चारा घोटाला: लालू के गवाह और जज के बीच तीखी बहस, वकील ने की जज बदलने की मांग
राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव इन दिनों चारा घोटाले के मामले में अक्सर रांची की अदालत में पेश हो रहे हैं। सीबीआई कोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत पेशी से छूट नहीं दी है, इसलिए उन्हें अक्सर हर सुनवाई पर पेश होना पड़ रहा है। इसी वजह से लालू यादव के वकील प्रभात कुमार ने सीबीआई की विशेष अदालत के जज शिवपाल सिंह पर दुर्भावना के साथ काम करने का आरोप लगाया है।
प्रभात कुमार का आरोप है कि जब इसी मामले में अन्य आरोपियों को पेशी से छूट दी गई है तो लालू यादव को क्यों नहीं? इसके साथ ही लालू के वकील ने जज बदलने की मांग पर झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही है।
लालू यादव ने 'द टेलीग्राफ' से कहा, ''मुझे नहीं लगता कि इस अदालत से मुझे न्याय मिल पाएगा। इसलिए हम अपने वकील के माध्यम से झारखंड हाईकोर्ट में जज बदलने की याचिका डालेंगे।''
सीबीआई की यह अदालत चारा घोटाले से जुड़े आर सी 64 ए/96 और आर सी 38 ए/96 मामले की सुनवाई कर रही है। आर सी 64 ए/96 देवघर ट्रेजरी से 85 लाख रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है, जबकि आर सी 38 ए/96 दुमका ट्रेजरी से 3.76 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है।
लालू के वकील ने इससे पहले सीबीआई कोर्ट को टाइम पेटिशन दिया था।
लालू यादव ने आरोप लगाया कि जज जानबूझकर उन्हें हर सुनवाई में पेश होने को कहते हैं जिसकी आवश्यकता नहीं है। लालू यादव के वकील ने कोर्ट को बताया था कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है क्योंकि उनकी हार्ट का वाल्व बदला जा चुका है। वकील ने इसके लिए जज को दवाइयां भी दिखाईं।
इसके साथ ही राजद अध्यक्ष के वकील ने आरोप लगाया कि जज ने बचाव पक्ष के उनके एक गवाह के साथ बदसलूकी भी की।
वकील ने बताया कि शुक्रवार को लालू के पक्ष में तीन गवाह अपना बयान दर्ज कराने अदालत पहुंचे थे, लेकिन जज ने उनमें से सिर्फ एक का ही बयान दर्ज किया। तीन गवाहों में एक बिहार सरकार में डीजीपी रैंक के अधिकारी सुनील कुमार थे। दूसरे बिहार सरकार के पूर्व मुख्य सचिव मुकुंद प्रसाद थे और तीसरे बिहार सरकार के कर्मचारी कन्हैया कुमार थे।
जज ने इनमें से सिर्फ मुकुंद प्रसाद का ही बयान दर्ज किया। वकील ने आरोप लगाया कि जज ने डीजीपी रैंक के अधिकारी सुनील कुमार के साथ ना केवल बुरा बर्ताव किया बल्कि उन पर जातिसूचक टिप्पणी भी की। इसके विरोध में डीजीपी रैंक के अधिकारी ने भी जज को खरी-खोटी सुनाई।