क्या कोरोना वायरस इंसानी दिमाग़ पर असर डाल सकता है?
डॉक्टर जूली हेल्म्स की इंटेसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में मार्च 2020 की शुरुआत में उंगलियों पर गिनने लायक मरीज़ भर्ती थे, लेकिन कुछ ही दिनों में उनका आईसीयू वार्ड कोविड-19 के मरीज़ों से भर गया।
मगर डॉक्टर जूली की चिंता इन मरीज़ों में साँस की तकलीफ़ नहीं, बल्कि कुछ और थी।
डॉक्टर जूली उत्तरी फ़्रांस में स्थित स्ट्रासबर्ग विश्वविद्यालय के अस्पताल में काम करती हैं। वो कहती हैं, ''मरीज़ बेहद उत्तेजित थे। कई को न्यूरोलॉजिकल समस्याएं थीं। मुख्य रूप से भ्रम और प्रलाप जैसी दिक्कतें। यह पूरी तरह से असामान्य और डरावना था, ख़ासकर इसलिए क्योंकि हमारे द्वारा जिनका इलाज किया गया, उनमें बहुत से लोग काफ़ी युवा थे। वे 30 से 49 वर्ष के बीच थे और कुछ तो सिर्फ़ 18 साल के थे।''
फ़रवरी में चीन के शोधकर्ताओं ने वुहान शहर के रोगियों पर एक अध्ययन के बाद यह पाया था कि ''कोरोना वायरस संक्रमण का असर लोगों के मस्तिष्क पर भी हुआ।''
चीनी शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के मरीज़ों में जो लक्षण देखे थे, उन्होंने उन सभी को 'एन्सीफ़ेलोपैथी' का संकेत बताया था। मेडिकल की भाषा में 'एन्सीफ़ेलोपैथी' शब्द का प्रयोग मस्तिष्क में हुई क्षति के लिए होता है।
कोरोना वायरस को लेकर एक नई मुश्किल की तरफ़ वैज्ञानिकों ने संकेत दिया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक कोरोना वायरस के चलते दिमाग़ की गंभीर बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं, जिसका भी इलाज संभव नहीं होगा।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के रिसर्चरों को कोविड-19 के 43 मरीज़ों के मस्तिष्क में गंभीर समस्याएं देखने को मिली हैं। इन मरीज़ों के दिमाग़ में सूजन पाया गया है और इनमें मनोविकृति और बेहोशी में बड़बड़ाने की आदत भी देखी गई है।
इस अध्ययन के मुताबिक मरीज़ों का दिमाग़ काम करना बंद कर सकता है, दौरे पड़ सकते हैं। इसके अलावा दिमाग़ की नसों को नुकसान हो सकता है और दिमाग़ की दूसरी मुश्किलें देखने को मिल सकती हैं।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजी के डॉ. माइकल ज़ांडी ने बताया, ''कोरोना वायरस के चलते बड़े पैमाने पर लोगों के मस्तिष्क का नुकसान होगा। संभवत 1918 वाली स्थिति ही होगी। स्पेनिश फ़्लू के बाद 1920 और 1930 के दशक में मानसिक बुखार इंसेफेलाइटिस का प्रकोप देखने को मिला था।''
बीबीसी के मेडिकल संवाददाता फर्ग्यूस वाल्श ने हाल ही में रिपोर्ट लिखी है जिसके मुताबिक कोरोना वायरस के चलते कई तरह की न्यूरोलॉजिकल मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।