कोबरापोस्ट ऑपरेशन 136: पार्ट -1 : पंजाब केसरी

पंजाब केसरी

सुनील शर्मा, हिमाचल; हरीश शर्मा, Senior Business Executive, चंडीगढ़; राजेन्द्र कुमार; असलम सिद्दकी, ब्यूरो चीफ, दिल्ली, पंजाब केसरी

साल 1965 में महज 3500 कॉपियां प्रकाशित कर पंजाब केसरी ने देश में एक नई पहचान बनाई और आज ये हिंदी दैनिक अखबार 7,43,000 कॉपियां प्रकाशित कर रहा है जालंधर, चंडीगढ़, लुधियाना, पालमपुर, पानीपत, हिसार, जम्मू, भटिंडा, रोहतक और शिमला में पंजाब केसरी एक विश्वसनीय अखबार बन चुका है। लेकिन जब पुष्प शर्मा ने इस अखबार के दो सीनियर अधिकारियों से बातचीत की तो उन्हें ये जानते ज्यादा देर नहीं लगी कि इस विख्यात अखबार में लोगों की विश्वसनीयता से ज्यादा तवज्जो कारोबार को दी जा रही है।

मुलाकात के दौरान पुष्प ने सुनील शर्मा को अपना एजेंडा समझाते हुए बताया कि हम आपके अखबार के जरिए पंजाब में वोटों का ध्रुवीकरण चाहते हैं। पुष्प ने पूछा कि आपके पास ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिस पर आप हमारे बड़े और कट्टर हिंदुवादी नेताओं का प्रचार-प्रसार कर सकें। इस पर सुनील ने एक क्षण की देरी किए बिना कहा, “डिजिटल है सर” और ये भी बताया कि ये प्रिंट के मुकाबले सस्ता भी है। पुष्प ने सुनील से पूछा कि आपके मैनेजमेंट का पंजाब में अकालियों के साथ कोई समझौता तो नहीं हुआ, कहीं ऐसा ना हो कि वो हमारे एजेंडे को चलाने से ही इनकार कर दें तो सुनील ने कहा, ''ऐसा कुछ नहीं है सर हां बीच में अगर वो भी कुछ छापना चाहते हैं तो हम उन्हें भी नहीं रोकेंगे।''