प्रस्तावित राजस्व मॉडल पर आईसीसी और बीसीसीआई की ठनी

बीसीसीआई ने एक जून से इंग्लैंड में होने वाली आईसीसी चैंपियंस ट्राफी के लिये अभी तक टीम की घोषणा नहीं की है और वह आईसीसी से पुराने बिग थ्री राजस्व मॉडल के तहत अपनी हिस्सेदारी मांग रहा है।

मंगलवार चैंपियंस ट्राफी के लिये टीमें घोषित करने का आखिरी दिन है और बीसीसीआई ने अब तक टीम की घोषणा नहीं की है।

ऐसा माना जा रहा है कि भारत आईसीसी चैंपियंस ट्राफी के लिये अपनी टीम की घोषणा को आईसीसी बोर्ड की दुबई में 27 और 28 अप्रैल को होने वाली बैठक तक टाल सकता है। भारतीय बोर्ड आईसीसी में बिग थ्री मॉडल में अपने पुराने राजस्व पर अड़ा हुआ है जिसकी स्थापना 2014 में की गयी थी।

नये राजस्व मॉडल के तहत बीसीसीआई को 29 करोड़ डॉलर की हिस्सेदारी की पेशकश की गयी है, लेकिन बीसीसीआई ने आईसीसी के पूर्ण सदस्यों को बताया है कि वह अपनी 57 करोड़ डॉलर की हिस्सेदारी चाहता है जो पुराने राजस्व मॉडल में थी।

आईसीसी के अध्यक्ष शशांक मनोहर ने बीसीसीआई द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) के साथ पिछली बातचीत में भारतीय बोर्ड को अतिरिक्त 10 करोड़ डॉलर देने की पेशकश दी थी जिससे बीसीसीआई की हिस्सेदारी 40 करोड़ डॉलर पहुंच जाती। लेकिन बीसीसीआई ने इस पेशकश को ठुकरा दिया है।

आईसीसी की बैठक में बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व करने जा रहे उसके सचिव अमिताभ चौधरी ने नौ अन्य पूर्ण सदस्यों के साथ बातचीत करने के बाद कहा कि बीसीसीआई अपनी 57 करोड़ डॉलर की हिस्सेदारी चाहता है, लेकिन इसके साथ ही शेष पूर्ण सदस्यों की हिस्सेदारी भी कम नहीं होनी चाहिये।

राजस्व बांटने की इस लड़ाई में चैंपिंयस ट्राफी के लिये भारतीय टीम की घोषणा में विलंब हो सकता है और बीसीसीआई चैपियंस ट्राफी में भारत की भागीदारी को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल भी कर सकता है। हालांकि सीओए ने अमिताभ चौधरी को नरम रूख रखने की सलाह दी है, लेकिन समझा जाता है कि अमिताभ चौधरी इस सलाह के विपरीत काम करेंगे।

प्रस्तावित राजस्व माडल पर आईसीसी और बीसीसीआई की ठनी हुई है क्योंकि इसमें भारत का हिस्सा कम किया जा रहा है। मौजूदा राजस्व वितरण माडल में बीसीसीआई को आईसीसी से 57 करोड़ 90 लाख डालर मिलते हैं। मनोहर के प्रस्ताव को अगर आईसीसी पारित कर देती है तो बीसीसीआई का हिस्सा 29 करोड़ डालर रह जायेगा जिसे प्रशासकों की समिति भी मंजूर नहीं करेगी।

आईसीसी को अपना नया वित्तीय मॉडल मंजूर कराने और कुछ अन्य सुधार लाने के लिये बीसीसीआई की सहमति की पूरी जरूरत है। इस बीच यह समझा जाता है कि बीसीसीआई ने आईसीसी के पूर्ण सदस्यों को कहा है कि इन सुधारों को जून के बाद तक के लिये टाल दिया जाए।