निगरानी और बढ़ाने की मांग की है। अगर सीमा पार से आने वाले लोगों की वजह से बंगाल प्रभावित होता है तो इसका असर पूर्वोत्तर और दूसरे पड़ोसी राज्यों पर पड़ना तय है।

ममता ने प्रधानमंत्री से कहा, “लॉकडाउन के दौरान मानवीय पहलुओं का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। लॉकडाउन बढ़ाने के साथ जीवन और आजीविका में संतुलन क़ायम रखना और ज़रूरी वस्तुओं की सप्लाई बरक़रार रखना ज़रूरी है।''

उन्होंने बताया कि केंद्र ने घने बाज़ारों में भीड़ कम करने का सुझाव दिया है। सरकार ऐसा करने पर विचार कर रही है ताकि भीड़ पर अंकुश लगाया जा सके।

मुख्यमंत्री ने मीडिया से सूत्रों के हवाले से कोरोना के बारे में ख़बरें दिखाने-छापने से बचने को कहा। उन्होंने कहा कि इससे बेवजह आतंक फैलता है।

ममता ने बताया, “मैंने प्रधानमंत्री से लंबी दूरी की ट्रेनों और अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाओं को फिलहाल बंद रखने के अलावा असंगठित क्षेत्र, लघु और मझौले उद्योगों, पर्यटन और कृषि क्षेत्र के लिए विशेष वित्तीय पैकेज की मांग की है। इसके साथ ही जहां-तहां फंसे प्रवासी मजदूरों का भी ध्यान रखने की अपील की है।''

ममता ने प्रधानमंत्री से सौ दिनों के रोजगार योजना के तहत काम करने वाले मज़दूरों को दो महीने के वेतन का भुगतान करने की भी मांग की है।

राज्य सरकार ने रबी की फसलों की कटाई के लिए कृषि क्षेत्र को छूट देने का एलान किया है। इसके अलावा आटा और तेल मिलों, बोतलबंद पेय जल, मत्स्य पालन केंद्रों और बेकरी को भी छूट देने का एलान किया है।

लेकिन उन सबको सुरक्षा नियमों का पालन करना होगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार राज्य के विभिन्न इलाकों में ड्रोन के जरिए भीड़-भाड़ पर निगाह रखेगी और लॉकडाउन को सख्ती से लागू कराया जाएगा।

महाराष्ट्र ने तीस अप्रैल तक बढ़ाया लॉकडाउन

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मीडिया से बातचीत में बताया है कि उन्होंने अपने राज्य में तीस अप्रैल तक लॉकडाउन को बढ़ा दिया है।

ठाकरे ने बताया कि उन्होंने और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी को लॉकडाउन आगे बढ़ाने का सुझाव दिया है।

महाराष्ट्र में शिव सेना सीएम पद पर अड़ी, बीजेपी तैयार नहीं

महाराष्ट्र में बीजेपी और शिव सेना गठबंधन को भले स्पष्ट बहुमत मिल गया है लेकिन सरकार गठन को लेकर दोनों पार्टियों में कड़वाहट पैदा हो गई है।

शिव सेना ने बीजेपी से मुख्यमंत्री पद ढाई-ढाई साल के लिए दोनों पार्टियों के पास रहने देने की मांग की है। इसके लिए शिव सेना ने बीजेपी से लिखित वादा मांगा है।

शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शनिवार को अपने आवास पर पार्टी के कुल 56 विधायकों के साथ बैठक की। इसी बैठक में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि दोनों पार्टियों के बीच 50-50 फार्मूला रहेगा और इसके तहत दोनों के पास ढाई-ढाई साल तक मुख्यमंत्री का पद रहेगा।

इसके साथ ही शिव सेना ने कैबिनेट में भी समान संख्या में दोनों पार्टियों के मंत्रियों के होने की शर्त रखी है। कहा जा रहा है कि शिव सेना की इन शर्तों को बीजेपी के लिए मानना आसान नहीं है। ऐसे में बीजेपी शरद पवार की एनसीपी से समर्थन लेने की कोशिश कर सकती है।

बीजेपी को 2014 की तुलना में महाराष्ट्र में इस बार के विधानसभा चुनाव में 17 सीटें कम मिली हैं। शिव सेना को भी पिछली बार की तुलना में सात सीटें कम मिली हैं। सरकार बनाने के लिए 145 विधायक चाहिए जबकि बीजेपी के पास 105 हैं और शिव सेना के पास 56 विधायक हैं।

मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई समझौता नहीं

महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर खींचतान बढ़ती ही जा रही है। हालांकि इस बीच जहां शिवसेना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब बात सिर्फ़ शीर्ष नेताओं के साथ ही होगी वहीं बीजेपी ने भी स्पष्ट संकेत दिये हैं कि मुख्यमंत्री पद उसी के पास रहेगा और वो उसे लेकर किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं करेगी।  

हालांकि बीजेपी सरकार में शिवसेना को लगभग चालीस फ़ीसद मंत्री पद मिल सकती है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार राज्य कैबिनेट में शिवसेना को कुछ अहम मंत्रालय भी दिये जाएं।

शिवसेना मुख्यमंत्री पद के लिए 50-50 फार्मूला पर आगे बढ़ना चाहती है जबकि बीजेपी इसके लिए तैयार नहीं है।

क्या एनसीपी का बीजेपी को समर्थन देना सबसे बड़ी ऐतिहासिक भूल थी?

भारत के महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक गतिविधियां तेज़ हो गई हैं।

बीजेपी की तरफ़ से चुनाव प्रचार का आगाज़ करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब दो दिन पहले नासिक पहुंचे थे तो उन्होंने कांग्रेस पर तो निशाना साधा ही था लेकिन एनसीपी और उसके वरिष्ठ नेता शरद पवार पर भी तल्ख़ टिप्पणियां की थीं। उन्होंने अनुच्छेद 370 पर विपक्ष को घेरते हुए कहा कि एक ओर जहां पूरा देश इसके समर्थन में है वहीं कांग्रेस और एनसीपी इसका विरोध कर रहे हैं।

और अब एनसीपी ने बीजेपी को निशाने पर लेते हुए कहा है कि बीजेपी को समर्थन देना उनकी सबसे बड़ी भूल थी।

एनसीपी के राष्ट्रीय महासचिव जितेंद्र आव्हाड ने बीबीसी मराठी के एक कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में बीजेपी को समर्थन देना उनकी पार्टी की सबसे बड़ी भूल थी।  

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र बीबीसी मराठी द्वारा पुणे में आयोजित कार्यक्रम राष्ट्र-महाराष्ट्र के एक सेशन में जितेंद्र आव्हाड ने कहा "पार्टी ने अलीबाग़ (महाराष्ट्र) में एक गोपनीय बैठक बुलायी थी। जहां पार्टी के 35-40 नेताओं को ही आमंत्रित किया गया था। मैं एनसीपी प्रमुख शरद पवार के ठीक बगल में ही खड़ा था और कहा कि अगर हमने अपने आदर्शों के साथ समझौता किया तो हम ख़त्म हो जाएंगे।''  

जितेंद्र आव्हाड का ये बयान इसलिए ख़ास है क्योंकि एनसीपी एक ऐसी पार्टी है जो किसी भी विवादास्पद निर्णय पर बात करने से बचती है।

साल 2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों ने त्रिशंकु विधानसभा बना दी थी। बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। उसे 122 सीटें मिली थीं लेकिन उसे बहुमत साबित करने के लिए 23 और सीटों की ज़रूरत थी।  145 सीटों पर बहुमत साबित होना था। शिव सेना, चुनाव से पहले ही बीजेपी से अपना गठबंधन तोड़कर चुनाव में स्वतंत्र रूप से लड़ रही थी और वो किसी क़ीमत पर सरकार बनाने के लिए बीजेपी को समर्थन देने के लिए तैयार नहीं थी।  

यह शरद पवार की एनसीपी पार्टी ही थी जो 41 सीटें लेकर बीजेपी की नैया पार लगाने के लिए आगे आई थी। चुनाव के नतीजे आने के ठीक बाद एनसीपी ने बीजेपी को बाहर से समर्थन देने का प्रस्ताव दिया। शरद पवार ने कहा था, "एक स्थायी सरकार के निर्माण के लिए और महाराष्ट्र के भले के लिए, हमारे पास सिर्फ़ एक ही विकल्प बचता है कि हम बीजेपी को समर्थन दें ताकि वो सरकार बना सकें।''

एनसीपी के समर्थन ने बीजेपी के लिए ना सिर्फ़ देश के सबसे अमीर राज्य में सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त किया बल्कि इससे शिव सेना पर भी दबाव बढ़ा और उसे राज्य की राजनीति में अपना स्थान तय करने के लिए सोचना पड़ा।

विशेषज्ञों का मानना है कि पवार के इस क़दम ने शिवसेना की योजना को झटका दिया और वो बीजेपी से मोलभाव करने की स्थिति में नहीं रह गई क्योंकि बीजेपी के पास अब शिवसेना से इतर एनसीपी का समर्थन, प्लान बी के तौर पर मौजूद था।

बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत बहुत से नेताओं ने उस समय कहा था कि शिवसेना से हाथ मिलाना प्राथमिकता होनी चाहिए थी ना की एक हारी हुई और दागी पार्टी एनसीपी से। एक लंबी बहस चली उसके बाद काफी मोलभाव हुआ और उसके बाद शिव सेना के दस सदस्य फडणवीस सरकार में शामिल हो गए।  

लेकिन अगर किसी को यह लगता है कि बीजेपी और एनसीपी के बीच का प्यार शिवसेना के साल 2014 में सरकार में शामिल हो जाने से ख़त्म हो गया था तो ऐसा बिल्कुल नहीं था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2015 में शरद पवार के बारामती घर भी गए थे।

सुप्रिया ने कहा था कि यह मुलाक़ात विकास पर आधारित थी। वह बारामती से सांसद हैं और शरद पवार की बिटिया भी।

इसके बाद साल 2016 में, मोदी एक अन्य कार्यक्रम के सिलसिले में पुणे में थे। जहां उन्होंने सार्वजनिक तौर पर पवार की तारीफ़ की थी। उन्होंने कहा था, "मुझे यह कहने में या स्वीकार करने में ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं है कि गुजरात में मेरे राजनीतिक जीवन के शुरुआती चरण में पवार ने ही मेरा हाथ पकड़कर मुझे चलना सिखाया था।''

लेकिन इसके बाद साल 2017 में स्थानीय चुनावों में जब एनसीपी को बीजेपी से करारी मात मिली तो उसी के बाद से समीकरण बदल गए।

एनसीपी ने उन चुनावों के बाद बीजेपी के साथ बेहद कड़ा रुख अपनाना शुरू कर दिया। सांप्रदायिक बीजेपी के ख़िलाफ़ लड़ने से लेकर, स्थिरता के लिए बीजेपी को समर्थन देने और अब फासीवादी बीजेपी की ख़िलाफ़त तक...एनसीपी ने यू-टर्न तो ले लिया है लेकिन अब उसके लिए अपने ही लिए फ़ैसलों का बचाव करना मुश्किल हो रहा है।

यू-टर्न लेने वाली एक अन्य पार्टी है- स्वाभिमानी किसान पार्टी। इसके संस्थापक और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने लंबे समय तक शरद पवार के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी। फिर इसके बाद वो 2014 में एनडीए में शामिल हो गए लेकिन 2017 में ही इसे छोड़ दिया। अब उनकी पार्टी एनसीपी की सहयोगी है। इस पार्टी का दक्षिणी महाराष्ट्र में दबदबा भी है।

शेट्टी से जब उनके यू-टर्न के बारे में बीबीसी कार्यक्रम के दौरान सवाल किया गया तो उनका कहना था "हमने ये कभी नहीं कहा कि एनसीपी के नेता संत हैं। लेकिन बीजेपी के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए हमें उनका समर्थन चाहिए। शिवाजी ने सिखाया है कि अगर आपको मुगलों से लड़ना है तो आदिल शाह और कुतुब शाह का सहयोगी बनना होगा।''

शेट्टी अब पवार के सहयोगी हैं। वो अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, "हम इस बात की उम्मीद नहीं करते हैं कि अगर एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बन गई तो राम राज्य आ जाएगा लेकिन कम से कम हमें इस बात की आज़ादी तो मिल जाएगी कि हम अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाएं।''

पुणे से बीजेपी के सांसद और पूर्व कबीना मंत्री गिरीश बापट का कहना है कि शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन निश्चित तौर पर हो जाएगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि शिवसेना वाजिब सीटों की मांग करेगी।

सीटों के बंटवारे को लेकर 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले दोनों भगवा पार्टियों के बीच गठबंधन टूट गया था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है।

भाजपा और शिवसेना के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर गहन बातचीत चल रही है। बीजेपी ने सार्वजनिक रूप से शिवसेना को कुल सीटों का आधा देने का आश्वासन दिया था, लेकिन बीजेपी लोकसभा चुनावों में भारी जीत के बाद इससे मुकर रही है।

लाइव : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के अहमदनगर में जनसभा को संबोधित किया

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लाइव : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात के तापी में जनसभा को संबोधित किया

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अहमद पटेल ने गुजरात के भुज में जनसभा को संबोधित किया

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