बिहार: प्राइवेट आवासीय स्कूली बच्चे कतार लगा कर रहे खुले में शौच
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के चंपारण जिले में आए और यह कह कर चले गए कि बिहार में 8 लाख 50 हजार से ज्यादा शौचालयों का निर्माण हुआ है। लेकिन जिस तस्वीर से हम आपको रुबरु करा रहे हैं, वो तस्वीर भी बिहार की ही है और 'स्वस्छ भारत निर्मल भारत' के स्लोगनों को आईना दिखाने वाली है।
यह तस्वीर अरवल जिले की हैं जो बड़ी ही तेजी से वायरल हो गई हैं। खास बात यह भी है कि यह तस्वीर भी उसी दिन (मंगलवार 10 मार्च) की है, जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंपारण जिले में मौजूद थे। तस्वीर में आप देख सकते हैं कि किस तरह नन्हें बच्चे हाथों में लोटा (पानी रखने वाला बर्तन) लिए कतार लगा कर शौच के लिए जा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि यह सभी बच्चे कुर्था के आवासीय स्कूल के छात्र हैं। हाल के दिनों में राजधानी पटना से सटे अरवल जिले का कुर्था इलाका शिक्षा का हब बनकर उभरा है, लिहाजा यहां के निजी स्कूलों में अभिभावक अपने बच्चों का नामांकन एड़ी-चोटी का जोर लगा कर करवा रहे हैं।
हैरानी की बात यह है कि यहां प्राइवेट स्कूल प्रशासन इन बच्चों को सुबह-शाम ऐसे ही खुले में शौच के लिए भेज देता है। इस इलाके में सुबह या शाम के वक्त इन बच्चों को हाथों में लोटा लिए ऐसे ही कतारों में जाते देखा जा सकता है।
एक गंभीर बात यह भी है कि यहां कई सारे स्कूल मुख्य सड़क पर ही स्थित हैं। लिहाजा बच्चों के साथ कोई हादसा ना हो जाए इसलिए शौच जाते वक्त इन्हें ऐसे ही कतार में जाने को कहा जाता है।
सवाल यह है कि फीस के नाम पर माता-पिता से मोटी रकम वसूलने वाले निजी स्कूलों में आखिर क्यों उनके बच्चों के शौच जाने के लिए एक उचित शौचालय तक का भी प्रबंध नहीं है? क्या बच्चों को ऐसी खतरनाक सड़कों पर यूं लेकर जाना हादसों को न्योता देना नहीं है? सबसे बड़ा सवाल यह कि इन तस्वीरें के सामने आने के बाद हमारे रहनुमाओं द्वारा देश को खुले में शौच मुक्त बनाने की बात करना क्या एक छलावा नहीं लगता?
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के समापन समारोह ((मंगलवार 10 मार्च) के मौके पर कहा था कि ''पिछले एक हफ्ते में बिहार में 8 लाख 50 हजार से ज़्यादा शौचालयों का निर्माण हुआ है। पीएम के कहने के मुताबिक, यहां प्रति एक सेकेंड में एक से भी ज्यादा और हर एक मिनट में 84.31 शौचालय का निर्माण हुआ है। हालांकि प्रधानमंत्री के यह आंकड़ें उसी वक्त सवालों के कटघरे में आ गए थे, जब विपक्षी नेताओं ने इन आंकड़ों पर सवाल खड़ें किये थे।
बहरहाल इतने सारे शौचालयों का निर्माण कहां हुआ है। यह तो कोई नहीं जानता, लेकिन इन बच्चों की जो तस्वीर बिहार से आई है, वो इतना तो जरूर बता रही है कि नन्हें मासूमों का अपनी जान हथेली पर रखकर खुले में शौच के लिए जाना स्वस्छ भारत के सपने पर पानी जरूर फेर रहा है।