बिहार में आलू उत्पादक किसानों की भिखारी जैसी हालत
बिहार में आलू उत्पादक किसानों की भिखारी जैसी हालत हो गई है। आलू उत्पादन की लागत 1700 रुपये प्रति कट्ठा है, वहीं किसानों को आलू की बिक्री से 1250 रुपये प्रति कट्ठा की कमाई हो रही है। बिहार में किसानों को प्रति कट्ठा 500 रुपये का नुकसान हो रहा है। समस्तीपुर के ताजपुर प्रखंड में किसान महासभा और भाकपा (माले) की टीम ने किसानों से मुलाकात की और खेतों का जायजा लिया।
अखिल भारतीय किसान महासभा और भाकपा (माले) की टीम में किसान नेता ब्रहमदेव प्रसाद सिंह, राजदेव प्रसाद सिंह एवं माले प्रखंड सचिव सह इनौस जिला अध्यक्ष सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने आज फतेहपुर, ताजपुर, रामापुर महेशपुर आदि पंचायतों के आलू उत्पादक किसानों से मुलाकात की और आलू के खेतों का जायजा लिया।
दशरथ सिंह, हितनारायण सिंह, रवींद्र प्रसाद सिंह, रामरतन सिंह, रामवरण सिंह समेत अन्य किसानों ने कहा कि प्रति कट्ठा आलू की खेती में 400 रुपये की 20 किलो खल्ली, रोपाई 150 रुपये, 75 रुपये की 3 किलो डी ए पी खाद, 25 रुपये की 2 किलो पोटाश, 16 रुपये की 2 किलो यूरिया, खेत जूताई 150 रुपये, 200 रुपये की 30 किलो बीज, पटवन 100 रुपये, निकौनी 250 रुपये, खोदाई 250 रुपये कुल मिलाकर करीब 1700 रुपये प्रति कट्ठा से अधिक का लागत आता है। अगर पाला से बच गया तो बेहतर फसल होने की स्थिति में अधिकतम उपज 2 क्विंटल 50 किलो होता है। अभी बिक्री 500 रुपये प्रति क्विंटल है। प्रति कट्ठा 1250 रुपये की आमदनी है। इस हिसाब से प्रति कट्ठा करीब 500 रुपये किसान को नुकसान उठाना पडता है। इस वजह से किसान का हाल भिखारी जैसा है।
किसान नेता ब्रहमदेव प्रसाद सिंह एवं माले नेता सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने नीतीश सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि जल्द से जल्द कृषि पदाधिकारी खेतों का दौरा कर सरकार को प्रतिवेदन दें, सरकार किसानों को अनुदान दें, सरकारी स्तर पर आलू की खरीद हो, आलू उत्पादक किसानों को सरकार मुआवजा दें। अगर ऐसा नहीं हुआ तो होली बाद जिला कृषि पदाधिकारी का घेराव करेंगे।