कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन देने से ज़्यादा मौतें हुई: स्टडी
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा था कि वो कोविड 19 बीमारी से बचने के लिए मलेरिया की दवाई हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन ले रहे हैं।
साइंस जर्नल 'लैंसेट' ने अपनी स्टडी में पाया है कि कोरोना वायरस से संक्रमितों के इलाज में जहां हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन दवाई दी जा रही है, वहां मौत का ख़तरा ज़्यादा है।
स्टडी में पाया गया है कि मलेरिया की इस दवाई से कोरोना संक्रमितों को कोई फ़ायदा नहीं हो रहा है। भारत में यह दवाई बड़े पैमाने पर बनती है। भारत ने मार्च में इस दवाई के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप चाहते थे कि भारत ये प्रतिबंध हटाए और अमरीका में आपूर्ति करे। ट्रंप के कहने के बाद भारत ने ये प्रतिबंध आंशिक रूप से हटा दिया था।
ट्रंप ने इसी हफ़्ते कहा था कि वो इस दवाई का सेवन कर रहे हैं जबकि स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेताया था कि इससे हृदय रोग की समस्या बढ़ सकती है।
ट्रंप मेडिकल स्टडी की उपेक्षा करते हुए इस दवाई के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करते रहे हैं।
हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन मलेरिया के रोगियों के लिए सुरक्षित है और लुपस या आर्थ्राइटिस के कुछ मामलों में भी ये लाभकारी है।
लेकिन कोरोना संक्रमितों को लेकर कोई क्लिनिकल ट्रायल ने इस दवाई के इस्तेमाल की सिफ़ारिश नहीं की है।
द लैंसेट की स्टडी में कोरोना वायरस से संक्रमित 96,000 मरीज़ों को शामिल किया गया।
इनमें से 15,000 लोगों को हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन दी गई या इससे मिलती जुलती क्लोरोक्विन दी गई। ये या तो किसी एंटिबायोटिक के साथ दी गई या फिर केवल यही।
इस स्टडी से पता चलता है कि दूसरे कोविड मरीज़ों की तुलना में क्लोरोक्विन खाने वाले मरीज़ों की हॉस्पिटल में ज़्यादा मौत हुई और हृदय रोग की समस्या भी उत्पन्न हुई।
जिन्हें हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन दी गई उनमें मृत्यु दर 18% रही, क्लोरोक्विन लेने वालों में मृत्यु दर 16.4% और जिन्हें ये दवाई नहीं दी गई उनमें मृत्यु दर नौ फ़ीसदी रही।
जिनका इलाज हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन या क्लोरोक्विन किसी एंटिबायोटिक के साथ दी गई उनमें मृत्यु दर और ज़्यादा थी।
रिसर्चरों ने कहा है कि हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन क्लिनिकल ट्रायल से बाहर लेना ख़तरनाक है।
ट्रंप ने कहा था कि कोविड टेस्ट में वो निगेटिव आए हैं क्योंकि वो हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन ले रहे हैं और इसका सकारात्मक फ़ायदा मिला है।
इसे लेकर ट्रायल चल रहा है कि हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन कोविड 19 में प्रभावी है या नहीं।
यूरोप, एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमरीका के 40 हज़ार से ज़्यादा स्वास्थ्यकर्मियों को इस ट्रायल में हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन की खुराक दी जाएगी।
लैंसेट की स्टडी के बारे में पूछे जाने पर 'व्हॉइट हाउस कोरोना वायरस टास्क फोर्स ' के को-ऑर्डिनेटर डॉक्टर डेबोराह बर्क्स ने कहा कि कोविड-19 की बीमारी के इलाज या उससे बचाव के लिए हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन के इस्तेमाल से जुड़ी चिंताओं को लेकर सरकारी एजेंसी 'यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन' का रुख बहुत स्पष्ट रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन से जुड़े संगठन 'पैन अमरीकन हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन' के निदेशक डॉक्टर मार्कोस एस्पिनाल ने ये बात जोर देकर कही है कि किसी भी क्लिनिकल ट्रायल में कोरोना वायरस के इलाज के नाम पर हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन के इस्तेमाल की सिफारिश नहीं की गई है।