'चंद्रशेखर के मृत्यु से एक राजनीतिक युग का अंत हुआ'
सोमवार, 8 जुलाई 2024
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के 17 वें पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम की अध्यक्षता शिवहर की जनता दल यूनाइटेड की सांसद लवली आनंद ने किया।
श्रद्धांजलि कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए लवली आनंद ने चंद्रशेखर को याद करते हुए कहा कि चंद्रशेखर के न रहने से समाजवाद का पौधा सूखता जा रहा है। हमें चंद्रशेखर के वास्तविक उद्देश्यों और उनके समाजवाद को आज की युवा पीढ़ी में एक विचार के रूप में प्रसारित करना चाहिए जिससे चंद्रशेखर के विचार को अमर रखा जा सके।
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के बस्ती के पूर्व सांसद और बहुजन समाज पार्टी के नेता लालमणि प्रसाद ने चंद्रशेखर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके द्वारा स्वच्छ और निःस्वार्थ राजनीति पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, जनता दल यूनाइटेड के नेता और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने श्रद्धांजलि देते हुए चंद्रशेखर के साथ अपने बिताए हुए दिन को याद किया। उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर की स्वच्छ राजनीति की परिकल्पना आज के समय में हास्यापद होगा। चंद्रशेखर भारतीय राजनीति के वो पहलू हैं जिन्होंने कभी कोई दल नहीं छोड़ा बल्कि दलों ने उन्हें छोड़ा है। अपने कार्यकाल में उन्होंने देश को अग्रणी बनाने लिए अहम फैसले लिये।
हरिवंश ने चंद्रशेखर के साथ राजनीति के अनेकों पहलू सीखने का जिक्र करते हुए कहा कि चंद्रशेखर साहस के जीवंत उदाहरण थे। उन्होंने अपने मान्यताओं और उसूलों के साथ कोई समझौता नहीं किया।
बिहार के पूर्व मंत्री अखलाक अहमद ने चंद्रशेखर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश को आजादी गांधी ने दिलाई मगर समाजवाद को धरातल पर जीवंत चंद्रशेखर ने रखा। अखलाक अहमद ने चंद्रशेखर के द्वारा लिखी गई जेल डायरी के कुछ हिस्से का जिक्र करते हुए कहा कि चंद्रशेखर ने इंदिरा सरकार के सामने झुकने से नकार दिया और कहा कि सत्य के लिए लड़ते रहो, मगर सत्ता के आगे मत झुको।
राजस्थान के पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता राजेंद्र सिंह राठौड़ ने चंद्रशेखर की तस्वीर को फूल माला से श्रद्धांजलि अर्पित किया। चंद्रशेखर को याद करते हुए राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि अपनी उसूलों के प्रति अडिग रहे। उनका स्वभाव युवाओं में समाजवाद की विचारधारा को गढ़ने का था। उन्होंने अपनी मित्रता में सच्चे साथी के तौर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता भैरव सिंह शेखावत की गिरती हुई सरकार को गिरने से बचाया।
नारद राय ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए चंद्रशेखर के बारे में बताया कि चंद्रशेखर ने अपनी उसूलों से कभी समझौता नहीं किया। क्या खोया? क्या पाया? इससे उनका कोई लेना-देना नहीं था।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राम बहादुर राय ने चंद्रशेखर की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि चंद्रशेखर अमर है। वह अमर इसलिए है कि उन्होंने देश को ऐसी विचारधारा दी है जो कि उनको हमेशा अमर रखेगा।
राम बहादुर राय ने चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री बनने की घटना को एक दुर्घटना बताते हुए कहा कि चंद्रशेखर कभी भी प्रधानमंत्री बनने के लिए राजनीति नहीं करते थे। चंद्रशेखर को हम इसलिए याद करते हैं क्योंकि उन्होंने अपने उसूलों के साथ कोई भी समझौता नहीं किया।
आनंद मोहन ने चंद्रशेखर को श्रद्धांजलि पुष्प अर्पित करते हुए कहा कि चंद्रशेखर के मृत्यु से एक राजनीतिक युग का अंत हुआ। चंद्रशेखर समाजवाद के सबसे बड़े पुरोधा थे।
भारत की राष्ट्रपति के अभिभाषण पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने क्या कहा?
गुरुवार, 27 जून, 2024
भारत में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण को लेकर प्रतिक्रिया दी है।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "मोदी सरकार द्वारा लिखित राष्ट्रपति के अभिभाषण सुनकर ऐसा लगा जैसे मोदी जनादेश को नकारने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।''
"जनादेश उनके ख़िलाफ़ था, क्योंकि देश की जनता ने 400 पार के उनके नारे को ठुकराया और भाजपा को 272 के आंकड़े से दूर रखा।''
मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। वो ऐसा बर्ताव कर रहे हैं जैसे कुछ बदला ही नहीं, बल्कि सच्चाई है कि देश की जनता ने बदलाव मांगा था।''
मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा कि संसद के सत्र के दौरान वो राज्यसभा में अपने भाषण में इस पर विस्तृत प्रतिक्रिया देंगे।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा कि राष्ट्रपति के पूरे भाषण में देश के सामने पांच मुख्य मुद्दों का ज़िक्र नहीं था।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा कि महंगाई, मणिपुर में हुई हिंसा, रेल दुर्घटना और जम्मू-कश्मीर में बढ़ते आतंकवादी हमले का जिक्र नहीं है।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा कि दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों पर बीजेपी शासित राज्यों में बढ़ते अत्याचार का एक बार भी ज़िक्र नहीं है।
गुरुवार, 27 जून, 2024 को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने अभिभाषण में आपातकाल का ज़िक्र किया था।
कांग्रेस ने इस पर भी आपत्ति जताई है।
राहुल गांधी ने 'लीडर ऑफ अपोज़िशन' का मतलब समझाया
बुधवार, 26 जून 2024
भारत में कांग्रेस नेता और रायबरेली से सांसद राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता बनाए गए हैं।
राहुल गांधी ने बुधवार, 26 जून 2024 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वीडियो पोस्ट कर लीडर ऑफ अपोज़िशन (एलओपी) का मतलब समझाया।
राहुल गांधी ने कहा, "देश की जनता, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और इंडिया गठबंधन के नेताओं का मैं दिल से धन्यवाद देता हूं।''
"मुझ से किसी ने पूछा मेरे लिए लीडर ऑफ अपोज़िशन (एलओपी) का क्या मतलब है? एलओपी आप की आवाज़ है, आप का औज़ार है। जो भी आपके दिल में भावना है, समस्याए हैं एलओपी के माध्यम से मैं लोकसभा में आपके लिए उठाऊंगा।''
राहुल ने कहा, "हिंदुस्तान के ग़रीब लोग, दलित, आदिवासी, पिछड़े, अल्पसंख्यक, किसान और मज़दूर मैं आप का हूं। संविधान से आप की रक्षा होती है। जहां भी सरकार ने संविधान पर आक्रमण किया, संविधान को दबाने की कोशिश की। वहां पूरे दम से संविधान की हम रक्षा करेंगे। मैं आपका हूं, आप की आवाज़ संसद में उठाएंगे।''
शुक्रवार, 29 दिसम्बर, 2023 को कांग्रेस के स्थानीय नेता हिफजुर रहमान आज़मी के आवास पर वार्ड नंबर 188 की काउंसलर अरीबा खान ने लोगों से अपने वार्ड की समस्याओं को लेकर बात की।
अरीबा ने वार्ड नंबर 188 के तहत आने वाले अबुल फज़ल एन्क्लेव में स्थित अलशिफा हॉस्पिटल के सामने से कूड़ेदान को हटाया। इसके लिए लोगों ने अरीबा का शुक्रिया अदा किया। अरीबा अपने वार्ड में सफाई और नए कूड़ेदान के निर्माण के कार्य में लगी हुई हैं। अरीबा ने अपने वार्ड में अब तक हुए विकास कार्यों की चर्चा की। साथ ही अरीबा ने अपने वार्ड में होने वाले आगामी विकास कार्यों की भी चर्चा की।
इस चर्चा में अरीबा के साथ कांग्रेस के स्थानीय नेता हिफजुर रहमान आज़मी, वरिष्ठ पत्रकार जमाल अनवर मुन्ना, समाजवादी पार्टी के दिल्ली प्रदेश के युथ विंग के उपाध्यक्ष जावेद चौधरी, अब्दुल सलाम और वार्ड के अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
भारत में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भारत के पहले वर्चुअल स्कूल की लाॅन्चिंग बुधवार, 31 अगस्त, 2022 को कर दी। उन्होंने कहा है कि यह स्कूल उन बच्चों के लिए है जो किसी वजह से स्कूल नहीं जा सकते।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, उन्होंने बताया है कि 'दिल्ली माॅडल वर्चुअल स्कूल' में भारत के किसी कोने के छात्र दाखि़ला ले सकते हैं। इसके लिए आवेदन की प्रक्रिया बुधवार, 31 अगस्त, 2022 से शुरू हो गई है।
केजरीवाल ने कहा, "आज हम दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के तहत भारत का पहला वर्चुअल स्कूल 'दिल्ली मॉडल वर्चुअल स्कूल' की शुरुआत कर रहे हैं।''
उन्होंने कहा, ''कोई भी छात्र 'दिल्ली मॉडल वर्चुअल स्कूल' में लाइव क्लासेज़ अटेंड कर सकते हैं और रिकॉर्ड किए हुए क्लासेज़ को देख सकते हैं। अभी यह स्कूल कक्षा 9 से 12 तक के लिए शूरू किया जा रहा है।''
केजरीवाल के अनुसार, इस स्कूल में विद्यार्थियों को आईआईटी जेईई और नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कराई जाएगी। उन्होंने दावा किया है कि यह स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।
भारत में कोरोना वायरस से हुई कुल मौतों में से 70 प्रतिशत मौतें आंध्र प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में हुई हैं।
वहीं, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में कोरोना वायरस के 62 प्रतिशत एक्टिव मामले हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस को लेकर की गई प्रेस कांफ्रेस में इस संबंध में जानकारी दी।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने बताया कि राजधानी दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों और मौतों को देखते हुए दिल्ली सरकार से बात की जा रही है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार को कुछ विशेष निर्देश दिए गए हैं। अगर उनका पालन होता है तो मामले नियंत्रण में आ सकते हैं।
भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर उन्होंने कहा, ''रोज़ाना पॉजिटिव मामले बढ़ रहे हैं। इसे पूरी जनसंख्या के संदर्भ में देखना चाहिए। सरकार ने पर्याप्त परीक्षण क्षमता सुनिश्चित करके, क्लीनिकल ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के स्पष्ट दिशानिर्देश देकर और अस्पताल के बुनियादी ढांचे को बढ़ाते हुए अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए एक श्रेणीबद्ध दृष्टिकोण अपनाया है।''
उन्होंने कहा कि दूसरे देशों से तुलना करने पर भारत में प्रति मिलियन (जनसंख्या) कोविड के मामले बहुत कम हैं। भारत में प्रति मिलियन मौतें भी बहुत कम हैं। यहां प्रति 10 लाख पर 49 मौतें हुई हैं। वहीं, कोरोना वायरस के प्रति दस लाख जनसंख्या पर 2,792 मामले हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये भी जानकारी दी कि पूरे भारत के 70 जिलों में दूसरा सीरो सर्वे शुरू हो चुका है। इसके नतीज़े अगले दो हफ़्तों में आ जाएंगे।
साथ ही बताया कि पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 11 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। पूरे देश में अब तक 4.5 करोड़ से ज़्यादा टेस्ट हो चुके हैं।
कुछ राज्यों में कोरोना के मामले में कमी भी देखने को मिली है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक आंध्र प्रदेश में एक्टिव मामलों में 13.7 प्रतिशत की साप्ताहिक कमी हुई है। इसी तरह कर्नाटक में 16.1 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 6.8 प्रतिशत और तमिलनाडु में 23.9 प्रतिशत और उत्तर प्रेदश में 17.1 प्रतिशत की साप्ताहिक कमी आई है।
महाराष्ट्र में पिछले तीन हफ़्तों में कोरोना वायरस के मामलों में 7 प्रतिशत की कमी देखी गई है।
मानवाधिकारों पर काम करने वाला अंतरराष्ट्रीय ग़ैर-सरकारी संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में इस साल फ़रवरी में हुए दंगों पर अपनी स्वतंत्र जाँच रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस पर दंगे ना रोकने, उनमें शामिल होने, फ़ोन पर मदद मांगने पर मना करने, पीड़ित लोगों को अस्पताल तक पहुंचने से रोकने, ख़ास तौर पर मुसलमान समुदाय के साथ मारपीट करने जैसे संगीन आरोप लगाए गए हैं।
दंगों के बाद के छह महीनों में दंगा पीड़ितों और शांतिप्रिय आंदोलनकारियों को डराने-धमकाने, जेल में मारपीट और उन्हीं के ख़िलाफ़ मामले दर्ज किए जाने का हवाला देते हुए रिपोर्ट यह भी रेखांकित करती है कि दिल्ली पुलिस पर मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोप के एक भी मामले में अब तक एफ़आईआर दर्ज नहीं हुई है। दिल्ली पुलिस गृह मंत्रालय के तहत काम करती है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक अविनाश कुमार के मुताबिक, ''सत्ता की तरफ़ से मिल रहे इस संरक्षण से तो यही संदेश जाता है कि क़ानून लागू करने वाले अधिकारी बिना जवाबदेही के मानवाधिकारों का उल्लंघन कर सकते हैं। यानी वो ख़ुद ही अपना क़ानून चला सकते हैं।''
रिपोर्ट जारी करने से पहले एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दिल्ली पुलिस का पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क किया पर एक सप्ताह तक कोई जवाब नहीं मिला।
मार्च में दिल्ली पुलिस के संयुक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार ने बीबीसी हिंदी संवाददाता सलमान रावी से एक साक्षात्कार में दंगों के दौरान पुलिस के मूक दर्शक बने रहने के आरोप से इनकार किया था और कहा था कि, ''पुलिस कर्मियों के ख़िलाफ़ अगर कोई आरोप सामने आए तो उनकी जांच की जाएगी''।
इससे पहले दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने भी दिल्ली दंगों पर एक फ़ैक्ट-फ़ाइंडिंग रिपोर्ट जुलाई में जारी की थी।
इसमें भी कई पीड़ितों ने पुलिस के एफ़आईआर दर्ज ना करने, समझौता करने के लिए धमकाने और उन्हीं पर हिंसा का आरोप लगाकर दूसरे मामलों में अभियुक्त बनाने की शिकायत की थी।
साथ ही दिल्ली पुलिस पर दंगे को मुसलमान समुदाय को निशाना बनाने की साज़िश की जगह ग़लत तरीक़े से दो समुदाय के बीच का झगड़ा बनाकर पेश करने का आरोप लगाया गया था। दिल्ली पुलिस ने आयोग के किसी सवाल का भी जवाब नहीं दिया था।
दंगों से पहले दिल्ली पुलिस की भूमिका
एमनेस्टी इंटरनेशनल की यह रिपोर्ट 50 दंगा पीड़ित, चश्मदीद, वकील, डॉक्टर, मानवाधिकार आंदोलनकारी, रिटायर हो चुके पुलिस अफ़सर से बातचीत और लोगों के बनाए गए वीडियो के अध्ययन पर आधारित है।
इसमें सबसे पहले 15 दिसंबर 2019 के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में दिल्ली पुलिस के नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे छात्रों से मारपीट और यौन उत्पीड़न के आरोपों का ज़िक्र है।
इस वारदात की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाए जाने की जनहित याचिकाओं का दिल्ली हाई कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने विरोध किया है।
इसके बाद पाँच जनवरी 2020 को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रॉड्स के साथ तोड़फोड़ और क़रीब दो दर्जन छात्रों और अध्यापकों के साथ मारपीट का ब्यौरा है।
इस मामले में जेएनयू के छात्रों और अध्यापकों की तरफ़ से 40 से ज़्यादा शिकायतें दर्ज किए जाने के बाद भी दिल्ली पुलिस ने एक भी एफ़आईआर दर्ज नहीं की है।
हालांकि जेएनयू छात्र संघ की आइशी घोष समेत मारपीट में चोटिल हुए कुछ सीएए-विरोधी प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर तभी दर्ज कर ली गई थी। रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले जनवरी के महीने में हुई कई चुनावी रैलियों में बीजेपी नेताओं के भड़काऊ भाषणों की जानकारी भी देती है।
26 फ़रवरी 2020 को दिल्ली हाई कोर्ट दिल्ली पुलिस को एक 'कॉन्शियस डिसिज़न' (सोचा समझा फ़ैसला) के तहत बीजेपी सांसदों और नेताओं, कपिल मिश्रा, परवेश वर्मा, अनुराग ठाकुर के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने का आदेश देती है। इनमें से एक के भी ख़िलाफ़ अब तक कोई एफ़आईआर दर्ज नहीं की गई है।
जुलाई में बीबीसी संवाददाता दिव्या आर्य को दिए एक साक्षात्कार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने माना था कि भड़काऊ भाषण ग़लत थे, हम उन सभी तरह के बयानों के ख़िलाफ़ हैं जो उकसाने वाले हैं, देश को बदनाम करने वाले हैं और सेक्युलर कैरेक्टर को डैमेज करने वाले हैं। हम इन सबके ख़िलाफ़ हैं। जो किया, ग़लत किया। मैं उसकी मुख़ालफ़त कर रहा हूँ। इस तरह के ज़हरीले बयानों को हमने किसी तरह जस्टीफ़ाई नहीं किया है और न करना चाहिए।
दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस की भूमिका
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में कई दंगा पीड़ितों ने अपने बयानों में ये दावा किया है कि जब उन्होंने दिल्ली पुलिस के आपात 100 नंबर पर फ़ोन किया तो या तो किसी ने उठाया नहीं या फिर पलटकर कहा, ''आज़ादी चाहिए थी ना, अब ले लो आज़ादी।''
'हम क्या चाहते? आज़ादी' का नारा सीएए-विरोधी प्रदर्शनों में इस्तेमाल हुआ था और आंदोलनकारियों के मुताबिक़ यहां भेदभाव और अत्याचार से आज़ादी की बात की जा रही थी।
रिपोर्ट में पुलिस के पाँच नौजवानों को जूतों से मारने के वीडियो और उनमें से एक की मां से बातचीत शामिल है जो दावा करती हैं कि उनके बेटे को 36 घंटे जेल में रखा गया, जहां से छुड़ाए जाने के बाद उसकी मौत हो गई।
मां के मुताबिक़ उन्हें बेटे की हिरासत का कोई दस्तावेज़ नहीं दिया गया और ना ही क़ानून के मुताबिक़ बेटे को हिरासत में लिए जाने के 24 घंटों के अंदर मैजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया।
रिपोर्ट में दंगों के दौरान पुलिस के मूकदर्शक बने रहने और कुछ मामलों में पत्थरबाज़ी में शामिल होने और पीड़ितों को अस्पतालों तक पहुंचने से रोकने के मामलों का भी ब्यौरा है।
दंगों में मारे जाने वाले 53 लोगों में से ज़्यादातर मुसलमान हैं और हिंदू समुदाय के मुक़ाबले उनके घर-दुकानों और सामान को ज़्यादा नुक़सान हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक़ जब उन्होंने एक स्कूल के हिंदू केयरटेकर से बात की तो उन्होंने पुलिस को बार-बार फ़ोन करने पर भी मदद ना मिलने की बात तो की पर साथ ही पुलिस के प्रति संवेदनशील रवैया अपनाते हुए कहा कि उनके मदद के लिए ना आ पाने की वजह रास्ता रोक खड़े दंगाई थे।
दंगों को हिंदू-विरोधी बताने वाली, गृह मंत्री अमित शाह को सौंपी गई, 'सेंटर फॉर जस्टिस' (सीएफ़जे) नाम के एक ट्रस्ट की रिपोर्ट 'डेली रायट्स: कॉन्सपिरेसी अनरैवल्ड' में भी दिल्ली पुलिस को लेकर यही उदारवादी रवैया दिखाई देता है।
दंगों के बाद पुलिस की भूमिका
दंगों पर पहले आईं रिपोर्ट्स से अलग, एमनेस्टी इंटरनेशनल की तहक़ीक़ात दंगों के बाद हुई पुलिस की जांच पर भी नज़र डालती है और उस पर दंगों के बाद मुसलमानों को ज़्यादा तादाद में गिरफ़्तार करने और उन पर कार्रवाई करने का आरोप लगाती है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ालिद सैफ़ी की फ़रवरी में प्रदर्शन के लिए हुई गिरफ़्तारी का उल्लेख देकर ये दावा किया गया है कि पुलिस हिरासत में उनके साथ जो सलूक हुआ उस वजह से वो मार्च में अपनी पेशी के लिए व्हीलचेयर पर आए।
सैफ़ी छह महीने से जेल में हैं। उन्हें यूएपीए क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया गया है।
रिपोर्ट में कई दंगा-पीड़ितों के बयान हैं जिनमें वो पुलिस के हाथों प्रताड़ना और जबरन झूठे बयान दिलवाने, दबाव बनाने, कोरे कागज़ पर हस्ताक्षर करवाने के आरोप हैं।
एक ग़ैर-सरकारी संगठन, 'ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क' के व़कील का बयान भी है जो अपने क्लाइंट से बातचीत करने से रोके जाने, पुलिस के बुरे बर्ताव और लाठीचार्ज का आरोप लगाता है।
आठ जुलाई के दिल्ली पुलिस के एक ऑर्डर, जिसमें लिखा था कि दिल्ली दंगों से जुड़ी गिरफ़्तारियों में ''ख़ास ख़याल रखने की ज़रूरत है'' कि इससे ''हिंदू भावनाएं आहत'' ना हों, पर दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस को लताड़ा था।
कोर्ट ने ऑर्डर तो रद्द नहीं किया था पर ताक़ीद की थी कि, ''जांच एजंसियों को ये ध्यान रखना होगा कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दी गई हिदायतों से ऐसा कोई भेदभाव ना हो जो क़ानून के तहत ग़लत है''।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पिछले छह महीने के इस ब्यौरे के साथ ये मांग की है कि दिल्ली पुलिस की कार्रवाई की जांच और जवाबदेही तय हो और पुलिस विभाग को सांप्रदायिक तनाव और हिंसा के व़क्त काम करने के बारे में प्रशिक्षण दिया जाए।
इस रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों पर दिल्ली पुलिस की प्रतिक्रिया का इंतज़ार है। पुलिस की ओर से बयान मिलने पर रिपोर्ट अपडेट कर दी जाएगी।
भारत की राजधानी दिल्ली में रहने वाले हर चार लोगों में से क़रीब एक व्यक्ति कोरोना वायरस संक्रमण के संपर्क में आया है। ये बात तब सामने आई जब दिल्ली में कई लोगों के सैंपल लेकर एंटीबॉडी टेस्ट किए गए।
इस सरकारी सर्वे के लिए 21,387 लोगों के नमूने लिए गए थे। जिनकी जांच से पता चला कि इनमें से 23.48% में कोविड-19 के एंटीबॉडी मौजूद हैं।
ये सर्वे बताता है कि राजधानी में जितने मामलों की पुष्टि हो रही है, संक्रमण का फैलाव उससे कहीं ज़्यादा है।
दिल्ली में अबतक संक्रमण के 123,747 मामले दर्ज किए गए हैं, जो यहां कि एक करोड़ 98 लाख आबादी के 1% से भी कम है।
अगर सर्वे के हिसाब से देखें तो 23.48% लोगों में एंटीबॉडी मिलने का मतलब है कि राजधानी में संक्रमण के मामले 46 लाख पचास हज़ार होंगे।
दिल्ली में संक्रमण के मामले 46 लाख पचास हज़ार होंगे, यह सर्वे के बहुत छोटे से सैंपल के आधार पर सिर्फ अनुमान लगाया गया है। यह अनुमान सच्चाई के कितना करीब है, कहना कठिन है।
इस सर्वे को लेकर जारी की गई सरकारी प्रेस रिलीज़ के मुताबिक़, बहुत से लोग बिना लक्षण वाले हैं।
इसमें ये भी कहा गया है कि 23.48% का आंकड़ा भी कम हो सकता है, क्योंकि दिल्ली में घनी आबादी वाले कई इलाक़े हैं। लेकिन इसमें ये भी कहा गया है कि ''आबादी का एक बड़ा हिस्सा अब भी ख़तरे में है'' और सुरक्षा उपायों का सख़्ती से पालन किया जाना ज़रूरी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की ये पहली स्टडी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये प्रशासन को संक्रमण का फैलाव और बेहतर तरीक़े से समझने में मदद करेगी।
सच्चाई सामने लाने के लिए जरूरी है कि दिल्ली में रहने वाले सौ फीसदी लोगों का टेस्ट किया जाये। तब जाकर दिल्ली में कोरोना संक्रमित लोगों की सही संख्या का पता चलेगा। वर्ना इस तरह के सर्वे का अनुमान हवा हवाई ही साबित होगा।
भारत की राजधानी दिल्ली में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 2,244 नए मामलों का पता चला जिसके बाद कुल कोरोना मामलों की संख्या 99,444 हो चुकी है।
इसके साथ ही बीते 24 घंटों में दिल्ली में कोविड-19 के कारण 63 लोगों की जान गई है जिसके बाद मौत का आंकड़ा 3,067 हो चुका है।
दिल्ली में कोरोना संक्रमण के कुल मामले 1 लाख के क़रीब ज़रूर हो गए हैं लेकिन अब तक 71,339 लोग इस बीमारी से ठीक भी हुए हैं।
दिल्ली सरकार ने यह भी बताया कि बीते 24 घंटों में 9,873 आरटी-पीसीआर और 13,263 रैपिड एंटीजेन टेस्ट हुए हैं जिसके बाद राष्ट्रीय राजधानी में कुल टेस्ट की संख्या 6,43,504 हो चुकी है।
वहीं दक्षिण भारत का रुख़ करें तो भारत में दूसरा सबसे अधिक प्रभावित राज्य तमिलनाडु में आज 4,150 नए मामले सामने आए जबकि 60 लोगों की मौत हुई।
तमिलनाडु में कुल संक्रमण के मामले 1.11 लाख से अधिक हो चुके हैं जबकि 1,510 लोगों की मौत हुई है।
भारत में केंद्र सरकार द्वारा लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ाए जाने के आदेश के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया है कि अब समय आ गया है कि कुछ हद तक पाबंदियों में छूट दी जाए।
उन्होंने दो ट्वीट किए। पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा, ''केंद्र के दिशानिर्देश बहुत हद तक दिल्ली सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार हैं, जो लाखों दिल्लीवालों के सुझावों के आधार पर बनाए गए थे। हमने लॉकडाउन पीरियड का इस्तेमाल अपनी स्वास्थ्य प्रणाली को तैयार करने में अगर दिल्ली में कोरोना के मामले बढ़ते हैं तो। लेकिन अब समय आ गया है कि कुछ हद तक पाबंदियों में छूट दी जाए।''
इसके बाद अरविंद केजरीवाल ने अगला ट्वीट किया। इसमें उन्होंने लिखा कि दिल्ली सरकार केंद्र के दिशानिर्देशों के आधार पर एक विस्तृत प्लान तैयार करेगी और उसकी घोषणा कल यानी सोमवार को करेगी।