असम डिटेंशन कैंप: क्या मोदी का दावा सही है?
दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि भारत में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है, उन्होंने इसे अफ़वाह बताया।
मोदी ने कहा "सिर्फ कांग्रेस और अर्बन नक्सलियों द्वारा उड़ाई गई डिटेन्शन सेन्टर वाली अफ़वाहें सरासर झूठ है, बद-इरादे वाली है, देश को तबाह करने के नापाक इरादों से भरी पड़ी है - ये झूठ है, झूठ है, झूठ है।''
उन्होंने कहा, "जो हिंदुस्तान की मिट्टी के मुसलमान हैं, जिनके पुरखे मां भारती की संतान हैं। भाइयों और बहनों, उनसे नागरिकता क़ानून और एनआरसी दोनों का कोई लेना देना नहीं है। देश के मुसलमानों को डिटेंशन सेन्टर में नहीं भेजा जा रहा है, ना हिंदुस्तान में कोई डिटेंशन सेन्टर है। भाइयों और बहनों, ये सफेद झूठ है, ये बद-इरादे वाला खेल है, ये नापाक खेल है। मैं तो हैरान हूं कि ये झूठ बोलने के लिए किस हद तक जा सकते हैं।''
क्या भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिटेंशन सेंटर के बारे में सच बोल रहे है? आइये, मोदी के दावे की जाँच करते हैं।
मोदी के दावे के विपरीत बीबीसी संवाददाता नितिन श्रीवास्तव की साल 2018 की एक रिपोर्ट डिटेंशन सेंटर से बाहर आए लोगों की दास्तां बयां करती है।
बीबीसी संवाददाता नितिन श्रीवास्तव की रिपोर्ट के मुताबिक, "जिन लोगों को यहाँ रहना पड़ रहा है या जो लोग यहाँ रह चुके हैं, उनके लिए ये डिटेंशन कैंप एक भयानक सपना है जिसे भुलाने में वे दिन-रात लगे हैं।''
इसी तरह बीबीसी संवाददाता प्रियंका दुबे ने भी असम के डिटेंशन सेंटरों से जुड़ी रिपोर्टिंग की है।
बीबीसी संवाददाता प्रियंका दुबे की रिपोर्ट के मुताबिक, "नागरिकता तय करने की दुरूह क़ानूनी प्रक्रिया में खोए असम के बच्चों का भविष्य फ़िलहाल अंधेरे में डूबा हुआ सा लगता है। कभी डिटेंशन में बंद माँ बाप के जेल की सख़्त माहौल में रहने को मजबूर तो कभी उनके साये के बिना बाहर की कठोर दुनिया को अकेले सहते इन बच्चों की सुध लेने वाला, फ़िलहाल कोई नहीं।''
भारत की संसद में इस साल हुए सवालों और जवाबों को देखा जाए तो पता चलता है कि डिटेंशन सेंटर के बारे में संसद में चर्चा हुई है और केंद्र सरकार ने माना है कि उन्होंने राज्य सरकारों को इस बारे में लिखा है।
राज्यसभा में 10 जुलाई 2019 को पूछे गए एक सवाल के उत्तर में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि देश में आए जिन अवैध लोगों की नागरिकता की पुष्टि जब तक नहीं हो जाती और उन्हें देश से बाहर नहीं निकला जाता, तब तक राज्यों को उन्हें डिटेंशन सेंटर में रखना होगा। इस तरह के डिटेंशन सेंटर की सही संख्या के बारे में अब तक कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया है।
उन्होंने कहा था कि 9 जनवरी 2019 को केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने प्रदेश में डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए 'मॉडल डिटेन्शन सेन्टर या होल्डिंग सेन्टर मैनुअल' दिया है।
द हिंदू में इसी साल अगस्त में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार इस साल 2 जुलाई 2019 में लोकसभा में बीजेपी नेता नित्यानंद राय ने कहा था कि राज्य सरकारों को साल 2009, 2012, 2014 और 2018 में अपने प्रदेशों में डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए कहा था।
2 जुलाई 2019 को लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में गृह राज्य मंत्री कृष्ण रेड्डी ने कहा कि गृह मंत्रालय ने एक मॉडल डिटेंशन सेंटर (होल्डिंग सेन्टर मैनुअल) बनाया है जिसे 9 जनवरी 2019 को सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिया गया है।
उत्तर में उन्होंने कहा था कि इस मैनुएल के अनुसार डिटेंशन सेंटर में दी जाने वाली ज़रूरी सुविधाओं के बारे में बताया गया है।
16 जुलाई 2019 को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के उत्तर में गृह राज्य मंत्री जी कृष्ण रेड्डी ने कहा था कि असम में डिटेंशन सेंटर बनाए गए हैं।
उन्होंने कहा था कि ये सेंटर फॉरेनर्स एक्ट 1946 की धारा 3(2)(ई) के तहत उन लोगों को रखने के लिए बनाए गए हैं जिसकी नागरिकता की पुष्टि नहीं हो पाई है।