स्वेज़ नहर में फंसे कंटेनर जहाज़ को निकाला गया: रिपोर्ट
ऐसी ख़बरें मिल रही हैं कि स्वेज़ नहर में फंसे मालवाहक जहाज़ को निकाल लिया गया है।
सोमवार, 29 मार्च 2021 को सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में देखा जा सकता है कि एवर गिवेन जहाज़ के पिछले हिस्से के घूम जाने की वजह से नहर का रास्ता खुला है।
वहीं समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने लिखा है कि इंचकैप शिपिंग सर्विसेज़ के मुताबिक़, क़रीब एक हफ़्ते से स्वेज़ नहर में फंसा यह विशाल जहाज़ अब फिर से तैरने लगा है और उसे चलने लायक स्थिति में बनाने का काम जारी है।
वैश्विक समुद्री सेवाएं देने वाले इंचकैप ने ट्विटर पर बताया, स्थानीय समयानुसार सुबह 4.30 पर जहाज़ फिर से तैरने लगा और अब उसे पूरी तरह संचालन में लाने का काम जारी है।
जहाज़ को ट्रैक करने वाली सर्विस वेसलफ़ाइंडर ने अपनी वेबसाइट पर जहाज़ के स्टेटस को बदल दिया है और अब लिखा है कि जहाज़ रास्ते में है।
400 मीटर लंबा एवर गिवेन जहाज़ मंगलवार, 23 मार्च 2021 को तेज़ हवाओं के बीच स्वेज़ नहर में तिरछा होकर फंस गया था। इसकी वजह से यूरोप और एशिया के बीच के इस सबसे छोटे जहाज़ मार्ग पर जहाज़ों के ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई थी।
कम से कम 369 जहाज़ नहर का रास्ता खुलने का इंतज़ार कर रहे थे। स्वेज़ नहर प्राधिकरण (एससीए) के चेयरमैन ओसामा रबी ने मिस्र के एक्स्ट्रा न्यूज़ को रविवार, 28 मार्च 2021 को बताया कि इनमें कई मालवाहक जहाज़, तेल के टैंकर और एएनजी या एलपीजी गैस ले जा रहे जहाज़ थे।
स्वेज़ में ट्रांसिट सेवाएं देने वाली मिस्र की लेथ एजेंसीज़ ने ट्वीट किया कि जहाज़ आंशिक रूप से फिर तैरने लगा है, स्वेज़ नहर प्राधिकरण से आधिकारिक पुष्टि पेंडिंग है।
वहीं रॉयटर्स के मुताबिक़, जहाज़ के दोबारा तैरना शुरू करने की ख़बर आने के बाद कच्चे तेल के दाम में कमी आई है।
स्वेज़ नहर प्राधिकरण ने इससे पहले अपने एक बयान में कहा था कि जहाज़ को खींचकर बाहर निकालने का काम फिर से शुरू किया गया है। रविवार, 28 मार्च 2021 को निकालने की कोशिशों में लगी टीमों ने अपना काम तेज़ कर दिया था।
टगबोट और ड्रेजर के ज़रिए की गई लंबी कोशिशों के बाद जहाज़ को निकालने में एक बड़ी कामयाबी मिल सकी है।
जहाज़ को निकालने में कई दिनों तक नाकाम होने के बाद, रविवार, 28 मार्च 2021 को नहर प्रशासन ने वज़न कम करने के लिए जहाज़ से क़रीब 20,000 कंटेनरों को हटाने की तैयारी शुरू की थी।
इससे पहले विशेषज्ञों ने बीबीसी से कहा था कि ऐसे अभियानों में विशेष उपकरणों का इस्तेमाल करना पड़ता है, जैसे एक क्रेन जिसे 60 मीटर (200 फीट) तक ऊपर पहुंचना होगा, जिसमें हफ़्तों लग सकते हैं।